जयपुर में पुलिस की ढिलाई से चेन खींचने वाले गिरोहों की भरमार हो गई है. तकरीबन 15 साल पहले शहर में चेन खींचने की वारदातें करने वाले इंदर सिंधी और विनोद लांबा के 2 गिरोह थे, लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस की कड़ी कार्यवाही की कमी के चलते सरेराह चेन खींचने वालों की तादाद लगातार बढ़ती ही गई. इस के चलते शहर में आज 2 दर्जन से ज्यादा चेन खींचने वाले गिरोह बन गए हैं. यही वजह है कि महज पिछले 5 महीनों में ही चेन खींचने वाले 60 से ज्यादा वारदातें कर शहर से तकरीबन 60 लाख रुपए की कीमत की चेन लूट ले गए हैं. चेन खींचने की लगातार बढ़ती वारदातों को देखते हुए पिछले दिनों पुलिस कमिश्नर खुद गश्त पर निकले, लेकिन गश्त ढीली पड़ने के साथ ही चेन खींचने वाले गिरोह फिर से हरकत में आ जाते हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया कि तकरीबन 15 साल पहले शहर में केवल इंदर सिंधी और विनोद लांबा के गिरोह ही इस तरह की वारदातों को अंजाम देते थे. हर वारदात के बाद पुलिस इन दोनों शातिर गिरोह की लोकेशन को ही सब से पहले ट्रेस किया करती थी.
इस के बाद खानाबदोश परिवारों के कुछ नौजवान शहर में चेन तोड़ने लगे, लेकिन पुलिस की ढिलाई और अनदेखी के चलते आज शहर की गलीगली में चेन खींचने वाले गिरोह बन गए हैं और ऐसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.
लगाते चोरी की धारा
सूत्रों ने बताया कि ऐसे गिरोह खड़े होने के पीछे पुलिस का काम करने का तरीका बड़ी वजह है. पुलिस ने अपना रिकौर्ड अच्छा रखने के चक्कर में चेन खींचने की वारदातों को लूट की धाराओं में दर्ज करने के बजाय चोरी की धाराओं में ही दर्ज करने का सिस्टम बना लिया है. शिकार लोग फौजदारी धाराओं के इस खेल को इतना समझते नहीं हैं. इस वजह से चेन तोड़ने का अपराध ज्यादा आसान लगने लग गया है. दूसरे अपराधों से जुड़े कई अपराधी भी इस के चलते चेन खींचने वाले अपराधी बन गए हैं. इस के अलावा आदतन चेन खींचने को चोरी की धारा के चलते जमानत मिलने में आसानी हो गई है. जमानत पर जेल से बाहर आने के साथ ही ये अपराधी फिर से अपने धंधे में जुट जाते हैं.
नाकाम रहती है नाकाबंदी
चैन खींचने वाले शातिर हर वारदात से पहले इलाके की रेकी कर के ही इस को अंजाम देते हैं. फिर वे अपने शिकार को टारगेट करते हैं. मसलन, कोई औरत रोज मंदिर जाती है, तो उस के आनेजाने का समय नोट किया जाता है. साथ ही, उस के साथ जाने वाले लोग कहां तक उस के साथ जाते हैं, इसे भी ध्यान में रखा जाता है. चेन तोड़ने वाले गिरोहों द्वारा वारदात करने से पहले एक रूपरेखा तैयार की जाती है कि चेन किस जगह से तोड़नी है और वहां से निकलने के लिए किस रास्ते से वे आसानी से भागने में कामयाब हो सकते हैं. यही वजह है कि वारदात के बाद पुलिस नाकाबंदी के दौरान आज तक एक भी चेन खींचने वाला नहीं पकड़ा गया है. इस के पीछे पुलिस की लापरवाही को ही खास वजह माना गया है. पुलिस चेन खींचने वाले की लोकेशन पर निगाह रखने में नाकाम रहती है.
इस से चेन चोरों का हौसला बढ़ जाता है.
महीनों काचैन
पकड़ में आए कुछ चेन खींचने वालों ने बताया कि जिस चेन को वे तोड़ते हैं, वह कम से कम डेढ़ से 3 तोले के बीच होती है. 3 तोले चेन की कीमत 80 से 90 हजार रुपए बैठती है. ऐसे में वे चेन को बेचने सुनार के पास जाते हैं, तो उन्हें अच्छाखासा पैसा मिल जाता है. महज कुछ पल की मेहनत के बाद उन्हें दोढ़ाई महीने तक काम की चिंता नहीं रहती. पैसा पूरा होने के बाद दूसरे टारगेट पर निशाना साधने निकल जाते हैं. वकील बीएस चौहान का कहना है कि पुलिस को चेन खींचने के मामलों को लूट की धाराओं में ही दर्ज करना चाहिए. आईपीसी की धारा 309 में 10 साल की सजा का प्रावधान है, वहीं चोरी की आईपीसी की धारा 379 में महज 3 साल की सजा का प्रावधान है.
बरामदगी नहीं हो पाती
कई मामलों में पुलिस चेन खींचने वालों को पकड़ लेती है, मगर उन से बरामदगी नहीं कर पाती है. पुलिस का कहना है कि वारदात के बाद चेन खींचने वाले सुनार के पास जा कर उसे गलवा देते हैं. हालांकि कई सुनारों को भी गिरफ्तार किया है, लेकिन यह भी नाकाफी है. बरामदगी नहीं होने और सुबूत नहीं मिल पाने से चोरों को सजा में राहत मिल जाती है.
मुहिम से पकड़ में आएंगे
चेन खींचने की वारदातों ने आम आदमी का चैन छीन लिया है. टोंक फाटक कालोनी की रहने वाली साक्षी शर्मा का कहना है कि चेन खींचने वालों को पकड़ने की मुहिम चलानी चाहिए. इस में एक महिला कांस्टेबल को चेन पहना कर सुबह की सैर पर भेजना चाहिए, ताकि बदमाशों को रंगे हाथों दबोचा जा सके. महेश नगर इलाके में रहने वाली सोनाली शर्मा का कहना है कि पुलिस सुबह के समय नियमित रूप से गश्त करे, ताकि सुबह की सैर और मंदिर जाते समय चेन तोड़ने की वारदातों पर रोक लगाई जा सके.
ऐसे हो सकता है बचाव
चेन खींचने की वारदातों के लिए पुलिस को जन सहयोग से जगहजगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए, ताकि किसी तरह का भी अपराध होता है, तो वारदात करने वाले बदमाश उस में तसवीर के रूप में कैद हो जाएं. जितने भी कैमरे लगाए जाएं, वे नाइटविजन वाले होने चाहिए, ताकि रात में भी अपराधियों का चेहरा पूरी तरह से साफ नजर आए. साथ ही, कैमरों की मौनीटरिंग रोजाना हो और इस के लिए पुलिस वाले रोजाना अपडेट लेते रहें. संदिग्ध लगने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी जाए. पुलिस के कुछ जवानों को भीड़ भरे बाजार और यातायात के बीच से मोटरसाइकिल चलाने की ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि वे बदमाशों को पकड़ने का हुनर सीख सकें. इस के लिए किसी गैरसरकारी संस्था की मदद भी ली जा सकती है.
औरतें ये सावधानियां बरतें
* साड़ी या सूट इस तरह पहनें कि गले से चेन दिखाई नहीं दे.
* सुबह की सैर व मंदिर जाते समय निगाह रखें कि कोई उन का पीछा तो नहीं कर रहा है.
* वारदात के बाद बदमाशों का गाड़ी नंबर जरूर देखें और उसे याद रखें.
* असली गहने पहनने से अच्छा है कि नकली गहने पहन कर अपना शौक पूरा कर लें.
* किसी अनजान को घर के आसपास घूमता देख तुरंत पुलिस को सूचना दें.




 
  
  
  
             
        




 
                
                
                
                
                
                
                
               