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4जून, 2019 की सुबह 8 बजे रेखा कानपुर के थाना बर्रा पहुंची तो उस के पति प्रेमप्रकाश की मोटरसाइकिल थाना परिसर में खड़ी थी. मोटरसाइकिल देख कर उस का माथा ठनका. वह मन ही मन बुदबुदाने लगी, ‘लगता है, प्रेम ने रात में शराब पी कर किसी से झगड़ा किया होगा और पुलिस ने उसे हवालात में डाल दिया होगा.’

लेकिन प्रेम न तो हवालात में था और न ही रिपोर्टिंग रूम में. पता लगाने के लिए वह सीधे थानाप्रभारी के कक्ष में पहुंच गई. सुबहसुबह एक औरत को बदहवास हालत में देख कर थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव ने पूछा, ‘‘कैसे आना हुआ?’’

‘‘साहब, मेरा नाम रेखा है. मैं बर्रा के नरपत नगर जरौली फेस-1 में रहती हूं. मेरा पति प्रेमप्रकाश मीट कारोबारी है. कल सुबह वह दुकान पर गया था, उस के बाद घर वापस नहीं आया. थाने में उस की मोटरसाइकिल तो खड़ी है, पर प्रेम का कुछ पता नहीं चल पा रहा.’’

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थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव रेखा पर एक नजर डाल कर बोले, ‘‘यह मोटरसाइकिल बीती रात गश्त के दौरान जे ब्लौक तिराहे से बरामद हुई है. नशे की हालत में तुम्हारे पति ने मोटरसाइकिल खड़ी कर दी होगी और किसी दोस्त के घर पड़ा होगा. घबराओ नहीं, वह आ जाएगा.’’

रेखा इस तसल्ली के साथ घर लौट आई कि उस के पति ने किसी से झगड़ा नहीं किया और थाने में बंद नहीं है.

इधर 5 जून को मौर्निंग वाक पर जाने वाले कुछ लोगों ने पिरौली पुल के पास सड़क किनारे गड्ढे में जूट का एक बोरा पड़ा देखा. बोरे का मुंह खुला था और दुर्गंध आ रही थी. बोरे के आसपास कुत्ते घूम रहे थे. बोरे में लाश की आशंका के मद्देनजर सुबोध तिवारी नाम के एक व्यक्ति ने अपने मोबाइल फोन से थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी.

थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव ने तिवारी की सूचना के बारे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया और पुलिस टीम के साथ पिरौली पुल पहुंच गए. वहां सड़क किनारे भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटा कर वह उस जगह पहुंचे जहां बोरा पड़ा था. पुलिसकर्मियों की मदद से उन्होंने बोरे से शव बाहर निकाला.

शव एक जवान आदमी का था, जिस के गरदन और पैर साइकिल ट्यूब से बंधे थे. सिर पर चोट का निशान था. मृतक की उम्र करीब 40 साल थी. शरीर से वह हृष्टपुष्ट था. शव को पहले प्लास्टिक की बोरी में लपेटा गया था, फिर उसे जूट के बोरे में भर दिया गया था. जामातलाशी में उस के पास से ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो सके.

थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (साउथ) रवीना त्यागी तथा सीओ (गोविंद नगर) आर.के. चतुर्वेदी घटनास्थल पर आ गए. एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था. पुलिस अधिकारियों ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने भी वहां से साक्ष्य जुटाए.

सड़क किनारे भीड़ जमा थी. लोग शव को देखते और नाक पर रूमाल रख कर हट जाते. कोई भी शव की शिनाख्त नहीं कर पा रहा था. उसी समय थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव को रेखा नाम की उस महिला की याद आई, जिस का पति रात को घर नहीं आया था, जिस की मोटरसाइकिल थाना परिसर में खड़ी थी.

उन्होंने उस का नामपता नोट कर लिया था. अतुल ने उस महिला के संबंध में पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया और उस के घर जा पहुंचे.

रेखा उस समय घर पर ही थी. पासपड़ोस की कुछ महिलाएं तथा घर वाले भी मौजूद थे. पुलिस जीप देख कर रेखा को लगा कि शायद उस के पति का पता लग गया है.

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थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव जीप से उतर कर रेखा के पास पहुंचे. उन्होंने कहा, ‘‘रेखा, पिरौली पुल के पास सड़क किनारे बोरे में बंद हमें एक लाश मिली है. अभी तक उस की शिनाख्त नहीं हुई है. मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ चल कर उसे देख लो.’’

अनहोनी की आशंका से रेखा घबरा गई. फिर 2-3 महिलाओं के साथ वह जीप में बैठ गई. उस के घर वाले भी पिरौली पुल की ओर रवाना हो गए. 10 मिनट में पुलिस जीप पिरौली पुल के पास पहुंच गई.

रेखा जीप से उतर कर लाश के पास पहुंची. उस ने लाश देखी तो चीख पड़ी. लाश उस के पति प्रेमप्रकाश की ही थी. इस के बाद तो कोहराम मच गया. बेहाल रेखा को साथ आई महिलाएं संभालने में लग गईं. एसपी रवीना त्यागी ने भी रेखा को सांत्वना दी, साथ ही आश्वासन भी दिया कि उस के पति के कातिल जल्दी ही पकड़ लिए जाएंगे. इस के बाद उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.

रेखा बेहाल थी. उस की आंखों में आंसू थम नहीं रहे थे. इस हालत में पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ करना उचित नहीं समझा. शाम को जब वह कुछ सामान्य हुई तब एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने उसे थाना बर्रा बुलवा लिया. उन्होंने बड़े भावुक अंदाज में उस से पूछताछ शुरू की. उन्होंने पूछा, ‘‘रेखा, तुम्हारे पति की हत्या किस ने और क्यों की, इस बारे में कुछ बता सकती हो?’’

‘‘मैडमजी, मेरे पति की हत्या संजू, विपुल और उस के साथी अजय ने की है. संजू मीट का कारोबारी है और विपुल उस का नौकर है, जबकि अजय उस का दोस्त है. व्यापारिक प्रतिद्वंदिता में इन लोगों ने शराब पिला कर प्रेम को मार डाला और शव को बोरे में भर कर फेंक आए.’’

रेखा के बयान के आधार पर एसपी (साउथ) रवीना त्यागी ने संजू, अजय और विपुल को थाना बर्रा बुलवा लिया. थाने में उन्होंने तीनों से कड़ाई से पूछताछ की, लेकिन उन्होंने हत्या की बात से इनकार किया.

संजू ने साथ खानेपीने, नशे में लड़नेझगड़ने तथा व्यापारिक प्रतिद्वंदिता की बात तो स्वीकार की, लेकिन हत्या करने से साफ इनकार कर दिया. सख्ती से पूछताछ करने के बाद भी जब उन्होंने जुर्म नहीं कबूला तो रवीना त्यागी को लगा कि ये लोग कातिल नहीं हैं. उन्होंने उन तीनों को थाने से घर भेज दिया.

मृतक की पत्नी रेखा के अनुसार मृतक के पास मोबाइल था, जो अभी तक बरामद नहीं हुआ था. थानाप्रभारी ने प्रेमप्रकाश के कातिलों को पकड़ने के लिए उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर टावर डाटा डंप कराया तो प्रेमप्रकाश की आखिरी लोकेशन 3 जून की सुबह 11 बज कर 5 मिनट पर बर्रा 8 हाईटेंशन लाइन के पास मिली. उस के बाद उस का फोन बंद हो गया था.

थानाप्रभारी ने रेखा से पूछताछ की तो उस ने बताया कि बर्रा 8 में उस के जेठ ज्वाला प्रसाद का साढ़ू रामप्रकाश अपनी पत्नी रामकली के साथ रहता है. उस का 9 साल का एक बेटा भी है. इस जानकारी पर अतुल श्रीवास्तव बर्रा 8 स्थित रामप्रकाश के घर पहुंचे तो वहां ताला लटक रहा था.

रामप्रकाश पर शक गहराया तो पुलिस ने उस की तलाश तेज कर दी. थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव ने ताबड़तोड़ छापे मार कर रामप्रकाश के कई रिश्तेदारों को उठा लिया. उन में से जिन के पास रामप्रकाश का मोबाइल नंबर था, उन से बात करने को कहा. लेकिन रामप्रकाश ने कोई काल रिसीव ही नहीं की.

लेकिन एक खास रिश्तेदार से उस ने बात की और बताया कि वह महाराजपुर के संदलपुर गांव में है. यह जानकारी प्राप्त होते ही थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव संदलपुर गांव पहुंच गए और वहां से उन्होंने रामप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया.

उसे थाना बर्रा लाया गया. थाने पर जब उस से उस की पत्नी रामकली के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि रामकली उस की बहन चंदा के घर नौरंगाबाद में है. उस के साथ उस का बेटा भी है. यह पता चलते ही अतुल श्रीवास्तव ने नौरंगाबाद से रामकली को हिरासत में ले लिया.

थानाप्रभारी ने रामप्रकाश तथा उस की पत्नी रामकली से थाने में प्रेमप्रकाश की हत्या के बारे में पूछताछ की. पूछताछ में दोनों ने इस बात से इनकार किया कि प्रेमप्रकाश की हत्या में उन का कोई हाथ है. जब दोनों से अलगअलग सख्ती से पूछताछ की गई तो रामकली टूट गई.

उस के टूटते ही रामप्रकाश ने भी हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. रामकली ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड, जिसे उस ने घर में छिपा दिया था, बरामद करा दी. रामप्रकाश ने अपने घर से मृतक का मोबाइल फोन बरामद करा दिया, जिसे उस ने तोड़ कर कूड़ेदान में फेंक दिया था. पुलिस ने दोनों चीजें बरामद कर लीं.

थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव ने प्रेमप्रकाश हत्याकांड के कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसपी (साउथ) रवीना त्यागी को दी. रवीना त्यागी ने आननफानन में अपने कार्यालय में प्रैसवार्ता की और अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश कर के घटना का खुलासा कर दिया.

चूंकि अभियुक्तों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी अतुल श्रीवास्तव ने मृतक की पत्नी रेखा को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत रामप्रकाश और उस की पत्नी रामकली के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस जांच में साली की चाल में जीजा के हलाल होने की घटना प्रकाश में आई.

बर्रा कानपुर शहर का एक विशाल आबादी वाला क्षेत्र है. बड़ा क्षेत्र होने के कारण इसे 8 भागों में बांटा गया है. इसी बर्रा भाग 7 के जरौली फेस-1 के अंतर्गत नरपत नगर मोहल्ला पड़ता है. प्रेमप्रकाश अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहता था. उस के परिवार में पत्नी रेखा के अलावा 2 बेटे रवि व पंकज तथा 2 बेटियां सोनम और पूनम थीं.

प्रेमप्रकाश मीट का व्यापारी था. घर से कुछ दूरी पर पारकर रोड पर उस की दुकान थी. प्रेमप्रकाश अपनी दुकान तो चलाता ही था, साथ ही छोटे दुकानदारों को भी मीट की सप्लाई करता था. इस के अलावा होटलों में भी वह मीट सप्लाई करता था. मीट व्यापार में प्रेमप्रकाश को अच्छी कमाई होती थी. क्षेत्र में वह प्रेम मीट वाला के नाम से जाना जाता था.

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प्रेमप्रकाश कमाता तो अच्छा था, लेकिन उस में कुछ कमियां भी थीं. वह शराब व शबाब का शौकीन था. अपनी आधी कमाई वह शराब और अय्याशी में ही खर्च कर देता था. बाकी बची कमाई से घर का खर्च चलता था. पति की इस कमजोरी से रेखा वाकिफ थी.

जब वह शराब पी कर आता तो रेखा उसे समझाती, लेकिन वह कहता, ‘‘रेखा, जिस तरह तुम मेरी संगिनी हो, उसी तरह यह लाल परी भी मेरी संगिनी है. शाम ढलते ही यह मुझे सताने लगती है, तब मैं बेबस हो जाता हूं.’’

रेखा ने पति को लाख समझाया, पर जब समझातेसमझाते थक गई तो उस ने उसे उसी के हाल पर छोड़ दिया. वह केवल घर और बच्चों की परवरिश में लगी रहती. बच्चे जब बड़े हुए तो वह प्रेम के साथ दुकान चलाने का गुर सीखने लगे और बेटियां मां के घरेलू काम में हाथ बंटाने लगीं.

प्रेमप्रकाश के बड़े भाई का नाम ज्वाला प्रसाद था. वह उस के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था. ज्वाला प्रसाद की पत्नी का नाम शिवकली था. प्रेमप्रकाश शराबी और अय्याश था, इसलिए वह प्रेमप्रकाश को पसंद नहीं करता था. दरअसल, प्रेमप्रकाश व शिवकली का रिश्ता देवरभाभी का था. इस नाते वह शिवकली से हंसीमजाक, छेड़छाड़ कर लेता था. लेकिन ज्वाला को यह सब पसंद नहीं था. उस ने प्रेमप्रकाश के घर आने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

शिवकली की तरह उस की बहन रामकली भी खूबसूरत थी. वह बर्रा-8 निवासी रामप्रकाश से ब्याही थी. रामकली रामप्रकाश की 5वीं पत्नी थी. उस की पहली पत्नी मीरा बर्रा में ही रहती थी. दूसरी और तीसरी पत्नी ने उस का साथ यह कह कर छोड़ दिया था कि वह उम्र में बड़ा है.

चौथी पत्नी सरोज को वह बिहार के दरभंगा से लाया था. लेकिन प्रताड़ना से परेशान हो कर वह भाग गई थी. इस के बाद ही वह रामकली को ब्याह कर लाया था. शादी के 2 साल बाद रामकली एक बच्चे की मां बन गई थी.

एक रोज सीटीआई चौराहा स्थित गुलाब सिंह के शराब ठेके पर बड़े ही नाटकीय ढंग से प्रेमप्रकाश और रामप्रकाश की मुलाकात हुई. उस रोज ठेके पर दोनों शराब पीने आए थे. शराब पीतेपीते बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो दोनों का रिश्ता साढ़ू भाई का निकला. इस के बाद तो शराब का नशा दोगुना हो गया. उस रोज खानेपीने का पैसा प्रेमप्रकाश ने ही चुकता किया. यद्यपि रामप्रकाश मना करता रहा.

रामप्रकाश और प्रेमप्रकाश दोनों ही पक्के शराबी थे. उन के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई. रिश्ते ने उन की दोस्ती और गहरी कर दी. पहले दोनों शराब ठेके पर पीते थे, लेकिन अब उन की महफिल रामप्रकाश के घर जमने लगी.

घर आतेजाते प्रेमप्रकाश की नजर रामप्रकाश की खूबसूरत बीवी रामकली पर पड़ी, जो रिश्ते में उस की साली लगती थी. साली का शबाब पाने के लिए प्रेमप्रकाश जोड़जुगत बैठाने लगा.

जब भी प्रेमप्रकाश का मन रामप्रकाश के घर जाने का होता, वह उसे मोबाइल से सूचना देता और फिर शाम ढलते ही मीट की थैली और शराब की बोतल ले कर रामप्रकाश के घर पहुंच जाता. रामकली मीट पकाती और वे दोनों शराब की महफिल सजाते.

कभीकभी तो रामकली ही दोनों को पैग बना कर देती. इस दौरान प्रेमप्रकाश की निगाहें रामकली पर ही टिकी रहतीं. वह उस से शरारत भी कर बैठता था.

चूंकि प्रेमप्रकाश और रामकली का रिश्ता जीजासाली का था. इस नाते प्रेमप्रकाश रामकली से हंसीमजाक और छेड़छाड़ करने लगा. कभी एकांत मिलता तो वह उसे बांहों में भी भर लेता और गालों पर चुंबन जड़ देता.

जीजा की इस हरकत पर रामकली तुनक जाती. प्रेमप्रकाश तब उसे यह कह कर मना लेता कि साली तो वैसे भी आधी घरवाली होती है. रामकली का मूड फिर भी ठीक न होता तो वह उसे हजार 5 सौ रुपए दे कर मना लेता.

प्रेमप्रकाश की पत्नी रेखा 4 बच्चों की मां बन चुकी थी. उस का रंगरूप भी सांवला था और स्वभाव से वह कर्कश थी. जबकि साली रामकली रसीली थी. उस का रंग गोरा और शरीर मांसल था. रामकली के आगे रेखा फीकी थी, इसलिए प्रेमप्रकाश उस पर लट्टू था और उसे हर हाल में अपना बनाना चाहता था.

दूसरी तरफ रामकली भी अपने पति रामप्रकाश से खुश नहीं थी. 4 बीवियों को भोगने वाले रामप्रकाश में अब वह पौरुष नहीं रहा था, जिस की रामकली कामना करती थी. इसलिए जब रिश्ते में जीजा प्रेमप्रकाश ने उस से छेड़छाड़ शुरू की तो उसे भी अच्छा लगने लगा और वह भी मन ही मन उसे चाहने लगी.

एक शाम प्रेमप्रकाश रामकली के घर पहुंचा तो वह बनसंवर कर सब्जी लेने सब्जी मंडी जाने वाली थी. प्रेमप्रकाश ने एक नजर इधरउधर डाल कर पूछा, ‘‘भाईसाहब नजर नहीं आ रहे. क्या वह कहीं बाहर गए हैं?’’

‘‘नहीं, बाहर तो नहीं गए हैं, लेकिन जाते समय कह गए थे कि देर रात तक आएंगे.’’

रामकली की बात सुन कर प्रेमप्रकाश की बांछें खिल उठीं. उस ने लपक कर घर का दरवाजा बंद किया, फिर साली को बांहों में भर कर बिस्तर पर जा पहुंचा. रामकली ने कुछ देर बनावटी विरोध किया, फिर खुद ही उस का सहयोग करने लगी.

जीजासाली का अवैध रिश्ता कायम हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. पहले प्रेमप्रकाश, रामप्रकाश की मौजूदगी में ही घर आता था, लेकिन अब वह वक्तबेवक्त और उस की गैरहाजिरी में भी आने लगा.

दोनों को जब भी मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में समा जाते. जीजासाली के अवैध रिश्तों की भनक रामप्रकाश को भले ही न लगी, लेकिन पड़ोसियों के कान खड़े हो गए. जीजासाली की रासलीला के चर्चे पासपड़ोस की महिलाएं करने लगीं.

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रामप्रकाश किराए पर ई-रिक्शा चलाता था. 8-10 घंटे में वह जो भी कमाता था, उस से उस के परिवार का खर्च चलता था. कभीकभी कुछ पैसे पत्नी को भी दे देता था. रामप्रकाश पत्नी पर भरोसा करता था, जबकि रामकली उस के भरोसे को तोड़ रही थी. आखिर एक दिन सच सामने आ ही गया.

उस दिन सुबहसुबह रामकली और पड़ोसन के बीच गली में कूड़ा फेंकने को ले कर तूतू मैंमैं होने लगी. लड़तेझगड़ते दोनों एकदूसरे के चरित्र पर कीचड़ उछालने लगीं.

रामकली ने पड़ोसन को बदचलन कहा तो उस का पारा चढ़ गया, ‘‘अरी जा, बड़ी सतीसावित्री बनती है. मेरा मुंह मत खुलवा, पति के काम पर जाते ही जीजा की बांहों में समा जाती है. खुद बदलचन है और मुझे कह रही है.’’

दोनों महिलाओं का वाकयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा था. संयोग से तभी रामप्रकाश आ गया. उस ने अपनी पत्नी रामकली और पड़ोसन को झगड़ते देखा तो रामकली को ही डांटा, ‘‘आपस में झगड़ते तुम्हें शर्म नहीं आती. चलो, घर के अंदर जाओ.’’

रामकली बड़बड़ाती, पैर पटकती घर के अंदर चली गई. इस के बाद रामप्रकाश पड़ोसन से मुखातिब हुआ, ‘‘रामकली तो अनपढ़, गंवार औरत है लेकिन तुम तो पढ़ीलिखी हो. गली में सरेआम ये तमाशा करना अच्छी बात है क्या?’’

पड़ोसन का गुस्सा काबू के बाहर था. वह हाथ नचाते हुए बोली, ‘‘भाईसाहब, आप रामकली को सीधा समझते हैं, जबकि वह सीधेपन की आड़ में आप को बेवकूफ बना कर गुलछर्रे उड़ाती है.’’

रामप्रकाश की खोपड़ी सांयसांय करने लगी. उसे लगा कि पड़ोसन के सीने में जरूर कोई संगीन राज दफन है, जो गुस्से में बाहर आने को बेताब है. अत: उस ने पूछा, ‘‘मैं कुछ समझा नहीं, साफसाफ कहिए.’’

‘‘भाईसाहब, मैं आप से कहना तो नहीं चाहती थी लेकिन आप जब जानना ही चाहते हैं तो सुनिए. दरअसल आप की बीवी रामकली ने मोहल्ले में गंदगी फैला रखी है. आप की गैरमौजूदगी में प्रेमप्रकाश नाम का एक आदमी, जिसे रामकली अपना जीजा बताती है, आ जाता है. उस के आते ही दरवाजा अंदर से बंद हो जाता है. फिर आप के आने से कुछ देर पहले ही दरवाजा खुलता है और वह चला जाता है. बंद दरवाजे के पीछे क्या होता है, यह पूरी गली को मालूम है.’’

रामप्रकाश सन्नाटे में आ गया. उस की गैरमौजूदगी में रामकली ऐसा भी कुछ कर सकती है, वह सोच भी नहीं सकता था. अपमानबोध तथा शर्म से रामप्रकाश का सिर झुक गया. वह बुझी सी आवाज में बोला, ‘‘बहुत अच्छा किया आप ने जो सारी बातें मेरी जानकारी में ला दीं.’’

रामप्रकाश की जानकारी में ऐसा बहुत कम हुआ था, जब प्रेमप्रकाश उस की गैरमौजूदगी में आया हो. प्रेमप्रकाश उसे फोन कर के पहले पूछ लेता था कि वह घर में है या नहीं.

उस के बाद ही वह आता था. जबकि उस महिला ने बताया कि प्रेमप्रकाश उस की गैरमौजूदगी में आता है. उस के आते ही रामकली दरवाजा बंद कर लेती है.

इस के बाद रामप्रकाश अपने घर में दाखिल हुआ और रामकली को सीधे सवालों के निशाने पर ले लिया, ‘‘सुना तुम ने, पड़ोसन तुम्हारे बारे में क्या कह रही थी?’’

‘‘हां, उस की भी बात सुनी और तुम्हारी भी सुन ली.’’ रामकली पति को ही आंखें दिखाने लगी, ‘‘बड़े शरम की बात है कि वो कलमुंही मुझ पर इलजाम लगाती रही और तुम चुपचाप सुनते रहे. तुम्हें तो उस समय उस का मुंह नोंच लेना चाहिए था.’’

रामप्रकाश के सब्र का पैमाना छलक गया. वह दांत किटकिटाते हुए बोला, ‘‘रामकली, यह बताओ तुम पहले से झूठी और बेशर्म थी या मेरे घर आ कर हो गई?’’

रामकली की घबराहट चेहरे पर तैरने लगी. वह बोली, ‘‘तुम कहना क्या चाहते हो?’’

‘‘तुम सच पर परदा डालने की कोशिश मत करो. बताओ, तुम्हारा और प्रेमप्रकाश का चक्कर कब से चल रहा है?’’

रामकली पति के सवालों का जवाब देने के बजाए खुद को सही साबित करने के लिए इधरउधर की बातें करती रही.

पति का गुस्सा देख कर रामकली समझ गई कि अगर उस ने सच नहीं बताया तो रामप्रकाश पीटपीट कर उस की जान ले लेगा. अत: उस ने जमीन पर बैठ कर हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘अब बस करो, मैं सब बता देती हूं.’’

इस के बाद रामकली का मुंह खुला. उस ने सच्चाई तो बताई लेकिन अपनी चाल का पेंच फंसा दिया. उस ने प्रेमप्रकाश से नाजायज रिश्ता तो मान लिया लेकिन आरोप उसी पर मढ़ दिया कि वह उसे जबरदस्ती अपनी हवस का शिकार बनाता है. उस ने इसलिए मुंह बंद रखा कि उन दोनों की दोस्ती न टूटे.

रामकली ने अपनी चाल से पति का गुस्सा तो ठंडा कर दिया, लेकिन उस के मन में डर बैठ गया. उस ने जीजा प्रेमप्रकाश को सारी जानकारी दे कर पति की गैरमौजूदगी में आने से मना कर दिया. इधर रामप्रकाश ने साढ़ू प्रेमप्रकाश को भी आड़ेहाथों लिया और पत्नी से नाजायज रिश्ता बनाने को धिक्कारा.

लगभग 6 महीने तक दोनों में तनातनी के साथ बोलचाल बंद रही, इस के बाद प्रेमप्रकाश द्वारा गलती के लिए क्षमा मांगने और भविष्य में फिर गलती न करने की शर्त पर रामप्रकाश ने उसे माफ कर दिया. रामप्रकाश ने यह भी शर्त रखी कि वह जब भी घर आएगा, उस की मौजूदगी में ही आएगा.

अब प्रेमप्रकाश जब भी साली के घर आता, उस के पति रामप्रकाश की मौजूदगी में ही आता. प्रेमप्रकाश के आने पर रामकली उस से दूरियां बनाए रखती ताकि पति को उस पर शक न हो.

रामप्रकाश और प्रेमप्रकाश की महफिल जमती. नशे में नोकझोंक भी होती. उस के बाद प्रेमप्रकाश अपने घर चला जाता. प्रेमप्रकाश के जाने के बाद रामप्रकाश नशे में रामकली को खूब गालियां बकता और इलजाम लगाता कि नशे के बहाने वह उसी से मिलने आता है.

3 जून, 2019 की सुबह 8 बजे प्रेमप्रकाश अपने बेटों रवि और पंकज के साथ अपनी मीट की दुकान पर पहुंचा और दुकान खोल कर बिक्री करने लगा. लगभग 10 बजे किसी बात को ले कर उस का पड़ोसी दुकानदार संजू से झगड़ा हो गया.

मूड खराब होने पर उस ने दुकान चलाने की जिम्मेदारी दोनों बेटों पर छोड़ी और मोटरसाइकिल ले कर कहीं चला गया. रास्ते में उस ने साढ़ू रामप्रकाश से फोन पर बात की तो वह घर पर ही था.

प्रेमप्रकाश ने लगभग 11 बजे बर्रा-8 स्थित शराब ठेके से बोतल खरीदी और साली रामकली के घर पहुंच गया. घर पर रामप्रकाश व उस का पड़ोसी दोस्त रमेश यादव मौजूद थे. कुछ देर तीनों आपस में हंसीमजाक, बातचीत करते रहे. फिर तीनों की शराब पार्टी शुरू हुई. कई पैग गले से नीचे उतारने के बाद रामप्रकाश बोला, ‘‘साढ़ू भाई, अभी मजा नहीं आया.’’

रमेश ने भी उस की हां में हां मिलाई. इस के बाद प्रेमप्रकाश पर्स से 5 सौ का नोट निकाल कर बोला, ‘‘जाओ, ले कर आओ.’’

रामप्रकाश रमेश को साथ ले कर प्रेमप्रकाश की मोटरसाइकिल से शराब खरीदने चला गया. उस के जाते ही प्रेमप्रकाश साली को बांहों में भर कर बोला, ‘‘कब से तुम से मिलने को तड़प रहा हूं. आज अच्छा मौका है, मेरी इच्छा पूरी कर दो.’’

‘‘नहीं, वह आ गए और तुम्हारे साथ देख लिया तो मारमार कर मेरी जान ही ले लेंगे. अनुज भी घर में है. वह अपने बाप को सब बता देगा.’’

‘‘ऐसा नहीं होगा, अनुज को मैं पैसा दे कर समोसे खाने भेज दूंगा और भाईसाहब को आने में समय लगेगा.’’

इस के बाद प्रेमप्रकाश ने 10 रुपए दे कर अनुज को समोसा खाने घर से बाहर भेज दिया. फिर वह साली रामकली को कमरे में ले गया और शारीरिक सुख भोगने लगा. दोनों को कई माह के बाद मौका मिला था, सो असीम आनंद की अनुभूति कर रहे थे. इस आनंद में दोनों भूल गए कि घर का दरवाजा खुला है.

कुछ देर बाद रामप्रकाश शराब ले कर लौटा तो उस ने पत्नी रामकली और प्रेमप्रकाश को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. फिर क्या था, वह रामकली पर टूट पड़ा और अर्धनग्न अवस्था में ही पीटने लगा.

2-4 लातघूंसे खाने के बाद रामकली ने फिर वही चाल चली और बोली, ‘‘मुझे क्यों पीट रहे हो, इस वहशी को पीटो जो मुझे जबरदस्ती अपनी हवस का शिकार बना रहा था. मैं ने तो इसे बहुत समझाया, लेकिन यह वहशी नहीं माना.’’

यह सुनते ही रामप्रकाश प्रेमप्रकाश से उलझ गया और दोनों में मारपीट होने लगी. झगड़ा बढ़ता देख पड़ोसी रमेश यादव अपने घर चला गया. उस के बाद रामकली ने मुख्य दरवाजा बंद कर दिया और दोनों में बीचबचाव करने लगी. लेकिन उन दोनों पर नशा हावी था. उन का झगड़ा बंद नहीं हुआ.

जब उस के पति पर प्रेमप्रकाश भारी पड़ने लगा तो खुद को पाकसाफ साबित करने के लिए रामकली लोहे की रौड उठा लाई और पीछे से प्रेमप्रकाश के सिर पर वार कर दिया. इस वार से प्रेमप्रकाश मूर्छित हो कर जमीन पर गिर गया. उसी समय रामप्रकाश उस की छाती पर सवार हो गया और उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

हत्या करने के बाद दोनों को लाश ठिकाने लगाने की चिंता हुई. इस के लिए दोनों ने मृत प्रेमप्रकाश के पैर तोड़मरोड़ कर साइकिल ट्यूब से गले से बांध दिए. शव को उन्होंने पहले प्लास्टिक बोरी में, फिर जूट के बोरे में भर कर मुंह बंद कर दिया.

रामप्रकाश ने रात में लाश को ई-रिक्शा पर लादा और सुनसान इलाके पिरौली पुल के पास सड़क किनारे फेंक आया. इस के बाद दोनों ने फर्श पर पडे़ खून के धब्बों को साफ किया. मृतक के मोबाइल को तोड़ कर कूड़ेदान में फेंक दिया और रौड घर में छिपा दी. इस के बाद दोनों घर में ताला लगा कर फरार हो गए.

इधर रवि और पंकज शाम तक दुकान पर बैठे रहे, फिर दुकान बंद कर घर पहुंचे और मां को बताया कि पिताजी का संजू से झगड़ा हुआ था. उस के बाद वह कहीं चले गए और वापस नहीं आए. रेखा रात भर पति के वापस आने का इंतजार करती रही. सुबह वह थाना बर्रा पहुंची तो वहां पति की मोटरसाइकिल खड़ी थी, लेकिन पति नहीं था. दूसरे रोज रामप्रकाश की लाश मिल गई थी.

9 जून, 2019 को थाना बर्रा पुलिस ने अभियुक्तों रामप्रकाश तथा रामकली को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उन दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य – मनोहर कहानी

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