ख्यात फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर ने उनके चाहने वालों को बहुत आहत किया. यकीन ही नहीं हुआ कि जिंदगी को जिंदादिली से जीने वाला कलाकार अचानक जिंदगी से इतना रुष्ट कैसे हो गया. सुशांत की मौत के पीछे की वजहों को अभी खंगाला जा रहा है. कोई इसके पीछे फिल्म इंडस्ट्री की प्रतिस्पर्धा को कारण मान रहा है, तो कोई अभिनेत्री अंकिता लोखंडे से उनके ब्रेकअप और उन्हें ना भूल पाने को वजह मान रहा है. हालांकि इस बात में ज़्यादा दम नहीं है क्योंकि ब्रेकअप आज के युवाओं के बीच बहुत कॉमन सी बात हो गयी है. पार्टनर से ब्रेकअप के बाद आत्महत्या जैसा कदम उठाने की घटनाएं बहुत कम सुनाई देती हैं, ज़्यादातर लोग तो ब्रेकअप के बाद ये कहते सुने जाते हैं कि उनको रोज़ रोज़ की खिचखिच से आज़ादी मिल गयी.

दरअसल ब्रेकअप होता ही इस वजह से हैं क्योंकि दो लोगों की चाहतें, इच्छाएं, महत्वकांक्षाएं, विचार, आदतें, ज़िंदगी के लक्ष्य एक दूसरे से नहीं मिलते. खूबसूरती, रूतबा और अंदाज़ देख कर शुरू होने वाला प्रेम तब बदबू मारने लगता है जब समय गुजरने के साथ दोनों के विचार और आदतें एक दूसरे पर खुलने शुरू होते हैं. तब लगता है कि जिसे हम पार्टनर बना कर जीवन भर साथ रहने का सपना पाल रहे हैं वो तो हमारे जैसा है ही नहीं, और ना ही उसके विचार और आदतें हमसे मिलती हैं. तो ऐसा व्यक्ति जल्दी ही बोझ या एक अजनबी जैसा महसूस होने लगता है और यहीं से शुरू होता है झगड़ा और फिर मुक्ति पाने का ख्याल.

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ब्रेकअप कर लेना कोई पाप नहीं है. ये एक समझदारी वाला फैसला ही है. जिस व्यक्ति से आपके विचार, आदतें, जीवन के लक्ष्य मेल नहीं खा रहे हैं उसके साथ पूरा जीवन बिताने की सज़ा खुद को देना तो बेवकूफी ही कही जाएगी. उसके लिए खुद को बदलते रहो, या उसको अपने मुताबिक़ बदलने के लिए कहते रहो. ना बदले तो शिकायतें करो, लड़ाई-झगडे करो, मार पीट करो, और इसमें पूरी जिंदगी समाप्त कर दो, इससे तो बेहतर है उससे अलग हो कर अपने मनमुताबिक नए पार्टनर का चुनाव करो.
अधिकाँश लोगों का मानना है कि एक या दो ब्रेकअप के बाद जो पार्टनर स्थायी रूप से जिंदगी में आता है, वो पहले वालों के मुकाबले बहुत प्यारा और करीबी जान पड़ता है. बिलकुल अपने जैसा लगता है. ब्रेकअप के बाद ज़्यादातर लोगों को पहले के मुकाबले बेहतर जीवनसाथी मिल जाता है.

रुचिका आज मनोज के बेटे की माँ बन गयी है. मनोज के साथ उसे ज़िंदगी बहुत खूबसूरत लगती है. मनोज कितना अपना लगता है, बिलकुल उसी की तरह सोचता है. रुचिका उसमे कुछ भी बदलाव नहीं चाहती है. जबकि यही रुचिका जब अमर के साथ रिलेशनशिप में थी तो अमर में कितना कुछ बदलना चाहती थी. चाहती थी कि वो उसकी तरह सोचे, उसकी पसंद के अनुरूप रहे, जैसे वो चाहती है वैसा ही ड्रेसअप हो. कितना झींकती थी वो अमर के साथ. आये दिन किसी ना किसी बात पर उनका झगड़ा होता था. रूठने मनाने में कितना वक़्त जाया होता था. कभी कभी तो रुचिका भीतर से टूटी रहती थी मगर उसके मनाने-रिझाने पर होंठों पर झूठी मुस्कान चिपका लेती थी. बाद में तो वो उससे इतना उकता गयी थी कि उसके आगे खुश होने की एक्टिंग भी नहीं कर पाती थी. रुचिका की भी कई बातें अमर को पसंद नहीं थीं. वो चाहता था रुचिका उसके मुताबिक रहे. अपने में बदलाव लाये. एक पार्टी में जब पहली बार दोनों एक दूसरे की खूबसूरती पर मोहित होकर एक दूसरे के निकट आये थे, तब अंदाज़ा नहीं था कि विचारों और आदतों का फर्क उन्हें एक दिन एक दूसरे से मारपीट पर उतारू कर देगा. रुचिका अमर के साथ रिश्ते में बहुत अवसादग्रस्त हो गयी थी, उसके चेहरे पा झाइयां पड़ गयी थीं, हर वक़्त थकी थकी सी रहती थी, चिड़चिड़ी हो गयी थी, अपनी हॉबियों और खूबियों से भी दूर चली गयी थी, हर वक़्त जकड़न महसूस करती थी, लगता था जैसे कैद में हो. अमर से ब्रेकअप के बाद उसने जो आज़ादी महसूस की उससे ना सिर्फ उसका रंगरूप चमका बल्कि दो साल अमर के साथ बिताने के बाद ज़िंदगी का जो अनुभव उसको हुआ, उसने आदमी पहचानने की उसकी समझ को भी बढ़ा दिया था.

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ब्रेकअप के बाद बहुतेरे लड़कों से उसकी दोस्ती हुई, मगर जीवनसाथी के रूप में उसने मनोज को चुना. ये ब्रेकअप से मिले अनुभव का तोहफा था. ज़्यादातर लोग मानते हैं कि ब्रेकअप के बाद जो दूसरा व्यक्ति जीवन में आता है वो पहले के मुकाबले बहुत बेहतर साबित होता है. उसके साथ ज़िंदगी बहुत आसान और खुशहाल होती है. पहले या दूसरे रिलेशनशिप में दिल टूटना आम बात है. अधिकतर लोगों को अपने जीवन में इस बात का सामना जरूर करना पड़ता है. लेकिन देखने में आया है कि ब्रेकअप के बाद लोग अपनी लाइफ को एक अलग ऊंचाईयों तक ले जाते हैं. ये इस वजह से भी होता है क्योंकि ब्रेकअप के बाद वो छूटे हुए साथी को ये दिखा देना चाहते हैं कि उनके अंदर कितनी क़ाबलियत है और वो खुद के दम पर क्या कुछ हासिल कर सकते हैं. ज़्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद बीते समय और साथी को भुलाने के लिए अपने करियर और हॉबीज़ पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने लगते हैं और इसका उनको बहुत अच्छा परिणाम हासिल होता है. ये सच है कि ब्रेकअप के दुःख से उबरने में कुछ समय लगता है. पछतावा भी होता है कि ज़िंदगी का इतना समय गलत इंसान के साथ बिता दिया. लड़कों के मुकाबले लड़कियों को पुरानी यादों से निकलने में कुछ ज़्यादा वक़्त लगता है पर एक बार इस दुःख से उबरने के बाद अच्छी फीलिंग और जीवन के प्रति ज़्यादा ललक पैदा होती है. ब्रेकअप के बाद युवाओं की पर्सनालिटी में गज़ब का बदलाव आता है, इसकी कुछ वजहें हैं.

शॉपिंग में समय बिताना

लड़कियों को तो शॉपिंग करना हमेशा ही बहुत भाता है, मगर ब्रेकअप के बाद ये शौक चार गुना बढ़ जाता है. देखने में आया है कि लड़के भी ब्रेकअप के बाद अच्छी खासी शॉपिंग करते हैं. ब्रेकअप से उपजे गुस्से, तनाव और दुःख से उबरने के लिए जब युवा शॉपिंग करते हैं तो अच्छी ड्रेसेस, अच्छी एसेसरीज़ लेते हैं जो उनकी शख्सियत को पहले से कहीं ज़्यादा आकर्षक बनाती है.
दरअसल ब्रेकअप के बाद उनको महसूस होता रहता है कि पुराना साथी कहीं ना कहीं उनको फॉलो कर रही/रहा है, तो उसको क्यों ये शो किया जाए कि उससे बिछड़ कर हम देवदास हो गए. इस फीलिंग को लेकर वो शॉपिंग करते हैं और हमेशा अच्छे से अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं. ये ब्रेकअप का सकारात्मक पहलू है जो नए साथी की तलाश में बहुत मददगार साबित होता है.

मेकऑवर

ब्रेकअप के बाद लड़कियां अपने आपको संवारने पर ज्यादा ध्यान देने लगती हैं. वो ब्यूटी पार्लर जाती हैं, सजती संवारती हैं. सलून जाकर अपने बालों को नए फैशन के हिसाब से कटवाती-रंगवाती हैं. अपने पुराने लुक को बदलती हैं. यानी पहले से कहीं ज़्यादा खूबसूरत दिखने की कोशिश करती हैं. कभी कभी ये सब इसलिए ताकि वो अपने एक्स को जला सकें और ये भी जता सकें कि उनसे दूर होकर वो काफी खुश हैं. और कभी कभी जुदाई के दर्द से निकलने के लिए वो मेकओवर का रास्ता चुनती हैं. ये मेकओवर उनको दुःख से उबारने में खासा मदद करता है.

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हॉबीज़ से जुड़ाव

रिलेशनशिप में रहते हुए हम अपनी बहुत सारी हॉबीज़ को पूरा नहीं कर पाते और उनसे दूर हो जाते हैं, लेकिन देखा जाता है कि ब्रेकअप के बाद हम उन चाहतों के प्रति फिर उत्सुक हो जाते हैं. जैसे किसी को गाने या पेंटिंग का शौक हो तो ब्रेकअप के बाद वो फिर उसमे रम जाता है. ऐसा करने पर हम खुद के करीब आते हैं, अच्छा फील करते हैं और आज़ादी महसूस करते हैं. ये हमारे दिल-दिमाग को राहत देता है और जीवन में सकारात्मकता पैदा करता है.

वजह को तलाशना

ब्रेकअप होने के बाद लड़के-लड़कियां ब्रेकअप होने की वजह को तलाशने लगते हैं. वे इस बात को जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर उनके साथी ने उनके साथ ब्रेकअप क्यों किया. वजह ज्ञात होना अच्छा होता है क्योंकि फिर वही गलतियां अगले साथी के साथ दोहराने की सम्भावनाये कम हो जाती हैं.

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अच्छा साथी ढूंढना

ब्रेकअप के बाद समझ में आता है कि हमें सचमुच में कैसे साथी के साथ जीवन गुज़ारना है. जब अगला साथी हम तलाश करते हैं तो हमारा ध्यान सिर्फ उसके लुक पर नहीं होता, बल्कि हम और भी बहुत सारी चींजों को ध्यान में रख कर उसको अपने जीवनसाथी के रूप में पहले जज करते हैं और फिर प्यार का इज़हार करते हैं. मसलन अगर किसी का ब्रेकअप इस वजह से हुआ है कि उसका एक्स कमाता नहीं था या उसके पास कोई बैंक बैलेंस नहीं था तो अगला साथी हम निश्चित रूप से ऐसा चुनेंगे जो अच्छी नौकरी या बिज़नेस में हो और जिसका बैंक बैलेंस ठीक हो. ऐसे में ये कहा जा सकता है कि ब्रेकअप से निराश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि ब्रेकअप हमें ज़्यादा अनुभवी और जीवन के प्रति गंभीर बनाता है. ब्रेकअप के बाद जो मिलता है वो पहले से ज़्यादा अच्छा होता है.

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