भारत में सैक्स शिक्षा हो कि न हो, इस पर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है. वैसे भी सैक्स का बाजार हमेशा गरम रहता है. पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का तो देश के लगभग हर घर में समावेश हो ही गया है. लेकिन जब स्कूलों में सैक्स शिक्षा की बात उठती है तो आज भी देश के अधिकांश लोग इस का विरोध करने लगते हैं. भारत के 6 राज्यों, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु और झारखंड में कराए गए सर्वे में बहुत सी ऐसी बातें सामने आई हैं जो भारतीय संस्कृति को बहुत ही तेजी से बदलने का संकेत देती हैं. मसलन, शादी से पहले सैक्स तो लड़कों में आम है ही, पर सर्वे की सब से चौंकाने वाली बात यह है कि 15 साल की उम्र तक विवाह से पूर्व सैक्स संबंध बनाने में लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है.
सर्वे के अनुसार, 15 प्रतिशत लड़कों और 4 प्रतिशत लड़कियों ने कुबूल किया कि उन्होंने शादी के पहले सैक्स का अनुभव ले लिया है. इस से भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि इन में से 24 प्रतिशत लड़कियों ने माना कि उन्होंने 15 साल की उम्र से पहले ही सैक्स का अनुभव ले लिया है, जबकि लड़कों का प्रतिशत सिर्फ 9 रहा, जिन्होंने यह माना कि उन्होंने सैक्स का अनुभव 15 साल से पहले लिया. अब यह मानना पड़ेगा कि भारत की युवा संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन आ चुका है. कच्ची उम्र में प्रेम व यौन संबंध को भले ही कुछ लोग नकार दें लेकिन सर्वे का नतीजा बता रहा है कि भारत में नाबालिग लड़के, लड़कियों में सैक्स तेजी से बढ़ रहा है. वे अपनी मरजी से इस का अनुभव ले रहे हैं. जिस का असर यौन अपराध में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है.
दुख की बात यह है कि आज भी परिवार के लोग आपस में यौन संबंधी बातें करने में बच्चों से कतराते हैं. उन से वे सैक्स संबंधी बातें करने में झिझकते हैं. बच्चों को इन बातों से दूर रखा जाता है और यही कारण है कि बच्चे जानकारी के अभाव में या तो स्वयं ही गलत कदम उठा लेते हैं या फिर यौन दुराचार के शिकार हो जाते हैं. दरअसल, उन के मन में यह जिज्ञासा बनी रहती है कि आखिर यह है क्या चीज, जो हम से छिपाई जा रही है.
क्यों जरूरी है यौन शिक्षा
बच्चों की बढ़ती उम्र के साथसाथ न सिर्फ हार्मोंस में बदलाव आता है, बल्कि शरीर में कई परिवर्तन भी आते हैं जिस की वजह से किशोरों में सैक्स के प्रति आकर्षण बढ़ता है. फिर ये छिप कर इस के बारे में जानने का प्रयास करने लगते हैं. नतीजा यह होता है कि वे गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं और बाद में उन्हें पछताना पड़ता है. सैक्स के बारे में सही जानकारी न मिलने के कारण वे एड्स के भी शिकार हो जाते हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि स्कूली स्तर पर ही उन्हें सैक्स शिक्षा दी जाए जिस से बच्चे बाल यौन शोषण से बच सकें.
आज के बदलते माहौल में बच्चों को यौन शिक्षा की सही जानकारी दी जानी जरूरी हो गई है. इस से वे अपने शरीर के अंगों व उन के कार्यों के बारे में जान सकेंगे. खासतौर से 14-15 साल की उम्र में उन के शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं जिन्हें वे समझ नहीं पाते. बच्चे या बच्चियों को तो यह पता ही नहीं चलता कि आखिर उन के शरीर में यह हो क्या रहा है. वे इस के बारे में किस से पूछें, यह भी उन्हें पता नहीं होता. ऐसी स्थिति में वे छिप कर सैक्स की गंदी किताबों को पढ़ते हैं और उन से मिले अधकचरे ज्ञान को वे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं. जिस के कारण वे सैक्स संबंधी विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं.
जागरूकता की आवश्यकता
अगर आप अपने बच्चों को सही उम्र में सही तरीके से यौन शिक्षा देते हैं तो आप के बच्चे यौन दुराचार का शिकार होने से बच जाएंगे. यौन शिक्षा के द्वारा बच्चों में सैक्स की समझ विकसित होती है. फिर जब वे इस दौर से गुजरते हैं तो ये बातें उन के काम आती हैं. जब आप किशोरावस्था में सैक्स शिक्षा देंगे तो उन में इस के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और उत्सुकता कम होगी. इस से उन में सैक्स के प्रति देर से सक्रिय होने की संभावना बढ़ जाती है. फिर उन में कच्ची उम्र में सैक्स करने का खतरा कम हो जाता है.
जब भी आप किसी चीज को बच्चों से छिपाने की कोशिश करेंगे तो वे उसे जरूर जानने की कोशिश करेंगे. इसलिए अच्छा रास्ता यही है कि उन्हें सैक्स के बारे में बचपन से ही हलकी जानकारी देनी शुरू कर दी जाए. जिस से उन में छिप कर इस काम को करने की आदत न पनपे. आप बच्चों के सवालों को टालने की कोशिश न करें. अगर आप उन की जिज्ञासा को शांत नहीं करेंगे तो वे इस की जानकारी कहीं और से लेने की कोशिश करेंगे. ऐसे में वे अपने ही लोगों से यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं. ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें दूसरों के द्वारा गलत व अधूरी जानकारी मिले, जो उन के लिए नुकसानदेह हो. आज के आधुनिक दौर में घरघर टीवी व इंटरनैट हैं. वे बिना सोचेसमझे हर तरह के ज्ञान सब को परोसते रहते हैं. वे यह नहीं देखते कि उन्हें देखने वालों में बच्चे भी होते हैं. इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने बच्चों पर ध्यान रखें कि वे क्या देख रहे हैं, इस का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा. अगर आप के मना करने पर भी वे नहीं मानते तो उसे उन्हें देखने दें. लेकिन बाद में उस के बारे में अच्छी जानकारी उन्हें खुद दे दें. जिस से उन सब बातों का उन पर बुरा प्रभाव न पड़े. ऐसे में जरूरी है कि उन्हें यौन शिक्षा उन के स्कूल और मातापिता दोनों द्वारा दी जाए. वैसे भी हर परिवार और स्कूलटीचर का दायित्व होता है कि वे बच्चों को सही जानकारी दें. अगर उन्हें किसी बात को ले कर कोई गलतफहमी है तो वे उसे सुधारें.
आप के बच्चे बड़े हो गए हैं तो उन्हें यौन शिक्षा देते समय एड्स व अन्य यौन रोगों के बारे में भी जानकारी दें. ऐसी बीमारियों से कैसे बचा जाए, इस के बारे में भी बताएं. इस में कोई संकोच न करें. किशोरों की नादानी के कारण ही कई लड़कियां शादी से पहले गर्भवती हो जाती हैं. ऐसी समस्याओं से बचने के लिए मातापिता को उन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए कि वे कहां जाते हैं, उन के कैसे दोस्त हैं, मोबाइल पर किस से बातें करते हैं, स्कूल या कोचिंग के बाद वे समय से घर आते हैं या नहीं आदि. कभीकभी बच्चे बड़े हो जाते हैं तो मातापिता भी लापरवाह हो जाते हैं. वे सोचते हैं कि हमारे बच्चे तो बड़े हो गए हैं, सहीगलत अब समझने लगे हैं. दरअसल, उन का ऐसा सोचना गलत है. बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तभी तो उन पर ज्यादा निगरानी रखने की जरूरत पड़ती है.
खुल कर करें बातें
यौन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि बच्चों को इस की पर्याप्त जानकारी दी जाए. किशोरावस्था में कदम रख रहे बच्चों के लिए यौन शिक्षा उन्हें उन के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाती है. दरअसल, इस उम्र में बच्चों को यह समझाने की जरूरत होती है कि सैक्स से पहले सावधानी बहुत जरूरी है. इसलिए सैक्स के बारे में बच्चों से खुल कर बातें करें. हमारे समाज में सैक्स के बारे में खुल कर बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे माहौल में पलेबढ़े मातापिता भी अपने बच्चों से इस विषय पर बातचीत करने से कतराते हैं. लेकिन अब जमाना बदल गया है.
यौन संबंधी जानकारी के लिए सब से पहले सहज वातावरण बनाने की जरूरत होती है. इस बारे में किए गए अध्ययन से पता चला है कि जिन बच्चों के अभिभावक उन से खुल कर बातचीत करते हैं और उन की बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं, वे बच्चे ही सैक्स संबंधी बातें अपने अभिभावकों से कर पाते हैं. ऐसे बच्चे किशोरावस्था में यौन खतरों से भी बचे रहते हैं. कोई उन की नादानी का फायदा नहीं उठा पाता.
शारीरिक परिवर्तनों पर चर्चा
आप को सैक्स के संबंध में बातचीत करने में असुविधा महसूस होती हो तो यही काम चिकित्सक या विश्वसनीय दोस्तों द्वारा कराया जा सकता है. चिकित्सक अच्छी तरह इस बारे में बच्चों को बता देंगे. अगर आप सैक्स की जानकारी देने में संकोच कर रहे हैं तो इसे बच्चों से न छिपाएं. उन्हें आप बताएं कि मेरे मातापिता ने मुझ से कभी सैक्स के बारे में बातचीत नहीं की, इसीलिए मैं भी तुम से इस बारे में बात नहीं कर पा रहा. लेकिन हम चाहते हैं कि हम लोग इस बारे में बातें करें. तुम भी कोई बात मुझ से न छिपाओ. अगर किसी भी प्रकार की जिज्ञासा तुम्हारे अंदर हो तो बेझिझक मुझ से चर्चा करो.
बच्चों से जितनी कम उम्र में इस संबंध में बातचीत की जाए, वह अच्छा होगा. उन्हें इस की जानकारी अत्यंत सहज और अधिक से अधिक दी जानी चाहिए. छोटे बच्चे को जब बातचीत के माध्यम से शरीर के अन्य अंगों नाक, कान, आंख आदि की जानकारी दी जाती है तो उसी वक्त साथसाथ उस के गुप्तांगों के बारे में भी जानकारी दे दी जानी चाहिए. शरीर के सभी अंगों के वास्तविक नाम बच्चों को जरूर बताएं. बढ़ती उम्र के साथ उन के शरीर में आने वाले सभी प्रकार के परिवर्तनों से भी उन को अवगत कराएं. बच्चों को उन की उम्र के अनुसार जानकारी मुहैया करानी चाहिए. बच्चे उम्र के साथ होने वाले शारीरिक परिवर्तनों से घबराएं नहीं, इस के लिए बढ़ती उम्र के साथ लड़के और लड़की में आने वाले अलगअलग शारीरिक परिवर्तनों व कारणों को उन्हें बताना चाहिए. शरीर में मौजूद हार्मोंस के कारण ही लड़के और लड़की में अलगअलग शारीरिक परिवर्तन होते हैं. इस की जानकारी बच्चों को जरूर दे देनी चाहिए. इस से बच्चे, उम्र के साथ होने वाले शारीरिक परिवर्तनों से डरेंगे नहीं और न ही विचलित होंगे.
11 से 12 वर्ष के बच्चों के साथ की जाने वाली बातचीत में अवांछित गर्भ और उस से बचाव जैसे मसलों को शामिल करना चाहिए. मसलन, मासिकधर्म के बारे में उन को बताया जा सकता है और उस से संबंधित सावधानियों के बारे में जानकारी दी जा सकती है. कई बार ऐसा होता है कि अभिभावक विपरीत सैक्स अर्थात पिता बेटी से तथा मां बेटे से यौन शिक्षा संबंधी बातचीत करने में संकोच करते हैं. यह ठीक नहीं है. बच्चों के सामने झिझक न आने दें. ऐसा कोई नियम नहीं है कि पिता ही बेटे से या मां ही बेटी से यौन शिक्षा की बात करे. जो बच्चा जिस के अधिक करीब हो, वही उस से इस के बारे में बात करे. यदि आप बच्चे को यह समझाने में सफल हो जाते हैं कि घर में सैक्स समेत किसी भी प्रकार के प्रश्न पूछने पर उस पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं है, तो समझिए आप के बच्चे सैक्स संबंधित बीमारियों से सुरक्षित रहेंगे