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नीतू ने जुर्म कबूला तो एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह व सीओ इंद्रप्रभा ने थाना रसूलपुर में संयुक्त प्रैस कौन्फ्रैंस की. पुलिस ने हत्यारोपी नीतू यादव को मीडिया के समक्ष पेश कर मासूम बच्चे लौकिक उर्फ कृष्णा की हत्या का खुलासा कर दिया.

चूंकि नीतू ने लौकिक की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी बी.डी. पांडेय ने भादंवि की धारा 363, 302, 201 के तहत नीतू यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी. पुलिस जांच में विवेकशून्य ताई के अक्षम्य अपराध की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के थाना रसूलपुर के क्षेत्र में एक गांव है बड़ा लालपुर. यादव बाहुल्य इस गांव में महेश कुमार, सत्येंद्र कुमार तथा कुलदीप 3 भाई रहते थे.

भाइयों में सब से बड़ा महेश था. पढ़लिख कर जब वह जवान हुआ तो उस ने घर की माली हालत सुधारने के लिए प्रयास तेज कर दिए. वह तेज दिमाग का था. वह कोई ऐसा धंधा करना चाहता था, जिस में आमदनी अच्छी हो. उस ने इस बारे अपने मित्रों से सलाहमशविरा किया तो उन्होंने शराब ठेका चलाने की सलाह दी.

पर शराब का ठेका मिलना आसान नहीं था. ठेका बोली में अच्छीखासी पूंजी भी लगानी थी. लेकिन महेश ने हिम्मत नहीं हारी. उस ने ठान लिया कि वह ठेका हासिल कर के ही दम लेगा.

महेश ने एक ओर पूंजी जुटाई तो दूसरी ओर आबकारी विभाग के अधिकारियों से संपर्क बनाया. पूरी गोटियां बिछाने के बाद आखिर नीलामी में उसे शराब का ठेका मिल ही गया.

महेश ने अपने गांव से कुछ दूरी पर जमालपुर में शराब बिक्री का काम शुरू किया. गांव में देशी शराब की बिक्री खूब होती है, अत: महेश के ठेके पर भी खूब बिक्री होने लगी. महेश ने अपने भाई सत्येंद्र व कुलदीप को भी ठेके के काम पर लगा लिया था. सत्येंद्र ठेके पर सेल्समैन के रूप में काम करता था. कुलदीप कभी काउंटर पर बैठता था तो कभी अन्य व्यवस्थाएं देखता था.

शराब ठेके से महेश की आमदनी बढ़ी तो वह ठाठबाट से रहने लगा. उस का विवाह नीतू से हुआ था. शादी के बाद महेश ने दुर्गामाता मंदिर के पास 2 मंजिला मकान बनवा लिया था, जबकि सत्येंद्र व कुलदीप पुराने वाले मकान में रहते थे.

कालांतर में नीतू 2 बेटियों रीतू, गार्गी की मां बनी. नीतू के दोनों बच्चे खूबसूरत थे. महेश व नीतू उन्हें भरपूर प्यार करते थे और किसी भी चीज की कमी का अहसास नहीं होने देते थे.

महेश से छोटा सत्येंद्र था. सत्येंद्र का विवाह शशि के साथ हुआ था. शशि अपनी जेठानी नीतू से भी ज्यादा खूबसूरत थी. वह व्यवहारकुशल तथा घरेलू काम में भी निपुण थी. शादी के 3 साल बाद शशि ने एक खूबसूरत बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने कन्हैया रखा.

कन्हैया के जन्म से सत्येंद्र के घर में खुशियों की बहार आ गई. कन्हैया के जन्म के 2 साल बाद शशि ने एक और बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने लौकिक रखा. प्यार से लौकिक को वह कृष्णा कह कर बुलाती थी. कृष्णा और कन्हैया दोनों ही नटखट और मनमोहक बालक थे.

कृष्णा-कन्हैया का ताऊ महेश भी दोनों को खूब प्यार करता था. महेश भले ही निर्मल मन का था, लेकिन उस की पत्नी नीतू के मन में मैल था. वह दिखावे के तौर पर कृष्णा-कन्हैया से प्यार करती थी, पर अंदर ही अंदर जलती थी. दरअसल, उस के मन में सदैव इस बात की टीस रहती थी कि उस की देवरानी शशि के 2 बेटे हैं, जबकि उस की केवल 2 बेटियां हैं.

नीतू को इस बात का भी मलाल था कि परिवार की बुजुर्ग महिलाएं देवरानी शशि की खूबसूरती और अच्छे बर्ताव का बखान करती हैं, जबकि उसे देख कर मुंह फेर लेती हैं.

नीतू और शशि की आर्थिक स्थिति में जमीनआसमान का अंतर था. नीतू का पति महेश शराब ठेकेदार था. उस की आमदनी अच्छी थी. जबकि शशि का पति सत्येंद्र उस के ठेके पर सेल्समैन था. उसे सीमित पैसा मिलता था. शशि सीमित आमदनी में भी खुश रहती थी, जबकि उस की जेठानी नीतू अच्छी आमदनी के बावजूद परेशान रहती थी.

हालांकि नीतू पैसे के घमंड में शशि पर रौब गांठती रहती थी और यह अहसास दिलाती रहती थी कि उस के पति के रहमोकरम पर ही उस के परिवार का भरणपोषण होता है. नीतू शशि को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं गंवाती थी.

शशि का बड़ा बेटा कन्हैया अब तक 4 साल का तथा छोटा लौकिक उर्फ कृष्णा 2 साल का हो गया था. कृष्णा तेज कदमों से दौड़ने लगा था. बातें भी करने लगा था. अब वह अपनी ताई नीतू के घर भी पहुंचने लगा था.

नीतू की बड़ी बेटी रितु तो हरिद्वार में पढ़ती थी किंतु छोटी बेटी 10 वर्षीय गार्गी कृष्णा को बहुत प्यार करती थी. वह उस से खूब हंसतीबतियाती थी.

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लेकिन 3 सितंबर, 2019 को गार्गी से कृष्णा का साथ सदा के लिए छूट गया. हुआ यह कि गार्गी सुबह 10 बजे घर से कुछ दूर गोबर लेने गई थी. वहां उस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. शायद उसे किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया था. गार्गी की मौत से घर में कोहराम मच गया.

गार्गी की मौत को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता था कि कृष्णा का जन्मदिन आ गया. 10 सितंबर को कृष्णा का जन्मदिन था. शशि हर साल बच्चों का जन्मदिन धूमधाम से मनाती थी.

10 सितंबर को वह कृष्णा का बर्थडे भी धूमधाम से मनाना चाहती थी. इस की जानकारी शशि की जेठानी नीतू को हुई तो उस ने इस बारे में शशि से बात कर के कहा कि इस साल धूमधाम से कृष्णा का जन्मदिन न मनाए. लेकिन शशि नहीं मानी और ताना मारा, ‘‘कोई मरे या जिए, हमें इस से कोई वास्ता नहीं. हम तो अपने कृष्णा का जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाएंगे.’’

शशि ने जैसा कहा था, उस ने वैसा ही किया. 10 सितंबर को उस ने कृष्णा का जन्मदिन खूब धूमधाम से मनाया. उस ने घरपरिवार के लोगों को खाना खिलाया. लेकिन नीतू कृष्णा के जन्मदिन की खुशी में शामिल नहीं हुई. वह देवरानी शशि के तानों से विचलित हो उठी.

आखिर उस ने निश्चय किया कि वह शशि को ऐसा जख्म देगी, जिस से वह खून के आंसू रोएगी और उस का जख्म जिंदगी भर नहीं भरेगा. शशि को जख्म देने के लिए उस ने जो रास्ता चुना, वह कलेजे को चीर देने वाला था. यह रास्ता था कृष्णा की मौत.

नीतू का पति महेश अपने व्यवसाय में व्यस्त रहता था. इसलिए उसे पता ही नहीं चला कि उस की पत्नी के मन में क्या चल रहा है. वह क्या षडयंत्र रचने वाली है, नीतू ने स्वयं भी पति को अंधेरे में रखा और कुछ नहीं बताया.

16 सितंबर, 2019 की शाम 5 बजे लौकिक उर्फ कृष्णा अपने घर के बाहर खेल रहा था, तभी नीतू की निगाह कृष्णा पर पड़ी.

उस ने इशारे से कृष्णा को बुलाया और फिर घर के अंदर ले गई. इस के बाद नीतू ने मुख्य दरवाजा बंद किया और कृष्णा को दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे में ले गई.

वहां उस ने कृष्णा को पटक कर दोनों हाथों से गला दबा कर उसे मार डाला. हत्या के बाद कमरे में ही शव पर पत्थर रख कर दबा दिया और ऊपर से कपड़ा डाल कर ढक दिया. फिर कमरे में ताला लगा कर भूतल पर आ गई.

इधर शशि घरेलू काम में व्यस्त थी. उसे जब फुरसत मिली तो उसे कृष्णा की याद आई. उस ने कृष्णा को घर में खोजा तो वह दिखाई नहीं पड़ा.

इस के बाद शशि ने कृष्णा की तलाश पासपड़ोस में की, लेकिन वह कहीं नहीं दिखा. सभी जगह खोजने के बाद भी जब वह नहीं मिला तो उस ने पति को सूचना दी.

उधर नीतू अपने घर में 2 दिन तक मासूम कृष्णा के शव को दबाए रही. जब शव से बदबू आने लगी तो पकडे़ जाने के डर से उस ने 18 सितंबर की रात 10 बजे कृष्णा के शव को खिड़की से नीचे फेंक दिया.

उस के बाद घर के पिछवाड़े आ कर शव को मिट्टी से ढक दिया. कमरे में फैली दुर्गंध को उस ने खिड़की खोल कर निकालने का प्रयास किया, लेकिन इस काम में वह पूरी तरह से सफल न हो सकी. आखिर पुलिस की खोजी कुतिया ने हत्या का सुराग दे दिया.

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पुलिस ने नीतू से पूछताछ के बाद 20 सितंबर, 2019 को उसे फिरोजाबाद कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. नीतू के इस जघन्य कृत्य से उस का पति महेश बेहद शर्मिंदा है.

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