अधिक से अधिक पैदावार लेने के चक्कर में ज्यादातर किसान जैविक खादों के इस्तेमाल में जरा भी दिलचस्पी नहीं लेते, जिस का नतीजा यह होता है कि खेतों की मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है. इस बात को ध्यान में रख कर हर किसान को अपने खेतों में ज्यादा से ज्यादा जैविक खादों का इस्तेमाल करना चाहिए.

जैविक खादों का खेती में बहुत ही अहम रोल है. जैविक खाद खेतों को लंबे समय तक उपजाऊ बनाए रखती है. साथ ही, उत्पाद की क्वालिटी भी अच्छी होती है. खेती में बढ़ते खर्चों को कम करने के लिए भी जैविक खादों का इस्तेमाल फायदे का सौदा साबित होता है.

आइए जानें, कुछ जैविक खाद बनाने के तरीके :

काऊ पैट पिट

दुधारू गाय के गोबर से एक तय आकार के गड्ढे में बनाई जाने वाली खाद काऊ पैट पिट यानी सीपीपी कहलाती है.

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जरूरी चीजें : जमीन में 100 सैंटीमीटर लंबा, 60 सैंटीमीटर चौड़ा व 45 सैंटीमीटर गहरा ईंट का गड्ढा. दुधारू गाय का ताजा गोबर25 किलोग्राम. लगभग 50-60 ईंट या लकड़ी का डेढ़ फुट चौड़ा व 3 फुट लंबा 2 पटरा वडेढ़ फुट चौड़ा व 2 फुट लंबा 2 पटरा. 200

बोर स्वायल या बेसाल्ट या बेनटोनाइट. बायोडायनेमिक प्रिप्रेशन 502-507. हर एक की एकएक ग्राम मात्रा. 250 ग्राम अंडे के छिलके. 100 ग्राम गुड़ का घोल. चटाई या लोहे की टिन. टाट या जूट का बोरा. एक बालटी पानी .बनाने का तरीका : जमीन में 100 सैंटीमीटर लंबा, 60 सैंटीमीटर चौड़ा व

45 सैंटीमीटर गहरा गड्ढा खोद लें. गड्ढे की भीतरी दीवारों पर ईंटों से दीवार बना लें. तैयार गड्ढे की दीवारों व नीचे के हिस्से को गाय के गोबर से लीप दें. गाय के ताजा गोबर में अंडे के छिलके का पाउडर व बोर स्वायल या बेसाल्ट मिला कर अच्छी तरह पानी डाल कर तब तक फेंटें, जब तक मिश्रण में लस न आ जाए.तैयार गोबर के मिश्रण को गड्ढे में 6 से9 इंच मोटा भर दिया जाए. गोबर में अंगूठे की मदद से छेद कर के बीडी प्रिप्रेशन 502 से 506 को चारों कोनों और बीच में डाल करबंद कर दिया जाए. बीडी प्रिप्रेशन 507 को 350 मिलीलिटर पानी में गुड़ के साथ अच्छी तरह मिला कर 10 मिनट तक घड़ी की दिशा व विपरीत दिशा में भंवर बनाते हुए डंडी से हिला कर गोबर की सतह और दीवारों पर छिड़क देना चाहिए.

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