आज इस आधुनिक दौर में समाज कल्याण के कामों को करते हुए एक अच्छा-खासा करियर बनाया जा सकता है. इस क्षेत्र से जुड़ कर आप समाज की सेवा करते हुए  पैसा कमाते हैं. कभी समाज सेवा का कार्य निस्वार्थ और बिना किसी लाभ के किया जाता था, लेकिन बदलते समय और सामाजिक जरूरतों ने आज इसे बकायदा एक प्रोफेशन बना दिया है.  यह क्षेत्र आज एक विशिष्ट प्रोफेशन का रूप ले लिया है. यही कारण है कि हर उम्र और सामाजिक वर्गो से संबंधित लोग इससे जुड़ रहे हैं . तो आइए सोशल वर्क में  जुडी सभी बातों से  आपको अवगत कराते  हैं –

अगर आपके अन्दर सामाजिक न्याय, समाज के उपेक्षित वर्ग को मुख्यधारा में शामिल करने, दलित, वंचित लोगों के जीवन स्तर में उत्थान के प्रयास करने तथा समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को उनकी क्षमताओं के अनुसार विकसित होने के लिए मार्ग प्रशस्त करने की इच्छा है, तो यह क्षेत्र  आपके करियर के लिए उतम है. इस क्षेत्र से जुड़ कर कोई भी व्यक्ति सामाजिक कार्य करता है,  समाज निर्माण के साथ  अपने सुनहरे कल का निर्माण करते हुए आत्मसंतुष्टि  महसूस करता है .

समय के साथ सोशल वर्क का विस्तार तेजी से हो रहा है, इस क्षेत्र में भी अब अन्य क्षेत्रो के तरह  ट्रेंड लोगों की जरूरत पड़ने लगी है. इसी कारणवश अब तमाम तरह के ट्रेनिंग कोर्स और पाठ्यक्रम अस्तित्व में आ गए हैं. ये सभी कोर्स समाज से जुड़ी बुनियादी बातों पर बारीकी से प्रकाश डालते हुए, सामाजिक  कार्यो के लिए एक सही मापदंड के अनुसार उच्च योग्यता वाले व्यक्ति का निर्माण करता है. जो आगे चल कर सभी सामाजिक कार्यो को बखूबी अंजाम दे सके. आज तमाम विश्वविद्यालयों व संस्थानों में समाज कार्य को एक पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जा रहा है. इस पाठ्यक्रम को करने के बाद असहायों की सेवा और करियर का मेवा दोनों ही अभ्यर्थियों को एक साथ मिल जाते हैं. अगर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए , तो यह एक ऐसा पाठ्यक्रम है ,  जिसे करने के बाद आप भविष्य निर्माण के साथ-साथ आत्मसंतुष्टि भी पा सकते हैं.

कोर्स –  समाज कार्य के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के कोर्स कर सकते हैं – बारहवी बाद आप  तीन वर्षीय बैचलर इन सोशल वर्क कर के इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं  और  बैचलर के बाद आप  मास्टर औफ सोशल वर्क कर इस क्षेत्र में प्रवेश कर पते है. इसके अलावा, कई संस्थान इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स भी संचालित कर रहे हैं.  इन  कोर्सो में  सामाजिक कार्यों का परिचय, समाज का परिचय, मानव का विकास व उसके व्यक्तित्व का विकास, समाज का विकास व समाज कार्य और समाज कार्यों से संबंधित क्षेत्रों में समाज कार्य की भूमिका से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया जाता है.  इतना ही नहीं , विद्यार्थियों  को  इस क्षेत्र  का  व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है.

विभिन्न कोर्स

सर्टिफिकेट  इन  सोशल वर्क
बैचलर  औफ  सोशल साइंस
मास्टर  औफ  सोशल वर्क
एमफिल (सोशल वर्क)
मास्टर औफ  लेबर वेलफेयर
पीएचडी (सोशल वर्क)

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व्यक्तिगत गुण – आप यदि इस प्रोफेशन को अपनाना चाहते हैं तो आपमें समर्पण की भावना,मानवीय व्यवहार, समाज और व्यवस्था की आधारभूत जानकारी, सहकर्मियों से अच्छा तालमेल, भावनात्मक स्तर पर परिपक्व, तर्कसंगत और संवेदनशील, अच्छे श्रोता और काउंसलिंग स्किल्स होनी चाहिए. सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक हो, मानसिक रूप से सुदृढ़ होना चाहिए. अपनी क्षमताओं  के निरंतर विकास के लिए संबंधित कार्य क्षेत्र की अद्यतन जानकारियों से अवगत रहना भी जरूरी है.

शैक्षिक योग्यता –  इस क्षेत्र के विभिन्न कोर्सो के लिए शैक्षिक योग्यता अलग अलग है, सोशल वर्क से स्नातक  के लिए किसी भी विषय से 12 वी या इसके समकक्ष परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक के साथ उतीर्ण होना आवश्यक होता है, वही पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए किसी विषय से 50 प्रतिशत अंक से ग्रेजुएट होना आवश्यक होता है. कई अन्य कोर्सो की शैक्षिक योग्यता कोर्स के आनुसार होता है  .

प्रवेश परीक्षा – आमतौर पर डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री स्तर के कोर्सेज में सीमित सीटें होने के कारण चयन परीक्षा के आधार पर नामी संस्थानों में दाखिले दिए जाते हैं. इस चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा के अतिरिक्त इंटरव्यू का भी प्रावधान होता है. लिखित परीक्षा में प्रत्याशियों की मेंटल एबिलिटी और जनरल अवेयरनेस की भी जांच की जाती है.

अवसर – इस क्षेत्र में रोजगार  के अनेको अवसरों  उपलब्ध  है . सरकारी क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के समाज कल्याण विभागों, सामुदायिक विकास के कार्यों, जनकल्याण के कार्यक्रमों, ग्रामीण विकास संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन, स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचार-प्रसार, शिक्षा संबंधी विशिष्ट कार्यों में  इस क्षेत्र के  युवाओ को अवसर मिलता  हैं.  वही  गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के संगठन शामिल हैं, इनमे भी रोजगार के कई अवसर  हमेशा उपलब्ध रहता है .  इस क्षेत्र  से जुड़ कर आप  सोशल सर्विस वर्कर , सोशल ग्रुप वर्कर ,  स्कूल काउंसलर , रिसर्च एनालिस्ट , सायकिएट्रिक सोशल वर्कर , इंडस्ट्रियल सोशल वर्कर , फैमिली काउंसलर , चाइल्ड वेलफेयर वर्कर , इंटरनेशनल सोशल वर्कर और   मेडिकल सोशल वर्कर के रूप में काम कर सकते है .  बेचलर्स डिग्री इन सोशल वर्क के बाद ही करियर की शुरुआत की जा सकती है. प्रारंभिक स्तर पर अनुबंध आधार पर रोजगार के अवसर मिलते हैं. एम एस डब्ल्यू या मास्टर्स डिग्री इन सोशल वर्क के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ और सरकारी समाज कल्याण विभागों में रोजगार मिल सकते हैं. इतना ही नहीं, स्वतंत्र रूप से अपना अलग एनजीओ भी इस क्रम में पंजीकृत कर प्रारंभ किया जा सकता है.

रोजगार की संभावनाएं –  समाज सेवा से जुड़ा यह क्षेत्र रोजगार की अनेको संभावनाओ से भरी हुई है , इस क्षेत्र से जुड़े युवाओ को  सरकारी और गैर सरकारी, दोनों ही क्षेत्रों में  रोजगार  मिलने की अनेको संभावनाएं  हैं .  करियर विशेषज्ञों की माने तो इस क्षेत्र में रोजगार मिलना लगभग तय होता है. तमाम वेलफेयर एसोसिएशन , स्वयंसेवी संस्थाओं , स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वाले संस्थान , र्वल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन और यूनिसेफ आदि में रोजगार की काफी संभावनाएं हैं . सरकारी क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के समाज कल्याण विभागों, सामुदायिक विकास के कार्यों, जनकल्याण के कार्यक्रमों, ग्रामीण विकास संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन, स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचार-प्रसार, शिक्षा संबंधी विशिष्ट कार्यों में इनकी सेवाएं ली जाती हैं.

स्वरोजगार – इस क्षेत्र में पढाई पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति निजी प्रयास व सरकारी अनुदान से अपनी खुद की स्वयंसेवी संस्था बना सकता  है. इस तरह वह स्वरोजगार के साथ-साथ अन्य लोगों को रोजगार भी प्रदान कर सकता है. आज  कल  समाज  के हर काम को पूरा करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं ( एनजीओ) की मदद ली जा रही है , मौजूदा समय में  स्वयंसेवी संस्थाओं ( एनजीओ) की  भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है .  समाज कार्य का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं  है , जिसमें स्वयंसेवी संस्थाओं ( एनजीओ) ने अपना योगदान नहीं दिया हो. देश के तकरीबन आधा से अधिक सामाजिक कार्यो को धरातल तक स्वयंसेवी संस्थाए ही पूरा कर रही है.

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वेतन – अगर इस क्षेत्र में शुरुआती स्तर पर 8 से 12 हजार रुपएप्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं. थोड़े अनुभव के बाद आप 15 से 25 हजार रुपए प्रतिमाह कमा सकते हैं.  फिर जैसे -जैसे इस क्षेत्र में कार्यरत लोगो का अनुभव बढ़ता है, वैसे-वैसे उनका वेतन भी बढ़ता है,  कुछ समय बाद  उन्हें एक  सम्मानजनक वेतन मिलने लगता है1फ्रेशर के रूप में 10 से 20 हजार रुपये तक प्रति माह सैलरी मिल सकती है. अनुभव होने के बाद सैलरी 20 हजार से एक लाख रुपये तक पहुंच सकती है.

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