अँधेरे में बेचैन सी कुंदा ने धीरे से अपने तकिये के नीचे रखे फ़ोन में टाइम देखने के लिए जैसे ही गर्दन घुमाई, बराबर में लेटे उसके पति सोहन ने चिढ़े से स्वर में कहा ,” तुम्हे रात में भी चैन नहीं है ? क्या कर रही हो ?”
”टाइम देख रही थी ।”
”क्यों ?”
”नींद नहीं आ रही थी ।’
”क्यों ? नींद को क्या हुआ है ?”
कुंदा ने चुपचाप सोहन की तरफ से करवट ले ली , सोहन ने उसकी कमर में हाथ डाल दिया , कुंदा की उलझन और बढ़ी, मोहन का हाथ हटा दिया । सोहन ने भी करवट ले ली और सो गया ।कुंदा धीरे से उठ कर बैठी , फ़ोन उठाया , छोटे से कमरे में नजर डाली , दोनों बच्चे सोनू और गुड़िया सो रहे थे , एक किनारे उसकी सास गहरी नींद में थी , इसी छोटे से कमरे में बीत रहा था उसका हताश सा जीवन , कुंदा का मन हुआ , अभी घर से भाग जाए और सीधे रामसिंह के कमरे पर पहुँच कर उसके साथ चैन से सो जाए , पर अब तो लॉक डाउन के समय जैसे वह पिंजरे में बंद पक्षी की तरह रात दिन बस इधर से उधर छटपटा ही सकती थी । वह चुपचाप नाममात्र की किचन के फर्श पर यूँ ही लेट गयी , फिर चैन नहीं आया , मन हुआ , रामसिंह को फ़ोन करे , वह फिर उठी , और बाहर आकर कई लोगों के लिए बने कॉमन बाथरूम की तरफ गयी , टॉयलेट के अंदर जाकर उसने फौरन रामसिंह को फ़ोन किया , पर इतनी रात में शायद वह सो रहा था ,
उसने फ़ोन नहीं उठाया तो कुंदा ने ढेर सारे मैसेज रामसिंह को भेजे और अपनी तरफ से उन्हें डिलीट भी कर दिया , सोहन आजकल घर पर था तो सावधानी जरुरी थी , फिर निराश सी आकर किचन में लेट गयी , आँखों की कोरों से कुछ आंसू भी ढलक गए ,रामसिंह, कब देखूंगी उसे !उसके बिना नहीं रह सकती , उसके पास भी नहीं जा सकती , उसने फ़ोन को ही सीने से लगा लिया , यह फ़ोन उसे रामसिंह ने ही दिया था , कितना प्यार करता है उसे , रामसिंह उसी बिल्डिंग का वॉचमैन है जहाँ वह कुछ घरों में काम करने जाती है , यूँ ही आते जाते वह कभी कभी बिल्डिंग में ही बनी एक बेंच जैसी जगह पर बैठ जाया करती , रामसिंह से नजरें मिलीं तो दिल जैसे वहीँ अटक सा गया था , ऐसा अटका कि दोनों के बीच की सारी दूरियां मिटती चली गयीं । रामसिंह एक और वॉचमैन अजय के साथ रूम शेयर करता था , रामसिंह घर पर जब अकेला होता तो कुंदा को बता देता । कुंदा सारे काम निपटा कर उसके पास पहुँच जाती । दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आते चले गए। कुंदा की सास माया बच्चों को संभाल लेती . सोहन किसी होटल में काम करता था .घरों के बहुत काम हो गए हैं , कहकर कुंदा सोहन के साथ खूब रहती .रामसिंह और कुंदा बिल्डिंग में तो रोज बात करते ही थे , उसने कुंदा को काफी काम भी दिलवाये थे . कुंदा ने घर में बोल दिया था कि रात को भी खाना बनाने का काम मिला है । सोहन घर में पैसों का हिसाब किताब तो पूछता नहीं था.
दो साल से दोनों का प्रेम सम्बन्ध जोरों शोरों से चल रहा था पर अब लॉक डाउन में जैसे कुंदा पर बड़ी आफत आयी थी , घर से बाहर निकलना बंद हो गया था , सभी घरों से छुट्टी हो गयी थी , अब छोटे से कमरे में सास , पति और बच्चों की घिचपिच से ऊब होने लगी थी , उसे पता ही नहीं चला कि वह पूरी रात सो नहीं पायी थी , अचानक फ़ोन में मैसेज आने का वाइब्रेशन हुआ तो चौंकी , रामसिंह के मेसेज थे , कैसे रहूं तुम्हारे बिना , कुंदा , मेरी तो ड्यूटी चल ही रही है , कोई बहाना करके थोड़ी देर आकर मिल जाओ .सोसाइटी के अंदर अंदर से आ सको तो , तुम्हारे घर पर अभी सब हैं इसलिए फ़ोन नहीं करता हूँ , अपना ध्यान रखना ,कुंदा , शकल ही दिखा जाओ .”
कुंदा ने पहले सारे मैसेज डिलीट किये फिर फ़ोन सीने से लगा सिसक पड़ी , वह अगर गलत भी कर रही है तो क्या कर सकती है , सोहन उसे वैसा प्यार नहीं करता जैसा रामसिंह करता है , सोहन एक मतलबी , खड़ूस सा पति बन कर रह गया है , उसका अब दम घुट रहा है , उसे मुस्कुराये हुए भी कितने दिन हो गए । बच्चों के लिए उसके दिल में ममता है पर रामसिंह भी उसके लिए बहुत कुछ है , वह अगर इस कमरे की घुटन से दूर उसके साथ थोड़ी देर खुश रह लेती है तो क्या बुरा है , रामसिंह अकेला रहता है , उसका परिवार गांव में रहता है , उसकी पत्नी को शहरी जीवन रास नहीं आता , रामसिंह भी उसके साथ खुश है तो क्या बुरा है , हम दोनों ही प्यार को तरसे हुए थे , अब मिल गए , खुश हैं , बस , वह इतना ही जानती है , वह कोई बड़ी बड़ी ठीक , गलत की भाषा नहीं सोचेगी .
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इतने में माया की कर्कश सी आवाज सुबह सुबह उसके कानों में पड़ी ,” अरी कुंदा , पांच बज गए , पानी नहीं भरना है क्या ? कहीं भी सो जाती है घोड़े बेचकर ! और यह किचन में क्यों पड़ी है ?”
कुंदा चुपचाप उठी , मन ही नहीं हुआ कुछ जवाब देने का , रात भर जाग कर अब सर भारी था , मुँह हाथ धोकर चाय चढ़ाई, पानी भरने लगी , सोहन गुर्राया ,धीरे धीरे काम नहीं कर सकती ?”
”पानी न भरूँ ?”
”हाँ , मत भर ‘
कुंदा फिर धीरे ही काम करती रही , फिर वही पहाड़ सा पूरा दिन !, वह रामसिंह से मिलने के जतन सोचती रही , आखिरकार बहाना सूझ ही गया , शाम को बोली , सोच रही हूँ , जाकर पगार ले आऊं सबसे , चार तारीख तो हो ही गयी है , लॉक डाउन कहीं और न बढ़ जाए ,सामानभी भरना पड़ता है , मैडम ने कहा था , आकर पैसे ले जाना ”
वह जानती थी कि शायद पैसों की बात पर जाने को मिल जाए.
जैसा कुंदा ने सोचा था वैसा ही हुआ , सोहन ने इतना ही पूछा ,’किधर से जाएगी ?’
”अंदर अंदर से , वैसे भी सब्जी लाने की छूट तो है ही .”
कुंदा ने बड़े दिनों बाद रामसिंह की पसंद की साड़ी पहनी , अच्छा सा जूड़ा बनाया , और जैसे हवा के पैरों पर उड़ती चली जा रही थी ,रामसिंह को पहले नहीं बताया था , वह उसे सरप्राइज देना चाहती थी , दूर से देखा , रामसिंह बिल्डिंग के चैनल के अंदर खड़ा था , उसने भी कुंदा को अंदर आते देख लिया था , वह बेचैनी से चैनल के और पास आकर खड़ा हो गया , कुंदा !”
”रामसिंह , कैसे हो ?”
रामसिंह उदास सा बोला , चैनल खोल कर तुझे अंदर आने नहीं दे सकता , कुंदा , मनाही है ।”
” कोई बात नहीं , बस , तुम्हे देख लिया ,इतना बहुत है , रामसिंह , जिया नहीं जा रहा ,” कहते कहते कुंदा की आँखें भर आयीं .
दोनों एक दूसरे को भरी भरी आँखों से देखते रहे , फिर सीढ़ियों से किसी के आने की आहट आयी तो कुंदा फौरन जाने के लिए पलट गयी , कुछ आगे जाकर पलट कर रामसिंह को देखा , वह भी उसे ही देख रहा था , कुंदा अब उदास सी घर की तरफ बढ़ रही थी , सोहन पूछेगा तो बोल देगी , मैडम ने दो दिन बाद बुलाया है, फिर एक बार और जा सकेगी , घर जाने का बिलकुल मन नहीं था , उसे काम पर आना हमेशा से पसंद था , अब घर में बंद होकर उससे बैठा ही नहीं जा रहा था , कुछ चारा भी तो नहीं था , कब सब ठीक होगा ,” एक आह भर कर वह बेजान सी घर आकर काम में लग गयी , मन आज फिर चैनल के उस पार अटका रह गया था.