हेमंत लांबा सुंदर, स्वस्थ और पैसे वाले परिवार से था. दीप्ति भी व्यवसाई पिता की एकलौती बेटी थी. हेमंत के अपने प्रति लगाव को देख दीप्ति ने अपने नजरिए से ठीक ही सोचा था कि वह हेमंत से शादी करेगी. लेकिन जब बात शादी की आई तो हेमंत ने न केवल अपनी इस प्रेयसी की हत्या कर दी, बल्कि अपना अपराध छिपाने के लिए ड्राइवर देवेंद्र को भी मार डाला. लेकिन… हरियाणा के जिला रेवाड़ी में एक कस्बा है धारूहेड़ा. इस कस्बे के नंदरामपुर बास रोड की रामनगर

कालोनी के पास सड़क पर लोगों की भीड़ और पुलिस की मौजूदगी बता रही थी कि वहां कोई अनहोनी हुई है.

दरअसल किसी राहगीर ने रामनगर कालोनी में सड़क किनारे एक खाली प्लौट में एक युवती का खून से लथपथ शव देखा तो उस ने फोन कर के यह सूचना पुलिस नियंत्रण कक्ष को दे दी थी. इस सूचना पर वहां पीसीआर की गाड़ी पहुंची. राहगीर की सूचना सही थी, इसलिए पीसीआर ने यह सूचना धारूहेड़ा इलाके की पुलिस को दे दी.

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सूचना मिलने पर धारूहेड़ा थाने के एसएचओ सुधीर कुमार अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. राहगीर ने पूछताछ में बताया कि वह दिल्ली से आया था और पैदल अपने घर की तरफ जा रहा था, तभी उस की नजर खाली प्लौट में पड़ी लाश पर गई तो उस ने पुलिस को सूचना दे दी.

देखने से पहली नजर में ही स्पष्ट हो रहा था कि जिस युवती का शव है, उस की हत्या सिर और पेट में गोलियां मार कर की गई थी. युवती के शरीर पर पुलिस को ऐसा कोई निशान नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो पाती. इंसपेक्टर सुधीर कुमार को लग रहा था कि मृतका आसपास के इलाके की ही रहने वाली होगी.

उन्होंने सुबह होने का इंतजार किया और उजाला होने पर आसपास की कालोनियों के लोगों को बुला कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली.

इस बीच शव मिलने की जानकारी पा कर धारूहेड़ा के डीएसपी मोहम्मद जमाल और रेवाड़ी जिले की एसएसपी नाजनीन भसीन भी क्राइम ब्रांच और फोरैंसिक टीम ले कर घटनास्थल पर पहुंच गई थीं.

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फोरैंसिक टीम ने वारदात वाली जगह की फोटो व शव को उलटपलट कर उस के फोटो लेने शुरू कर दिए. जिस युवती की लाश थी, उस की उम्र करीब 20 साल से ऊपर रही होगी. वह काले रंग की जींस और उसी रंग का बनियान पहने थी, जिस के ऊपर उस ने गेहुएं रंग की जैकैट पहन रखी थी. फोरैंसिक टीम ने जब युवती की जींस और जैकेट की तलाशी ली तो उस की जेब से उस का आईडी प्रूफ और एक ब्यूटीपार्लर का विजिटिंग कार्ड मिला.

विजिटिंग कार्ड किसी पैरिस ब्यूटी पार्लर, दिल्ली का था, जबकि शव के साथ मिली आईडी में दीप्ति गोयल पुत्री हनुमान प्रसाद गोयल निवासी संगरिया, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान लिखा था.

आईडी मिलने के बाद 2 चीजें साफ हो गईं कि युवती की उम्र करीब 22 वर्ष थी और वह इस इलाके की रहने वाली नहीं थी. पुलिस के पास अब 2 ऐसी चीजें थीं, जिस से उस की शिनाख्त कराना आसान हो गया था.

आवश्यक जांचपड़ताल के बाद युवती के शव को पोस्टमार्टम के लिए रेवाड़ी जिला अस्पताल भिजवा दिया गया.

चूंकि पुलिस को शक था कि कहीं युवती के साथ किसी तरह का दुष्कर्म तो नहीं किया गया है, इसलिए एसएसपी नाजनीन भसीन ने शव का पोस्टमार्टम एक मैडिकल बोर्ड द्वारा कराए जाने की संस्तुति दी. साथ ही दुष्कर्म के बिंदु पर भी जांच के निर्देश दिए.

शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद डीएसपी मोहम्मद जमाल ने धारूहेड़ा कोतवाली में अज्ञात हत्यारों के खिलाफ युवती की हत्या का केस दर्ज करा दिया. इस मामले की जांच का दायित्व इंसपेक्टर सुधीर कुमार को सौंपा गया.

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डीएसपी ने जांच अधिकारी की मदद के लिए धारूहेड़ा थाने के स्टाफ और सीआईए स्टाफ को मिला कर एक विशेष टीम का गठन कर दिया.

पुलिस ने सब से पहले विजिटिंग कार्ड और आईडी प्रूफ के आधार पर जांचपड़ताल शुरू की. एक टीम को हनुमानगढ़ भेजा गया. दूसरी टीम ने विजिटिंग कार्ड पर लिखे फोन नंबरों पर काल कर के छानबीन करनी शुरू कर दी.

5 घंटे की मशक्कत के बाद यह जानकारी मिल गई कि मृतका कौन थी. आईडी प्रूफ के आधार पर और ब्यूटी पार्लर के विजिटिंग कार्ड में दिए गए फोन नंबरों को खंगालते हुए पुलिस उस सिरे तक पहुंच गई, जहां से युवती की पहचान होनी थी.

पता चला कि मृतका दीप्ति हनुमानगढ़ जिले के संगरिया निवासी एक प्रतिष्ठित व्यापारी हनुमान प्रसाद की इकलौती बेटी दीप्ति थी. उस की मां का निधन हो चुका था. दीप्ति

के पिता का संगरिया में आढ़त का व्यवसाय है.

पिछले 2 साल से वह दिल्ली  के रोहिणी में अपनी ननिहाल में रह कर फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थी. ननिहाल में फोन पर बात करने से पता चला कि दीप्ति 6 दिसंबर को पार्क में घूमने की बात कह कर घर से निकली थी, लेकिन उस के बाद वापस नहीं

लौटी थी.

यह भी पता चला कि पैरिस ब्यूटी पार्लर पर दीप्ति 2 घंटे ट्रेनिंग लेने के लिए जाती थी. संगरिया गई पुलिस टीम दीप्ति के पिता हनुमान प्रसाद को ले कर धारूहेड़ा लौट आई. उन्हेें रेवाड़ी ले जा कर जब दीप्ति का शव दिखाया गया, तो उन्होंने पहचान कर बता दिया कि शव उन की बेटी दीप्ति का ही है.

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दीप्ति के शव की आधिकारिक रूप से पहचान हो चुकी थी. पुलिस ने कागजी खानापूर्ति के बाद जांचपड़ताल तेज कर दी. अगली सुबह दीप्ति के शव का पोस्टमार्टम भी हो गया, जिस के बाद उस का शव उस के घर वालों के सुपुर्द कर दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से 2 बातें साफ हो गईं. एक तो यह कि दीप्ति के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था. दूसरे उसे 2 गोली मारी गई थीं. दीप्ति के पिता से पुलिस को दीप्ति  का मोबाइल नंबर मिल गया था, साथ ही एक हैरान कर देने वाली जानकारी भी मिली थी.

पुलिस को दीप्ति के शव के पास से कोई मोबाइल फोन नहीं मिला था. जबकि उस के पिता ने बताया कि सुबह करीब 4 बजे दीप्ति के फोन से उन के फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज आया था, जिस में उस ने लिखा था कि पापा मैं ठीक हूं.

हैरानी की बात यह भी थी कि दीप्ति के शव के बारे में पुलिस को अलसुबह करीब साढे़ 3 बजे सूचना मिली थी. इस का मतलब उस की हत्या रात में किसी वक्त की गई थी.

ऐसे में यह संभव नहीं था कि वह सुबह 4 बजे पिता को वाट्सऐप मैसेज करती. इस से जाहिर था कि दीप्ति का फोन उस के कातिल के पास रहा होगा. इस से लग रहा था कि दीप्ति  का कातिल उस का कोई परिचित रहा होगा. पुलिस को अब यह गुत्थी भी सुलझानी थी कि दीप्ति की हत्या दिल्ली में हुई थी या धारूहेड़ा में.

 

इंसपेक्टर सुधीर कुमार ने साइबर सेल की मदद से उसी दिन दीप्ति का मोबाइल सर्विलांस पर लगवा दिया. साथ ही उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली. सीडीआर के अध्ययन से सामने आया कि दीप्ति की हत्या होने के बाद उस का फोन अगले दिन सुबह करीब 9 बजे तक चालू था.

इस दौरान उस के फोन पर कई काल आई थीं, जिन में कुछ वाट्सऐप की मिस्ड काल भी थीं. इस मोबाइल फोन की आखिरी लोकेशन जयपुर में थी, इस के बाद दीप्ति का फोन स्विच्ड औफ हो गया था.

पुलिस टीम को लग रहा था कि दीप्ति दिल्ली से धारूहेड़ा किसी अनजान शख्स  के साथ तो नहीं आई होगी. जाहिर है, उस के साथ जो शख्स था, वह उस का खास परिचित रहा होगा. इसलिए पुलिस टीम ने दीप्ति के घर वालों से उस के सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी ले कर खंगालना शुरू कर दिया.

 

दीप्ति के फेसबुक अकांउट में तो पुलिस को ऐसा कोई संदिग्ध नहीं मिला, जिस से कातिल तब पहुंचने में मदद मिलती. लेकिन फेसबुक की जांचपड़ताल में यह जरूर पता चला कि दीप्ति का फेसबुक अकाउंट आखिरी बार 29 नवंबर को अपडेट हुआ था. उस दिन दीप्ति ने ही एक मैसेज डाला था. इस से पहले उस ने 27 नवंबर को दिमाग अपसेट होने का एक मैसेज डाला था.

इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि संभवत: वह अपनी मां की मौत के बाद काफी दुखी रही होगी. पुलिस को अंदेशा हुआ कि कोई परिचित व्यक्ति दीप्ति की इस स्थिति का फायदा उठाना चाह रहा होगा.

धारूहेड़ा पुलिस दीप्ति की हत्या की गुत्थी सुलझाने में बुरी तरह उलझ कर रह गई थी. उस की हत्या किस कारण से की गई और वह दिल्ली से धारूहेड़ा कैसे पहुंची, इस का अभी तक पता नहीं चला पाया था. हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला था. यह खुलासा भी नहीं हो पाया था कि उस की हत्या दिल्ली में की गई थी या हरियाणा में.

अभी पुलिस प्रयासों में जुटी ही थी कि 11 दिसंबर की शाम को रेवाड़ी जिले की एसएसपी नाजनीन भसीन के पास सूरत पुलिस के एक उच्चाधिकारी का फोन आया, जिन्होंने बताया कि सूरत के थाना सरथाना की पुलिस ने हेमंत लांबा नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है, जिस ने एक टैक्सी चालक तथा दिल्ली में रहने वाली अपनी प्रेमिका दीप्ति की हत्या करने का जुर्म कबूल किया है.

 

पकड़े गए युवक ने पुलिस को बताया है कि दीप्ति की हत्या कर के उस ने शव को धारूहेड़ा इलाके में फेंक दिया था.  पूरी जानकारी मिलने के बाद रेवाड़ी एसएसपी को दीप्ति हत्याकांड से जुड़ी तमाम बातें याद आ गईं.

उन्होंने सूरत के पुलिस अधिकारी को आवश्यक जानकारी दे कर अपनी टीम के तत्काल सूरत पहुंचने का आश्वासन दिया.

उसी दिन उन्होंने पुलिस हैडक्वार्टर से डीएसपी हंसराज के साथ इंसपेक्टर सुधीर कुमार को सूरत रवाना कर दिया. देर रात तक रेवाड़ी से गई पुलिस टीम सड़क के रास्ते सफर तय कर के सूरत के पुलिस स्टेशन सरथाना पहुंच गई, जहां उन्होंने एसएचओ टी.आर. चौधरी से मुलाकात की.

बातचीत में पता चला कि जिस हेमंत लांबा को पुलिस ने पकड़ा है, उस ने केवल दीप्ति की ही हत्या नहीं की, बल्कि इस चक्कर में उस ने एक और हत्या को भी अंजाम दिया था.

34 वर्षीय हेमंत लांबा को इंसपेक्टर सुधीर कुमार के समक्ष लाया गया, तो वह उसे देख कर चौंक पड़े, क्योंकि वह कोई साधारण इंसान नहीं, बल्कि बेहद आकर्षक व्यक्तित्व  का मालिक था. पुलिस ने उस से सूरत में ही पूछताछ शुरू कर दी.

 

हेमंत लांबा फिटनैस इंडस्ट्री का जानामाना नाम था. उस की पहचान एक बौडी बिल्डर व फिटनैस एक्सपर्ट के तौर पर होती थी. वह नैशनल अवार्डी बीटेक सिविल इंजीनियर था. वह बौडी स्टेरोन हेल्थकेयर प्रा. लि. दिल्ली का चेयरमैन व बौडी स्टेरोन नैशनल बौडी बिल्डिंग ऐंड स्पोर्ट्स फेडरेशन का राष्ट्रीय महासचिव भी था. उस ने लार्जस्ट स्पोर्ट्स ऐंड फिटनैस चैंपियनशिप का आयोजन भी किया था.

इस के अलावा वह लांबा ग्रुप औफ इंडस्ट्रीज का चेयरमैन भी था. हेमंत लांबा उत्तम नगर, दिल्ली के विश्वास पार्क निवासी एक समृद्ध परिवार का युवक था. नामचीन आदमी होने के साथ वह अय्याश भी था.

वह लड़कियों को कपड़े की तरह बदलता था. 3 महीने पहले हेमंत और दीप्ति की जानपहचान फेसबुक के जरिए हुई थी. जल्द ही दोनों की मेलमुलाकातें होने लगीं और दोनों एकदूसरे पर जान छिड़कने लगे. दोनों अक्सर साथ घूमते, होटलों में खाना खाते और साथसाथ शौपिंग करते. हेमंत ने उस से शादी करने का वादा किया था.

पिछले कुछ दिनों से दीप्ति हेमंत पर दबाव बना रही थी कि वह उसे कहीं घुमाने के लिए ले चले. दीप्ति की इसी जिद के कारण 6 दिसंबर को हेमंत ने उसे फोन कर के कहा कि आज वह उसे लौंग ड्राइव पर ले जाना चाहता है. सुन कर दीप्ति खुश हुई.

 

6 दिसंबर को वह दीप्ति को घुमाने के बहाने अपनी अकोर्ड गाड़ी में ले कर निकला. दिन भर दोनों इधरउधर साथ घूमते रहे. हमेशा की तरह एक बार फिर दीप्ति ने हेमंत से शादी करने की ख्वाहिश जताई तो हेमंत ने कहा कि वह जल्द ही उस की ये ख्वाहिश पूरी करेगा.

उस दिन दोनों बेहद खुश थे. शाम को जब दीप्ति ने घर चलने के लिए कहा तो हेमंत बोला कि जब लौंग ड्राइव पर निकले हैं तो घर जाने की क्या जल्दी है. अभी तो रात बाकी है. चलते हैं कहीं दिल्ली से दूर.

कहते हुए हेमंत ने गाड़ी गुड़गांव की तरफ मोड़ दी. शाम का धुंधलका शुरू होते ही हेमंत ने शराब और बीयर की बोतलें ले लीं. फिर 2-3 घंटे तक इधरउधर गाड़ी घुमाते हुए हेमंत खुद भी शराब के पैग लेता रहा और दीप्ति को भी 2-3 बीयर के कैन पिला दिए.

रात के करीब 10 बजे जब हेमंत और दीप्ति दोनों पर शराब का अच्छाखासा सुरूर छा गया, तो हेमंत ने गुड़गांव के पास एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी.

सुनसान जगह देख हेमंत ने दीप्ति को अपनी लाइसैंसी रिवौल्वर से एक के बाद एक 2 गोली मार कर उस की हत्या कर दी. हत्या के बाद उस ने शव को डिक्की में डाला और अगली सीट पर फैले खून को कपडे़ व पानी से साफ कर दिया. इस के बाद उस ने कार धारूहेड़ा की तरफ बढ़ा दी.

रात करीब 11 बजे उस ने नंदरामपुर बास रोड पर एक सुनसान जगह देख गाड़ी रोकी और दीप्ति का शव डिक्की से निकाल कर खाली प्लौट में एक फेंक दिया. दीप्ति का मोबाइल उस ने अपनी जेब में डाल लिया था. दीप्ति का शव फेंकने के बाद हेमंत वापस दिल्ली लौट आया.

दिल्ली आ कर उस ने हत्या में इस्तेमाल की गई अपनी गाड़ी को 6 दिसंबर की रात में ही एक डीलर को बेचने की कोशिश की, लेकिन गाड़ी नहीं बिकी तो वह मायापुरी पहुंचा. वहां उस ने रात को 1 बजे गाड़ी एक कबाड़ी को बेच दी. गाड़ी बेचने से हेमंत की जेब में बड़ी रकम आ गई थी.

 

रात करीब ढाई बजे हेमंत ने अपने साथ लाए दीप्ति के फोन से जयपुर के लिए ओला कैब बुक की. जनकपुरी का रहने वाला कैब चालक देवेंद्र सिंह अपनी इनोवा गाड़ी से हेमंत को ले कर जयपुर की ओर चल पड़ा.

रास्ते में करीब 4 बजे हेमंत ने दीप्ति के मोबाइल से उस के पिता के मोबाइल नंबर पर दीप्ति की तरफ से वाट्सऐप मैसेज किया कि वह ठीक है.

सुबह करीब 9 बजे हेमंत जयपुर पहुंचा और वहां के एक होटल में ठहर गया. वहां उस ने वाईफाई के जरिए दीप्ति के मोबाइल पर इंटरनेट चलाया तो उसे सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के जरिए पता चला कि धारूहेड़ा पुलिस ने दीप्ति का शव बरामद कर लिया है और उस की पहचान भी हो चुकी है.

इस से हेमंत को लगा कि अब पुलिस जल्द ही यह भी पता लगा लेगी कि दीप्ति की हत्या  किस ने की है. उसे लगा कि अब पुलिस उस तक पहुंच जाएगी.

हेमंत को अपने पकड़े जाने का डर इसलिए भी था, क्योंकि उस ने जयपुर आने के लिए जिस कैब को बुक किया था, उस के लिए उस ने दीप्ति के फोन का इस्तेमाल किया था. उसी फोन नंबर और गाड़ी के ड्राइवर की मदद से पुलिस उस तक पहुंच सकती थी.

 

हेमंत ने उसी वक्त फैसला कर लिया कि अगर उसे पुलिस से बचना है तो उसे इनोवा कैब के चालक की भी हत्या करनी पड़ेगी वरना वह खुद फंस जाएगा. उस ने सोचा कि देवेंद्र की हत्या कर के कुछ वक्त इधरउधर छिप कर बिता लेगा. देवेंद्र सिंह की हत्या के बाद उस की गाड़ी को भी बेच देगा.

यह ख्याल आते ही हेमंतके दिमाग में एक और खतरनाक साजिश ने जन्म ले लिया. उसे लग रहा था कि वह देवेंद्र के मामले में पुलिस के हाथ कभी नहीं लगेगा, क्योंकि उस की कार उस ने दीप्ति के फोन से बुक की थी. देवेंद्र की हत्या के बाद पुलिस के लिए उस तक पहुंचने की कड़ी टूट जाएगी.

इसी साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए उस ने एक दिन जयपुर में ही रुकने का मन बनाया. उस ने यह बात ड्राइवर देवेंद्र को बता दी. देवेंद्र को पता ही नहीं था कि हेमंत के दिमाग में क्या खतरनाक साजिश चल रही है.

उसी रात हेमंत किसी से मिलने के बहाने ड्राइवर देवेंद्र को अपने साथ अजमेर बाइपास एक्सप्रैस-वे पर चंदबाजी के इलाके में ले गया. वहां उस ने रास्ते में एक सुनसान जगह पर देवेंद्र को गोली मार क र उस की भी हत्या कर दी. इस के बाद लाश फेंक कर वह उस की इनोवा ले कर पहले अपने होटल पहुंचा, फिर वहां से कमरा खाली कर के गुजरात के लिए रवाना हो गया.

हेमंत ने सोचा था कि वह पहले देवेंद्र की इनोवा कार को सूरत में बेचेगा, फिर वहां से मुंबई चला जाएगा. अगले दिन वह इनोवा ले कर सूरत पहुंच गया. वहां पहुंच कर उस ने एक होटल में कमरा ले लिया.

इस के बाद उस ने दिल्ली में अपने एक दोस्त को फोन कर के दिल्ली में कुछ कार डीलरों के नंबर हासिल किए. दरअसल, वह उन से संपर्क कर के सेकेंड हैंड इनोवा की कीमत जानना चाहता था. उसे पता चला कि इनोवा 8-9 लाख में बिक सकती है. सूरत में उस ने गाड़ी बेचने के लिए एक डीलर से संपर्क किया तो सौदा 8 लाख रुपए में तय हो गया.

 

इनोवा की ड्राइविंग साइड का एक शीशा टूटा हुआ था. उस पर खून के कुछ निशान भी थे. यह देख डीलर को शक हुआ तो हेमंत गाड़ी ले कर भाग निकला, लेकिन इस से पहले डीलर ने तुरंत पीछे लिखे नंबर पर फोन कर दिया. यह नंबर देवेंद्र के भाई अजीत का था, जो कार का मालिक था.

कुछ गड़बड़ देख देवेंद्र के भाई अजीत ने अपने भाई देवेंद्र के मोबाइल पर फोन किया तो उस का नंबर स्विच्ड औफ मिला. जिस के बाद देवेंद्र के भाई ने पलट कर उसी डीलर के नंबर पर फोन किया, जिस ने उसे फोन किया था.

जिस वक्त सूरत में ये सब चल रहा था, उसी वक्त पुलिस को जयपुर के चंदबाजी में सड़क किनारे एक युवक का शव पड़े होने की सूचना मिली. युवक को गोली मारी गई थी और किसी कार का शीशा भी टूटा पड़ा था.

पुलिस ने टोल नाकों की सीसीटीवी फुटेज खंगाली तो एक इनोवा एसयूवी कार संदिग्ध नजर आई. उस के नंबरों के आधार पर कार मालिक दिल्ली निवासी अजीत सिंह से संपर्क किया गया.

अजीत ने बताया कि उस का भाई देवेंद्र बुकिंग पर कार ले कर गया था. वह 7 दिसंबर से लापता है, जिस की गुमशुदगी डाबड़ी थाने में दर्ज करवाई गई थी. बुकिंग करवाने वाले के मोबाइल नंबर की डिटेल्स खंगाली गई तो वह दिल्ली की दीप्ति गोयल का निकला.

 

पता चला कि दीप्ति की 6 दिसंबर को धारूहेड़ा में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और उस का शव सड़क किनारे एक खाली प्लौट में फेंक दिया गया था. बाद में पुलिस को देवेंद्र की कार की लोकेशन सूरत में मिली. आरोपी हेमंत कार को बेचने के लिए सूरत ले गया था.

सूरत के जिस कार डीलर ने अजीत सिंह को फोन किया था, उसी ने थाना सरथाना के एसएचओ टी.आर. चौधरी को भी फोन कर के इस की इत्तला दे दी थी. चौधरी ने इस सूचना के बाद तत्काल अपने स्टाफ को सक्रिय कर दिया. फलस्वरूप कुछ ही देर में वह इनोवा गाड़ी सरथाना पुलिस के कब्जे में आ गई, जिसे हेमंत लांबा ड्राइव कर रहा था.

जब हेमंत को थाने लाया गया और पुलिस ने उस की खातिरदारी कर के कार के मालिक और उस पर लगे खून के छींटों और टूटे हुए साइड मिरर के बारे में पूछा तो सारी कहानी खुलती चली गई.

इंसपेक्टर चौधरी के सामने एक नहीं दो कत्ल करने वाले आरोपी ने इकबाले जुर्म किया था. लेकिन दोनों में से कोई भी वारदात उन के इलाके में नहीं हुई थी, इसलिए उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को इस बाबत पूरी जानकारी दे कर हेमंत के खिलाफ सीआरपीसी की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया.

तब तक उच्चाधिकारियों की तरफ से जयपुर पुलिस व रेवाड़ी पुलिस को उन के इलाके में हुए दीप्ति हत्याकांड व देवेंद्र सिंह हत्याकांड की जानकारी दे दी गई थी.

सब से पहले रेवाड़ी पुलिस सूरत पहुंची और उस ने आरोपी हेमंत से पूछताछ करने के बाद उसे स्थानीय कोर्ट में पेश कर प्रोडक्शन वारंट पर अपनी हिरासत में ले लिया.

 

रेवाड़ी पुलिस हेमंत को सूरत से ले कर वापस आ गई और उसे अदालत में पेश कर जब 7 दिन के रिमांड पर लिया गया तो यह राज भी उजागर हो गया कि हेमंत ने दीप्ति की हत्या क्यों की थी.

फेसबुक पर हेमंत लांबा से हुई जानपहचान और फिर उस के प्यार में पड़ना दीप्ति को भारी पड़ गया था, जो उस की मौत का कारण बन गया.

दरअसल, जब दोनों की मुलाकात हुई तो हेमंत को दीप्ति पंसद तो आई लेकिन उसे दीप्ति में ऐसा कुछ नहीं दिखा कि वह उस के साथ लंबा वक्त गुजारता. कुछ समय तक वह उस से प्यार करने का नाटक करता रहा, लेकिन दीप्ति के साथ मौजमस्ती करतेकरते  दीप्ति उस के प्यार में कुछ इस कदर डूब गई कि वह उस से शादी के सपने देखने लगी.

हेमंत ऐसा भंवरा था जो एक डाल पर ज्यादा दिन तक नहीं बैठता था. फूल का रस चूसने के बाद वह अगली कली की तरफ बढ़ जाता था. लेकिन दीप्ति के मामले में उसे लगने लगा कि वह उस के गले में हड्डी की तरह फंस गई है. वक्त बीतने के साथ दीप्ति उस पर शादी का दबाव बनाने लगी थी. इसलिए उस से छुटकारा पाने के लिए हेमंत ने उस की हत्या की साजिश रची.

 

रिमांड के दौरान हुई पूछताछ में धारूहेड़ा पुलिस ने हेमंत से वारदात में इस्तेमाल की गई पिस्तौल, 4 जिंदा कारतूस और इनोवा बरामद कर ली. रेवाड़ी पुलिस ने रिमांड खत्म होने के बाद हेमंत लांबा के खिलाफ दर्ज मामले में हत्या के अलावा सबूत छिपाने की धारा जोड़ कर उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस के बाद जयपुर पुलिस ने हेमंत को देवेंद्र हत्याकांड में रिमांड पर ले लिया और उस से गहन पूछताछ की.

हेमंत लांबा अपनी फेसबुक वाल पर नेताओं व खुद को स्मार्ट दिखाने वाली फोटो डालता रहता था. उस पर दिल्ली में 1 दुष्कर्म, 2 छेड़छाड़ व एनआईए के 42 मामले दर्ज थे.

इस में लोगों के साथ ठगी करना, जबरन कब्जा करना, झगड़ा आदि करने के मामले भी शामिल हैं.

हरियाणा साउथ रेंज के एडीजीपी डा. आर.सी. मिश्रा के मुताबिक हेमंत सोशल मीडिया, फेसबुक व अन्य वेबसाइट पर खुद को हाईप्रोफाइल सोसायटी का दर्शाता था. उस के इसी प्रोफाइल को देख कर लड़कियां उस के जाल में फंस जाती थीं.

लेकिन वह उन लड़कियों के साथ कुछ दिन अय्याशी करता था और उन से नाता तोड़ लेता था.

उसे पता नहीं था कि जिस दीप्ति को उस ने अय्याशी  के लिए अपने जाल में फंसाया है, वह एक दिन उस के गले की फांस बन जाएगी.  द्य

—कथा पुलिस की जांच व आरोपी से हुई पूछताछ पर आधारित

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