पार्थिव पटेल ने 8 साल बाद राष्ट्रीय टीम में वापसी की है और 70 साल पुराना इतिहास दोहराया है. पार्थिव पटेल जब आखिरी बार भारत के लिए खेले थे तब अनिल कुंबले टीम इंडिया के कप्तान थे. अब पार्थिव पटेल वापसी कर रहे हैं और कुंबले टीम इंडिया के कोच हैं.

पार्थिव पटेल से पहले सन् 1946 में सीके नायडू समेत 4 खिलाड़ियों ने 10 साल बाद क्रिकेट में वापसी की थी. पार्थिव पटेल ने सन् 2008 में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था, उन्होंने जिस टीम के साथ अपना आखिरी मैच खेला था उस टीम के आठ खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले चुके हैं.

पार्थिव पटेल ने जब अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था तब उनकी उम्र 17 साल थी और आठ साल बाद जब वो वापसी कर रहे हैं तब उनकी उम्र 31 साल है और इस तरह मौजूदा भारतीय टीम में वो तीसरे सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं. मौजूद टीम में पार्थिव पटेल से ज्यादा उम्र सिर्फ अमित मिश्रा और मुरली विजय की है. अमित मिश्रा 34 और मुरली विजय 32 साल के हैं.

पार्थिव की वापसी के बाद एक और मजेदार वाकया सामना आया है, दरअसल, पार्थिव पटेल ने 2002 में जब इंटरनेशनल क्रिकेट खेलना शुरू किया था तक मौजूदा टीम का कोई भी खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में नहीं था. भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली खुद अंडर 14 क्रिकेट खेलते थे.

पार्थिव पटेल के 2002 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने से लेकर 2016 में एक बार फिर राष्ट्रीय टीम में वापसी करने तक 25 भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं.

यह पहला मौका है जब किसी भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी ने इतने लंबे समय बाद अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की है. पार्थिव जब 2008 में टीम में थे तब सचिन, लक्ष्मण, द्रविड़, सहवाग, वसीम जाफ़र, गांगुली, कुंबले, जहीर खान, अजित आगरकर भारतीय टीम में खेलते थे आज ये सब खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं.

मौजूदा रणजी सीजन में पार्थिव ने 5 मैचों में 59.28 की औसत से 415 रन बनाए हैं, जिसमें 1 सेंचुरी और 3 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. पार्थिव की खासियत यही हैं कि वो किसी भी नंबर पर बल्लेबाजी कर सकते हैं.

पार्थिव पटेल ही क्यों, ये खिलाड़ी भी बन सकते थे साहा का विकल्प

हालांकि सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्थिव को साहा के विकल्प के रूप में खिलाना सही होगा. चयनकर्ताओं का फैसला अपनी जगह है, मगर कुछ ऐसे भी खिलाड़ी हैं, जिनका पलड़ा प्रदर्शन और अनुभव के आधार पर पार्थिव से भारी नजर आता है.

नमन ओझा

2015 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले नमन ओझा मौजूदा रणजी सीजन में मध्यप्रदेश के लिए पहले 4 मैच नहीं खेल पाए. हालांकि ओझा एक काबिल कीपर हैं, जो क्रीज पर लंबा समय बिता सकते हैं. हालांकि रणजी सत्र से दूर रहना उनके खिलाफ जाता है. इसके अलावा नमन की उम्र भी पार्थिव से ज्यादा है.

दिनेश कार्तिक

टीम इंडिया के लिए दिनेश कार्तिक भी एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकते थे. कार्तिक ने 23 टेस्ट मैचों में 1000 रन बनाए हैं, जिसमें 1 शतक और 7 अर्धशतक शामिल हैं. कार्तिक ने घरेलु क्रिकेट में शानदार खेल दिखा कर अपने लोहा मनवाया है. हालांकि कार्तिक और विजय के बीच निजी कारणों के चलते कार्तिक को दरकिनार करना जायज दिखाई पड़ता है क्योंकि विजय टेस्ट टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में शामिल हैं.

रॉबिन उथप्पा

लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे उथप्पा ने सीमित ओवरों के मैचों में अपनी प्रतिभा साबित की है. विकल्प के तौर पर उन्हें टेस्ट में डेब्यू करने का मौका दिया जा सकता था. घरेलु स्तर पर भी उथप्पा ने हर साल जमकर रन बनाए हैं. जिंबाब्वे सीरीज के दौरान ठीक-ठाक प्रदर्शन करने वाले उथ्पपा को टीम में शामिल करके एक मौका दिया सकता था.

ऋषभ पंत

अंडर-19 क्रिकेट के बाद रणजी क्रिकेट में चमत्कारी प्रदर्शन करने वाले कीपर ऋषभ पंत भारत के लिए नई खोज हो सकते थे. एक ही मैच के लिए सही, मगर पंत को मौका दिया जा सकता था. पंत ने इस रणजी सीजन के 6 मैचों में 97.11 की औसत से 874 रन बनाए हैं, जिसमें 1 तिहरा शतक, 1 शतक और 4 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. 17 साल के पार्थिव पर अगर विश्व कप के लिए भरोसा किया जा सकता है, तो पंत को एक टेस्ट के लिए मौका देना तो बनता है.

शान किशन

पंत ही की तरह इशान किशन भी अंडर-19 के उभरते हुए सितारे हैं. किशन ने इस सीजन में दिल्ली के खिलाफ 162 रनों की धाकड़ा पारी खेल कर अपने हुनर पर ठप्पा लगा दिया. पार्थिव की ही तरह इशान किशन भी बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं. इशान किशन और ऋषभ पंत ने राहुल द्रविड़ से काफी कुछ सीखा है, जिसे बड़े मंच पर साबित करने का मौका इंग्लैंड के खिलाफ खिलाकर उन्हें दिया जा सकता था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...