राममंदिर का मुकदमा जब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था उस समय राम की वंशावली पर चर्चा हुई तो क्षत्रिय समाज के तमाम राज परिवारों ने वंशावली पेश की. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में जब राममंदिर बनाने के लिये रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया तो राम की वंशावली पर कोई ध्यान नहीं रखा गया. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में विश्व हिन्दू परिषद और सरकार के खास लोगो का प्रभाव साफतौर पर दिखता है. इसको लेकर अयोध्या और रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कुछ सदस्य में रोष झलक रहा है.
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में विश्व हिन्दू परिषद यानि विहिप का प्रभाव सबसे अधिक दिखाई दे रहा है. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष 83 साल के मंहत नृत्य गोपालदास को बनाया गया है. वह अयोध्या की मणिराम छावनी सेवा ट्रस्ट और श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष है. श्रीरामजन्मभूमि न्यास का गठन विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा किया गया था. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव पद पर चंपत राय को बिठाया गया है. चंपत राय विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी रहे है. इस तरह से रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के दो प्रमुख पदो पर विश्व हिन्दू परिषद ने अपने लोगों को स्थापित कर लिया है.
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हनुमानगढी के मंहत धर्मदास रामजन्मभूमि के मुकदमें को शुरू से पैरवी करते रहे है. वह खुद को इस ट्रस्ट में शामिल करने की मांग को लेकर दिल्ली भी पहुंचे पर उनको मीटिंग में शामिल नहीं किया गया. उनको मीटिंग से अलग दूसरे कक्ष में बैठाया गया. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी निर्मोही अखाडा के मंहत दिनेन्द्र दास ने अखाडे के सरपंच मंहत राजा रामचन्द्राचार्य के अलावा 5 अन्य पंचों को भी ट्रस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था लेकिन इस प्रस्ताव को सरकार ने अभी स्वीकार नहीं किया है. इस बात को लेकर अध्योध्या के संत समाज में गुस्सा है.
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर सरकार और भाजपा की तरफ से यह कहा गया कि पार्टी और सरकार के लोग इसमें शामिल नहीं होगे. जब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ तो यह साफ हो गया कि इसमें विश्व हिन्दू परिषद के लोगों के साथ ही साथ सरकार और केन्द्र सरकार की पंसद के लोगों को ही प्रमुख रूप से रखा गया है. ट्रस्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के 2 अफसरो अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और जिलाधिकारी अयोध्या अनुज कुमार झा को पदेन सदस्य बनाया गया है. देखने में यह दोनो पद पदेन सदस्य के है पर सबसे महत्वपूर्ण पद है. इनके बिना ब्यूरोक्रेसी में एक पत्ता भी इधर से उधर नहीं होगा.
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रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के खाते का संचालन करने के लिये जिन तीन लोगों को अधिकार दिये गये है उनमें पहला नाम विश्व हिन्दू परिषद के चंपत राय का है. दो दूसरे नामों में गोविंददेव गिरी और ट्रस्ट के स्थाई सदस्य डाक्टर अनिल कुमार मिश्र का है. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख नामों में ट्रस्ट प्रमुख के. पराशरण इस मामले के सुप्रीमकोर्ट के वकील रहे है. ट्रस्ट के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र केन्द्र के चहेते असफर रहे है. स्थायी सदस्यों में विमलेन्द्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या के राज परिवार से आते है. यह ट्रस्ट के स्थायी सदस्य है. स्थायी सदस्यों में दूसरा नाम मंहत दिनेद्र दास, स्वामी परमानंद, माधवाचार्य और वासुदेवानंद है.
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट निर्माण की शुरूआत में पहले मंहत नृत्य गोपालदास को भी शामिल नहीं किया गया था. इसका कारण यह था कि मंहत नृत्य गोपालदास 1990 के दशक के विहिप के समर्थक संतो में शामिल नहीं थे. उस समय श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्या मंहत परमहंस दास थे. महत परमहंसदास की मौत के बाद नृत्य गोपालदास को श्रीरामजन्मभूमि न्यास का अध्यक्ष बनाया गया था. इस कारण नृत्य गोपालदास को शुरूआत में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में नहीे रखा गया. अयोध्या के सतों के दबाव में अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद भी उनको ट्रस्ट के खातों के संचालन का अधिकार नहीं दिया गया.