कन्नौज बहन की साजिश : भाग 1

कन्नौज बहन की साजिश : भाग 2

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लेकिन खैरनगर नहर पुल पर उस के कोई परिचित मिल गए. उन का कोई जरूरी काम था, जिस की वजह से वह उन्हीं के साथ चला गया था. यह बात उसे पिंकी ने बताई थी. उस की हत्या किस ने और क्यों कर दी, उसे जानकारी नहीं है.

पिंकी से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि उसे कई रोज से बुखार था. भैया आज सुबह 5 बजे उसे दवा दिलाने उमर्दा के लिए निकले थे. हम दोनों जब खैरनगर पुल पर पहुंचे तो भैया के 2 परिचित मिल गए. उन में एक तो भैया की उम्र का था, जबकि दूसरा 40-42 साल का था.

भैया उसे चाचा कह कर बतिया रहे थे. वह उन दोनों को पहचानती नहीं है. उन दोनों को भैया की मदद की जरूरत थी, इसलिए भैया ने उस से कहा कि दवा शाम को दिला देंगे. इस के बाद वह उसे गांव के बाहर छोड़ कर उन दोनों के साथ चले गए. भैया की हत्या किस ने की, उसे पता नहीं.

लायक सिंह और उस की बेटी पिंकी से पूछताछ के बाद सीओ सुबोध कुमार जायसवाल ने वहां मौजूद अन्य लोगों से भी बात की, लेकिन हत्यारों के बारे में कोई सुराग नहीं लगा. इस के बाद पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के सरकारी अस्पताल भेज दी. थानाप्रभारी ने लायक सिंह की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करा लिया और जांच शुरू कर दी.

थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा ने बलराम यादव के हत्यारों की टोह में ताबड़तोड़ दबिशें दे कर पुराने कई अपराधियों को हिरासत में लिया. उन से कड़ाई से पूछताछ की, लेकिन न तो हत्या का रहस्य खुला और न ही हत्यारे पकड़ में आए. बलराम हत्याकांड अखबारों में छाया हुआ था, जिस से पुलिस अधिकारी भी परेशान थे.

जब 3 दिन बीत जाने के बाद भी बलराम हत्याकांड का खुलासा नहीं हुआ तो एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने एएसपी विनोद कुमार की देखरेख में खुलासे के लिए एक विशेष टीम का गठन किया. इस टीम में ठठिया थानाप्रभारी विजय बहादुर वर्मा, सीओ (तिर्वा) सुबोध कुमार जायसवाल, स्वाट टीम प्रभारी राकेश कुमार तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

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टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखा समझा. रिपोर्ट के मुताबिक मृतक के शरीर पर 18 घाव पाए गए थे. बलराम की मौत अधिक खून बहने, आंतों के जख्मी होने तथा गले की नस कटने से हुई थी. स्पष्ट था कि हत्यारे बलराम से बहुत ज्यादा नफरत करते थे.

पुलिस टीम ने इस बारे में लायक सिंह से पूछताछ की तो उस ने परिवार के ही एक युवक पर शक जताया. पुलिस ने उस युवक को हिरासत में ले लिया और 2 दिनों तक कड़ाई से पूछताछ की. उस युवक ने जब खुद को फंसता देखा तो उस ने चौंकाने वाली बात बताई.

उस ने पुलिस टीम को जानकारी दी कि बलराम की हत्या का रहस्य उस की बहन सावित्री उर्फ पिंकी के पेट में छिपा है. यदि उस पर सख्ती की जाए तो वह हत्या का परदाफाश कर सकती है.

उस की बात पुलिस टीम को हजम तो नहीं हुई, फिर भी पूछा, ‘‘भला बहन अपने सगे भाई के कत्ल में कैसे शामिल हो सकती है. और फिर वह तो अभी कुल 16 साल की लड़की है.’’

‘‘नहीं सर, आप उस की मासूमियत पर मत जाइए,’’ उस युवक ने अपनी बात मजबूती से कही.

‘‘तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि पिंकी गुनहगार है?’’ पुलिस ने पूछा.

‘‘सर, पिंकी के घर पर कुछ दिन तक जेसीबी चालक प्रदीप यादव रहा था और उसी के घर में खातापीता था. इसी दौरान उस ने पिंकी को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. पिंकी भी उस की दीवानी बन गई, जिस के चलते दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

‘‘दोनों के संबंधों की जानकारी पिंकी के भाई बलराम को हुई तो उस ने प्रदीप को अपमानित कर घर से भगा दिया. लेकिन घर से भगाए जाने के बावजूद पिंकी और प्रदीप के संबंध खत्म नहीं हुए थे.

‘‘प्रदीप व पिंकी हर रोज फोन पर संपर्क में रहते थे. प्रदीप ने ही पिंकी को मोबाइल खरीद कर दिया था. चूंकि बलराम दोनों के प्यार में बाधक था, इसलिए पिंकी और प्रदीप ने ही बलराम को ठिकाने लगाया होगा.’’

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उस युवक ने बलराम की हत्या का जो कारण बताया, वह पुलिस टीम को इसलिए ठीक लगा क्योंकि ऐसा संभव था. अभी तक पुलिस टीम विपरीत दिशा में जांच में जुटी थी, लेकिन अब जांच की दिशा प्रेम संबंधों में उलझ गई.

16 वर्षीया सावित्री उर्फ पिंकी यादव पुलिस टीम के रेडार पर आई तो पुलिस ने उस से फिर से पूछताछ की. लेकिन पिंकी ने अपना पुराना बयान ही दोहरा दिया. इस बीच पुलिस टीम ने बहाने से पिंकी का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया था.

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