बीसीसीआई की सिलेक्टर्स कमेटी के चेयरमैन पोस्ट से हटते ही संदीप पाटिल ने दो बड़े खुलासे किए हैं. पहला, 'अगर सचिन तेंदुलकर रिटायरमेंट का एलान नहीं करते तो हम उन्हें ड्रॉप कर देते'. दूसरा, 'कई मौकों पर हमने महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी से हटाने के बारे में बात की थी, पर धोनी का टेस्ट से रिटायरमेंट लेना शॉकिंग था'.

सचिन के रिटायरमेंट को लेकर संदीप पाटिल ने क्या कहा

पाटिल ने कहा '12 दिसंबर 2012 को हम (सिलेक्टर्स) नागपुर में सचिन से मिले और उनके फ्यूचर प्लान के बारे में पूछा'. हालांकि हम सिलेक्टर्स के बीच सचिन के रिटायरमेंट को लेकर एक आम सहमति बन गई थी. बोर्ड को भी इस बारे में बता दिया गया था.

शायद सचिन यह बात समझ गए थे और अगली बैठक में ही उन्होंने कहा कि वो वनडे से रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे हैं. अगर सचिन रिटायरमेंट का फैसला नहीं लेते तो हम उन्हें जरूर टीम से निकाल देते.

बता दें कि दिसंबर 2012 में सचिन ने वनडे क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया था.

सचिन के रिटायरमेंट पर पहले भी बोल चुके हैं पाटिल

पहली बार सवाल पर वे चुप रहे. दूसरी बार भी जब यही पूछा गया तो बोले, ''हमने सचिन पर रिटायरमेंट लेने का दबाव बनाया या नहीं, यह सीक्रेट ही रहे तो बेहतर है.

हम सिलेक्टर्स सिर्फ बीसीसीआई के प्रति ही जवाबदार हैं. मीडिया हमसे कुछ उगलवा नहीं सकेगा.

सचिन ने टेस्ट से कब लिया था रिटायरमेंट

सचिन 16 नवंबर, 2013 को आखिरी बार इंटरनेशनल मैच के लिए मैदान पर थे. मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सचिन ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेला. इसमें उन्होंने 74 रन बनाए थे. इससे पहले जनवरी 2011 से सचिन ने टेस्ट में कोई सेन्चुरी नहीं बनाई थी.

करियर के आखिरी दो साल में 19 टेस्ट में सचिन ने 31.86 के एवरेज से 956 रन बनाए थे.

शिखर, विराट, रोहित और पुजारा जैसे खिलाड़ियों के टीम में जगह बनाने से सचिन के बैटिंग ऑर्डर पर भी सवाल उठे थे.

धोनी का टेस्ट से रिटायरमेंट हमारे लिए शॉकिंग था

सचिन के अलावा पाटिल ने धोनी को लेकर भी खुलासा किया. उन्होंने कहा कि हम उन्हें कप्तानी से हटाने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन उस वक्त 2015 का वर्ल्ड कप सामने था इसीलिए हमने कोई फैसला नहीं लिया.

हालांकि, पाटिल ने कहा, 'टेस्ट टीम से धोनी का रिटायरमेंट लेना हमारे लिए शॉकिंग था.'

संदीप पाटिल ने इसके साथ ही यह भी साफ किया कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि गौतम गंभीर और युवराज सिंह जैसे सीनियर खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने में धोनी का हाथ था.

पाटिल ने कहा, "बेशक हमने इस पर (धोनी को कप्तानी से हटाने पर) संक्षिप्त चर्चा की थी, लेकिन हमने सोचा कि इसके लिए समय सही नहीं है, क्योंकि विश्व कप (2015) पास में है…" उन्होंने कहा, "हमें महसूस हुआ कि नए कप्तान को कुछ समय दिया जाना चाहिए. विश्वकप को ध्यान में रखते हुए हमने धोनी को कप्तान बनाए रखा. मेरा मानना है कि विराट को सही समय पर कप्तानी मिली. विराट छोटे प्रारूपों में भी टीम की अगुवाई कर सकता है, लेकिन अब इसका फैसला नई चयनसमिति को करना होगा."

संदीप पाटिल ने महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के फैसले को हैरान करने वाला बताया, क्योंकि टीम तब ऑस्ट्रेलिया में जूझ रही थी. उन्होंने कहा, "वह कड़ी श्रृंखला थी. मैं यह नहीं कहूंगा कि धोनी एक डूबते जहाज के कप्तान थे, लेकिन चीजें हमारे अनुकूल नहीं हो रही थीं. ऐसे में हमारा एक सीनियर खिलाड़ी संन्यास लेने का फैसला करता है. यह हैरान करने वाला था, लेकिन आखिर में यह उनका (धोनी का) निजी फैसला था."

जब संदीप पाटिल से धोनी और विराट कोहली की कप्तानी की तुलना करने के लिए कहा गया, तो उनका जवाब था कि दोनों एक दूसरे से बेहद अलग हैं. उन्होंने कहा, "उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव. हर कप्तान की इच्छा होती है कि वह अपनी ही तरह की टीम बनाए, और वह अपने खिलाड़ियों की क्षमताओं को जानता है. विराट को 'एंग्री यंगमैन' के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनकी उग्रता नियंत्रित है. धोनी शांत रहते हैं, लेकिन हमेशा अपने मन की बात कह देते हैं. मुझे धोनी के युवराज और गंभीर के साथ संबंधों को लेकर छपने वाली खबरें पढ़कर निराशा होती है. धोनी ने कभी उनके चयन का विरोध नहीं किया."

संदीप पाटिल ने कहा, "उन्हें (गंभीर और युवराज को) टीम से बाहर करने का फैसला पूरी तरह से चयनकर्ताओं का था तथा धोनी ने गंभीर और युवराज को बाहर करने को लेकर कोई बात नहीं की. दोनों कप्तानों ने कभी किसी खिलाड़ी का विरोध नहीं किया."

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