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फोन की घंटी बजते ही रसिका की मम्मी उपमा ने जल्दी से उठाया, जाने कितनी देर से उन की सांसें अटकी हुई थीं. दरअसल, रसिका, जो बेंगलुरु में नौकरी

करती है, आज एक लड़के से मिलने एक रैस्टोरैंट में गई थी. इस सजातीय लड़के के बारे में उस के पापामम्मी को औनलाइन मैट्रिमोनियल साइट से पता चला था.

‘‘हैलो, रसिका. मिल आई उदित से? कैसा लगा?’’ मम्मी की उत्कंठा छिपाए नहीं छिप रही थी. एक चुप्पी के बाद रसिका ने उखड़ेउखड़े स्वर में कहा, ‘‘नहीं मम्मी, बिलकुल भी इंप्रैसिव व्यक्तित्व नहीं है. यह ठीक है कि  वह टौप कालेज से पढ़ा हुआ है, पर थोड़ा तो अच्छा दिखना ही चाहिए. केवल डिगरी से क्या होता है, मुझे तो बहुत डम्ब लगा, मैं नहीं करने वाली इस से शादी. तुम अब दूसरा खोजो.’’ यह कहते हुए रसिका ने फोन काट दिया.

उस की मम्मी सोचती रह गईं. अब तक कुल 7 लड़कों से रसिका मिल चुकी थी. लड़के क्या कहते, उस से पहले ही यह कोई नुक्स निकाल मम्मी को मना कर देती. पिछली बार इसे शिकायत थी कि लड़के ने अच्छे कालेज से पढ़ाई नहीं की है. कितनी मशक्कत के बाद उदित के प्रोफाइल को छांटा गया था. उसे भी उस ने एक झटके में नकार दिया.

इंजीनियरिंग, फिर एमबीए करतेकरते ही रसिका की इतनी उम्र निकल गई, तिस पर लड़कों को इतना छांटना. वे चिंतित हो उठीं. उन्हें याद हो आया रसिका का इंजीनियरिंग कालेज का वह दोस्त जो दोस्त से कुछ अधिक समझ आता था, स्वप्निल. उपमा को रसिका उस के बारे में खूब बताती थी. इन 4 वर्षों में उपमा समझ गई थी कि स्वप्निल ही उन का भावी दामाद है. फिर रसिका एमबीए करने लगी और स्वयं ही उस की बातों से स्वप्निल गुम होता चला गया. कभी खोदखोद कर उपमा ने बेटी से पूछना भी चाहा तो पता लगता कि दोनों का संपर्क सूत्र ही टूटा हुआ है. अब जोरशोर से रसिका की शादी का सोचा जा रहा है पर उसे कोई लड़का जंच ही नहीं रहा है.

कालेजों में आजकल बहुत आम है लड़केलड़कियों का दोस्ती से बढ़ कर कुछ और होना. ये प्यार, ये लगाव, स्कूली बच्चों की तुलना में परिपक्व होते हैं और बहुत सारी ऐसी दोस्तियां सुखद शादी में तबदील भी हो जाती हैं. वहीं, कुछ जोड़ों को जातिपांति और धर्म के चलते अलग हो जाना होता है, जब परिवार वाले उन के दोस्त को दामाद या बहू के रूप में स्वीकारने से इनकार कर देते हैं. पर हमेशा परिवार या मातापिता ही कारण नहीं होते हैं ब्रेकअप के लिए, बल्कि आजकल के समझदार मातापिता राहत ही महसूस करते हैं कि उन के बच्चों को अपना मनपसंद जीवनसाथी मिल रहा है.

ब्रेकअप के कई कारण होते हैं, जिन में जोड़े खुद आपसी सहमति से अलग हो जाते हैं, पर उस टूटन की टीस शायद रह जाती है हमेशा के लिए. अंतर्मन में उस पार्टनर की प्रतिछाया बसी रह जाती है जिसे वह अपने संभावित पार्टनर में खोजता रहता है.

रूही और उत्सव बचपन के मित्र थे. बाद में उन्होंने साथ ही कालेज की पढ़ाई भी की. उत्सव जहां बेहद शांत, सौम्य और मितभाषी था वहीं रूही चुलबुली सी खूब बातें करने वाली लड़की थी. दोनों की आपस में खूब पटती भी थी. दोनों ने विदेश जा कर आगे पढ़ने का प्लान सोचा हुआ था और उस से पहले शादी. इस बीच घटनाक्रम काफी तेजी से घटित हुआ. उत्सव के पिताजी का देहांत हो गया और उसे जो पहली नौकरी मिली उसे करना शुरू कर दिया. आगे विदेश जा कर पढ़ने का प्लान धरा रह गया.

रूही अपने मातापिता को उत्सव के बारे में बता चुकी थी और वे उत्सव से अपनी बेटी की शादी करने के लिए तैयार भी थे. पर उत्सव जिम्मेदारियों के बोझ तले ऐसा दबता चला गया कि अपनी जिंदगी के विषय में सोचना ही छोड़ दिया. रूही कुछ वर्षों तक उसे मनाती रही, उसे आगे बढ़ने व पढ़ने के लिए भी प्रेरित करती रही. पर उत्सव पीछे हटता चला गया और रूही से खुद को विलग कर लिया. हार कर रूही अकेली ही विदेश गई आगे पढ़ने. उस के पिता दुखी मन से उस के लिए नए वर की तलाश में लग गए.

वहीं बहुत उदाहरण ऐसे भी मिलते हैं जब लड़के और लड़कियां दोनों मजे के लिए कैंपस में प्रेमीप्रेमिका बन घूमते हैं. मातापिता को छोड़ पूरी दुनिया भले उन की अंतरंगता को जान रही हो, कैंपस से निकलते ही दोनों अपनेअपने रास्ते चल देते हैं.

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समृद्धि हैरान रह गई जब उसे सुम्मी की शादी का कार्ड मिला क्योंकि उस पर किसी और लड़के का नाम था. समृद्धि को कैंपस के वे दिन याद आ गए जब सुम्मी राकेश के साथ बाइक के पीछ बैठी घूमती रहती थी. कैंटीन हो या क्लासरूम दोनों हमेशा साथसाथ ही दिखते थे. उस की शादी में मौका देख समृद्धि ने धीरे से पूछ ही लिया कि राकेश से क्यों नहीं हो सकी शादी, तो सुम्मी ने हंसते हुए कहा, ‘‘हम तो सिर्फ दोस्त थे.’’

समृद्धि की आंखों के सामने कैंपस के उन दोनों के बहुतेरे सीन घूम गए. वह सोच में पड़ गई कि क्या वे वास्तव में सिर्फ दोस्त ही थे.

बदलते वक्त के साथ शादी के प्रति युवाओं का नजरिया भी बेहद बदला है. पहले अधिकांश लड़कियां सिर्फ शादी करने के लिए ही पढ़ाई करती थीं और शादी के बाद ज्यादा न सोचते हुए अपना घर, बच्चे इत्यादि संभालने में लग जाती थीं. पर अब वक्त के साथ यह अवधारणा बदल चुकी है.

लड़कियों की शादी की औसत उम्र बढ़ती जा रही है. अब पढ़ाई, कैरियर और सपनों को पूरा करने के बाद ही शादीब्याह का नंबर आ पाता है. पर इस चक्कर में स्वभाव और व्यवहार का वह लचीलापन खत्म होने लगता है. अपनी पसंद या नापसंदगी के प्रति दृढ़ता का भाव जागृत होने लगता है जो बढ़ती उम्र के साथ एकदूसरे के संग सामंजस्य बैठाने में बाधक बनता है. अब लड़कियां भी जोरदार तरीके से अपनी शादी पर राय जाहिर करती हैं. यह बात आज कितनों को चुभ भी जाती है.

रजत और झिलमिल की दोस्ती कई सालों से चल रही थी. दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. एक दिन अचानक रजत ने अपनी मम्मी के सामने दिल खोल दिया, ‘‘मम्मी झिलमिल में वाइफ मैटीरियल का अभाव है.’’

‘‘मतलब क्या है तुम्हारा? इतने दिनों तक साथ घूमने के बाद यह खयाल नहीं आना चाहिए, उस के प्रति अन्याय हो जाएगा.’’ रजत की मम्मी ने चौंकते हुए कहा.

‘‘मैं सच कह रहा हूं, वह सिर्फ दोस्त के रूप में अच्छी है पर एक पत्नी के रूप में मुझे वह ठीक नहीं लगती है. तुम ने कभी पापा की किसी बात को काटा है? कैसे दौड़दौड़ कर तुम उन की सेवा करती हो. क्या कभी झिलमिल से मैं ऐसी आशा कर सकता हूं? हर बात पर वह बहस करने लगेगी या बेतुके नारीवादी तर्क देने लगेगी.’’

रजत की बात सुन उस की मम्मी अचंभित रह गईं. वे उसे समझाने की कोशिश करने लगीं कि वक्त बदल गया है. वे नौकरी नहीं करती थीं और पतिसेवा उन का धर्म है की सोच के साथ उन की परवरिश हुई थी. झिलमिल आज की पढ़ीलिखी, बाहर की दुनिया से तालमेल रख कर चलने वाली लड़की है. उस की सोच परिपक्व है और वह उस के लिए बेहतर जीवनसाथी साबित होगी. परंतु रजत के दिमाग में जो पत्नी का खाका बना हुआ था, उस में अब झिलमिल फिट नहीं बैठती थी.

इस बात को 2 वर्र्ष होने को आए, शादी के प्रति रजत की अरुचि भांप झिलमिल खुद ही उस से कटने लगी और कुछ ही महीनों के अंदर उस ने अपने पापा के  द्वारा खोजे एक लड़के संग ब्याह कर घर बसा लिया. रजत आज तक वैसी लड़की खोज रहा है जो पढ़ीलिखी और स्मार्ट हो, झिलमिल की तरह, पर घर में उस की मम्मी की तरह की पत्नी बन कर रहे. हो सकता है कभी मिल भी जाए पर अब तक उस के मातापिता का बुरा हाल है, उन्हें छोटे बेटे की भी शादी करनी है.

आजकल समझदार मातापिता अपने पढ़ेलिखे बच्चों की पसंद का सम्मान और विश्वास करते हुए ज्यादा अड़चनें नहीं खड़ी करते हैं, क्योंकि वे देख रहे हैं समाज में आजकल सिर्फ लड़कियों की ही नहीं, लड़कों की शादी में भी दिक्कतें आ रही हैं. अपेक्षाओं का आसमान इतना वृहद, इतना विस्तृत होता है भावी जीवनसाथी से कि उस मापदंड पर खरा मिलनाखोजना असंभव सा हो जाता है. अपनी पसंद की शादियों में कुछ ऊंचनीच बच्चे बरदाश्त कर लेते हैं पर जब मातापिता को खोजने की जिम्मेदारी देते हैं तो साथ में अपनी पसंदनापसंद की फेहरिस्त थमा देते हैं वे.

रूबीना और आकर्ष की जोड़ी एक आदर्श जोड़ी है. एक सी सोच और मानसिकता से ही वे एकदूसरे के करीब आए थे. परंतु दोनों के घर वालों ने इस शादी के लिए इनकार कर दिया तो दोनों ही मान गए. लेकिन उन्हें बिलकुल उन्हीं गुणों से पूर्ण जीवनसाथी खोजने की जिम्मेदारी दे दी जो वे एकदूजे में पंसद करते थे. फिलहाल ब्रेकअप वाली स्थिति से दोनों गुजर रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कब उन का मनपसंद जीवनसाथी मिलेगा. जीवन की सुनहरी घडि़यां गुजर रही हैं और मातापिता नाकाम साबित हो रहे हैं परफैक्ट वरवधू की तलाश में क्योंकि रूबीना और आकर्ष को तो बिलकुल एकदूसरे जैसे ही साथी चाहिए.

आनंद और रश्मि एक ही औफिस में काम करते थे. पर रश्मि ने तेजी से तरक्की कर ली. उसे आनंद से ज्यादा बोनस मिला और एक प्रमोशन भी. जहां पहले दोनों एकदूसरे से बात करने व मिलने के बहाने ढूंढ़ते थे, अब एकदूसरे से कन्नी काटने लगे हैं.

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अवंतिका को इसी तरह समर्थ की अवहेलना और नजरअंदाजी जब नागवार गुजरने लगी तो उस ने एक दिन विभिन्न सूत्रों से पता करवाया. समर्थ को पिछले साल6 महीनों के लिए विदेश भेजा गया था, वहीं वह किसी दूसरी लड़की से दोस्ती कर उस के प्रति समर्पित हो गया था. पर अपनी 4 साल पुरानी गर्लफ्रैंड अवंतिका को वह बता नहीं पा रहा था कि अब उस की रुचि उस में नहीं है. ब्रेकअप तो हुआ पर उस का निशान शायद अवंतिका के दिल पर सदा के लिए अंकित हो गया.

जितनी आसानी से आजकल दोस्ती होती है उतनी ही तेजी से टूटती भी दिखती है. कुछ जोड़े सफलतापूर्वक दोस्ती, डेटिंग की अवस्था पार कर जीवनसाथी बन एक सफल खुशहाल जिंदगी जीते हैं, तो वहीं कई जोड़े शादी के बंधन में बंधने से पूर्व ही किन्हीं कारणों से जुदा हो जाते हैं. ऐसा नहीं है कि मातापिता हमेशा खुश ही होते हैं, जब उन के बेटे या बेटी का ब्रेकअप होता है. बल्कि ज्यादातर मांबाप दुखी होते हैं, अपने बच्चे के लिए क्योंकि वे जानते हैं कि अगले रिश्ते में भी वह पिछले का ही अक्स खोजेगा.

आसान नहीं है ब्रेकअप से उबरना. चाहे लड़का हो या लड़की, दोनों के दिल टूटते हैं. लंबे समय की डेटिंग के बाद दोनों को एकदूसरे की आदत हो जाती है. एक समय ऐसा था जब वे प्रेम में थे, तब दूसरा कोई नजर तक न आता था. तो प्रेम से विलग होने के पश्चात भी फिर कहीं और किसी से जुड़ने में बहुत वक्त भी लगता है क्योंकि आड़े आती हैं वे यादें जो दोनों ने साथसाथ जी थीं. परंतु जिंदगी रुकती नहीं है, किसी ब्रेकअप के बाद भी. शादी कर कड़वाहटभरी जिंदगी जीने से तो बेहतर है कि पहले ही अलग हो जाएं. कई बार युवा डिप्रैशन की अवस्था तक पहुंच जाते हैं, रिश्तों से विश्वास तक उठ जाता है परंतु यह कोई हल नहीं है. प्यार होना या टूटना जीवन की अवस्थाएं हैं, न कि जिंदगी.

मजबूत हो आगे की सोचनी ही होगी. ‘बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध ले.’

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