गन्ने की फसल में अगर नमी की कमी दिखाई दे रही है, तो सिंचाई करें. निराईगुड़ाई का काम करें. खेत में खरपतवार न पनपने दें. यूरिया वगैरह व गोबर की अच्छी तरह सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट खाद या केंचुआ खाद खेत में जरूरत के मुताबिक डालें. जैविक खाद डालने से खेत की मिट्टी की पानी को ज्यादा समय तक रोकने की कूवत पैदा होती है. साथ ही, मिट्टी की क्वालिटी में सुधार आता है, जिस से गन्ने की ज्यादा पैदावार मिलती है. पेड़ी वाली फसल में गन्ने की सूखी पत्तियां खेत में ही फैला दें, ऐसा करने से खेत में नमी बनी रहती है. साथ ही, खरपतवारों पर भी काबू रहता है.
* गेहूं की फसल पूरी तरह से पक जाने पर ही कटाई करें. दानों को दांत से काटने पर अगर कट की आवाज आए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए. थ्रेशिंग के लिए सही मशीन का इस्तेमाल करें. गेहूं को अगर स्टोर करना है तो वैज्ञानिक तरीकों से ही स्टोर करें.
ये भी पढ़ें-#lockdown: हरियाणा सरकार की सब्जियों पर रोक: सब्जियां होंगी महंगी
* मूंग की बोआई का काम 15 अप्रैल तक जरूर निबटा लें. अगर मार्च महीने में मूंग बोई गई है, तो इस महीने जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें.
* चने की देर से बोई गई फसल में इस महीने दाना पड़ने लगता है. अगर इस दौरान फली छेदक कीट का हमला दिखाई दे, तो फौरन किसी अच्छी कीटनाशी दवा का छिड़काव करें. समय पर बोई गई फसल कटाई के लिए तैयार हो गई है तो कटाई करें.
* चारे के लिए मक्का, बाजरा व लोबिया की बोआई का काम पूरा करें. यूरिया खाद को खेत में जरूरत के मुताबिक डालें. अगर जरूरत महसूस हो, तो दूसरी खादों को संतुलित मात्रा में दें.
* सूरजमुखी की फसल में फूल निकलते समय निराईगुड़ाई की जरूरत होती है. ऐसे में निराईगुड़ाई करें. खेत में नमी की कमी है, तो सिंचाई करें. यूरिया खाद को जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल करें.
* करेला, लौकी की पौध तैयार हो गई है, तो करेले की रोपाई 2×1 मीटर व लौकी की 150×60 सैंटीमीटर की दूरी पर करें. अगर अभी तक करेला व लौकी की नर्सरी नहीं डाली गई है, तो फौरन नर्सरी डालें.
* लहसुन की फसल तैयार हो गई है, तो गांठों की सावधानी से खुदाई करें. खुदाई करने के बाद 2-3 दिन तक फसल को खेत में सुखाने के बाद फिर छाया में सुखाएं. गांठों को वैज्ञानिक तरीके से स्टोर करें.
* मिर्च की फसल में फली बेधक कीट की रोकथाम के लिए कारगर कीटनाशी का छिड़काव करें. एफिड कीट की रोकथाम के लिए डाईमिथोएट या मिथाइल ओडेमिटान दवा के 0.1 फीसदी वाले घोल का 2 छिड़काव
15 दिन के अंतर पर करें.
ये भी पढ़ें-# lockdown : टमाटर हुआ खराब हो गई फसल तबाह
* बैगन की फसल में निराईगुड़ाई का काम पूरा करें. जरूरत के मुताबिक खादपानी दें. खरपतवारों को काबू में रखें.
* खीरा की फसल में फल मक्खी व लाल भृंग कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियान दवा का इस्तेमाल करें. एफिड कीट की रोकथाम के लिए डाईमिथोएट दवा के 0.1 फीसदी वाले घोल का छिड़काव फायदेमंद है.
* अदरक की बोआई करें. बोआई के समय खेत में जरूरत के मुताबिक नमी मौजूद रहनी चाहिए, ताकि गांठों का जमाव अच्छी तरह हो सके. बोआई वाली गांठों का वजन
15-20 ग्राम होना चाहिए और बोआई से पहले गांठों को मैंकोजेब दवा से उपचारित कर लेना चाहिए. बोआई मेंड़ बना कर उन पर करें. लाइन से लाइन की दूरी 30-40 सैंटीमीटर व बीज से बीज की दूरी 20 सैंटीमीटर रखें. बोआई 5-10 सैंटीमीटर की गहराई पर करें. अपने इलाके की आबोहवा को ध्यान में रख कर ही किस्मों का