सौजन्या- मनोहर कहानियां
जनपद हरदोई के अतरौली थाना क्षेत्र के गांव बहोइया के रहने वाले रामसिंह की भरावन चौराहे पर
दरजी की दुकान थी. उस का विवाह गांव मांझगांव की रीता से हुआ था. बाद में उस से एक बेटा हुआ. लेकिन रीता राम सिंह से उम्र में बड़ी थी, इसी बात को ले कर उस का पत्नी से विवाद होता रहता था.
यह विवाद इतना बढ़ गया कि रीता अपने मायके चली गई, तो फिर लौट कर वापस नहीं आई. रामसिंह ने कई सालों तक उस के वापस आने की राह देखी, जब वह वापस नहीं आई तो राम सिंह ने करीब 12 साल पहले गांव बसंतापुर की रीना से विवाह कर लिया.
रीना रामसिंह से 10 साल छोटी थी. कालांतर में रीना 2 बच्चों की मां बनी. उस के बड़े बेटे का नाम सौरभ था और छोटे का गौरव. बाद में रीना आंगनवाड़ी में सहायिका के रूप में काम करने लगी.
जैसेजैसे उम्र बढ़ रही थी, रामसिंह का दमखम जवाब देने लगा था. दिन भर दुकान पर खटने के बाद वह घर आता तो रास्ते में दारू के ठेके से दारू पी कर घर लौटता था. घर आ कर खाना खाते ही सो जाता था. उसे बीवी की जरूरतों को पूरा करने की सुध ही नहीं रहती थी.
रामसिंह के मकान के बराबर में ही उस के चाचा श्रीपाल रहते थे. श्रीपाल के 2 बेटे थे सोनेलाल उर्फ भूरा और कमलेश. कमलेश लखनऊ में बीकौम की पढ़ाई कर रहा था. भूरा भरावन चौराहे पर ही एक दुकान पर सिलाई का काम करता था. वह अविवाहित था.