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इश्क वाला लव : रुशाली के प्यार का कैसा घिनौना रूप विशाल ने देखा

जब से मिस रुशाली की प्यार भरी नजर मुझ पर पड़ी थी, तब से मानो मैं तो जी उठा था. हमारे दफ्तर के सारे मर्दों में मैं ही तो सिर्फ शादीशुदा था और उस पर एक बच्चे का बाप भी. ऐसे में मिस रुशाली पर मेरा जादू चलना किसी चमत्कार से कम न था. पर अब जब यह चमत्कार हो गया था, तब ऐसे में सभी को आहें भरते देख मैं खुद पर नाज कर बैठा था.

‘‘मैं ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उस विशाल पर मिस रुशाली फिदा होंगी. पता नहीं, उस हसीना को उस ढहते हुए बूढ़े बरगद के पेड़ में न जाने क्या नजर आया, जो उसे अपना दिल दे बैठी?’’ लंच करते वक्त रमेश आहें भरता हुआ सब से कह रहा था.

‘‘हां भाई, अब यह बेचारा दिल ही तो है. अब यह किसी गधे पर आ जाए, तो इस में उस कमसिन मासूम हसीना का क्या कुसूर?’’ राहुल के इस मजाक पर सभी खिलखिला कर हंस पड़े.

कैंटीन में घुसते वक्त जब मैं ने अपने साथियों की ये बातें सुनीं, तो मैं मन ही मन इतरा उठा और अपना लंच बौक्स उठा कर दोबारा अपनी सीट पर आ कर बैठ गया.

अपने दफ्तर के सारे आशिकों के जलते हुए दिलों से निकलती हुई आहें मेरे मन को ऐसा सुकून दे रही थीं कि मैं खुशी के चलते फिर कुछ खा न पाया.

तब मैं ने चपरासी से कौफी मंगाई और कौफी पी कर फिर से अपने काम में जुट गया. वैसे तो उस समय मैं लैपटौप पर काम कर रहा था, पर मेरा ध्यान तो मिस रुशाली के इर्दगिर्द ही घूम रहा था.

सलीके का पहनावा, तीखे नैननक्श, सुलझे हुए बाल और उस पर मदमस्त चाल. सच में मिस रुशाली एक ऐसा कंपलीट पैकेज है, जिस के लिए जितनी भी कीमत चुकाई जाए, कम है.

अब तो मिस रुशाली के सामने मुझे अपनी पत्नी प्रिया की शख्सीयत बौनी सी लगने लगी थी. वैसे, प्रिया में एक पत्नी के सारे गुण थे और मैं उसे प्यार भी करता था, पर मिस रुशाली से मिलने के बाद मुझे लगने लगा था कि कुछ तो ऐसा है मिस रुशाली में, जो प्रिया में नहीं है.

शायद, मुझे मिस रुशाली से इश्क वाला लव हुआ है, जो शायद उस लव से ज्यादा है, जो मैं अपनी पत्नी प्रिया से करता था, इसलिए तो मिस रुशाली मेरे मन में बसती जा रही थी.

इधर मेरा प्यार परवान चढ़ रहा था, तो उधर मिस रुशाली का जादू मेरे सिर चढ़ कर बोलने लगा था.

लौंग ड्राइव, पांचसितारा होटल में डिनर, महंगे उपहार पा कर मिस रुशाली मुझ पर फिदा हो गई थी. जब भी मैं उस की बड़ीबड़ी झील सी आंखों में अपने प्रति उमड़ रहे प्यार को देखता, तब मेरा दिल जोरजोर से धड़कने लगता था.

अब तो सिर्फ इसी बात की इच्छा होती कि न जाने ऐसा वक्त कब आएगा, जब मिस रुशाली की प्यार भरी नजरें मुझ पर मेहरबान होंगी और उस प्यार भरी बारिश में मेरा मन भीग जाएगा.

बस, इसी कल्पना की चाह में मैं फिर से जी उठा था. ऐसा लगता था, मानो मैं उस मंजिल को पा गया हूं, जहां धरती और आसमान एक हो जाते हैं.

पर प्रिया मेरे अंदर आए इस बदलाव से कैसे अछूती रह पाती? अब उस की सवालिया नजरें मुझ पर उठने लगी थीं. पर मैं चुप था, क्योंकि मुझे एक सही मौके की तलाश जो थी.

रात को सोते वक्त जब कभी प्रिया मेरे नजदीक आने की कोशिश करती, तब मैं जानबूझ कर उस की अनदेखी कर देता था.

तब मैं तो मुंह फेर कर सो जाता और वह आंसू बहाती रहती. मुझे उस का रोना अखरता था, पर मैं क्या करता? मैं अपने दिल के हाथों मजबूर जो था.

बीतते समय के साथ मेरी मिस रुशाली को पाने की चाह बढ़ने लगी थी, क्योंकि मिस रुशाली की बड़ीबड़ी आंखों में मेरे प्रति प्यार का सागर तेजी से हिलोरें जो लेने लगा था.

अब मुझे लगने लगा था कि शायद सही वक्त आ गया है, जब मुझे प्रिया से तलाक ले कर मिस रुशाली को अपना बनाना होगा, तभी मेरी इस उमस भरी जिंदगी में खुशियों के फूल खिल पाएंगे.

अभी मैं सही मौके की तलाश में था कि अचानक मेरी किस्मत मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गई. प्रिया के मामाजी के अचानक बीमार होने के चलते वह पूरे 3 दिन के लिए आगरा क्या गई, मुझे तो मानो दबा हुआ चिराग मिल गया.

‘सुनो, मैं आगरा जा रही हूं. तुम्हारा खाना कैसरोल में रखा है,’ प्रिया अपना सामान पैक करते हुए फोन पर मुझ से कह रही थी.

‘‘तुम जल्दी से निकलो. मेरे खाने की चिंता मत करो, वरना तुम्हारी शाम वाली बस छूट जाएगी,’’ मैं खुशी के मारे हड़बड़ा रहा था.

‘हां जी, वह तो ठीक है. मैं ने श्यामा को बोल दिया है कि वह सुबहशाम आप का मनपसंद खाना बना दिया करेगी,’ प्रिया अभी भी मेरे लिए परेशान थी.

‘‘प्रिया, मैं तो चाह रहा था कि मैं दफ्तर से जल्दी निकल कर तुम्हें बसस्टैंड पर छोड़ आऊं, पर क्या करूं, इतना ज्यादा काम जो है,’’ मैं ने अपनी चालाकी दिखाते हुए कहा.

‘नहीं जी, आप अपना काम करो. मैं चली जाऊंगी,’ इतना कह कर प्रिया ने फोन रख दिया.

प्रिया का इस तरह अचानक चले जाना मुझे एक अनजानी सी खुशी दे गया. मैं बावला सा कभी सोचता कि यहां दफ्तर में ही मिस रुशाली को सबकुछ बता कर अपने घर ले जाऊं. पर फिर बहुत सोचने के बाद मुझे यही लगा कि मैं अपने घर पहुंच कर फ्रैश होने के बाद ही मिस रुशाली से मिलने जाऊंगा.

जब वह अचानक मुझे देखेगी, तब मुझ पर चुंबनों की बरसात कर देगी और उस प्यारभरी बारिश में भीग कर हम दोनों दो जिस्म एक जान बन जाएंगे.

बस फिर क्या था. मैं तुरंत घर पहुंचा और अच्छी तरह तैयार हो कर मिस रुशाली के पास पहुंच गया. दरवाजे की घंटी बजाने पर दरवाजा रुशाली ने नहीं, बल्कि एक मोटी सी औरत ने खोला.

‘‘मिस रुशाली…’’

‘‘वह ऊपर रहती है,’’ उस औरत ने बेरुखी से कहा . फिर मैं ऊपर चढ़ गया. जब मैं रुशाली के कमरे में पहुंचा, तब मैं ने देखा कि वह किसी चालू फिल्मी गाने पर थिरक रही थी. कमरे में चारों तरफ कपड़े बिखरे पड़े थे और जूठे बरतन यहांवहां लुढ़के पड़े थे.

‘‘अरे तुम, अचानक…’’ मुझे अचानक सामने देख वह हड़बड़ा गई, ‘‘वह क्या है न, आज मेड नहीं आई.’’

रुशाली यहांवहां पड़ा सामान समेटने लगी. फिर उस ने सामने पड़ी कुरसी पर पड़ी धूल साफ की और मुझे बैठने का इशारा किया. फिर वह मेरे लिए पानी लेने चली गई.

रुशाली के जाने के बाद जब मैं ने कमरे में चारों तरफ नजर घुमाई, तो गर्द की जमी मोटी सी परत को पाया.

इतना गंदा कमरा देख मेरा जी मिचलाने लगा. अब धीरेधीरे मुझे अपनी प्रिया की कद्र समझ आने लगी थी. वह तो सारा घर शीशे की तरह चमका कर रखती है, तब भी मैं उसे टोकता ही रहता हूं, पर यहां तो गंदगी का ऐसा आलम है कि पूछो मत.

‘‘कुछ खाओगे क्या?’’ पानी का गिलास देते हुए रुशाली मुझ से पूछ बैठी.

‘‘हां… भूख तो लगी है.’’

‘‘ये लो टोस्ट और चाय,’’ थोड़ी देर में रुशाली मुझे चाय की ट्रे थमाते हुए बोली.

डिनर में चाय देख कर मेरे सिर पर चढ़ा इश्क का रहासहा भूत भी उतर गया.

‘‘वह क्या  है न… मुझे तो बस यही बनाना आता है, क्योंकि सारा खाना तो मेरी आंटी ही बनाती हैं. पेईंग गैस्ट हूं मैं उन की,’’ रुशाली अपना पसीना पोंछते हुए बोली, तो मैं समझ गया कि अब तक मैं जो कुछ भी रुशाली के लिए महसूस कर रहा था, वह सिर्फ एक छलावा था. मेरा उखड़ा मूड देख कर तुरंत रुशाली ने अपना अगला पासा फेंका.वह तुरंत मेरे पास आई और बेशर्मी से अपना गाउन उतारने लगी.

‘‘क्या कर रही हो यह…’’ मैं गुस्से से तमतमा उठा.

‘‘अरे, शरमा क्यों रहे हो? जो करने आए थे, वह करे बिना ही वापस चले जाओगे क्या?’’ इतना कह कर वह मुझ से लिपटने लगी.

उसे इस तरह करते देख मैं हड़बड़ा गया. इस से पहले कि मैं खुद को संभाल पाता, उस ने मुझे यहांवहां चूमना शुरू कर दिया.

तभी अचानक मेरे गले में पड़ा लौकेट उस के हाथ में आ गया, जिस में मेरी बीवी प्रिया और अंशुल का फोटो था.

‘‘ओह, तो यह है तुम्हारी देहाती पत्नी… अरे, इसे तलाक दे दो और मेरे नाम अपना फ्लैट कर दो, फिर देखो कि मैं कैसे तुम्हें जन्नत का मजा दिलाती हूं?’’ इतना कह कर वह मुझ से लिपटने की कोशिश करने लगी.

‘‘प्यार बिना शर्त के होता है रुशाली,’’ मैं उस समय सिर्फ इतना ही कह पाया.

‘‘आजकल कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता, मिस्टर. हर चीज की कीमत होती है और हर किसी को वो कीमत चुकानी ही पड़ती है,’’ इतना कह कर रुशाली जोर से हंस पड़ी.

रुशाली के प्यार का यह घिनौना रूप देख मैं टूट सा गया और उसे धक्का दे कर बाहर आ गया.

हारी हुई नागिन की तरह रुशाली जोर से चीखते हुए बोली, ‘‘विशाल, मेरा डसा तो पानी भी नहीं मांगता, फिर तुम क्या चीज हो?’’

पर मैं तब तक अपनी कार में बैठ चुका था और मेरे इश्क वाले लव का भूत उतर चुका था.

तो अक्षय खन्ना की वजह से नहीं शुरू हो पा रही है फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’

लगभग छह वर्ष बाद फिल्मों में वापसी करते हुए अभिनेता अक्षय खन्ना ने फिल्म ‘‘मौम’’ और ‘‘इत्तफाक’’ में एक पुलिस आफिसर के किरदार में जबरदस्त परफार्मेंस से हर किसी का दिल जीत लिया. जिसके चलते तमाम फिल्मकार उनके साथ फिल्म बनाना चाहते हैं.

अक्षय खन्ना ने लगभग डेढ़ वर्ष पहले मनीष गुप्ता की फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’ में रिचा चड्ढा के संग मुख्य भूमिका निभाने के लिए हामी भरी थी. लेकिन अक्षय खन्ना की वजह से यह फिल्म शुरू नहीं हो पा रही है.

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‘मौम’के बाद वह ‘इत्तफाक’मे व्यस्त हो गए थे. पर अब खबर यह है कि अक्षय खन्ना को अचानक अनुपम खेर के साथ राजनीतिक ड्रामा वाली फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ मिल गयी है. इस फिल्म के मिलते ही अक्षय खन्ना ने मनीष गुप्ता की फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’ को फिर से लटका दिया है.

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सूत्र दावा कर रहे हैं कि अक्षय खन्ना को राजनीतिक ड्रामा वाली फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ में ज्यादा रोचकता नजर आ रही है. सूत्रों की माने तो अक्षय खन्ना ‘‘सेक्शन 375’’ की शूटिंग शुरू करने की बजाय फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ की शूटिंग के लिए लंदन जा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर शिक्षित दलित ही क्यों हो रहे हैं व्यथित

अगर वक्त रहते सरकार ने कोई कारगर कदम नहीं उठाया तो 2 अप्रैल को देश भर में हालात विस्फोटक हो जाने की आशंका से इंकार भी नहीं किया जा सकता. मुद्दा सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है जिसमें जस्टिस आदर्श गोयल और यूयू ललित की बेंच ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम – 1989 को एक तरह से निष्प्रभावी घोषित कर दिया है. इस बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि एससी एसटी एक्ट के तहत कई फर्जी मामले सामने आए हैं और संसद ने यह कानून बनाते वक्त यह नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग होगा.

इन कथित दुरुपयोगों को रोकने सबसे बड़ी अदालत ने नई गाइड लाइन जारी की है, जिसके तहत यदि कोई आरोपी अगर सरकारी कर्मचारी है तो तो उसकी गिरफ्तारी से पहले उसके उच्च अधिकारी से अनुमति लेना जरूरी होगा और गिरफ्तारी की अनुमति देने वाले जांच अधिकारी को कारण दर्ज कराना होगा. केस दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर का अधिकारी शुरुआती जांच करेगा. फैसले के जिस प्रावधान को लेकर दलित समुदाय सबसे ज्यादा तिलमिलाया हुआ है वह यह है कि अब आरोपी को अग्रिम जमानत मिल सकेगी.

दुर्भाग्य से यह दुर्भाग्यजनक फैसला ऐसे वक्त में आया है जब देश में वर्ग संघर्ष का सा माहौल है और आरक्षित वर्ग इस बात से भयभीत है कि धीरे धीरे केंद्र सरकार षड्यंत्रपूर्वक आरक्षण व्यवस्था खत्म कर रही है. (यह एक्ट भी उसके हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे में रोड़ा था)  सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्टों की भरमार है कि सुप्रीम कोर्ट के ब्राह्मणवादी जजों के इस तुगलकी फरमान से दलित अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठा पाएंगे और कल को दलितों को फिर से बीच चौराहे पर जलील किया जाएगा. यह फैसला दलितों पर पहले की तरह अत्याचार करने बाबत सवर्णों के लिए लायसेंस है वगैरह वगैरह ………….

…………लिहाजा दलितों को एकजुट होकर इस फैसले का लोकतान्त्रिक विरोध सड़कों पर आकर करना चाहिए और इस बाबत 2 अप्रैल को ही भारत बंद का भी आव्हान दलित कर रहे हैं.

दलितों का गुस्सा,  भड़ास, आक्रोश और व्यथा बेहद स्वभाविक हैं जिसकी अनदेखी की गई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं. हालांकि यह एक्ट कतई दलित हितों या स्वाभिमान की रक्षा नहीं कर पा रहा था लेकिन फिर भी दलितों के लिए एक कारगर हथियार तो था जिससे सवर्ण दहशत में रहते थे और सरेआम दलितों को अपमानित नहीं कर पाते थे. लेकिन यह स्थिति शहरों में ज्यादा थी जहां के अधिकांश दलित शिक्षित और जागरूक होकर सही मानों में आरक्षण का फायदा ले रहे हैं, नहीं तो गांव देहातों के अधिकतर दलितों को तो मालूम ही नहीं कि कोई एक्ट या कानून उनकी गैरत की हिफाजत के बाबत वजूद में है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे खत्म सा कर दिया है.

यह एक दिलचस्प लेकिन चिंताजनक बात है कि इस अधिनियम के प्रभावी होने के बाद भी दलित अत्याचार बदस्तूर होते रहे थे. दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारकर बेइज्जत करने के पहले दबंग इस का लिहाज नहीं करते थे, यह अधिनयम उन श्मशानघाटों पर भी बेअसर साबित होता था जहां दलित की लाश को जलाने सवर्ण दो गज जमीन भी नहीं देते, उन घाटों पर भी इसकी कोई अहमियत नहीं थी जहां से पानी भरने दलित तरस जाता है. फिर भंगी चमार और मेहतर जैसे जातिसूचक संबोधनों का तो जिक्र ही बेमानी है, जिनसे रोज रोज दलित दो चार होते हैं.

कहने का मतलब यह नहीं की शहरों में रह रहे नौकरीपेशा दलितों से सवर्णों के कोई रोटी बेटी के संबंध कायम हो गए हैं, बल्कि हुआ सिर्फ इतना है कि शहरी दलित भंगी चमार या मेहतर न होकर सिंह, कुमार या फिर वर्मा हो गया है, पर उसके प्रति मूल भाव वही है जो गांवों में है. यानि सवाल मानसिकता का है, जिस पर लाखों मामले निचली अदालतों में लंबित होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने कोई गौर नहीं किया और सीधे दुरुपयोग को अंडर लाइन किया.

सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग का कोई आंकड़ा भी पेश नहीं किया है और फैसला देने के पहले इस बात या तथ्य की जांच पड़ताल करने की भी जरूरत नहीं समझी कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों मे आरोपी थोक में छूट क्यों जाते हैं, मामलों की जांच कैसे और कितने वक्त में होती है और इसे करता कौन है. यही बात सोशल मीडिया पर शिक्षित दलित कह रहा है कि जब सब कुछ दबंगों के हाथों में ही है तो वे क्यों अपनी बिरादरी बालों को सजा दिलाने कोई पहल करेंगे.

ये दलित पानी पी पी कर दलित नेताओं की चुप्पी और चालाकी को कोस रहे हैं. राम विलास पासवान,  रामदास अठावले और उदित राज जैसे दलित नेता भगवा पालने में झूल रहे हैं और यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे कुछ कर रहे हैं और करने के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रिरिया रहे हैं कि साहब कुछ करो नहीं तो हमारी तो दुकान बंद हो जाएगी. शायद अब नेताओं को समझ आ रहा हो कि उनकी दुकान बंद हुये तो 4 साल पूरे हो चुके हैं.

गैर भाजपाई दलित नेताओं की दुकानों के शटर तो काफी पहले गिर चुके हैं , खासतौर से बसपा प्रमुख मायावती के जो मनुवादियों के झांसे में आकर खुद अपना और दलितों का भी भविष्य बर्बाद कर चुकी हैं. हालिया गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनावों से उन्हें थोड़ी आक्सीजन जरूर मिली है लेकिन हैं तो वे अभी भी सियासी वेंटिलेटर पर.

ऐसे में अच्छी बात यह है कि इस फैसले के दूरगामी नतीजे भांपता शिक्षित दलित किसी के भरोसे 2 अप्रैल को बंद और धरने प्रदर्शन की बात नहीं कर रहा वह इस प्रस्तावित आंदोलन को स्व स्फूर्त बता रहा है और  तरह तरह की दलीलें और अतीत की दुहाइयां देकर सरकार को झुकाने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी तरफ सवर्णों की कोशिश या मंशा यह है कि 2 अप्रैल को कुछ खास न हो बस छुटपुट प्रदर्शन होकर रह जाएं.

सियासी तौर पर दिक्कत में भाजपा है जिसे इस अदालती फैसले का जिम्मेदार दलित मान रहे हैं तो वे गलत भी नहीं हैं उनका गुस्सा इस बात को लेकर ज्यादा है कि ब्राह्मणों और बनियों की इस पार्टी को समझने में वे गच्चा क्यों 2014 में खा गए थे. दहशत में आ गए इन दलितों की आरक्षण खात्मे के बाद की चिंता मनुवाद रिटर्न की है तो देखना दिलचस्प और अहम होगा कि अब सरकार कैसे मुख्यधारा का हिस्सा बन गए इन दलितों से निबटेगी, जो धरम करम पूजा पाठ और पाखण्डों में सवर्णों से उन्नीस नहीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ करो या मरो की हद तक लामबंद होते जा रहे हैं.

14 अप्रेल को अंबेडकर जयंती पर उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी दलितों को अपने पाले में फिर से लेने कोई घोषणा इस एक्ट के बाबत कर दें, पर दलित अब भगवा झांसे में आएगा ऐसा लग नहीं रहा, वजह यह कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता  है.

खूबसूरती बढ़ाने के 5 मेकअप टिप्स

खूबसूरत और आकर्षक दिखना हर महिला की चाहत होती है. ऐसे  में मेकअप की जानकारी और थोड़ी सी सावधानी आप को भीड़ में दिखा सकती है सब से खूबसूरत. आइए, जानें मेकअप के कुछ खास टिप्स.

1.  मेकअप की शुरुआत क्लींजिंग से करें. उस के बाद मुहांसों व दागधब्बों को छिपाने के लिए कंसीलर लगाएं, कंसीलर के बाद बेस लगाएं. अगर त्वचा रूखी है तो लिक्विड कंसीलर लगाएं.

2.  बेस का चयन त्वचा की रंगत के अनुसार करें. बेस का प्रयोग चेहरे व गले के साथसाथ कान व गरदन पर भी करें.

3.  आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए सब से पहले आईशैडो लगाएं. उस के बाद आईलाइनर से पतली लाइन खींचें. फिर आईशैडो के साथ ब्लैंड कर दें. लोअर आईलैशेज पर आई पैंसिल से हलकी रेखा जरूर खींचें. आंखों का मेकअप करते समय मसकारा सब से बाद में लगाएं. आईलैशेज पर मसकारा ऊपरनीचे दोनों तरफ लगाएं.

4.  होंठों को खूबसूरत दिखाने के लिए पहले लिपपैंसिल से आउटलाइन बनाएं. फिर ब्रश द्वारा लिपस्टिक से होंठों को फिल करें. होंठों को शाइनी लुक देने के लिए उन पर लिप ग्लौस लगाएं.

5.  गालों को उभार देने के लिए ब्लशर का प्रयोग करें.

भारत की सबसे महंगी 3D फिल्म का मेकिंग वीडियो देखा क्या..!

भारत में ऐसे करोड़ो दर्शक हैं जिन्हें हौलीवुड की फिल्मों की एक्शन, स्टोरी, वीएफएक्स और एनिमेशन इफेक्ट्स ने कायल बनाकर रखा है. भारत में भी अब ऐसा चमत्कार होने जा रहा है. जी हां, रजनीकांत की फिल्म 2.0 का लोगों के इस इंतजार को खत्म करने वाला है.

2.0 के निर्माताओं ने फैंस के लिए बिहाइंड द सींस का एक वीडियो शेयर किया है. इसे लेटेस्ट 3D तकनीक कैमरे से सीधे शूट किया गया है और इस वीडियो में बताया गया है कि कैसे इस फिल्म की शूटिंग के लिए 3डी कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

2.0 भारत की सबसे महंगी फिल्मों में शामिल होने वाली है. फिल्म लगभग 400 करोड़ रुपए के बजट से बनाई गई है. ‘2.0’ को जनवरी 2018 में रिलीज किया जाएगा और आने वाले कुछ महीनों में ही फिल्म के सितारे इसका प्रमोशन शुरू कर देंगे. फिल्म की स्क्रिप्ट को 3डी तकनीक को ध्यान में रखते हुए ही लिखा गया था इसलिए फिल्म के पहले सीन से ही थ्री डी कैमरों की मदद से शूट किया गया है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 27 अक्टूबर को दुबई में फिल्म का म्यूजिक रिली किया जा सकता है और सिर्फ इस इवेंट पर 12 करोड़ रूपये खर्च किये जाएंगे. फिल्म का टीजर नवंबर में आएगा जिसे हैदराबाद में लान्च किया जाएगा और दिसंबर में चेन्नई में ट्रेलर लान्च होगा.

आपको बता दें फिल्म साल 2010 में आई फिल्म रोबोट का सीक्वल है जिसमें रजनीकांत के साथ ऐश्वर्या राय बच्चन थीं जबकि सीक्वल में रजनीकांत से टकराने के लिए अक्षय कुमार 12 अलग अलग अवतारों में नजर आने वाले हैं. फिल्म 2.0 को चीन में 15000 से 20000 स्क्रीन्स पर रिलीज किया जाएगा.

गेमिंग बना सौतन

वह लंबा, डब्लू डब्लू एफ के पहलवानों जैसा है और उस के चेहरे पर गोटी (बकरा दाढ़ी) भी है. वह लाल लंगोट पहनता है, अपने पिता से नफरत करता है, उस की आंखों में हमेशा गुस्सा भरा रहता है, जिसे देख कर अपने मोगैम्बो (अमरीश पुरी) को भी गर्व होता है. जो लोग गेमिंग से परिचित हैं वे समझ गए होंगे कि हम प्लेस्टेशन के गेम ‘गौड औफ वार’ के चरित्र क्रेटोस का जिक्र कर रहे हैं, जो हमारे बैडरूम में प्रवेश कर गया है और सौतन की भूमिका निभा रहा है.

यह कैसे संभव है? आज की आधुनिक संस्कृति में सैक्सुअल आकर्षण लिंगविशिष्ट की सीमाओं को पार कर गया है. हम आज तक ‘सामान्य’ व ‘स्वाभाविक’ से जो कुछ समझते थे उसे फिर से परिभाषित किया जा रहा है. प्रेम करने के लिए जरूरी नहीं कि आप किसी पुरुष या महिला या दोनों से प्रेम करें. आप किसी से भी प्रेम कर सकते हैं और प्रेम करने में यह नहीं देखते कि वह क्या है और उस का लिंग क्या है. वह क्रेटोस की तरह गेमिंग का चरित्र भी हो सकता है. आधुनिक संस्कृति में इसे पैनसैक्सुअल कहते हैं.

क्षमा पांडे के जीवन में दूसरी महिला वास्तव में गुस्सैल व गंजा क्रेटोस है. एक सरकारी बैंक में पीओ के पद पर कार्यरत क्षमा पांडे के लिविंगरूम में जब गहरी सांसें लेते हुए, सीना खोले क्रेटोस ने पहली बार प्रवेश किया था तो उन्हें लगा था कि यह उन के पति की मित्रमंडली का एक और पागलपन है जो जल्द रफूचक्कर हो जाएगा. लेकिन जब रात की ये बैठकें बढ़ने लगीं और क्षमा के पति क्रेटोस की मदद हत्या व सैक्स में करने लगे तो क्षमा को क्रेटोस सौतन लगने लगा. क्रेटोस की तरह वह भी गुस्से व बदले की भावना से फड़फड़ाने लगी. आखिरकार प्लेस्टेशन का एक पिक्सीलेटिड चरित्र उन के पति के खाली समय का हिस्सेदार बन गया था. अपनी सौतन पर किस आत्मनिर्भर महिला को गुस्सा नहीं आता?

क्षमा पांडे अकेली ऐसी महिला नहीं हैं जिन के निजी जीवन में गेमिंग किरदार प्रवेश कर गए हैं. उन के हंसतेखेलते संबंधों को बरबाद करने के लिए छोटे शहरों से ले कर महानगरों तक ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने शुरूशुरू में तो अपने साथियों के गेमिंग शौक को उन में लड़कपन का लौटना समझा, लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि गेमिंग शराब व ड्रग से भी बुरी लत है तो उन के लिए क्रेटोस जैसी सौतनों को बर्दाश्त करना असंभव हो गया.

ऐसी महिलाओं के लिए यह समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि जिम्मेदारियों से भरी वास्तविक दुनिया की तुलना वर्चुअल वर्ल्ड से कैसे हो सकती है जिस में तेज रफ्तार कारें, तरबूजरूपी वक्षों वाली महिलाएं, चरम सुख प्राप्ति के हथियार, छिपी पहचान व गहरी सांसों वाले अन्य स्रोत भरे पड़े हैं?

वर्चुअल वर्ल्ड ने महिलाओं के जीवन में एक अजीब किस्म का बदलाव ला दिया है. उन्हें बर्थडे, विवाह, मुंडन आदि समारोह में अकेले जाना पड़ रहा है. वे टीवी पर अपने पसंदीदा सासबहू सीरियल नहीं देख पा रही हैं. जब वे अपने पतियों, बौयफ्रैंडों को कंप्यूटर स्क्रीन को गालियां देते हुए देखती हैं या काल्पनिक हथियारों व चीट कोड्स से जूझता हुआ देखती हैं तो उन्हें संयम से काम लेना पड़ता है कि कहीं पार्टनर भड़क कर गुस्से से आगबबूला न हो जाए.

25 वर्षीय दिव्यानी पंडित देश की जानीमानी सौफ्टवेयर कंपनी में वैबसाइट डिजाइनर हैं. दिव्यानी की परेशानी यह है कि वे अपने लिव इन पार्टनर जगदीश कौशल से जब भी कोई प्रश्न करती हैं तो जवाब हमेशा 5-7 मिनट के बाद ही मिलता है. जगदीश कौशल शनिवार व रविवार को कम से कम 4 घंटे ‘काउंटरस्ट्राइक’ व ‘कौल औफ ड्यूटी’ गेम खेलने में गुजारते हैं. अगर घर पर मौका नहीं मिलता है तो कालोनी के पास वाले गेमप्लैक्स चले जाते हैं.  चूंकि दोनों दिव्यानी व जगदीश कामकाजी हैं इसलिए उन्हें सही से साथ में समय बिताने के लिए वीकेंड ही मिल पाता है. लेकिन वीकेंड को भी जगदीश गेमिंग में व्यस्त हो कर नष्ट कर देते हैं. गेमिंग की वजह से दोनों के रिश्तों में तनाव आना शुरू हो गया है. इस बात का अंदाजा उन के बीच होने वाली वार्त्ता से लगाया जा सकता है.

दिव्यानी सवाल करती हैं, ‘‘आज दफ्तर में तुम्हारा दिन कैसा गुजरा?’’

5-7 मिनट तक कमरे में खामोशी  छाई रहती है. इस बीच जगदीश  8-10 वर्चुअल आतंकियों को टपका देता है. फिर उसे अचानक खयाल आता है कि दिव्यानी भी कमरे में मौजूद है, ‘‘सौरी, तुम क्या पूछ रही थीं?’’

गेमिंग निश्चित रूप से संबंधों को प्रभावित कर रहा है. यह बात समाजशास्त्रियों से भी छिपी नहीं है. इस संदर्भ में अनेक अध्ययन किए जा चुके हैं. मसलन, जनरल औफ लेजर रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 75 प्रतिशत गेमर्स के पार्टनर्स आशा करते हैं कि वे अपने संबंधों में अधिक समय निवेश करें. साथ ही यह भी मालूम हुआ कि जब एक पार्टनर गेमिंग में दूसरे से अधिक समय व्यतीत करता है तो इस से असंतुष्टि उत्पन्न होता है.

शालिनी सिंह गेमिंग के दीवाने आनंद प्रकाश की पत्नी हैं. वे हमेशा यही इच्छा करती हैं कि काश, वे गेम में एक किरदार होतीं. यह ख्वाहिश इसलिए है क्योंकि आनंद प्रकाश हर रोज, विशेषकर वीकेंड पर पूरा समय गेमिंग में ही गुजारते हैं. शालिनी सिंह का तो यहां तक कहना है कि आनंद प्रकाश का अपने एक्स-बौक्स 360 से ‘अफेयर’ चल रहा है और उन्होंने अपने टैबलेट्स व स्मार्टफोन से विवाह कर लिया है. इसलिए उन्हें अपनी पत्नी व बच्चों की कोई बात सुनाई नहीं देती, वे बहरे जैसे हो गए हैं.

गेमिंग व स्मार्टफोन की लत को दूर करना आसान नहीं है. पतिपत्नी में इस को ले कर झगडे हो रहे हैं, लेकिन लत है कि छूटने का नाम ही नहीं ले रही है. उस समय स्थिति बहुत विकट हो जाती है जब शालिनी आनंद के हाथों से स्मार्टफोन छीन लेती है और आनंद बिना कुछ कहे शालिनी का आईफोन उठा कर कोई दूसरा गेम खेलने लगता है.  यह दृश्य ज्यादातर आधुनिक बैडरूमों का है. शालिनी ने कहा, ‘‘आओ, सो जाएं.’’ जवाब में आनंद ने कहा, ‘‘आप रूम में चलिए, मैं 5 मिनट में आता हूं.’’ यह रात 10:30 बजे शनिवार की बात थी. अचानक शालिनी ने अपने कंधे पर आनंद के हाथ का स्पर्श महसूस किया. उस ने आंखें खोल कर दीवारघड़ी की ओर देखा तो रविवार की सुबह के  8 बज रहे थे. शालिनी का चेहरा उतरना स्वाभाविक था.

गेमिंग के दीवानों के लिए सब से सुंदर रातें वे होती हैं जब उन की पत्नी मायके चली जाती हैं. जब पत्नी घर में निगरानी के लिए नहीं होती तो उस वक्त आजादी ही आजादी होती है. वह समय होता है रोलप्लेइंग गेम्स (आरपीजी) खेलने का जैसे ‘ड्यूस एक्स’. इस गेम्स में, जैसा कि नाम से ही जाहिर है, प्लेयर को निरंतर विकल्प दिए जाते हैं, जैसे क्या आप को रोबोट जैसा पैर चाहिए ताकि आप खामोशी से दुश्मनों के आगे निकल जाएं या आप को ऐसा अपग्रेड चाहिए जो आप को सुपर स्पीड पर दौड़ाए? इस किस्म के विकल्प निर्धारित करते हैं कि खिलाड़ी को गेम में आगे चल कर लोगों की किस किस्म की प्रतिक्रियाएं मिलेंगी.

जिन लोगों को गेमिंग की लत पड़ चुकी है वे उसे बनाए रखने के लिए यह भी प्रयास करते हैं कि उन के साथी की भी गेमिंग में दिलचस्पी पैदा हो जाए. लेकिन ये कोशिशें अकसर सकारात्मक परिणाम पैदा नहीं कर पातीं. इस की एक वजह तो यह है कि महिलाओं को ‘द औफिस जर्क’ जैसे साधारण गेम तो समझ में आ जाते हैं जिन में सहकर्मियों पर स्टैप्लर व फाइल फेंके जाते हैं, लेकिन उन्हें रोल प्लेइंग गेम्स समझ में नहीं आते. इन अजीबोगरीब गेम्स को समझाने के लिए संयम की आवश्यकता होती है.

शालिनी ने एक बार अपने पति के साथ एक्स-बौक्स 360 के एक गेम ‘गियर्स औफ वार’ खेलने की कोशिश की थी. लेकिन वह उन चालों को भी नहीं समझ पाई जो आजकल 5 साल का बच्चा भी आसानी से समझ लेता है. आनंद प्रकाश के गुस्से का ठिकाना न रहा जब उस ने देखा कि उस का चरित्र अपने ही खून में धीरेधीरे डूब रहा है और शालिनी फर्श को कत्ल करने का प्रयास कर रही है. आनंद प्रकाश गुस्से से चिल्लाया, ‘‘तुम उसे शूट क्यों नहीं कर रहीं? गोली क्यों नहीं चला रहीं? मैं मर रहा हूं और यह सब तुम्हारी गलती है.’’

ये गेम एक अजीब दुनिया में ले जाते हैं. इन से मस्तिष्क की वही कोशिकाएं उत्तेजित होती हैं जो सैक्स के दौरान सक्रिय हो जाती हैं. इसलिए न चाहते हुए भी गेम के दीवाने बाकी दुनिया से कट जाते हैं और इसी दीवानगी में खुश रहते हैं.

आमतौर से गेमिंग और पत्नियों के बीच जो रस्साकसी चल रही है वह सम?ौते में निबट जाती है. सजा के तौर पर पतियों को गेमिंग के लिए समय निर्धारित करना पड़ता है. आनंद प्रकाश दफ्तर से लौटते ही अपने कंप्यूटर पर नहीं बैठते वरना शालिनी तलाक दे कर चली जाएगी. इसलिए आनंद के लिए शनिवार की वे शामें कुंवारेपन की यादें बन कर रह गई हैं जब वे अपनी मित्रमंडली के साथ ‘काउंटर स्ट्राइक’ खेला करते थे. आज उन्हें पत्नी के लिए समय निकालना पड़ता है. भले ही मन में क्रेटोस की यादें दौड़ रही हों. ‘सौतन’ को बचाए रखने के लिए पत्नी को समय देना जरूरी होता है.

..तो इसलिए 18 नंबर की जर्सी पहनते हैं कोहली

खेल के मैदान में कुछ खिलाड़ी अपने खेलने के अंदाज से तो कुछ अपने व्यक्तित्व तो वहीं कुछ अपने जर्सी नंबर की वजह से प्रसिद्ध होते हैं. फिर चाहे वह कोई भी खेल हो. एक खिलाड़ी का अपना एक जर्सी नंबर होता है जिसे अक्सर वह खेल के दौरान पहनता है.

क्रिकेट जगत में अपने बल्ले से धूम मचा रहे विराट कोहली 18 नंबर की जर्सी पहनते हैं तो वहीं पूर्व टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 7 नंबर की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरते हैं. आइए आपको बताते हैं आखिर क्यों हर खिलाड़ी के पास है एक खास नंबर की जर्सी.

विराट कोहली- 18

विराट कोहली को 18 नंबर से एक अलग तरह का लगाव है. विराट कोहली के पिता, प्रेम कोहली का देहांत 18 दिसंबर 2006 को हुआ था. इसी नंबर के साथ उन्होंने अंडर-19 और सीनियर वर्ल्ड कप जीता था. इसके बाद उन्होंने कभी भी अपनी जर्सी का नंबर नहीं बदला.

रोहित शर्मा- 45

भारतीय क्रिकेट टीम के एक और धुरंधर बल्लेबाज रोहित शर्मा 45 नंबर की जर्सी पहनते हैं. दरअसल जब रोहित पहली बार अंडर-19 क्रिकेट खेलने गए थें उस दौरान उनकी मां ने उनकी लिए यही नंबर चुना था तब से लेकर आज तक रोहित इसी नंबर के साथ मैदान पर उतरते हैं.

महेंद्र सिंह धोनी- 7

धोनी भारतीय टीम के सबसे सफल पूर्व कप्तानों में से एक हैं. वह मैदान में 7 नंबर की जर्सी पहने दिखते हैं. धोनी क्रिकेट में आने से पहले फुटबॉल में गोलकीपर थे और उन्होंने नंबर 7 अपने पसंदीदा फुटबॉल क्लब मैनचे्स्टर यूनाइटेड के कारण ही चुना.

मैनचेस्टर यूनाइटेड के मौजूदा सुपर स्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो 7 नंबर की जर्सी के साथ खेलते थें. धोनी का जन्मदिन 7 जुलाई को होता है. यही नहीं धोनी का कई गाड़ियों का भी नंबर 7 से शुरू होता है. धोनी 7 नंबर को अपना लकी नंबर मानते हैं.

युवराज सिंह- 12

युवराज सिंह का जन्मदिन 12 दिसम्बर को आता है. इतना ही नहीं उनके जन्म के वक्त दोपहर के 12 बजे थे और उनके जन्म का स्थान भी सेक्टर 12 था. यही कारण है कि युवराज की जर्सी 12 नंबर का है.

आर. अश्विन- 99

आर. अश्विन ने अपनी जर्सी का नंबर बहुत सोच समझ कर रखा है. अश्विन जब स्कूल में पढ़ते थें, तो उनके क्लास का रोल नम्बर 9 था, और उनके बेस्ट फ्रेंड पार्थिव पटेल की भारतीय जर्सी का भी 9 ही था. अश्विन ने दोनों नंबर्स को एक करके अपनी जर्सी का नम्बर 99 रख लिया.

शिखर धवन- 25

भारतीय टीम के ओपनर शिखर धवन को आपने अक्सर 25 नंबर की जर्सी पहनते हुए देखा होगा. शिखर धवन का 25 से एक खास नाता है. उनकी पत्नी और बच्चे का जन्मदिन 25 को ही आता है. इसलिए शिखर ने इसे अपनी जर्सी का नंबर दे दिया है.

रविंद्र जडेजा- 8

रविंद्र जडेजा की जर्सी का नंबर 8 है, और उनकी जन्म की तारीख 6/12/1988 है. इस पूरी तारीख को जोड़ा जाए तो कुल योग 44 बनता है. 4+4= 8. यही कारण है इनकी जर्सी पर 8 नंबर देखते हैं.

हरभजन सिंह- 03

हरभजन सिंह की जर्सी पर 03 उनकी जन्म की तारीख है. हरभजन को ये नंबर उन्हें उनकी हैट्रिक की याद दिलाता है.

हार्दिक पांड्या- 228

हार्दिक पांड्या का डोमेस्टिक कॅरियर में 228 सबसे बड़ा स्कोर है. रणजी ट्रॉफी में उन्होंने इस मैजिक आंकड़े को छुआ था. इसी कारण उन्होंने अपनी नीली जर्सी पर इस नंबर को लिखवाया है.

अपने पुराने चाल में वापस लौटे जैकी श्रौफ, बोले खरीदना चाहता हूं

अभिनेता जैकी श्रौफ का नाम बौलीवुड से सफल हीरो में शुमार है. जैकी श्रौफ को सफलता यूं ही हाथ नहीं लग गई थी इसके पीछे भी कई रोचक किस्से हैं. जैकी श्रौफ सुपरस्टार बनने से पहले अपनी मां के साथ मुंबई के मालाबार एरिया में एक चाल में रहते थें. सफल मुकाम हासिल होने के बाद भी जैकी अपने उस पुराने घर को भुला नहीं पाए, हाल ही में जैकी को उनके पुराने घर तीन बत्ती में स्पौट किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैकी श्रौफ ने उस घर को खरीदने की इच्छा भी जाहिर की है.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में जैकी अपने दोस्त और फिल्म ‘फैशन’ के एक्टर अरजन बाजवा के साथ नजर आ रहे हैं. वीडियो में जैकी अरजन को पुराने दिनों के बारे में भी बताते हुए नजर आ रहे हैं. वीडियोज को खुद एक्टर अरजन बाजवा ने ही औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किया है. अरजन बाजवा ने बताया, ”मैं जैकी के साथ कोलाबा के एक रेस्टोरेंट से डिनर करके लौट रहा था, तभी जैकी ने गाड़ी पुराने घर वल्केश्वर की ओर घुमा दी, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी के तीस साल गुजारे हैं.”

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एक रिपोर्ट के अनुसार, बाजवा ने बातचीत में बताया, ”जैकी उस घर पर गए और वहां पर दिखाया कि वह कहां पर रहते थे और मां की रसोई कहां पर होती थी. जैकी ने बताया कि किस तरह मां एक कमरे को दो हिस्सों में बांटती थी. उनकी बालकनी वह कहां पर स्नान करते थे.” बाजवा ने बताया, ”जैकी सर ने उस घर को खरीदने की इच्छा भी जाहिर की हालांकि वह लोग उन्हें वह घर देने के विचार में नहीं हैं.” जैकी ने एक इंटरव्यू में कहा, ”बहुत साल पहले मेरी मां ने वह घर बेच दिया था लेकिन मेरा दिल आज भी वहीं रहता है.” बता दें कि जैकी जल्दी ही एक गुजराती फिल्म में नजर आएंगे. यह उनकी पहली फिल्म है. फिल्म का नाम ‘वेंटिलेटर’ है. जैकी श्रौफ इन दिनों फिल्म की शूटिंग में बिजी हैं.

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टीम हैदराबाद में वार्नर की जगह लेने को कई खिलाड़ी हैं तैयार : ऋद्धिमान साहा

भारतीय टेस्ट टीम के नियमित सदस्य ऋद्धिमान साहा का मानना है कि उनकी आईपीएल टीम सनराइजर्स हैदराबाद कप्तान डेविड वार्नर से पद छोड़ने को कहती है तो भी टीम के पास वार्नर का स्थान लेने के लिए कई खिलाड़ी हैं. हाल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में गेंद से छेड़खानी विवाद में वार्नर का नाम आया था और औस्ट्रेलिया ने इस मैच के बाकी बचे दो दिनों के लिए उन्हें उप-कप्तान पद से हटा दिया था. उन पर आगे कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

इस विवाद के बाद वार्नर के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम हैदराबाद के कप्तान बने रहने पर सवाल उठने लगे हैं. टीम के मेंटौर और पूर्व भारतीय बल्लेबाज वी.वी.एस. लक्ष्मण ने कहा है कि टीम प्रबंधन इस पर टिप्पणी करने से पहले क्रिकेट औस्ट्रेलिया (सीए) के फैसले का इंतजार कर रहा है.

साहा ने हैदराबाद के लिए रवाना होने से पहले कलकत्ता खेल पत्रकार क्लब में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “इस पर अभी फैसला लेना बाकी है. मुझे लगता है कि टीम सीजन में उन्हें ध्यान में रखते हुए रणनीति बनाएगी. लेकिन, मान लें कि वह (वार्नर) हमारे साथ नहीं होते हैं तो टीम में उनका स्थान लेने के लिए कई काबिल खिलाड़ी हैं.”

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विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, “अगर वार्नर होते हैं तो जाहिर सी बात है यह बहुत अच्छी बात होगी. उन्होंने हैदराबाद के लिए शानदार बल्लेबाजी की है और कप्तान के तौर पर भी अच्छा प्रदर्शन किया है.” साहा ने कहा, “लेकिन, मुझे लगता है, हमारे पास उनका स्थान लेने के लिए विकल्प हैं. हो सकता है कि 100 फीसदी न हो क्योंकि वह शानदार खिलाड़ी हैं, लेकिन हम उनका स्थान भरने की कोशिश करेंगे.”

गेंद से छेड़खानी विवाद के बाद आईसीसी ने औस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ पर एक मैच के प्रतिबंध के अलावा पूरी मैच फीस का जुर्माना और गेंद से छेड़खानी करने वाले कैमरून बेनक्रौफ्ट पर मैच फीस का 75 फीसदी जुर्माना लगाया है.

टीम के मेंटर लक्ष्मण ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘केपटाउन टेस्ट में जो हुआ वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. जहां तक सनराइजर्स का संबंध है तो इस पर टिप्पणी करना बहुत जल्दबाजी होगी. अभी जो सूचना उपलब्ध है, वह काफी सीमित है. इसलिए हमें और सूचना का इंतजार करना होगा. अगर जरूरत पड़ी तो हम इसके बारे में चर्चा करेंगे. हम क्रिकेट औस्ट्रेलिया के फैसले का इंतजार करेंगे. जहां तक वार्नर का संबंध हैं तो वह सनराइजर्स टीम के लिए बेहतरीन नेतृत्वकर्ता रहे हैं.’’

भारतीय गेंदबाज हरभजन सिंह ने आईसीसी की स्मिथ और बैनक्रौफ्ट को दी गई सजा की आलोचना की थी. उन्होंने एक ट्वीट के माध्मय से कहा था कि आईसीसी ने दोनों को कम सजा दी है जबकि पूर्व में भारतीय खिलाड़ियों को आईसीसी ने अधिक कड़ी सजा दी थी. उन्होंने कहा था कि नियम सभी के लिए एक जैसे होने चाहिए.

साहा ने भी हरभजन समान रुख जताते हुए कहा, “वे सभी अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और खेल के ब्रैंड एम्बेसडर हैं. अगर वो कुछ ऐसा करते हैं जो सही नहीं है तो मुझे नहीं लगता कि खेल को इससे कोई फायदा होगा. नियम हर किसी के लिए एक जैसे होने चाहिए.”

वहीं औस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम राजस्थान रायल्स की कप्तानी से हटने का फैसला कर लिया स्मिथ के इस फैसले को बाद फ्रेंचाइजी ने अंजिक्य रहाणे को टीम का कप्तान बनाया है.

VIDEO : मौडर्न मौसैक नेल आर्ट

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व्हाट्सऐप में आया पेमेंट का नया और आसान तरीका

व्हाट्सऐप ने इसी साल यूपीआई आधारित पेमेंट्स सर्विस लौन्च के साथ डिजिटल पेमेंट्स मार्केट में कदम रखा था. अब कंपनी ने किसी यूजर के खाते में पैसे ट्रांसफर करने का एक और तरीका पेश किया है, जो इसे और आसान बनाता है. अभी तक यूजर्स को अमाउंट डालने के बाद, यूपीआई पिन एंटर कर, भुगतान के लिए आगे की प्रक्रिया पूरी करनी होती थी.

अब यूजर्स सिर्फ क्यूआर कोड स्कैन करके तेजी से अमाउंट ट्रांसफर कर सकते हैं. व्हाट्सऐप ऐंड्रौयड के बीटा वर्जन में QR कोड स्कैनिंग पेमेंट का तरीका उपलब्ध है. बीटा ऐप के वर्जन 2.18.93 में यह नया तरीका मिला. यह ऐप वर्जन गूगल प्ले बीटा प्रोग्राम के जरिए उपलब्ध है.

कैसे करें पेमेंट फीचर का इस्तेमाल

स्टेप 1: ऐप में जाएं और सेटिंग्स पेज खोलें

स्टेप 2: ‘Payments’ विकल्प पर टैप करें

स्टेप 3: लिस्ट में नीचे दिख रहे ‘New Payment’ विकल्प पर टैप करें

स्टेप 4: इसके बाद ‘Scan QR code’ विकल्प पर टैप करें

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लेते वक्त कैसे दिखाएं QR code

स्टेप 1 और स्टेप 2 को फौलो करके सबसे ऊपर दिए तीन डौट विकल्प पर टैप करें. फिर ‘Show QR code’ औप्शन पर जाएं. इसके बाद पैसे भेजने वाला यूजर पैसे भेजने के लिए कोड को स्कैन कर पाएगा. इससे पहले, किसी लेनदेन के लिए यूजर्स को जिसे पैसे भेजने हैं, उसकी चैट थ्रेड को खोलकर पेमेंट विकल्प पर क्लिक करना होता था.

इन बैंकों के साथ है साझेदारी

हाल ही में व्हाट्सऐप ने ऐलान किया था कि कंपनी ने पेमेंट विकल्पों के लिए देश के कई बैंकों के साथ साझेदारी की है. बैंकों की इस लिस्ट में ICICI Bank, HDFC Bank, Axis Bank, SBI, Yes Bank और कई दूसरे बैंक शामिल हैं. रेगुलर बैंकों के अलावा व्हाट्सऐप ने एयरटेल पेमेंट्स बैंक के साथ भी साझेदारी की है.

अभी चल रही है टेस्टिंग

हालांकि अभी भी यह टेस्टिंग के दौर में है, लेकिन आप इसे यूज कर सकते हैं. अब व्हाट्सऐप ने पेमेंट फीचर के अंदर एक नया औप्शन जोड़ा है. यह नया औप्शन QR code का है. अब यहां से QR कोड स्कैन करके भी पैसे भेजे जा सकते हैं.

पेटीएम को मिलेगी टक्कर

डिजिटल वालेट सर्विस पेटीएम में QR Code स्कैन करके पेमेंट का फीचर पहले से ही उपलब्ध है. ऐसे में व्हाट्सऐप पेमेंट के लौन्च होने से और प्रतिस्पर्धा बढ़ी. नए फीचर के बाद शायद कंपनी के लिए मुकाबला कड़ा हो सकता है.

VIDEO : ब्लू वेव्स नेल आर्ट

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