आजकल लगभग हर लड़का लड़की रिलेशनशिप में हैं. रिलेशनशिप भी कई तरह के हैं, कोई एक साथ भविष्य की प्लानिंग कर रहा है तो कोई फिलहाल वर्तमान में जीने की कोशिश… कोई अपने रिलेशनशिप में बहुत खुश है तो कोई बहुत दुखी. जो खुश हैं वे रिलेशनशिप निभा रहे हैं और जो दुखी हैं वे बस ब्रेकअप से एक कदम दूर हैं या शायद किसी मजबूरी के कारण इस रिलेशनशिप में हैं.

लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस खुशी दुखी के पैमाने को समझने में चूक रहे हैं. कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें यह तो समझ आता है कि उनका रिलेशनशिप ठीक नहीं, लेकिन वह इस से निकलना नहीं चाहते. वह रिलेशनशिप जिसमें व्यक्ति दो पल की खुशी के कारण हजार पलों के दुख झेल कर भी सब कुछ नौर्मल समझे, असल में टौक्सिक रिलेशनशिप है. टौक्सिक रिलेशनशिप आप को खुश नहीं रहने देती, आगे नहीं बढ़ने देती और न ही इसे खत्म करने देती है. टौक्सिक रिलेशनशिप में आप का बौयफ़्रेंड या गर्लफ्रेंड आप को ढ़ेरों रेड फ्लैग्स दिखाता है, फिर भी आप इस ”प्यार” के चलते इस नेगेटिव पार्टनर से दूर होने से डरते हैं. टौक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलना बेहद जरूरी है क्योंकि यह आप की ज़िन्दगी को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करती है और आपके सुख, चैन और सुकून को छीन लेती है.

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टौक्सिक रिलेशनशिप को पहचानना

प्रज्ञा कालेज के फर्स्ट ईयर में अंकित से मिली थी. अंकित उसी की क्लास में था. हालांकि दोनों की बात नार्मल दोस्तों जैसी ही होती थी लेकिन उस दिन सब बदल गया जब अंकित ने प्रज्ञा को बताया कि वह उसे कितनी ज्यादा खूबसूरत लगती है. अंकित के मुंह से यह तारीफ़ प्रज्ञा के लिए बहुत ही अनएक्सपेक्टेड थी क्योंकि उस ने अंकित को कभी किसी लड़की को कौम्पलिमेंट देते नहीं सुना था. उस दिन से प्रज्ञा के मन में अंकित ठहरने लगा था. वे दोनों रातरात भर बातें करने लगे. वह दिन भी दूर नहीं था जब अंकित ने प्रज्ञा को प्रोपोज़ किया. अबतक दोनों के बीच जो भी बातचीत हुई थी उस बारे में प्रज्ञा और अंकित ने किसी को कुछ नहीं बताया था, अपने बाकी दोस्तों को भी नहीं. लेकिन जब प्रज्ञा ने अंकित को हां कहा और वे रिलेशनशिप में आए तो अंकित ने उसे किसी को भी कुछ भी बताने से मना कर दिया.

अंकित का कहना था कि उन के बाकि दोस्त अंकित को खासा पसंद नहीं करते और उन्हें इन दोनों के रिलेशनशिप के बारे में पता चलेगा तो हो सकता है वे मजाक उड़ाएं जो कि अंकित नहीं चाहता. प्रज्ञा अंकित की यह बात मान गई और दोनों सीक्रेट रिलेशनशिप में आ गए. अंकित प्रज्ञा अब क्लोज आने लगे थे, मेंटली भी और फिजिकली भी. लेकिन, वक्त बीतने के साथ ही बाकि सभी चीजे भी बदलने लगीं. अंकित कालेज में प्रज्ञा के सामने बाकी लड़कियों से खूब फ़्लर्ट करता और प्रज्ञा बस देखती रह जाती. फोन पर वह उसे बताता कि यह सब बस मजाक है, आखिर, प्यार तो उसे बस प्रज्ञा से ही है.

अंकित अब प्रज्ञा को ना टाइम दे रहा था न अटेंशन. प्रज्ञा अंदर ही अंदर घुटने लगी थी. वह पूरी रात अंकित के मैसेज का इंतजार करती लेकिन अंकित औनलाइन हो कर भी उसे मैसेज नहीं करता. प्रज्ञा ने जब अंकित से यह शिकायत की कि वह इस रिलेशनशिप में खुश नहीं है तो अंकित उसे प्यार भरी बातें कर बहलाता, वह अपनी जिन्दगी में कितना परेशान है यह बताता. प्रज्ञा हर बार उस की बातों के आगे झुक जाती. वे दोनों कौलेज में बात तक नहीं करते थे, हाय हेलो भी नहीं. प्रज्ञा के लिए यह रिलेशनशिप ख़ुशी का कम बल्कि हर समय इनसिक्योर रहने का जरिया ज्यादा हो गई थी.

प्रज्ञा हर समय परेशान रहती थी. न किसी को इस रिलेशनशिप के बारे में बता पा रही थी न इसे खत्म कर पा रही थी. वह अंकित से बहुत प्यार करती थी, इतना कि अंकित का एक मैसेज उसका दिन बना या बिगाड़ सकता था. प्रज्ञा एक दिन यूं ही अंकित से किसी बात को ले कर शिकायत कर रही थी कि अंकित ने कह दिया कि ब्रेकअप कर लेते हैं. प्रज्ञा मान गई. वह दिन रात रोती रहती, घर में रहती तो ओवर थिंकिंग और एंग्जायटी उसे जीने न देती, कालेज जाती तो अंकित की एक झलक उस के घावों पर नमक का काम करते. दो महीने उस ने इसी तरह गुजारे. फिर एक दिन अंकित का मैसेज आ गया. वह उसे बताने लगा कि उस के लिए भी ऐसे जीना मुश्किल है. उस ने एक बार फिर प्रज्ञा की जिन्दगी में आना चाहा और प्रज्ञा ने उसे फिर से स्वीकार भी कर लिया.

प्रज्ञा एक दिन अंकित के घर गई थी जब उस के घर में कोई नहीं था. वह दोनों इंटिमेट हुए, बातें की  और ज़िन्दगी में आगे एकसाथ बढ़ने की इच्छा भी जताई. प्रज्ञा ने बातों ही बातों में अंकित से यह पूछ लिया कि वह सेक्स के लिए हमेशा ही इतना आतुर रहता है तो यदि उसे कभी कोई लड़की वन नाईट स्टैंड के लिए पूछेगी तो वह क्या करेगा. इस पर अंकित का जवाब था कि वह उस वन नाईट स्टैंड के लिए हां कह देगा क्योंकि उस के लिए खुद को कंट्रोल करना मुश्किल है. इतना सुनने के बाद भी प्रज्ञा वहां से उठ कर जा नहीं पाई.

घर आने के बाद प्रज्ञा को एहसास हुआ कि जिस इंसान से उसे इतना प्यार है उस के मन में उस के लिए प्यार तो दूर की बात, शायद इज्जत भी नहीं है. प्रज्ञा अपने ही ख्यालों में डूबी थी कि अंकित का मैसेज आ गया. उस ने कितना चाहा कि इग्नोर कर दे, पर कर नहीं पाई. प्रज्ञा को एहसास हो गया था कि वह अंकित के साथ रहकर खुद की पहचान खत्म कर रही है पर उस से दूर होने की हिम्मत उस में नहीं थी.

कौलेज के तीन साल भी इसी बीच खत्म हो गए. अंकित और प्रज्ञा अब भी तीन महीने में एक बार ही मिलते थे. दोनों मैसेज पर बात करते भी तो ना के बराबर. दोनों का इन तीन सालों में कई बार ब्रेकअप भी हुआ था पर हर बार अंकित अपनी बातों से प्रज्ञा को मना लेता था. प्रज्ञा ने यह तीन साल रो रोकर काटे थे फिर भी अंकित से दूर नहीं हो पाई थी.

आखिरी बार दोनों कब मिले थे प्रज्ञा को याद नहीं लेकिन जब अंकित का मैसेज आया तो उस से मिलने से वह खुद को रोक नहीं पाई. वह अंकित से मिलने कैफे पहुंची तो अंकित उस से बातें करने की बजाए लगातार किसी से फोन पर चैटिंग कर रहा था. प्रज्ञा को यह देख कर बहुत गुस्सा आया, उस ने अंकित से कहा कि फोन में लगे रहने की बजाए वह प्रज्ञा से बात भी कर सकता है. इस पर अंकित ने यह कह दिया कि जब वह बात करेगी तो अंकित फोन रख देगा. प्रज्ञा ने मन ही मन सोचा कि क्या वही इतनी बेवकूफ है जो उस से बात करने के लिए मर रही है और उसे फर्क तक नहीं पड़ता. प्रज्ञा कुछ बोली नहीं. दोनों वहां से 2 घंटे में ही निकल गए.

प्रज्ञा को लगा कि उस ने एक बार फिर अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट और सेल्फ एस्टीम खो दी है. वह आखिर समझ गई कि यह रिलेशनशिप एक टौक्सिक रिलेशनशिप से ज्यादा कुछ नहीं थी. अंकित जैसा लड़का उसे कभी वो रिस्पेक्ट और प्यार दे ही नहीं सकता, जो वह डिजर्व करती है. एक बार फिर प्रज्ञा टूट चुकी थी.

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टौक्सिक रिलेशनशिप से निकलना

पहली बात जो हर किसी को जान लेना बहुत जरूरी है, यह है कि किसी भी रिलेशनशिप के खत्म होने के बाद दुख और दर्द होना लाजिमी है. खुद को बिखरा हुआ और दिल टूटा हुआ लगना स्वाभाविक है. सिर्फ इस डर से कि यह दर्द झेलना मुश्किल होगा या इस इंसान से बात किए बिना जीना मुश्किल होगा, टौक्सिक रिलेशनशिप में रहना गलत है. यह बात हर किसी को अपने मन में बैठा लेने कि जरूरत है कि आप किसी रिश्ते में खुश नहीं हैं तो उसे खत्म करना ही आप के और आप के आने वाले भविष्य के लिए सही है. और वो कहते हैं न किसे के चले जाने से ज़िन्दगी खत्म नहीं हो जाती, बिलकुल सही है.

खुद की वैल्यू समझें

हर इंसान के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि अगर वह खुद खुश नहीं है तो ऐसी रिलशनशिप में रहना उस के लिए सही नहीं है. फिल्मो में त्याग और प्यार को एक साथ जोड़कर हम यह तो सीख गए हैं कि सामने वाले की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंढ़नी चाहिए, पर यह नहीं समझे की जबतक हम खुद खुश नहीं रहेंगे तो अपने पार्टनर को भी खुश नहीं रख पाएंगे. टौक्सिक रिलेशनशिप तो दिल में चुभे कांटे की तरह है जो हमेशा दर्द ही देगी. इसे अपने जीवन से निकालकर ही आप खुश रह पाएंगे. अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को गंवाने का एहसास बहुत बुरा है और प्यार के नाम पर खुद की नजरों में गिरना उस से भी बुरा.

स्पष्टतौर पर ब्रेकअप करें

टौक्सिक रिलेशनशिप में अक्सर लोग एक दूसरे से दूर रहने की कोशिश तो करते हैं लेकिन स्पष्ट तौर पर ब्रेकअप करने की बजाए बस चुप्पी साध लेते हैं और इंतजार करते हैं कि उन का पार्टनर एक बार फिर आएगा, उनसे बात करेगा और सबकुछ नौर्मल हो जाएगा. लोग खुद अपने पार्टनर को मौका देते हैं कि वह आए और आकर उन का टाइम वेस्ट करे. यही सबसे बड़ा कारण है कि लोग दूर रहने के बावजूद भी अपने पार्टनर से मूव औन नहीं कर पाते और इस टौक्सिक रिलेशनशिप को झेलते रहते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप स्पष्टतौर पर ब्रेकअप करें जिस से आपके पार्टनर को भी एक बार फिर वापिस आने का मौका ही न मिले.

इस प्यार को कमजोरी बनाएं

‘प्यार है तो काफी है फिर चाहे जान ही क्यों न चली जाए’ वाली जो सोच है न, असल मुसीबत की जड़ वही है. किसी से आप को कितना ही प्यार क्यों न हो, उस प्यार का तब तक कोई मतलब नहीं जबतक वह आप की इज्जत न करे और आप को प्यार न दे. अब ‘कुछ कुछ होता है’ की अंजली और राहुल को ही देख लीजिए. अंजली ने अपने इस प्यार की खातिर क्या नहीं किया, पर क्या हुआ? राहुल ने किया वही जो उस के लिए फायदेमंद था. उस ने तो अपनी ज़िन्दगी जी ली, शादी की और बच्ची भी हो गई. जब आखिर में उसे अपनी बच्ची के लिए मां की जरुरत थी तो उसे अंजली दिख गई जोकि अब खूबसूरत भी लगने लगी थी. पर अंजली को क्या मिला? अपना भूला बिसरा प्यार जिसने उसे इतने साल घुट घुट के जीने पर मजबूर किया? इन फिल्मों से सीखी प्यार की बातों को अपने असल जीवन में अपनाकर पछताने की बजाए असल लौजिक पर अमल किया जाए तो बेहतर है.

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“ज़िन्दगी में प्यार एक बार होता है और शादी भी,” जैसी बातों पर विश्वास करने की कोई जरुरत नहीं है. खुद इस डायलौग को कहने वाले ने ही दो दो शादियां की थीं, तो आप तो दो बार क्या तीन बार भी प्यार कर ही सकते हैं. अपनी टौक्सिक रिलेशनशिप से निकलें, खुद पर फोकस करें, खुद की ख़ुशी को अपनी प्राथमिकता बनाएं, नए लोगों से मिलें, नई चीज़ें सीखें और किसी भी तरह के नेगेटिव इंसान को अपने पास भी न भटकने दें.

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