समय चाहे कितना भी बदल गया हो रंगभेद को लेकर हमेशा चर्चा बनी रहती है और इसको बढ़ावा देते हैं विज्ञापन. आज टीवी पर कई ऐसे विज्ञापन दिखाए जाते हैं जिसमें इंस्टेंट तरीके से आपकी लाइफ चेंज हो जाती है और इन सब विज्ञापन में हिंदुस्तान लीवर का फेमस विज्ञापन ‘फेयर एंड लवली’ सबसे ऊपर हैं. जिसमें एक लड़की चंद मिनटों में काली से गोरी बन जाती है.
ये ब्रांड गोरा बनाने वाले दावे को लेकर भी काफी चर्चा में रहा है. हिंदुस्तान लीवर का 45 साल पुराना ‘फेयर एंड लवली’ ब्रांड 1975 में लॉन्च हुआ था. तब से कंपनी अपने प्रचार में कई मशहूर मॉडल्स, बॉलीवुड एक्टर्स को विज्ञापन में सांवले रंग से गोरा होते दिखाती रही है. इस विज्ञापन में हमेशा यही संदेश दिया जाता रहा है कि गोरापन चाहिए तो इस क्रीम का इस्तेमाल करें.
इस तरह के आकर्षित विज्ञापन को देखकर सांवली लड़कियां भी ये मान लेती हैं कि अगर वो भी इस क्रीम का इस्तेमाल करेंगीं तो वह गोरी हो सकती हैं. ये विज्ञापन इस तरह से सांवली लड़कियां पर हावी हो गया कि हर सांवली लड़की इस क्रीम को खरीदने में मजबूर हो गई.
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आखिर ऐसा क्यों है कि जब हम और आप इस तरह के आर्टिफिशियल विज्ञापन को दिखते हैं तो इतने क्यों आकर्षित हो जाते है की वो हम पर इस तरह हावी हो जाता है और हम उसे खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं. अगर इसके पीछे कारण जानें तो देखेंगे कि हम और हमारा समाज ही है जो इस तरह के विज्ञापन को बढ़ावा दे रहा है. हम चाहे कितने भी पढ़े-लिखे हो जाएं पर रंग को लेकर आज भी हम गोरे रंग को प्राथमिकता देते हैं.
आज भी पुराने समय की तरह वैवाहिक विज्ञापन में गोरी लड़की पाने की चाहत सबसे पहले होती है. इससे आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि हमारे समाज की मानसिकता आज भी कुंठित है और गोरेपन को लेकर लोग कितने सजग रहते है. हमारा समाज ही है जो इस रंगभेद को बढ़ावा देता आ रहा है जिसका परिणाम यह है की विज्ञापन हमारी कमियों को भाप कर उसी तरह के विज्ञापन बना रहे है जिससे हम आकर्षित हो कर प्रोडक्ट खरीदने के लिए मजबूर हो जाएं. इसका जीता-जागता सबूत हिंदुस्तान यूनीलीवर की क्रीम ‘फेयर एंड लवली’ है. जिसने सांवली रंगत को गोरा बनाने का जिम्मा उठाया है.
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देश में गोरेपन की क्रीम के मार्केट का 50 से 70 फीसदी हिस्सा “फेयर एंड लवली” के पास ही है. पर अब हिंदुस्तान यूनी लीवर ने ये घोषणा करी है कि वो ‘फेयर एंड लवली’ से फेयर शब्द हटा रहा है साथ ही फेयरनेस, वाइटनिंग और लाइटिंग जैसे शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है, साथ ही ये भी कहा है कि अब हर तरह की स्किन टोन वाली महिलाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.
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आपको बता दे पिछले कुछ सालों से खूबसूरती और गोरेपन के मामले में कंपनी के इस प्रोडक्ट का विरोध होता रहा है. इसी के चलते ही कई महिला संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि किसी महिला की खूबसूरती का आंकलन उसके रंग से नहीं होना चाहिए. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए सरकार का मानना है की कुछ विज्ञापन लोगों को भ्रम में डाल देते हैं, जिसके कारण लोग न चाहते हुए प्रोडक्ट को खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं. इसलिये सरकार ऐसे विज्ञापनों पर जुर्माना लगाने की पेशकश कर रही जो फेयरनेस का दावा ठोकती है. सिर्फ इतना ही नहीं जुर्माने के साथ ही सजा को भी सुझाव में शामिल किया है.
अब देखना यह है कि जिस तरह से हिंदुस्तान यूनीलीवर ने अपने सबसे पुराने प्रोडक्ट के नाम को बदलने का फैसला लिया है तो क्या और भी जानी मानी कंपनी अपने फेयरनेस प्रोडक्ट का नाम बदलेंगी .