भाग 1
सर्व सुलभ होने से स्मार्टफोन कम पढ़ेलिखे युवाओं को भटकाने का काम कर रहे हैं. बरबादी की इस जड़ ने युवाओं को ज्यादा प्रभावित किया है. मोबाइल की स्क्रीन पर युवाओं को वह सब देखने को मिल जाता है, जो उन की जानकारी में शादी के बाद आना चाहिए. सोहेल ऐसा ही भटका हुआ युवक था, जिस की वजह से…
अंधेरा घिर आया था. रुखसार घर में कामकाज में लगी थी. रात 8 बजने के बाद भी जब बाहर खेलने गया उस का बेटा फैजान घर वापस नहीं आया तो उस ने बड़ी बेटी रुखसाना से कहा कि फैजान को बुला लाए, खाना खा लेगा. फैजान मध्य प्रदेश के शहर रतलाम के राजेंद्र नगर इलाके में रहने वाले मोहम्मद जफर कुरैशी का 5 साल का बेटा था.
जफर पेशे से दरजी था. उस की दुकान हाट की चौकी के पास थी. जफर के 4 से 10 साल तक की उम्र के 4 बच्चे थे. जिस में से फैजान तीसरे नंबर का था. वह रतलाम के गांधी मेमोरियल उर्दू स्कूल में केजी वन में पढ़ रहा था.
चंचल स्वभाव का फैजान स्कूल से आते ही बस्ता फेंक कर मोहल्ले के बच्चों के साथ खेलने के लिए निकल जाता था. फिर वह तब तक घर नहीं आता था, जब तक उसे कोई बुला कर न लाए.
मां के कहने पर रुखसाना फैजान को बुलाने गई लेकिन मैदान में खेल रहे बच्चों में उसे फैजान दिखाई नहीं दिया. वह घबराई हुई घर आई और अपनी अम्मी को फैजान के न मिलने की बात बता दी.
बेटी की बात सुन कर फैजान की मां रुखसार खुद उन बच्चों के पास पहुंची जो मैदान में खेल रहे थे. उस ने बच्चों से फैजान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि फैजान तो यहां से काफी देर पहले जा चुका है. यह 13 अप्रैल, 2019 की बात है.
इतना सुनते ही वह घबरा गई. उस ने उसी समय यह जानकारी पति जफर कुरैशी को दे दी जो उस समय अपनी टेलरिंग शौप पर था. बेटे के गुम होने की जानकारी मिलते ही जफर भी घर पहुंच गया. जफर के साथसाथ मोहल्ले के कुछ लोग भी फैजान को इधरउधर खोजने लगे.
आधी रात तक फैजान का पता नहीं चला तो जफर कुरैशी अपने रितेदारों और दोस्तों के साथ हाट की पुलिस चौकी पहुंच गया. 5 वर्षीय बच्चे का लापता हो जाना गंभीर मामला था, इसलिए चौकीप्रभारी ने तत्काल इस बात की जानकारी माणक चौक थाने के टीआई रेवल सिंह बरडे को दे दी.
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टीआई बरडे, एसआई दिनेश राठौर के साथ हाट की चौकी पर पहुंच गए. जफर से पूछताछ के बाद फैजान के अपहरण का मामला दर्ज कर टीआई ने टीम के साथ रात में ही उस की तलाश प्रारंभ कर दी. परंतु सुबह 8 बजे तक भी फैजान की कोई सूचना नहीं मिली.
दूसरे दिन रतलाम के एसपी गौरव तिवारी ने माणक चौक के टीआई रेवल सिंह बरडे को फैजान की खोज निकालने में तेजी लाने के निर्देश दिए. फैजान के परिवार वाले भी उस की तलाश में भटक रहे थे. पुलिस के पूछने पर जफर कुरैशी ने बता दिया था कि उस की व उस के परिवार की किसी से भी कोई दुश्मनी नहीं है.
किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस आसपास के कुओं, नालों आदि को भी तलाश कर चुकी थी पर फैजान का कोई सुराग नहीं मिला. इस के बाद एसपी गौरव तिवारी ने एएसपी इंद्रजीत सिंह बाकलवार के नेतृत्व में सीएसपी मान सिंह ठाकुर, टीआई (माणक चौक) रेवल सिंह बरडे, टीआई (दीनदयाल नगर) वी.डी. जोशी, टीआई (नामली) किशोर पाटनवाल और एसआई दिनेश राठौर सहित 14 सदस्यीय एसआईटी का गठन कर उन्हें फैजान को खोजने की जिम्मेदारी सौंप दी.
इस टीम ने हाट रोड पर फैजान के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, जिस में फैजान शाम लगभग 5 बजे सड़क पर दौड़ कर एक तरफ जाता दिखाई दिया. लेकिन इस के बाद वह किसी भी कैमरे की रेंज में नहीं आया.
इस फुटेज से केवल इतना ही पता चला कि उस समय वह पास की एक दुकान पर टौफी खरीदने के लिए गया था. पुलिस ने दुकानदार से पूछताछ करने के अलावा सीसीटीवी कैमरों में कैद हुए वाहनों के नंबर के आधार पर उन के मालिकों से भी पूछताछ की लेकिन कुछ हाथ नहीं आया. धीरेधीरे समय बीतने पर जहां लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था, वहीं फैजान के परिवार वालों का रोरो कर बुरा हाल था.
फैजान के गायब हुए 7 दिन बीत चुके थे. वह किस के साथ कहां चला गया, इस सवाल का किसी को कोई उत्तर नहीं मिल रहा था. इधर रतलाम रेंज के डीआईजी गौरव राजपूत ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और एसपी से अपराधियों के खिलाफ सख्त काररवाई करने के निर्देश दिए.
टीआई रेवल सिंह बरडे ने थाना क्षेत्र के कई बदमाशों को पूछताछ के लिए उठाया. इस के अलावा उन्होंने क्षेत्र के मोबाइल टावरों के संपर्क में आए हजारों मोबाइल नंबरों की भी जांच की.
दूसरी तरफ फैजान को लापता हुए लंबा समय बीत जाने पर भी न तो उस की कोई खबर मिली और न ही किसी ने फिरौती की मांग की तो पुलिस ने अपनी जांच जफर कुरैशी के परिवार की तरफ मोड़ दी.
जफर और उस के आसपास रहने वाले लोगों की गतिविधियों पर नजर रखते हुए पुलिस उन से पूछताछ करने लगी. लेकिन फिर भी कुछ हाथ नहीं आया. जिस के चलते घटना से 8 दिन बाद मामले की कमान एसपी गौरव तिवारी ने अपने हाथ में ले ली.
नौवें दिन 22 अप्रैल, 2019 को एसपी रतलाम पूरी टीम ले कर उस इलाके में पहुंचे, जहां से फैजान गायब हुआ था. इस टीम ने हाट रोड, गौशाला रोड, तोपखाना रोड, राजेंद्र नगर, कंबल पट्टी, मदीना कालोनी और सुभाष नगर इलाके के चप्पेचप्पे में फैजान को ढूंढा.
साथ ही एक बार फिर परिवार के लोगों से पूछताछ की. अब तक लगभग डेढ़ सौ लोगों से पूछताछ की जा चुकी थी. लेकिन इस के बाद भी फैजान का पता नहीं चल पा रहा था.
घटना के 11वें दिन यानी 23 अप्रैल को पूरे मामले में चौंका देने वाला नाटकीय मोड़ आ गया. एक दिन पहले एसपी गौरव तिवारी स्वयं अपनी टीम के साथ हाट रोड के चप्पेचप्पे में फैजान की खोज कर चुके थे. मगर अगले ही दिन फैजान के घर से महज 100 कदम दूर नाले में पुलिस को एक संदिग्ध बोरा मिला.
बोरे से आ रही बदबू से पुलिस समझ गई कि बड़ा खुलासा हो सकता है. हुआ भी वही. प्लास्टिक के उस बोरे को खोल कर देखा गया तो उस के अंदर 5 साल के मासूम फैजान का सड़ा हुआ शव निकला.
फैजान के मुंह और हाथोंपैरों पर टेप चिपका था. लाश को देखने से ही लग रहा था कि फैजान की हत्या हफ्ते भर पहले की जा चुकी थी.
मामला गंभीर था, इसलिए एसपी के निर्देश पर मैडिकल कालेज से एफएसएल अधिकारी डा. एन.एस. हुसैनी और जिला एफएसएल अधिकारी डा. अतुल मित्तल भी मौके पर पहुंच गए. बारीकी से जांच करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई.
इस घटना से पुलिस के सामने एक बात तो साफ हो गई कि फैजान का हत्यारा इसी बस्ती में आसपास कहीं छिपा हुआ है. क्योंकि जिस जगह पर लाश मिली थी, एक दिन पहले वहां वह बोरी नहीं थी. लापता होते समय फैजान ने टीशर्ट और हाफ पैंट पहन रखी थी. जबकि लाश के शरीर पर टीशर्ट तो वही थी, जबकि हाफ पैंट की जगह शव को जींस पहना दी गई थी. इसलिए मामले में शक की सुई परिवार की तरफ भी मुड़ रही थी.
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लेकिन जिस परिवार का मासूम इस तरह दुनिया छोड़ गया हो, उस परिवार पर सीधे शक नहीं किया जा सकता. इसलिए एसपी गौरव तिवारी ने एसआईटी को मोहल्ले में रहने वाले हर शख्स की पिछले 15 दिनों की कुंडली बनाने के निर्देश दिए.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो चुका था कि फैजान की मौत करीब 10 दिन पहले यानी उसी रोज हो चुकी थी, जिस रोज वह गायब हुआ था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मासूम के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात सामने आई थी.
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