राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा के करियर पर गौर किया जाए तो एक बात उभर कर आती है कि उनकी एक फिल्म सफल, तो दूसरी असफल होती है. राकेष ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित पहली फिल्म ‘‘अक्स’’ असफल थी, फिर ‘रंग दे बसंती’ हिट, फिर ‘दिल्ली 6’ असफल, उसके बाद ‘भाग मिल्खा भाग’ हिट और अब उनकी नई फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ को असफल माना जा रहा है. जब हमने फिल्म ‘मिर्जिया’ की असफलता पर चर्चा करने के लिए राकेश ओमप्रकाश मेहरा से मुलाकात की, तो उन्होने स्वयं खुले दिल से स्वीकार किया कि उनकी फिल्म ‘मिर्जिया’ हिट नहीं है.

राकेश ओमप्रकाश मेहरा से मुलाकात होने पर हमने उनसे सीधा सवाल किया कि उनकी फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ को तो सफलता नहीं मिली? इस पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने ‘‘सरिता’’ पत्रिका से  कहा- ‘‘इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद मुझे तीन तरह के रिस्पांस मिले. मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि मैं जो चाह रहा था, वैसा रिस्पांस इस फिल्म को बाक्स आफिस पर नहीं मिला. दूसरा रिस्पांस यह रहा कि पूरी दुनिया से जिस तरह के फिल्म आलोचकों व दर्शकों के रिव्यू आए हैं, उनसे इस बात का आभास होता है कि हमारा जो यह नया प्रयोगात्मक प्रयास था, वह सफल रहा. खासकर विदेशों से, न्यूयार्क टाइम्स सहित कई बड़े अखबारों ने बहुत प्रशंसा की है. पर भारतीय फिल्म आलोचकों ने फिल्म की धज्जियां उड़ा दी. लंदन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हमारी फिल्म ‘मिर्जिया’ ओपनिंग फिल्म थी. फिल्म देखने के बाद प्रशंसकों ने खड़े होकर 15 मिनट तक तालियां बजाकर फिल्म ओर हमारी टीम को सराहा. लंदन में अच्छा रिस्पांस मिला. इस फिल्मोत्सव में पूरे विश्व से 165 पत्रकार आए थे, उन्होंने भी तारीफ की. दूसरे दिन दो बार हमारी फिल्म दिखायी गयी. ‘मिर्जिया’ ने वहां पर भारत में टायलेट बनाने के अच्छे काम के लिए एक लाख पचहत्तर हजार पौंड जमा किए.

विदेशों में लोगों ने मुझसे कहा कि आज नहीं, मगर कुछ वर्षों के बाद लोग इस बात को महसूस करेंगें कि मैने भारतीय कलात्मक सिनेमा को नई जिंदगी दी है. मैंने अपनी फिल्म ‘मिर्जिया’ के माध्यम से भारत की गरीबी या भारत की झोपड़पट्टियों  को विदेशों में नहीं बेचा. अब तक हर भारतीय फिल्मकार इसी तरह की चीजों को अपनी फिल्म में दिखाकर पश्चिमी देशों के फिल्म समारोहों में घुसते रहे हैं. पर हमने अपनी फिल्म में भारतीय कहानी को संगीत के साथ ‘मिर्जिया’ से हमने विदेशी धरती पर सिनेमा का ‘भारतीय संगीत’ का एक नया जानर खोल दिया है. भारत में गीत संगीत युक्त सिनेमा काफी पसंद किया जाता है, अब विदेश वाले भी पसंद करने लगे.’’

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने आगे कहा-‘‘लेकिन भारत में यह फिल्म कम पसंद की गयी. इससे मेरी समझ में आया कि मैंने कथा कथन शैली में जो नया प्रयोग किया, उसमें और काम करने की जरुरत थी. इस नई कथा कथन शैली को बड़े दर्शक वर्ग तक कैसे पहुंचाया जाए, उस पर काफी काम करना चाहिए था. देखिए, हम जब कोई नई शैली विकसित करते हैं, तो यह देखते हैं कि वह चलती है या नहीं, उसके बाद हम उसे आगे लेने के लिए उपाय करते हैं. देखिए ‘मिर्जिया’ का पूरा खेल नया था, इसमें मैं जितना भी आगे बढ़ा हूं, वह सफलता ही है. देखिए, जब हम हाईजंप मारते हैं, तो हमें पता होता है कि इसका रिकार्ड क्या है और उस रिकार्ड को तोड़ना लक्ष्य होता है. पर यहां तो ऐसा कुछ था ही नहीं. यह तो पूरा नया खेल था, तो हमने जो भी किया, वह एक रिकार्ड बना है. यह हमारी पहली छलांग रही.’’

राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने इसी संदर्भ में आगे कहा-‘‘तीसरा रिस्पांस यह है कि फिल्म सिनेमाघरों से पूरी तरह से नहीं उतरी है. कुछ दर्शक अभी भी ‘मिर्जिया’ देख रहे हैं. इससे यह बात साफ हुई है कि हम आगे ही बढ़े हैं. पर सिंगल थिएटरों में यह फिल्म बिलकुल नहीं चली. देखिए, फिल्म ‘मिर्जिया’ सफल हो जाती, तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी न होती और नहीं चली, तो बहुत ज्यादा गम नही है. मैं अपने अंदर के संयम को बरकरार रखते हुए अपने काम और इस फिल्म की बाक्स आफिस रपट पर गौर कर रहा हूं. लोग यह मान रहे हैं कि इस फिल्म में कुछ बात तो है.’’

जब हमने कहा कि फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ के सिंगल थिएटरों में बिलकुल न चलने की क्या वजह रही? इस पर राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा-‘‘मुझे लगता है कि जब हम कोई नई चीज कर रहे हों, तो दर्शकों को विश्वास में लेना जरुरी होता है कि हम ऐसा कुछ नया करने जा रहे हैं, वह हम नहीं कर पाएं. दर्शक सिनेमा घर के अंदर प्रेम कहानी देखने गया था, नई कथा कथन की शैली को अनुभव करने के लिए नहीं गया था, इसलिए उसे फिल्म पसंद नही आयी.’’

वह आगे कहते हैं-‘‘हमें पता था कि हम सौ करोड़ वाली फिल्म नहीं बना रहे हैं. इसी के चलते हमने अपना बजट कंट्रोल किया. अब तक सेटेलाइट, संगीत आदि अधिकार बेचने पर 75 प्रतिशत लागत वसूल हो चुकी है. 15 करोड़ में सेटेलाइट अधिकार और 6 करोड़ में संगीत के अधिकार बिके हैं. संगीत में ओवर फ्लो हुआ तो कुछ और राशि मिल जाएगी. हमारी फिल्म का बजट 30 करोड़ है. हम 21 करोड़ वापस पा चुके हैं. बाकी की राशि हमें बाक्स आफिस से एकत्र करनी है. अब कितनी हो पाती है, वह वक्त ही बताएगा. पर भारतीय बाक्स आफिस के आधार पर शायद हम तीस करोड़ के आस पास ही पहुंच पाएंगे. यदि हम ओवरसीज के बाक्स आफिस के कलेक्शन को मिला लेंगे, तो हम तीस करोड़ के आंकड़े को पार कर ले जाएंगे. इस तरह लग रहा है कि हमारी मूल राशि वापस आ जाएगी. पर हमारा नया प्रयोग सफल हो गया, इसकी मुझे खुशी है. जबकि अभी तो हमने डिजिटल बेचना शुरू ही नहीं किया है. इस तरह हमारी फिल्म एवरेज पर पहुंच जाएगी, पर हिट कतई नहीं होगी.’’

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