नरसिंह यादव रियो जाएंगे या नहीं इस पर से सस्पेंस खत्म हो गया है. भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रिज भूषण सिंह ने इस बात का ऐलान करते हुए कहा कि भारतीय कुश्ती संघ ने यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) को दोबारा लिखा था कि प्रवीण राणा की जगह नरसिंह यादव रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और UWW ने इसकी मंजूरी दे दी है.
नरसिंह यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और उनका शुक्रिया अदा किया. ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार से ट्रायल की जंग जीतने और डोपिंग के कलंक से खुद को मुक्त कराने की लंबी लड़ाई के बाद नरसिंह का उत्साह लौटता नजर आ रहा है.
UWW की मंजूरी के साथ-साथ भारतीय ओलंपिक संघ को भी अपनी रजामंदी देनी थी. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ के नियमों के अनुसार टीम में बदलाव का अधिकार देश की ओलंपिक समिति को होता है. नरसिंह के लिए राहत की बात है. रियो ओलंपिक में भारत के शेफ दी मिशन (chef de mission) राकेश गुप्ता ने कहा है कि इस संबंध में काम शुरू हो चुका है.
25 जून और 5 जुलाई को नाडा (NADA) ने नरसिंह यादव पर दो डोप टेस्ट किए. 23 जुलाई को यह खबर सार्वजनिक हो गई कि दोनों टेस्ट में नरसिंह यादव पॉजीटिव पाए गए हैं. रियो में पदक के दावेदार माने जाने वाले पहलवान नरसिंह यादव के लिए मानो दुनिया खत्म हो गई. नरसिंह यादव संभले तो उन्हें अहसास हुआ कि वे एक बड़े षड्यंत्र के शिकार हुए हैं.
नरसिंह पर आरोप लगा उन्होंने मेटानडेनोन (METHANDIENONE) का सेवन किया है. लेकिन इस षड्यंत्र में खामी थी. दरअसल मेटानडेनोन (METHANDIENONE) एक एनाबॉलिक स्ट्रायड है जो मसल्स बनाने में काम आता है.
जबकि रियो के पहले नरसिंह को करीब 8 किलो वजन कम करना था. नरसिंह के वकील यही दलील देते रहे कि नरसिंह वजन बढ़ाने वाला ड्रग्स क्यों लेगा. उनके खाना में किसी ने जानबूझ कर यह मिलाया था. नाडा में दो दिनों तक सुनवाई के बाद एक बार फिर फैसला नरसिंह के पक्ष में आया.