बहुत सारी कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स में इंटरनेट कनेक्टिविटी दे रही हैं, ताकि वे एक-दूसरे से 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' के जरिए कम्यूनिकेट कर सकें. इससे यूजर्स को भी इन डिवाइसेज को अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन से कंट्रोल करने की सुविधा मिल जाती है. मगर ताजा रिसर्च में सामने आया है कि वायरलेस स्मार्ट टेक्नॉलजी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है. स्मार्ट लॉक्स से लेकर स्मार्ट लैंप तक हैक किए जा सकते हैं. हैकर्स LED लाइट को हैक करके तो रोशनी का ऐसा झिलमिलाता हुआ पैटर्न सेट कर सकते हैं कि लोगों को मिरगी के दौरे तक पड़ सकते हैं.
रिसर्चर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि उन्होंने वायरलेस टेक्नॉलजी में एक खामी का पता लगाया है. लाइट, स्विच, लॉक और थर्मोस्टैट जैसे 'स्मार्ट होम' वाले डिवाइसेज इस खामी की वजह से हैक किए जा सकते हैं. इजरायल के तेल अवीव के पास स्थित वीज़मन इंस्टिट्यूट ऑफ सायंस और कनाडा के हैलीफैक्स की डलहौजी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस खामी का पता लगाया है.
रिसर्चर्स ने फिलिप्स ह्यू स्मार्ट लाइट बल्ब पर रिसर्च का फोकस रखा. उन्होंने पाया कि एक खामी के चलते हैकर बल्बों को अपने कंट्रोल में ले सकते हैं. बेशक पहली नजर में यह बड़ी बात नहीं लगती, मगर हजारों इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइसेज आसपास रखे हों तो हैकर्स द्वारा बनाए गए मैलवेयर से उन सभी में तुरंत फैल सकता है. एक ही जगह पर बहुत सारे वायरेलेस से जुड़े डिवाइसेज रखना हैकिंग के खतरे को बढ़ा सकता है. इससे हैकर्स को मैलवेयर वाले कोड को फैलाने में आसानी होती है.
रिसर्चर्स ने एक बिल्डिंग के अंदर स्थित नेटवर्क में बड़ी आसानी से मैलवेयर फैला दिया. उन्होंने बिल्डिंग से 229 फीट दूरी से कार ड्राइव की और उसी की मदद से यह काम किया. इससे 2 हफ्ते पहले कुछ हैकर्स ने अमेरिकी कंपनी Dyn के सर्वर्स पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक भेजकर इंटरनेट का ऐक्सेस कुछ देर के लिए ब्लॉक कर दिया था. यह कंपनी इंटरनेट के महत्वपूर्ण हिस्सों को मैनेज करती है. सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि हैकर्स ने इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइसेज की बड़ी रेंज का कंट्रोल हासिल करके इस अटैक को अंजाम दिया था.
हैकर्स ने यह नहीं बताया है कि उन्होंने इस काम को कैसे अंजाम दिया. मगर वायरलेस कैमरे बनाने वाली चीन की एक कंपनी ने कहा कि हमारे प्रॉडक्ट्स के कमजोर पासवर्ड्स को भी इस अटैक के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है.
हैक हुए डिवाइसेज के साथ हैकर्स क्या कर सकते हैं?
हैकर्स LED लाइट को ऐसे झिलमिलाते हुए पैटर्न में सेट कर सकते हैं कि लोगों को मिरगी के दौरे पड़ सकते हैं या फिर वे असहज हो सकते हैं. बेशक यह काल्पनिक सी बात लगती है मगर शोधकर्ताओं ने इसे साबित करके दिखाया है.
फिलिप्स ह्यू बल्ब के कलर और ब्राइटनेस को एक कंप्यूटर या स्मार्टफोन की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है. रिसर्चर्स ने दिखाया कि कैसे एक बल्ब की मदद से कुछ ही मिनटों में अन्य नजदीकी बल्बों का कंट्रोल भी हासिल किया जा सकता है. वाइरस वाला सॉफ्टवेयर उन लाइट्स पर भी भेजा जा सकता है, जो किसी अन्य नेटवर्क पर हों.