कितने ही जवान घरपरिवार से दूर रह कर नौकरी करते हैं. अपने और परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि देशप्रदेश के लिए भी. कुलदीप मेघवाल राजस्थान सशस्त्र बल में था. उसे पता नहीं था कि उस की पत्नी कविता उस के पीछे क्या गुल खिला रही है. उस के चचेरे भाई कविन उर्फ सचिन व कविता ने ऐसा षडयंत्र रचा कि…

उस रोज तारीख थी 20 सितंबर, 2019 और दिन था शुक्रवार. दोपहर का समय था. झुंझुनूं जिले के थाना पचेरी कलां के थानाप्रभारी

भरतलाल मीणा लंच कर के थाना कार्यालय में आ कर बैठे ही थे कि उन के पास निहालोठ की ढाणी से चंदन सिंह मेघवाल का फोन आया. फोन करने वाला रोते हुए कांपती आवाज में बोला, ‘‘साहब, मैं मजदूरी पर गया था और मेरी पत्नी दवा लेने नारनौल गई थी. घर में केवल मेरा बेटा कुलदीप सिंह था. उस की बीवी कविता पास के खेत में काम कर रही थी. मैं अभी घर आया तो कुलदीप बिस्तर पर खून से लथपथ मिला. किसी ने उस की हत्या कर दी है. आप जल्द आ जाइए.’’हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी उसी समय पुलिस टीम के साथ घटनास्थल निहालोठ की ढाणी के लिए रवाना हो गए. थोड़ी देर में वह घटनास्थल पर पहुंच गए. कुलदीप सिंह के घर से रोनेचीखने की आवाजें सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. सभी हैरान थे कि दिनदहाड़े आखिर घर में घुस कर कुलदीप को किस ने मार डाला.

थानाप्रभारी ने घटनास्थल का मुआयना किया. कुलदीप की लाश बिस्तर पर खून से लथपथ पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे उस ने  हत्यारे से अपना बचाव भी नहीं किया था.

इस का मतलब था कि कुलदीप सिंह नींद के आगोश में था. नींद में सोते हुए ही उसे मार डाला गया था. उस की गरदन आधी कटी थी. कमरे का सामान भी बिखरा पड़ा था. देखने से लग रहा था कि उस की हत्या लूट के कारण की गई थी. जगहजगह खून के छींटे लगे थे. ये छींटे कमरे, आंगन से बाहर खेत तक थे.

थानाप्रभारी मीणा को पता चला कि मृतक कुलदीप सिंह मेघवाल आरएसी (राजस्थान सशस्त्र बल) में ड्राइवर था. उस की ड्यूटी उदयपुर में थी. अभी वह छुट्टी पर घर आया हुआ था. उसे 23 सितंबर को अपनी ड्यूटी पर लौटना था.

मौकामुआयना करने के बाद थानाप्रभारी को लगा कि लुटेरे घर में आएं और आरएसी का जवान बिना कोई विरोध किए उन के हाथों मारा जाए, ऐसा कैसे संभव है. क्या वह नींद में था? अगर वह नींद में था तो लुटेरे माल ले कर चंपत हो जाते. उन्हें कुलदीप को मारने की क्या जरूरत थी? और अगर मान लिया जाए कि लूट के दौरान कुलदीप जाग गया होगा तो वह विरोध करने के लिए चारपाई से नीचे जरूर उतरा होगा. ऐसी हालत में उस की लुटेरों से हाथापाई हुई होगी. इस हिसाब से भी उस का शव नीचे कहीं आंगन में पड़ा होना चाहिए था.

ये भी पढ़ें- नैतिकता से परे : भाग 2

लुटेरे घर से क्याक्या सामान ले गए, इस बारे में थानाप्रभारी ने मृतक के पिता चंदन मेघवाल से बात की तो उन्होंने अलमारी वगैरह चैक कर के बताया कि केवल कुलदीप की पत्नी कविता के संदूक में रखे कुछ गहने गायब हैं. बाकी गहने वहीं रखे मिले.

थानाप्रभारी की समझ में यह बात नहीं आई कि लुटेरे सारे गहने क्यों नहीं ले गए? अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया कि कुलदीप की हत्या लूट के लिए नहीं की गई, बल्कि इस का कोई दूसरा ही कारण था.

मृतक की मां भी नारनौल से दवा ले कर घर आ गई थी. बेटे की मौत की सुन कर वह दहाड़ें मार कर रोने लगी. मृतक की बीवी कविता रोतेरोते बेहोश हो गई थी. वह गला फाड़ कर रो रही थी. थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत करा दिया.

आरएसी जवान की हत्या की खबर सुन कर झुंझुनूं के एसपी गौरव यादव, सीआई (बुहाना) देवेंद्र प्रताप सिंह, सीओ (खेतड़ी) मोहम्मद अयूब खान सहित एफएसएल की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

पुलिस अधिकारियों के पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि सुबह कुलदीप और उस की पत्नी कविता खेत में लावणी कर के कड़बी (घास) इकट्ठी कर रहे थे. दिन में करीब साढ़े 11 बजे कुलदीप खेत से घर आ गया था, जबकि उस की पत्नी कड़बी इकट्ठा कर रही थी. ससुर चंदन भी काम पर चले गए थे.

चंदन दोपहर में जब खाना खाने घर आए तो उन्हें कुलदीप की हत्या की खबर मिली. इस के बाद पति की हत्या की खबर मिलने पर कविता घर आई थी. वह छाती पीटपीट कर रो रही थी. पुलिस अधिकारी उस से कुछ पूछते तो वह रोतेरोते बेहोश हो जाती थी.

पुलिस को लग रहा था कि कुलदीप की हत्या में घर या आसपास का कोई जानकार व्यक्ति शामिल है. पुलिस ने पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की.

एसपी गौरव यादव ने जयपुर से डौग स्क्वायड की टीम बुलाई. खोजी कुत्ते को घटनास्थल पर छोड़ा गया तो वह लाश सूंघ कर सीधा बाथरूम में गया. वहां से वह 500 मीटर दूर खेत में गया. वहां से लौटने के बाद वह महिलाओं को सूंघता हुआ कविता के पास गया और उस की साड़ी का पल्लू दांतों से पकड़ लिया.

यह देख कर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. कविता की ओर इशारा करने के बाद वह घर से निकल कर एक दूसरे घर में गया. वह घर मृतक के चाचा का था. खोजी कुत्ता वहां से मृतक के चचेरे भाई कविन की पैंट उठा लाया. यह देख कर सभी आश्चर्यचकित रह गए.

खोजी कुत्ते का काम खत्म होने के बाद पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुहाना भेज दी.

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी. मृतक की पत्नी कविता और चचेरा भाई कविन पुलिस के शक के दायरे में आ चुके थे. इसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि करीब 2 महीने पहले कविन और मृतक के घर वालों के बीच झगड़ा हुआ था. उस झगड़े की वजह कविन और कविता के बीच बने अवैध संबंध थे.

कविन बुहाना में रह कर पढ़ रहा था और फिलहाल छुट्टी पर घर आया हुआ था. लेकिन कुलदीप की हत्या के बाद वह घर से गायब था. थानाप्रभारी ने हेडकांस्टेबल भीम सिंह को उस के घर की निगरानी पर लगा दिया.

कुलदीप का पोस्टमार्टम होने के बाद लाश परिजनों को सौंप दी गई. चूंकि वह राजस्थान पुलिस में था, इसलिए पुलिस की सलामी के साथ उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस के बाद पुलिस ने 21 सितंबर, 2019 को मृतक की पत्नी कविता को हिरासत में ले लिया.

ये भी पढ़ें- कन्नौज बहन की साजिश : भाग 3

थानाप्रभारी भरतलाल मीणा ने उस से कहा, ‘‘कविता, जो भी सच है बता दो, इसी में तुम्हारी भलाई है. पुलिस को पुख्ता सबूत मिल गए हैं कि कुलदीप का मर्डर किस ने किया है. हम तुम्हारे मुंह से सुनना चाहते हैं. वैसे भी कविन ने हमें सब कुछ बता ही दिया है.’’

यह सुनते ही कविता के पैरों तले से जमीन सरक गई. उस ने आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि उस ने अपने देवर प्रेमी कविन उर्फ सचिन के साथ मिल कर पति को सोते समय कुल्हाड़ी से वार कर मौत के घाट उतारा था.

उसी दिन कविन भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. केस का खुलासा होने के बाद 22 सितंबर को एसपी गौरव यादव ने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर आरोपियों को मीडिया के सामने पेश किया. इस के बाद थानाप्रभारी भरतलाल मीणा ने आरोपी कविता और कविन को कोर्ट में पेश कर 3 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि में अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ की गई. पुलिस ने कविता के घर के बाथरूम के ऊपर एक कपड़े में लपेट कर छिपाए गए गहने भी बरामद कर लिए. उस के ही घर के सोफे के नीचे से वह कुल्हाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली, जिस से कुलदीप की हत्या की गई थी.

हत्या के बाद कविता ने कुल्हाड़ी बाथरूम में ले जा कर धो दी थी. दोनों ने हत्या के समय जो कपड़े पहने थे, वह भी पुलिस ने बरामद कर लिए. खून सने कपड़े उन्होंने धो दिए थे. दोनों से की गई पूछताछ में कुलदीप सिंह मेघवाल की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

राजस्थान के जिला झुंझुनू के थाना पचेरी कलां के अंतर्गत गांव है निहालोठ की ढाणी. इसी गांव में चंदन सिंह मेघवाल का परिवार रह रहा था. चंदन सिंह के पास थोड़ी सी खेती की जमीन थी, इसलिए घर खर्च चलाने के लिए वह दूसरों के यहां भी खेती का काम कर लेता था.

उस के परिवार में पत्नी के अलावा 4 बेटे व एक बेटी थी. उस का एक बेटा कुलदीप सिंह आरएसी में ड्राइवर के पद पर नौकरी करता था. कुलदीप की तैनाती 9वीं बटालियन उदयपुर में थी. कुलदीप का छोटा भाई लोकेश मेघवाल भी राजस्थान पुलिस में था. इस के अलावा उस की एकलौती बहन छोटू बाला भी राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल है जो इन दिनों अलवर में तैनात है.

कुलदीप की शादी जून 2017 में हरियाणा की खातोली निवासी कविता से हुई थी. कुलदीप की आरएसी में नौकरी की वजह से कम छुट्टियां मिलती थीं. फिर भी कुलदीप और कविता की खुशहाल जिंदगी थी. मगर इस खुशहाल जिंदगी में राहु बन कर आया कविन उर्फ सचिन मेघवाल. वह कुलदीप के सगे चाचा राम मेघवाल का बेटा था. कविन इन दिनों बुहाना के एक निजी कालेज में बीए प्रथम वर्ष में पढ़ रहा था.

वह बुहाना में भी रहता था और सप्ताह के अंत में अपने घर निहालोठ की ढाणी आता था. कविता और कविन हमउम्र थे. कुलदीप ड्यूटी पर रहता था जबकि उस की बीवी गांव में सासससुर के साथ रहती थी. सासससुर घर पर नहीं होते तो कविन अकसर कविता के घर पहुंच जाता. वह मीठीमीठी बातें कर कविता के रूपसौंदर्य की प्रशंसा कर के उसे रिझाने की कोशिश में लगा रहता था.

ये भी पढ़ें- जिस्म की खातिर किया इश्क

कविता भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी. जनवरी 2019 की बात है. कविता घर पर अकेली थी. उसी समय कविन उस के घर आ गया. उस समय कविता नहाधो कर कमरे में बैठी बाल सुखा रही थी.

अगले भाग में पढ़ें- मैं तुम्हें बेइंतहा प्यार दूंगा. तुम्हें हर खुशी दूंगा. 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...