अपने देश और देशवासियों को मूर्ख बनाने वाली सरकार की जय हो! यह आपको कहना पड़ेगा. ऐसा न करने पर देशद्रोही बना दिये जाने का खतरा है. हिरासत में लिये जाने और न्यायालय परिसर में सार्वजनिक रूप से कन्हैया कुमार की तरह, गुण्डों से पिटना पड़ेगा, एनडीटीवी जैसी हालत भी हो सकती है. और क्या हो सकता है? की जानकारी के लिये मोदी जी और मोदी सरकार समर्थकों, संघी और भाजपायी से आप पूछ लें. पूछताछ केंद्र से निःशुल्क अनुभव भी मिल सकता है.

ऐसा कहा किसी ने नहीं, ना ही सरकारी फरमान है, लकिन सभी ‘देशभक्त‘ और ‘स्वयं सेवक‘ है, इसलिए ऐसी संभावनाओं का बनना स्वाभाविक है. वे शुल्क लेते नहीं, सभी उजले लोग हैं. भ्रष्टाचार मुक्त लोग हैं. नोट छूते हैं, मगर स्वच्छ करके. मोदी जी नोट बदलवा और छपवा कर अजब-गजब काम कर रहे हैं. लोगों का भेजा फेर रहे हैं.

हम भारत की मुद्रा व्यवस्था और उसके इतिहास का जिक्र नहीं करेंगे, मगर आजादी के बाद जो मुद्रा व्यवस्था बनायी गयी, वह कांग्रेस की सरकार ने किया. कई बार मुद्रा बदले गये, नयी मुद्राओं का चलन शुरू हुआ. यहां मोदी जी 2000 का नोट पहली बार छपवा रहे हैं, और 500 तथा 1000 रुपये के नोटों को बदल रहे हैं. दिखा ऐसे रहे हैं जैसे नोट पहली बार छप और बदल रहे हैं.

मोदी सरकार सब कुछ कमाल करने के तरीके से करती है. लोगों को जो नहीं है, उसे दिखाने और जो है, उसे छुपाने के इरादे से करती है. कह सकते हैं- खुलेआम धोखा देती है. हम धोखे में हैं, और मजा आ रहा है.

देश की आम जनता की मानसिकता मोदी के पक्ष में ऐसे बनायी जा रही है, कि ‘एक नेता‘ के फॉसिस्ट सपनों को पंख लग जाये. और उड़ान ऐसी हो कि एक दल और राष्ट्र का सपना अपने आप पूरा होता चला जाये. एकाधिकारवाद को आम जनता के कंधे पर लाद कर लाया जा रहा है.

मोदी जी नोट बंद करने और नोट छपवाने के दस फायदे गिना रहे हैं. और मोदी समर्थक लिक्खाड़ और मीडिया उसकी बुनावटें दिखा रहे हैं. वैसे तो फायदा के आगे सवाल ही सवाल है मगर हम फायदा के आगे एक-एक सवाल रख रहे हैं.

जवाब के आगे सवाल

– नकली नोट प्रचलन से बाहर हो जायेगा.

जब तक नेटवर्क है, क्या ‘डाई‘ बदल कर काम नहीं चल जायेगा?

–  काले धन पर रोक लगेगा.

क्या काला धन सिर्फ नोटों की शक्ल में है? स्विस बैंक से लेकर टैक्स हैवन और पनामा पेपर लिक्स का किस्सा यही है?

– हवाला कारोबार पर लगाम कसेगा.

यदि पांच सौ, हजार के नोट जरिया हैं, तो आप 2000 का नोट क्यों थमा रहे हैं?

– आतंकवाद के वित्तीय स्त्रोत पर चोट.

विश्व आतंकवाद का जनक अमेरिका और उसके मित्र देशों को आप नोट बदल कर रोक लेंगे?

– शैडो बैंकिंग का कारोबार बंद होगा.

बाजारवादी सट्टेबाज अर्थव्यवस्था को बढ़ाते हुए?

–  राजनीति में कालाधन का प्रभाव घटेगा.

कैसे? वित्तीय ताकतों के बिना राजसत्ता तो दूर रहा, राजनीति के अखाड़े का धूल चाटना ही नसीब होगा. जिनके पास अकूत धन सम्पदा और काले धन पर टिकी अर्थव्यवस्था है.

– भ्रष्टाचार पर काबू पाने में मदद मिलेगी.

आपने तो साल भर पहले ही भारत को भ्रष्टाचार मुक्त घोषित किया है, फिर काबू आप किस पर पायेंगे?

– महंगाई को काबू में करना आसान होगा.

क्या 2000 का नोट देने पर बाजार मे ढ़ाई हजार का सामान मिलेगा? कि यह नोट आपकी इजाद है?

– देश के आर्थिक विकास दर को रफ्तार मिलेगी.

खयाल पालें. अच्छा है. फायदा किसको मिलेगा?

– रियल स्टेट पर असर पड़ेगा. फ्लैटों के दाम घटेंगे.

समझ के बाहर है भाई, जो सस्ते में अपना बुखार नहीं देते, वो फ्लैट क्यों देंगे?

क्या नोटों के बदलने से रूपये की औकात बदल जायेगी? छोड़िये मोदी जी नोटों के बदलने से उनकी औकात नहीं बदलेगी. नंगा कपड़े पहन कर नंगई करेगा या नहीं? यह तो आप भी नहीं बता सकते. आपने उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिये सर्जिकल स्ट्राइक किया है. देखते हैं क्या होता है? वैसे छुपी हुई बात है, मगर है कि आपने हमारे ही जेब से हमारे अपने ही पैसे निकाल कर बैंकों में पूंजी के प्रवाह को बना लिया, ताकि पूंजीपतियों को बैंकों से पूंजी का सहयोग मिलता रहे.

एक आग्रह- झूठ का प्रचार तो आप करेंगे, सच में कुछ हो तो बताईयेगा. यह भी बताईयेगा कि इस सनक में कितने हजार करोड़ का चूना आपने देश को लगाया? देश प्रधानमंत्री का नहीं, देशवासियों का होता है, यह तो आपको मालूम है न?   

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...