लेखक-श आर.के. राजू
सौजन्य-मनोहर कहानियां
नाम शबाना. हां, यही नाम है उस कालेकिन 2 बार क्यों?
क्योंकि उस ने भले ही अपराध किया, लेकिन खुलेआम किया. भरे चौराहे पर किया, बिना डरे किया. अपराध कर के भागी भी नहीं. इंतजार करती रही पुलिस का. चौराहे पर एक लाश पड़ी थी, आलिया की लाश. कुछ ही देर पहले शबाना ने आलिया के सीने पर चढ़ कर पूरी पिस्तौल खाली कर दी थी.
उस की लहूलुहान लाश सड़क पर पड़ी थी और शबाना पिस्तौल लहराती लाश के इर्दगिर्द घूम रही थी. गुस्से में उस के होंठों से गाली या जो भी शब्द निकल रहे थे, वे सब आलिया के लिए थे. यह घटना बीते 9 जून की है.
आखिर आलिया थी कौन, जिस से शबाना इतनी नाराज थी कि पिस्तौल की सारी गोलियां उस के सीने में उतार दीं. यह जानते हुए भी कि उसे जेल जाना पड़ेगा. सच तो यह है कि उस का क्रोध, उस की नफरत किसी भी सोच पर भारी पड़ गए थे. इतने भारी कि आलिया को मार कर उसे खुद भी मरना पड़ता तो वह खुशीखुशी मर जाती.
अपने अंदर की इस नफरत को शबाना ने एकडेढ़ साल बड़ी शिद्दत से पाला था. यहां तक कि अपने पति और बच्चों तक को पता नहीं चलने दिया.शबाना घरेलू महिला थी. 5 बच्चों की मां. स्वाभाविक सा सवाल यह है कि उस के पास पिस्तौल कहां से आई और उस ने उसे चलाना कैसे सीखा? इस की भी एक अलग कहानी है. शबाना का पति मोहम्मद जफर ट्रांसपोर्टर था. कभीकभी वह खुद भी ट्रक ले कर बाहर चला जाता था.
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घटना से 8-9 महीने पहले एक बार जब वह कई दिन बाद घर लौटा तो शबाना ने उसे बताया कि रात में चोरी करने की कोशिश की गई थी, 3-4 लोग थे हथियारों से लैस. मैं तो बुरी तरह डर गई थी. मुझे डर अपना नहीं बच्चों का था. गनीमत रही कि मुझे जागता देख वे लोग भाग गए.
‘‘थाने में रिपोर्ट लिखाई?’’ जफर ने पूछा तो शबाना बोली, ‘‘रिपोर्ट तो तब लिखाती जब कुछ चोरी गया होता. पुलिस वाले उलटा मुझ से ही दसों तरह के सवाल पूछते.’’
शबाना ने पहले जफर के दिमाग में यह बात बैठाई कि उस के पीछे वह और बच्चे असुरक्षित रहते हैं. फिर रास्ता भी बता दिया, ‘‘कब क्या हो जाए, कोई भरोसा नहीं. अपने बचाव के लिए घर में कोई हथियार होना चाहिए. बेहतर होगा कोई हथियार खरीद कर घर में रख लो. वक्त जरूरत में काम आएगा. मैं ने अखबारों में पढ़ा है, देसी पिस्तौल चोरीछिपे खूब बिकती हैं.’’बात जफर के दिमाग में बैठ गई. फिर भी उस ने पूछा, ‘‘जरूरत पड़ने पर चलाएगा कौन?’’
‘‘मैं चलाऊंगी और कौन चलाएगा.’’ शबाना ने पूरे आत्मविश्वास से कहा.
‘‘सीखोगी कहां?’’
‘‘ये मेरा सिरदर्द है. क्या सारे काम आदमी ही कर सकता है, औरत नहीं?’’ शबाना के तेवर बदलते देख जफर सहज भाव में बोला, ‘‘मुझे तुम्हारी चिंता रहती है, इसलिए पूछा.’’
‘‘अगर मैं कहूं, मुझे पिस्तौल चलाना आता है तो पूछोगे कैसे सीखा, इसलिए मैं पहले ही बता देती हूं. मैं ने फेसबुक से सीखा है.’’ शबाना ने यह रहस्य भी खोल दिया.जफर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि शबाना से पंगा लेता, सो उस ने कह दिया, ‘‘ठीक है, मैं कर दूंगा इंतजाम.’’
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‘‘कर तो दोेगे,’’ शबाना थोड़ी सी तल्ख हो कर बोली, ‘‘पर पहले यह पूछ तो लेते, मुझे चाहिए क्या?’’
‘‘तुम ने हथियार की बात की है. मैं हथियार लाने को कह रहा हूं.’’ जफर ने कहा तो शबाना उस के चेहरे पर नजरें जमा कर बोली, ‘‘मुझे तमंचा नहीं, पिस्तौल चाहिए. जिस में 5-6 दाने (कारतूस) भरे जाते हैं. साथ में 10-15 दाने भी.’’मोहम्मद जफर शबाना से बहस करने की स्थिति में नहीं था, इसलिए उसने पत्नी की बात मान ली.इस के कुछ दिनों बाद जफर को ट्रक ले कर मुंगेर जाना पड़ा. वहां कुछ लोग उस के परिचित थे. उन की मदद से उस ने 25 हजार में .32 बोर की पिस्तौल और कारतूस खरीद लिए. वापस लौट कर उस ने पिस्तौल और कारतूस शबाना के हवाले कर दिए. शबाना बहुत खुश हुई.
मऊ हरथला निवासी मोहम्मद जफर और शबाना का निकाह करीब 20 साल पहले हुआ था. वक्त के साथ दोनों के 5 बच्चे हुए. 2 बेटे और 3 बेटियां. उन का बड़ा बेटा हौस्टल में रह कर नैनीताल के एक जानेमाने स्कूल में पढ़ रहा था. बाकी की पढ़ाई मुरादाबाद में ही चल रही थी. जफर पहले ट्रक ड्राइवर था. धीरेधीरे उस ने ट्रांसपोर्ट कंपनी बना ली थी. जफर और शबाना की गृहस्थी ठीक चल रही थी. घर में न पैसे की कमी थी, न सुख के साधनों की. पैसा आया तो जफर ने कुछ प्रौपर्टी भी खरीद ली थी.
पति ने ला कर दी पिस्तौल
बहरहाल, कह सकते हैं कि जफर का परिवार सुखी और संपन्न था. हां, शबाना जरूर विचलित थी. उस के मन को तब शांति मिली थी, जब उस के हाथों में पिस्तौल और कारतूस आ गए. शबाना ने यूट्यूब पर कुछ पहले देखा था, कुछ पिस्तौल आने पर सीख लिया. उसे बस इतना ही चाहिए था कि दुश्मन को मार सके.
और उस की दुश्मन थी आलिया.8 जून की शाम को शबाना हड़बड़ाई सी साप्ताहिक बाजार से घर लौटी और बुरका पहन कर जल्दबाजी में बाहर जाने लगी तो बच्चों ने पूछा, ‘‘कहां जा रही हो अम्मी?’’
शबाना ने जाते हुए जल्दबाजी में जवाब दिया, ‘‘दुकानदार के पास पैसे रह गए हैं, ले कर आती हूं.’’
साप्ताहिक बाजार शबाना के घर से ज्यादा दूर नहीं था. शबाना बुरके में छिपा कर फुल लोडेड पिस्तौल लाई थी.
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आलिया 7 महीने की गर्भवती थी. हरथला बाजार में उसे रूटीन चैकअप के लिए डाक्टर के पास जाना था. वह पड़ोस में रहने वाली मुसकान को साथ ले कर घर से निकली. साथ में उस की 4 साल की बेटी जिया भी थी. चैकअप के बाद सवा 7 बजे आलिया जब मुसकान के साथ घर लौट रही थी, तब शबाना दीवार की ओट में खड़ी उसी का इंतजार कर रही थी.पास आते ही शबाना ने सब से पहले वहां खेल रहे बच्चों को हटाया और आलिया पर गोली दाग दी. उस की चलाई गोली आलिया को न लग कर मुसकान की बगल से निकल गई. आलिया को पता था कि उस की जान को खतरा है, इसी के मद्देनजर वह जमीन पर गिर गई. उसे गिरा देख मुसकान उस की बेटी जिया को ले कर वहां से भाग निकली.
आलिया के गिरने से शबाना को मौका मिल गया. वह पिस्तौल ले कर उस के सीने पर चढ़ गई और उस पर पूरी मैगजीन खाली कर दी. यह देख कर कुछ लोग वहां जमा हो गए. शबाना के पास जाने की हिम्मत किसी की नहीं हुई. कुछ अपनी छतों से यह दृश्य देख रहे थे. जब शबाना को यकीन हो गया कि आलिया मर चुकी है तो वह पिस्तौल हवा में लहराते हुए लाश के आसपास घूमने लगी.
शबाना का घर वहां से ज्यादा दूर नहीं था. किसी जानने वाले ने यह खबर उस के 17 वर्षीय बेटे को दे दी. वह जल्दी से स्कूटी ले कर घटनास्थल पर पहुंचा. उस ने मां से कहा, ‘‘अम्मी, घर चलो, मैं आप को लेने आया हूं.’’लेकिन शबाना ने जाने से इनकार कर दिया और बेटे को घर जाने को कहा. इसी बीच किसी ने थाना सिविललाइंस को सूचना दे दी थी. इस सनसनीखेज घटना की खबर मिलते ही थानाप्रभारी नवल मारवाह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मुरादाबाद के इतिहास की शायद यह पहली घटना थी, जब एक औरत ने दूसरी औरत का कत्ल किया था, वह भी किसी माफिया डौन की तरह.
कहानी में कहानी
घटना की खबर मिलते ही एएसपी दीपक भूखर, एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और एसएसपी अमित पाठक भी वारदात की जगह पहुंच गए. इंसपेक्टर नवल मारवाह जब घटनास्थल पर पहुंचे तो शबाना ने अपनी पिस्तौल यह कह कर उन के हवाले कर दी, ‘‘मैं आप का ही इंतजार कर रही थी.’’
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मौके की जांचपड़ताल और लिखापढ़ी कर के आलिया की लाश पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दी गई. शबाना को साथ ले कर पुलिस थाना सिविललाइंस लौट आई. सब के सामने पूछताछ की जानी थी, इसलिए एसएसपी, एसपी (सिटी) और एएसपी भी थाने आ गए.
शबाना ने आलिया को सरेराह क्यों मारा, आलिया को ले कर उस के मन में इतना गुस्सा क्यों था और आलिया कौन थी, यह जानने के लिए हमें एक और कहानी की दुम पकड़ कर थोड़ा दाएंबाएं घूमना होगा.
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हां, तो एक थी मानसी शर्मा. बीए की डिग्रीधारक. जिला बिजनौर के थाना धामपुर थानाक्षेत्र के गांव चक्करपुर में पलीबढ़ी और धामपुर में पढ़ी. 12 साल पहले मानसी का विवाह राजू शर्मा से हुआ, जो कस्बा नूरपुर के निकटवर्ती गांव कुंडा बलदान का रहने वाला था. दोनों का एक बेटा भी हुआ, तनिष्क.
शादी के बाद राजू कभीकभी शराब पी कर आता था तो मानसी उसे डांटती भी और समझाती भी कि यही हाल रहा तो मेरी और बेटे की जिम्मेदारी कैसे उठाओगे. कभीकभी राजू मानसी की बात मान भी लेता था. लेकिन जैसेजैसे दोनों का रिश्ता पुराना होता गया, वैसेवैसे राजू की शराब पीने की लत बढ़ती गई. एक वक्त ऐसा भी आया, जब राजू पूरा पियक्कड़ बन गया, ऊपर से मानसी के साथ मारपीट भी करता था.
वह बीवीबच्चे के बिना रह सकता था, पर शराब के बिना नहीं. जब बात बरदाश्त के बाहर हो गई तो मानसी ने राजू से साफसाफ कह दिया कि उसे दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. यह बात भी मानसी के विपरीत ही गई. कोई रास्ता नहीं बचा तो मानसी ससुराल को तिलांजलि दे कर बेटे तनिष्क के साथ अपनी बुआ के पास मुरादाबाद आ गई. मायके चक्करपुर जाने से कोई फायदा नहीं था.
मानसी ग्रैजुएट तो थी ही सुंदर भी थी. उसे उम्मीद थी कि कोशिश करने पर कोई न कोई ऐसी नौकरी जरूर मिल जाएगी, जिस से अपना और बेटे का पेट पाल सके. उस ने कोशिश की तो उसे दिल्ली रोड स्थित एक बड़े डेंटल मैडिकल कालेज में सुपरवाइजर की नौकरी मिल गई. इस से उस का और तनिष्क का ठीकठीक गुजारा होने लगा. मानसी अपनी वैवाहिक जिंदगी और पति को भूल गई. पति राजू तो उसे पहले ही भूल चुका था.
आलिया को 6 गोलियां लगी थीं. 4 घंटे चले पोस्टमार्टम में पता चला कि उसे 4 गोलियां मारी गई थीं, जो शरीर के आरपार हो गई थीं. जबकि शबाना का कहना था कि उस ने आलिया को 6 गोली मारी थी.
जब 2 गोलियों की जानकारी नहीं मिली तो आलिया के शव को एक्सरे के लिए भेजा गया. एक्सरे में शरीर के अंदर फंसी गोलियां नजर आ रही थीं. डाक्टरों की टीम ने फिर गोलियां तलाशीं, लेकिन सफलता नहीं मिली.
पुलिस की परेशानी
अत: शव को एक बार फिर एक्सरे के लिए भेजा गया. इस एक्सरे में भी छाती में फंसी 2 गोलियां नजर आईं. डाक्टरों ने दोनों गोलियां निकाल दीं. गोलियां लगने से आलिया का लीवर और दोनों फेफड़े छलनी हो गए थे, उस की मौत ज्यादा खून बहने से हुई थी. उस के पेट में जो 7 महीने का गर्भ था, वह भी नष्ट हो गया था.मानसी के मातापिता का निधन हो चुका था. उस के पैतृक गांव चक्करपुर में उस का भाई सूरज शर्मा, बहन पूनम शर्मा और छोटा भाई पिंटू शर्मा रहते थे. पूनम की शादी हो चुकी थी. मानसी मायके इसलिए नहीं गई थी, क्योंकि वह भाइयों पर बोझ नहीं बनना चाहती थी.
थाने में शबाना से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि 6-7 महीने पहले भी वह थाने आई थी. अगर तभी उसे आलिया का पता बता दिया गया होता तो शायद आज उस की हत्या न करनी पड़ती. शबाना ने बताया कि 7-8 महीने पहले आलिया गौर ग्रेसियस में किराए के फ्लैट में रह रही थी, तो वह उस से मिलने गई थी.
लेकिन वहां गार्डों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया था. वजह यह कि उसे आलिया का फ्लैट या फोन नंबर मालूम नहीं था. उस ने जिद की तो गार्डों ने कहा कि थाने जा कर ले ले पता, वहां दर्ज होता है. वहां से वह थाने आई तो वहां भी आलिया के बारे में नहीं बताया.
‘‘जिस का तुम ने मर्डर किया, उस से तुम्हारी क्या दुश्मनी थी?’’ पूछने पर शबाना का दर्द छलक आया. वह गुस्से भरी रोआंसी आवाज में बोली, ‘‘वह मेरी सौतन थी, मेरे पति की दूसरी बीवी. उस ने धर्म बदल कर निकाह किया था मेरे मर्द से. उस का नाम मानसी शर्मा था, जिसे बदल कर वह आलिया बनी थी.’’
‘‘तुम ने अपने पति को क्यों नहीं रोका इस सब से?’’ एसएसपी अमित पाठक ने पूछा तो शबाना बोली, ‘‘मेरे पति पर जादू कर रखा था, मेरी नहीं उस की सुनता था वह. आलिया मुझे ताना देती थी, तेरे पति की जो भी जमीनजायदाद है, तू रख, लेकिन उस का दिल मेरा ही रहेगा.’’शबाना ने बताया कि उस का पति जफर बाहर ट्रक ले जाने के बहाने घर से जाता था और कईकई दिन आलिया के पास पड़ा रहता था. उस का पूरा खर्च भी वही उठाता था. जफर से आलिया की 4 साल की एक लड़की भी है जिया, जबकि दूसरा बच्चा उस के पेट में था.
शबाना के अनुसार, जफर और आलिया के संबंधों और धर्म बदल कर निकाह करने की बात उसे डेढ़ साल पहले पता चली थी. जबकि दोनों के संबंध 5 साल से थे. जानकारी होने के बाद शबाना ने जासूसी शुरू की, पति की भी और पता लगा कर मानसी उर्फ आलिया की भी. शबाना ने जब जफर पर दबाव डाला तो उसे पता चला कि उस ने मानसी का धर्म परिवर्तन करा कर उस से निकाह कर लिया है. इस बात से उसे धक्का लगा. वह कुछ कहती, उस से पहले ही जफर ने उसे समझाया, ‘‘इसलाम में 2 शादी जायज है, वैसे भी वह अलग रहती है, तुम्हें परेशानी क्या है?’’
शबाना उस वक्त चुप हो गई, लेकिन उस के मन में गुबार भर गया. वह सोचने लगी कि आलिया को पति की जिंदगी से कैसे बाहर करे. अत: उस ने आलिया की खोज शुरू कर दी. छली गई थी मानसी