क्या आप यकीन करेंगे कि दिल्ली में 46 लाख लोग कारोना संक्रमण की चपेट में आए थे और अब ठीक भी हो चुके हैं? जी हां, यह सच है. हैरानी वाली बात यह कि इतने लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला. दिल्ली में कोरोना संक्रमण किस हद तक फैला है इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार ने मिल कर सीरोलोजिकल सर्वे किया था. यह सर्वे 27 जून से लेकर 10 जुलाई के बीच हुआ. सीरो सर्वे में पता चला है कि 22.8 प्रतिशत दिल्ली की आबादी कोरोना की चपेट में आ चुकी है. यानी दिल्ली का हर चौथा व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होकर ठीक भी हो चुका है.

सीरो सर्वे के आकडे केंद्र सरकार की हेल्थ मिनिस्ट्री ने जारी किये. इस सर्वे को नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल (एनसीडीसी) और दिल्ली सरकार ने मिलकर किया था. इस सर्वे में पाया गया कि अधिकतम संक्रमित लोग बिना लक्षण के पाए गए थे. यानी उनके भीतर कोरोना के या तो हलके लक्षण थे या लक्षण नहीं थे.

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कैसे हुआ था सीरो सर्वे?

यह सर्वे दिल्ली के सभी 11 जिलों में किया गया था. जिसमें रैंडम सैंपलिंग की गई. एनसीडीसी के डायरेक्टर ने बताया कि इस सर्वे में कुल 21,387 ब्लड सैंपल जमा किए गए. इसके बाद इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसलिंग के मानकों के मुताबिक एंटीबॉडी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट से यह पता लगाया जा सका कि आखिर दिल्ली में कितने लोगों के भीतर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार हो चुकी है.

सीरोलोजिकल सर्वे में जो ब्लड सैंपल लिया गया उससे यह भी पता लगाया गया कि सख्स कोरोना से संक्रमित था या नहीं या वह पहले किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया था. सर्वे में 20,000 घरों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया था. जो दिल्ली के अलग अलग इलाकों में होना था. इन इलाकों का जो डाटा आया है उसमें मध्य दिल्ली में 27.86 प्रतिशत के साथ सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मामले आए. वहीँ शाहदरा जिले में संक्रमितों का औसत 27.6 प्रतिशत था. बाकी जिलों में 20 प्रतिशत से ऊपर ही रहा.

इस पर प्रशाशन ने क्या कहा?

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा सीरो सर्वे को कहा “दिल्ली की 24 प्रतिशत लोग यानि एक चोथाई आबादी के भीतर एंटीबाडी पाई गई है. इन लोगों के भीतर इन्फेक्शन हो चुका है और वो रिकवर कर चुके हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों को नहीं पता था कि उनको इन्फेक्शन हुआ है.” उन्होंने अपनी बात में आगे कहा “सरकार अब हर महीने सीरो सर्वे कराएगी. जिसे 1-5 अगस्त के बीच कराया जाएगा.” उन्होंने आगे बताया कि “शरीर में एंटीबाडी 15 दिन के बाद बनती है इसलिए सर्वे में आया यह स्टेटस 1 महीने पुराना है.” इसके साथ उन्होंने कम्युनिटी स्प्रेड होने की बात कही और कहा कि “वे 1 महीने पहले कह चुके थे कि दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है. अब इसके बारे में डिसीजन केंद्र सरकार लेगी.”

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राज्य में हुए सीरो सर्वे को लेकर एनसीडीसी के डायरेक्टर डॉक्टर सुजीत कुमार सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस की. जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना का एक्स्पोसर 8 जिलों में अधिक देखने को मिला है. मुख्य तौर पर सेंट्रल, नार्थईस्ट, नार्थ और शाहदरा में 27 प्रतिशत तक रहा. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने इसे सफलता माना और कहा कि बाकी देशों के मुकाबले इसका एक्सपोजर कम है जिसका श्रेय उन्होंने सरकार द्वारा लगाए लाकडाउन और कोंटेनमेंट जोन को दिया. उन्होंने आगे कहा कि “77 प्रतिशत दिल्ली की आबादी अभी भी खतरे में है. इसलिए एहतियात बरतने की जरुरत है.”

इससे पहले भी किया जा चुका है सीरोलाजिकल सर्वे

इससे पहले भी इस तरह का सर्वे आईसीएमआर ने देश के 65 जिलों में किया था. जिसमें लगभग 26,400 रेंडम सैंपल कलेक्ट किये गए थे. यह स्टडी तालाबंदी शुरूआती समय में किया गया था. जिस समय देश में कोरोना के मामले 40 हजार से नीचे थे. उसी सर्वे को आधार बना कर सरकार ने तालाबंदी को सफल भी बताया था, और कहा था कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन वाली स्थिति नहीं हुई है. किन्तु किसी राज्य स्तर पर विशेष तौर पर यह पहली बार देश में किया गया.

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वैसे तो सीरोलाजिकल टेस्ट साउथ कोरिया, सिंगापुर, चीन में धड़ल्ले से शुरू किया गया था जब वहां बहुत ही कम समय में तेजी से कोरोना मामले बढ़ने लगे थे. हर हफ्ते साउथ कोरिया ओसतन 20 से 25 हजार टेस्ट किया करता था. यह साउथ कोरिया के लिए एक मजबूत हथियार के तौर पर काम भी किया जिससे उन्होंने अपने देश में कोरोना के मामले रोके. इसी तरह से चीन और सिंगापुर ने भी कई माध्यमों में से एक इस माध्यम से अपने देश में इसी तरह कोरोना के मामलों पर नियंत्रण पाने में कामयाबी हांसिल की थी.

सर्वे को लेकर अहम् बिंदु

फिलहाल यह संतुष्ट करने वाली बात है कि दिल्ली में कोरोना के मामलों में गिरावट आई है. इस सोमवार को दिल्ली में 1000 से भी कम कोरोना मामलों ने पुरे देश को चौंका दिया. इससे पहले 1000 से कम मामले 1 जून को दर्ज किये गए थे. वहीँ मंगलवार को इसमें थोड़ी सी बढ़ोतरी हुई जिसमें 1,300 मामले दर्ज हुए. इस समय दिल्ली में लगभग 1,24,000 मामले आए हैं जिसमें से 1,06,000 लोग रिकवर हो चुके हैं. दिल्ली में इस समय रिकवरी रेट 85 फीसदी है वही देश में यह रेट 63 फीसदी है. एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि दिल्ली का पीक आ चुका है. यानी अब मामले बढ़ोतरी की जगह गिरावट दर्ज होगी.

दिल्ली में सीरो सर्वे रिजल्ट आने के बाद हर्ड इम्युनिटी अथवा कोरोना प्रूफ होने की अटकलें जताई जा रही हैं. हर्ड इम्युनिटी मेडिकल साइंस का एक पुराना तरीका है, जिसके तहत आबादी का एक तय बड़ा हिस्सा संक्रमित हो जाए और उस हिस्से के शरीर से एंटीबॉडीज बनने लगे तो यह एंटीबाडीज शरीर में कुछ महीने तक बने रहते हैं. इससे अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस के संपर्क में आता भी है या ट्रांसफर होता है तो उसकी क्षमता धीरे धीरे कमजोर होते जाती है. हांलाकि हर्ड इम्युनिटी को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है और वे इसे भी खतरनाक बताते हैं.

स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की बात में ध्यान दिया जाए तो सर्वे में संक्रमित लोगों की संख्या 1 महीने पुरानी है. यानी जून 15 से पहले की. यह वही समय भी था जब दिल्ली में कोरोना के मामले काफी तेजी बढ़ भी रहे थे. और मोतों का आकड़ा भी बढ़ रहा था. इसमें एनसीडीसी ने कहा कि 77 प्रतिशत लोग अभी इसकी चपेट से बाहर है, किन्तु एक महीने बाद इस आकडे पर पुख्ता नहीं कहा जा सकता है. हो सकता है 23 प्रतिशत वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई हो.

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सरकार से बड़ी चूक

जाहिर इसमें कोई दोराह नहीं है कि कोरोना को रोकने में सरकार ने भारी चूक दिखाई. लगभग 2 करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में अगर अनुमानतः 46 लाख लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए और खुद से ठीक भी हो गए तो व्यवस्था पर सवाल बनता है कि वह कर क्या रही थी? इसमें राज्य सरकार निशाने पर तो होनी चाहिए ही किन्तु केंद्र सरकार को भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए जो कम्युनिटी स्प्रेड की बात को नकारती आ रही थी और जरुरी कदम उठाने में देरी करती रही. एनसीडीसी ने सीरो सर्वे पर कांफ्रेंस करते हुए लाकडाउन और कांटेंमेंट जोन बनाए जाने की तारीफ़ की. फिर सवाल बनता है कि इतने बड़े स्तर पर सरकार की नाक के नीचे कारोना फैलता रहा और सरकार को पता भी नहीं चला.

खुद एनसीडीसी के डायरेक्टर ने कहा कि 11 में से 8 जिलों में 20 प्रतिशत से ऊपर कोरोना संक्रमण फैला. जिसमें से 4 जिलों सेंट्रल, नार्थईस्ट, नार्थ और शाहदरा में 27 प्रतिशत के ऊपर रहा. फिर तालाबंदी और कांटेनमेंट जोन ने कोन से संक्रमण रोके? यानी यह साफ़ है कि कोरोना को लेकर सरकार का काम राम भरोसे चल रहा था. वह लोगों के बीच इसे फैलने को रोक नहीं पाई. दिल्ली में कोरोना के मामले कम जरूर आ रहे हैं लेकिन सीरो सर्वे आने के बाद यह तय है कि लोगों ने खुद अपनी जंग अभी तक खुद जीती है इसमें सरकार की कार्यवाही नाकाफी रही.

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