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श्रद्धा कपूर की नजर में शक्ति कपूर हैं खलनायक!

समय समय की बात है. कल तक बॉलीवुड में शक्ति कपूर को बहुत बड़ा खलनायक माना जाता था. हर कोई खलनायक के तौर पर शक्ति कपूर के अभिनय की प्रशंसा करते हुए नहीं थकता. उस वक्त उनकी बेटी श्रद्धा कपूर भी अपने पिता की तारीफ करते हुए नहीं थकती थी. इतना ही नहीं कुछ समय पहले तक श्रद्धा कपूर का दावा करती थी कि वह अपने माता पिता के घर से बाहर रहना पसंद नही करती. इसीलिए वह अपना खुद का घर नहीं खरीदना चाहती.

लेकिन समय के साथ हालात बदल चुके हैं. अब श्रद्धा कपूर को निजी जिंदगी में अपने माता पिता खलनायक नजर आ रहे हैं. इसकी मूल वजह यह है कि श्रद्धा कपूर के पिता शक्ति कपूर श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर की प्रेम कहानी में खलनायक बनकर आ गए हैं.

जब फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ में श्रद्धा कपूर को जोड़ा गया था, तभी से यह चर्चा गर्म हो गयी थी कि फरहान अख्तर और श्रद्धा कपूर के बीच प्यार की खिचड़ी पक रही है. इन दिनों श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर तथा फरहान अख्तर व उनकी पत्नी अधुना बभानी के बीच जो कुछ हो रहा है, उसे याद करते हुए यदि फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ देखी जाए, तो अहसास होता है कि फरहान अख्तर ने अपनी निजी जिंदगी की कहानी का कुछ अंश इस फिल्म में पिरोया है.

सूत्रों के अनुसार निजी जिंदगी में भी श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर के बीच संगीत मिलन का केंद्र बना हुआ है. श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर का रोमांस भी धीरे धीरे बंद कमरे से बाहर निकल चुका है. इससे श्रद्धा कपूर के पिता शक्ति कपूर और उनकी मां शिवांगी कपूर काफी परेशान हैं.

हकीकत में शक्ति कपूर अपनी बेटी श्रद्धा कपूर के भविष्य को लेकर काफी चिंतिंत हैं. वह अपनी बेटी का व्याह भी करना चाहते हैं. मगर उन्हें अपनी बेटी श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर की प्रेम कहानी में अपनी बेटी का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है. जिसकी कई वजहें हैं. फरहान अख्तर, श्रद्धा कपूर से उम्र में करीबन 15 साल बडे़ हैं. फरहान अख्तर दो बच्चों के पिता हैं. इसके अलावा फरहान अख्तर और उनकी पत्नी अधुना बभानी के बीच कानून तलाक नहीं हुआ है. तो चौथी तरफ फरहान अख्तर की ही वजह से सफलता की ओर अग्रसर श्रद्धा कपूर के करियर पर भी सवालिया निशान लग गया. श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर के अभिनय से सजी फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ ने बॉक्स ऑफिस पर पानी नहीं मांगा. अब तक श्रद्धा कपूर की किसी भी फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर इतनी बुरी दुर्गति नहीं हुई थी.

मगर पिछले दिनों श्रद्धा कपूर ने जे कदम उठाया, उससे शक्ति कपूर की रातों की नींद उड़ गयी. श्रद्धा कपूर ने जो कदम उठाया, उसके बाद जिस तरह से शक्ति कपूर ने पिता का फर्ज निभाते हुए अपनी बेटी के साथ जो कुछ किया, उससे श्रद्धा कपूर को अब शक्ति कपूर उनकी निजी जिंदगी में खलनायक नजर आ रहे हैं.

फरहान अख्तर के घर के गार्ड ने मीडिया को जो जानकारी दी, उस पर यकीन किया जाए, तो श्रद्धा कपूर और फरहान अख्तर का प्यार अब हर दीवार को तोड़ने पर आमादा है. सूत्रों के अनुसार चार दिन पहले श्रद्धा कपूर अपने माता पिता का घर छोड़कर, अपना पूरा सामान बांधकर ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में फरहान अख्तर के साथ उनके घर में रहने पहुंच गयी थी. दिन भर अपनी बेटी के इस कदम पर गहन विचार करने के बाद दूसरे दिन सुबह सुबह शक्ति कपूर और श्रद्धा कपूर की मौसी पद्मिनी कोल्हापुरी एक साथ फरहान अख्तर के घर पहुंच गए. दरवाजा श्रद्धा कपूर ने ही खोला और सामने अपने पिता को देखकर उनके चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी. सूत्रों की माने तो शक्ति कपूर चुप रहे. पद्मिनी कोल्हापुरी ने श्रद्धा कपूर का सामान बांधा और फिर शक्ति कपूर ने श्रद्धा कपूर का हाथ पकड़कर अपनी गाड़ी में बैठाया, सामान पद्मिनी कोल्हापुरी ने उठाकर गाड़ी में रखा और सीधे अपने मुंबई के जुहू वाले घर पहुंचकर श्रद्धा कपूर को घर के अंदर बंद कर दिया.

फरहान अख्तर के घर पर जब यह सब हो रहा था, उस वक्त श्रद्धा कपूर चुप रहीं, क्योंकि घर के सामने कुछ लोग इकट्ठा होने शुरू हो गए थे. मगर श्रद्धा कपूर की खामोशी के पीछे एक बड़े तफान की सुगबुगहाट जरुर थी. देखना है कि यह तूफान कब आता है और इस तूफान की वजह से क्या घटित होता है.

कॉल ड्रॉप की समस्या से निजात दिलाएगी सरकार

गंभीर हो चुकी कॉल ड्रॉप की समस्या से उपभोक्‍ताओं को निजात दिलाने के लिए सरकार ने एक नई पहल शुरू की है. दिल्ली और मुंबई समेत कई शहरों में सरकार ने इंटीग्रेटेड वॉयस रिस्पांस सिस्टम (IVRS) की शुरुआत की है. इसके माध्यम से सरकार ग्राहकों से सीधे कॉल की गुणवत्ता के बारे में प्रतिक्रिया लेगी.

एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि सरकार इस पर मिलने वाली प्रतिक्रिया टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझा करेगी, जिससे वह सुधारात्मक कदम उठा सकें. इस प्रणाली को जल्द ही पूरे देश में शुरू किया जाएगा.

उपभोक्ताओं को 1955 नंबर से एक कॉल आएगा, जिसमें उनसे उनके इलाके में कॉल ड्रॉप की समस्या को लेकर सवाल पूछे जाएंगे. इसके अलावा अगर उपभोक्ता कॉल ड्रॉप की समस्या से जूझ रहे हैं, तो वे इसी नंबर पर अपने एरिया की लोकेशन के साथ एसएमएस भेज सकेंगे, जिससे उनके एरिया में कॉल ड्रॉप की समस्या को सुलझाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें.

टेलिकॉम विभाग ने कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए जून 2016 से अक्टूबर 2016 के बीच 1,30,000 अतिरिक्त बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) लगाए हैं. इसके अलावा मार्च 2017 तक 1,50,000 अतिरिक्त बीटीएस लगाने की योजना है. पिछले महीने टेलिकॉम कंपनियों के मालिकों के साथ बैठक के बाद मनोज सिन्हा ने कहा था कि वह जल्द ही कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे.

एना इवानोविक ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से लिया संन्यास

दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी एना इवानोविक ने अंतरराष्ट्रीय टेनिस से संन्यास ले लिया. 29 वर्षीय सर्बियाई खिलाड़ी ने सोशल साइट फेसबुक पर यह घोषणा की. इवानोविक चोट के चलते अगस्त के बाद से कोर्ट पर नहीं उतरी थीं.

उन्होंने 2016 में सिर्फ 15 मैच ही जीते. इससे वह रैंकिंग में 63वें स्थान पर खिसक गईं थीं. वह 2008 में लगातार 12 हफ्ते तक दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी रहीं. वह 2008 में ऑस्ट्रेलियन ओपन की उपविजेता भी रहीं.

उन्होंने कहा, ‘यह एक मुश्किल निर्णय था. पर मैंने जो हासिल किया वह मेरे लिए जश्न मनाने के लिए बहुत है. मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए मैं अपने प्रशंसकों का धन्यवाद करती हूं.’

इवानोविच का बचपन से ही अपने परिवार के साथ बहुत लगाव था और जब सर्बिया गृहयुद्ध में उलझा तो यह नाता और गहरा हो गया. जब उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया तो उनकी मां को उनके साथ बहुत समय गुजारना पड़ा.

एना ने कहा, ‘मैंने जब टेनिस खेलना शुरू किया तो मेरी मां हमेशा मेरे साथ रहती थी क्योंकि पिता तो भाई मिलोस के साथ रहते थे. मेरी मां वकील थी, लेकिन मेरे साथ टेनिस टूर्नामेंट्‍स में रहने के कारण उनका काम प्रभावित हुआ. जब देश युद्ध में उलझा तो उन्होंने वकालत छोड़ दी.’

डाइपर गीला होने पर बजेगा अलार्म!

जापान के वैज्ञानिकों ने टॉयलेट (मूत्र) से संचालित होने वाला एक ऐसा सेंसर तैयार किया है, जो डाइपर गीला होने पर बच्चे की देखभाल कर रहे लोगों को अलर्ट कर सकता है. इससे उन्हें पता चल जाएगा कि बच्चे का डाइपर बदलने का समय आ गया है.

जापान की रित्सूमिकान यूनिवर्सिटी का एक दल लगभग पांच साल से डाइपर पर काम कर रहा था. इसका मूल उद्देश्य उन बुजुर्गों की उचित देखभाल है, जो कपड़ों में ही मूत्र निकल जाने की समस्या से परेशान हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डाइपर के लिए उपयुक्त सेंसर बनाना एक चुनौती रहा.

उन्होंने पहले एक ऐसा यूरिन सेंसर बनाया था, जिसे डाइपर में लगाना बहुत मुश्किल था. इस सेंसर में ऐसा रसायन था, जो इंसानों के लिए असुरक्षित हो सकता था और इसकी बैटरी में लगने वाला समय सुनिश्चित नहीं था. सूत्रों के अनुसार, नया डाइपर सेंसर इन सभी समस्याओं का निवारण करता है क्योंकि इसमें लगी बैटरी मूत्र से संचालित होती है.

ये बैटरियां एक विद्युत अपघट्य द्वारा पृथक दो इलेक्ट्रोडों के आधार पर संचालित होती हैं. वैज्ञानिकों ने एक फेंकने योग्य डाइपर में दो लचकदार इलेक्ट्रोड लगाकर परीक्षण किया. बैटरी को एक छोटे संधरित्र (कैपसिटर) से जोड़ा गया है, जो पैदा हुई बिजली को संग्रहित कर रख सकता है. इसके अलावा एक ट्रांसमीटर लगा है, जो 16 फुट दूर तक मौजूद किसी रिसीवर को संकेत दे सकता है.

टी 20: साल की यादगार पारियां

क्रिकेट की दुनिया में साल 2016 कुछ बेहतरीन पारियों का गवाह बना. करुण नायर ने अपनी तीसरी ही पारी में तिहरा शतक जड़ दिया तो ग्लेन मैक्सवेल ने टी20 इंटरनेशनल में सबसे बड़ी पारी खेली. अजहर अली ने गुलाबी गेंद से खेले गए टेस्ट में तिहरा शतक जमाकर इसे यादगार टेस्ट बनाया. ऐसे ही बहुत से यादगार पल बल्लेबाजों ने बनाए.

क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में बल्लेबाजों ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए पूरे साल बल्ले की धमक बरकरार रखी. तो आइए इस साल टी20 क्रिकेट में बल्लेबाजों द्वारा खेली गई कुछ बेमिसाल पारियों के बारे में जानते हैं.

ग्लेन मैक्सवेल

श्रीलंका की धरती पर जाकर ग्लेन मैक्सवेल ने जो धमाल मचाया वह दर्शकों के जेहन में बस गया. लगातार खराब फॉर्म की वजह से आलोचनाएं झेल रहे मैक्सवेल ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टी20 मुकाबले में विस्फोटक रूख अपनाते हुए श्रीलंकाई गेंदबाजी की कमर तोड़ दी.

इस टी20 मुकाबले में उनके बल्ले से कुल 145 रन निकले जो इंटरनेशनल टी20 का सबसे बड़ा स्कोर भी है. इस पारी के दौरान मैक्सवेल ने 14 चौके और 9 गगनचुंबी छक्के भी जमाए.

कार्लोस ब्रेथवेट

किसी भी बल्लेबाज के लिए इससे बेहतरीन पारी क्या हो सकती है जिससे उसकी टीम विश्व विजेता बन जाए. वेस्टइंडीज टीम के कार्लोस ब्रेथवेट ने टी20 विश्व कप फाइनल में 10 गेंदों पर 34 रन बनाकर अपनी टीम को विश्व विजेता बना दिया. बेन स्टोक्स के अंतिम ओवर में उन्होंने 4 लगातार छक्के जमाते हुए इंग्लैंड के विश्व कप जीतने के सपने को तोड़ते हुए खुद के सपने को पूरा किया.

कॉलिन मुनरो

10 जनवरी, 2016 को ऑकलैंड में श्रीलंका के खिलाफ मैच के दौरान न्यूजीलैंड के कॉलिन मुनरो ने अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट का दूसरा सबसे तेज अर्धशतक मारा. इसके साथ ही वह कीवी टीम की ओर से टी-20 में सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले बल्लेबाज भी बन गए. इससे पहले यह रेकॉर्ड मार्टिन गप्टिल के नाम था.

विराट कोहली

भारत मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 वर्ल्ड कप का क्वॉर्टर फाइनल मैच खेल रहा था. इस मैच में भारत को जीत के लिए आखिरी 5 ओवरों में 59 रनों की जरूरत थी. इसके बाद शुरू हुआ कोहली का तूफान और उन्होंने अकेले ही 44 रन ठोंक डाले. इस मैच में कोहली ने 82 रन मारे थे, जिसमें 9 चौके और 2 छक्के शामिल रहे. भारत सेमीफाइनल में चला गया और उन्हें मैन ऑफ द मैच भी मिला.

17 फरवरी को मीरपुर में एशिया कप के दौरान पाकिस्तान के साथ खेलते हुए विराट कोहली की यह पारी, साल की उनकी सबसे यादगार पारियों में से एक है. भारत इसमें लक्ष्य का पीछा कर रहा था और सफल रन चेज में कोहली ने जिम्मेदार भूमिका अदा की थी.

सब्बीर रहमान

एशिया कप के 5वें मैच में श्रीलंका ने शुरुआत के पावरप्ले ओवर्स में ही बांग्लादेश के तीन विकेट चटका दिए थे. लेकिन सब्बीर के अर्धशतक ने मैच का रुख पलट दिया. उन्होंने 54 गेंदों में 80 रन ठोंके, जिसमें 10 चौके और 3 छक्के शामिल थे. उनकी इस धुआंधार पारी की बदौलत बांग्लादेश को जीत मिली.

मार्लन सैमुअल्स

3 अप्रैल को कोलकाता में वर्ल्ड टी-20 फाइनल में वेस्ट इंडीज इंग्लैंड के 156 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था और महज 11 रन पर ही 3 विकेट गंवा चुका था. लेकिन अभी मार्लन सैमुअल्स का आना बाकी था.

सैमुअल्स ने एक बार फिर खुद को साबित करते हुए 85 रनों की शानदार नाबाद पारी खेली. सैमुअल्स ने 2012 में भी वेस्ट इंडीज को वर्ल्ड कप जिताने के लिए कुछ ऐसा ही खेल दिखाया था. सैमुअल्क की पारी की बदौलत विंडीज दूसरी बार टी-20 वर्ल्ड कप अपने नाम कर सका.

मोहम्मद शहजाद

अफगानिस्तान के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज ने टी20 विश्व कप जैसे बड़े मंच पर साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के सामने ऐसी पारी खेली की एक समय उनकी टीम बड़ा उलटफेर करती दिख रही थी. साउथ अफ्रीका के 210 रनों के विशाल स्कोर का पीछा करने उतरे शहजाद ने साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों के खिलाफ आक्रमण की रणनीति अपनाई. शहजाद ने कगिसो रबाडा और काइल एबॉट जैसे गेंदबाजों की ऐसी धुलाई की मानों वह किसी क्लब स्तर के गेंदबाजों का सामना कर रहे थे.

शहजाद की पारी की वजह से एक समय अफगानिस्तान ने 10 ओवरों में 105 रन बना लिये थे और मैच जीतते हुए दिख रहे थे. मगर शहजाद के आउट होने के बाद टीम लड़खड़ा गई और साउथ अफ्रीका ने खुद को उलटफेर का शिकार होने से बचा लिया.

अब गूगल की मदद से खोजें अपना खोया स्मार्टफोन

स्मार्टफोन खोने और चोरी हो जाने की घटनायें बहुत आम हो गई हैं. कई बार तो बहुत अधिक तलाश करने पर भी स्मार्टफोन नहीं मिलते हैं. अगर आपके पास आईफोन है तो Find My iPhone ऐप के जरिए इसका पता लगाया जा सकता है. पर  एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स भी इस तरह अपने फोन को ढूंढ सकते हैं. ऐसे कई तरीके हैं जिसके जरिए खो चुकी एंड्रॉइड डिवाइस का पता आसानी से लगाया जा सकता है. इसके लिए आपको किसी भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने की जरूरत भी नहीं है.

ऐसे ढूंढे अपना फोन

किसी भी एंड्रॉइड फोन को लोकेट करने के लिए यूजर को इन 4 आसान स्टेप्स से फौलो करने होंगे.

1. सबसे पहले अपने लेपटॉप या डेस्कटॉप पर वेब ब्राउजर को ओपन करें.

2. अब उसी गूगल अकाउंट से लॉगिन कीजिए जिस अकाउंट से एंड्रॉइड स्मार्टफोन में लॉगिन किया गया हो.

3. अब गूगल पर find my phone टाइप कीजिए. इसके बाद गूगल आपको बताएगा कि आपकी डिवाइस किस लोकेशन पर है.

4. यहां आप फोन को रिंग भी करा सकते हैं. इसके लिए Ring बटन पर क्लिक कीजिए.

इन बातों का रखे ध्यान

हालांकि इस तरीके का इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को कुछ जरूरी बातों का ध्यान भी रखना होगा. इसके लिए आपके फोन की लोकेशन के साथ ही कुछ जरूरी गूगल सेटिंग enable होनी चाहिए.

– डिवाइस गूगल अकाउंट से कनेक्ट होना चाहिए.

– फोन में इंटरनेट एक्सेस होना चाहिए.

– एंड्रॉइड डिवाइस मैनेजर को आपकी डिवाइस लोकेट करने की परमिशन दी हुई हो.

कलमाडी ने ठुकराई आईओए की पोस्ट

भ्रष्टाचार और अपराध के कई आरोपों से घिरे सुरेश कलमाडी और अभय चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ ने अपना आजीवन सदस्य बनाया. दोनों राजनेताओं का लंबे अंतराल तक भारतीय खेल की दुनिया में दखल रहा और इस दौरान इन पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे. दोनों को खेल प्रबंधन समिति से हटाया गया. आईओए के इस फैसले पर खेल मंत्रालय ने हैरानी जताई और खेल मंत्री ने इसकी आलोचना की और इस पर जांच बैठाने का निर्णय लिया. हालांकि इस फैसले के 24 घंटे के भीतर ही कलमाडी ने खुद इस पद को लेने में असमर्थता जता दी लेकिन अभय चौटाला ने अब तक इस पद को ठुकराने का मन नहीं बनाया है.

आलोचनाओं से घिरे दागी खेल प्रशासक सुरेश कलमाडी ने भारतीय ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष का पद लेने से इन्कार कर दिया लेकिन अभय सिंह चौटाला अब भी अड़े हुए हैं जबकि इन दोनों को यह पद सौंपने को लेकर आईओए को खेल मंत्रालय के कड़े रवैये ओर हर तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.

कलमाडी ने आईओए अध्यक्ष एन रामचंद्रन को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं भारतीय ओलंपिक संघ को धन्यवाद देता हूं जिसने मुझे आजीवन अध्यक्ष पद दिया. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस समय यह सम्मान स्वीकार करना सही होगा.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि मुझे क्लीन चिट मिल जायेगी लेकिन तब तक मैं यह सम्मान स्वीकार नहीं कर सकता.’ दूसरी तरफ मंत्रालय ने अपनी तरफ से आईओए को कारण बताओ नोटिस जारी किया और साथ ही चेतावनी दी कि यदि उसने अपना फैसला नहीं बदला तो वह इस संस्था से संबंध तोड़ देगा.

खेलमंत्री विजय गोयल ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘जिस तरीके से आईओए की जीबीएम में इन दोनों को आजीवन अध्यक्ष बनाया गया, वह ना तो उनके संविधान के अनुरूप है और ना ही मंत्रालय को स्वीकार्य है. मैं इससे निराश हूं क्योंकि दोनों पर भ्रष्टाचार के आपराधिक मामले चल रहे हैं. जब तक इन्हें निकाला नहीं जाता या ये इस्तीफा नहीं देते. मंत्रालय आईओए से कोई ताल्लुक नहीं रखेगा.’

गोयल ने कहा, ‘अगर आईओए ऐसे ही फैसले करेगा तो सरकार को सोचना होगा. इस फैसले का संदेश गलत गया है और लोग इससे खफा है. हम खेलों में पारदर्शिता, सुशासन और जवाबदेही लाने का प्रयास कर रहे हैं और सभी खेल महासंघों को खेल आचार संहिता का पालन करना चाहिये.’  इस बीच आईओए के संबद्ध उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने इस फैसले की निंदा करते हुए दोनों से पद से किनारा करने की अपील की.

उन्होंने कहा, ‘मैं भी जल्दी ही आईओए छोड़ दूंगा क्योंकि मैं ऐसे किसी संगठन से जुड़ा नहीं रह सकता जिसका सुशासन से कोई सरोकार नहीं है. मैं इन दोनों से अपील करता हूं कि आरोपों से क्लीन चिट मिलने तक कोई पद स्वीकार नहीं करे. हर किसी का एक दौर होता है और उसके बाद पद छोड़ना जरूरी होता है. कोई हमेशा किसी संगठन में नहीं रह सकता.’

चौटाला ने हालांकि झुकने से इन्कार कर दिया और कहा कि उनका मामला कलमाडी से अलग है. उन्होंने कहा, ‘कलमाडी पद (आजीवन अध्यक्ष) अस्वीकार कर सकते हैं क्योंकि वहां राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित आरोप हैं. मेरा मामला भिन्न है. मुझे आईओए अध्यक्ष (दिसंबर 2012 में) चुना गया था लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के बेवजह के हस्तक्षेप के कारण मुझे पद छोड़ना पड़ा था. इसलिए यदि सभी पूर्व अध्यक्ष आजीवन अध्यक्ष बन सकते हैं तो फिर मैं क्यों नहीं.’

चौटाला ने गोयल के उनकी नियुक्ति पर आपत्ति जताने के समय पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘खेल मंत्री विजय गोयल की प्रतिक्रिया से मैं हैरान हूं. वे दावा कर रहे हैं कि मेरे खिलाड़ी आपराधिक और भ्रष्टाचार के मामले हैं. मेरे खिलाफ मामला आपराधिक नहीं बल्कि राजनीतिक मामला है.’

चौटाला ने कहा, ‘गोयल खेल मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी में विफल रहे हैं. मैं उन्हें सलाह देता हूं कि वह खेल मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरी करें क्योंकि अगर वह ऐसा करेंगे तो हमारे पदकों की संख्या में कई गुना इजाफा होगा और उन्हें इसके लिए श्रेय मिलेगा. बिना तथ्यों को जाने विवाद में पड़ने से अच्छा है कि वे अपने काम पर ध्यान दें.’

इस बीच पिछली सरकार के खेलमंत्री अजय माकन ने आईओए के फैसले को दुखद और दर्दनाक बताया. उन्होंने कहा, ‘पूर्व खेलमंत्री और खेलों का शौकीन होने के नाते मैं कलमाडी और चौटाला को आईओए का आजीवन अध्यक्ष बनाने के फैसले की निंदा करता हूं. यह दुखद और दर्दनाक है और खेलों तथा भारत की छवि के लिये अच्छा नहीं है.’

माकन ने कहा, ‘मैं खेलमंत्री से निवेदन करता हूं कि इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये. सभी खेल महासंघों को मंत्रालय से अनुदान मिलता है लिहाजा सरकार को अपने अधिकार का पूरा प्रयोग करना चाहिये.’

कलमाडी 1996 से 2011 तक आईओए अध्यक्ष रहे और 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के संलिप्तता के कारण उन्होंने 10 महीने जेल में भी काटे लेकिन बाद में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया. चौटाला दिसंबर 2012 से फरवरी 2014 तक आईओए अध्यक्ष रहे जबकि राष्ट्रीय ओलंपिक संस्था को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने के कारण निलंबित कर दिया था जिनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल थे. आईओसी ने बाद में आईओए प्रमुख के तौर पर चौटाला के चुनाव को रद्द कर दिया था.

इस बीच आईओए के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कलमाडी को आजीवन अध्यक्ष बनाना आईओए संविधान की भावना का उल्लंघन है जिसके अनुसार आरोपी व्यक्तियों को पदाधिकारी के रूप में चयनित नहीं किया जा सकता है. 

उन्होंने कहा, ‘इसलिए आईओए संविधान के अनुसार केवल वही व्यक्ति आजीवन अध्यक्ष बन सकता है जो अध्यक्ष रहा हो. चौटाला कभी आईओए अध्यक्ष नहीं, इसलिए उन्हें कैसे आजीवन अध्यक्ष बनाया जा सकता है.’

इंडियन सुपर लीग 2013 में भ्रष्टाचार की जांच के लिये उच्चतम न्यायालय से नियुक्त समिति की अगुवाई करने वाले न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) मुकुल मुदगल का भी मानना है कि आईओए ने गलती की.

मुदगल ने कहा, ‘उनके (कलमाडी ओर चौटाला) मामले में सुनवाई चल रही है लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें यह पद  (आईओए आजीवन अध्यक्ष) सौंपे जाने से बचा जा सकता था. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. सैद्धांतिक तौर पर खेल संस्थाएं स्वतंत्र हैं लेकिन सभी प्रतियोगिताओं के लिये उन्हें सरकार से मदद की जरूरत पड़ती है. सरकार पैसा रोक सकती है लेकिन इससे भारतीय खेलों को ही नुकसान होगा. यह मुश्किल स्थिति है.’

अब पुराने नोट रखने पर लगेगा जुर्माना

नोटबंदी के बाद चलन से बाहर किए गए 500, 1000 रुपये के पुराने नोट रखने वालों पर अब जुर्माना लगेने के साथ ही जेल की सजा भी हो सकती हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस तरह के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसके तहत केंद्र सरकार 31 मार्च, 2017 के बाद किसी के पास एक सीमा से ज्यादा पुराने 500 और 1000 का नोट पाए जाने पर 4 साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही पुराने नोटों में लेन-देन करने पर 5000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. यह अध्यादेश अमान्य किये गये उच्च मूल्यवर्ग के नोटों के प्रति सरकार और रिजर्व बैंक का दायित्व समाप्त करने के लिये है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस दंडित करने के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी गई. इसमें निर्धारित तिथि के बाद 500, 1000 रुपये के अमान्य नोट रखने वालों पर जुर्माना लगाने के साथ साथ जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. रिजर्व बैंक कानून में संशोधन वाले एक अन्य अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई है जिसमें अमान्य किए गए इन नोटों के दायित्व से सरकार और केन्द्रीय बैंक को मुक्त किया गया है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के विवाद से बचा जा सके.

सरकार ने 500, 1,000 रुपये के अमान्य नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिये 50 दिन की समयसीमा तय की थी. यह समय 30 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार 10 से अधिक अमान्य नोट रखने पर वित्तीय जुर्माना लग सकता है और कुछ मामलों में 4 साल तक जेल की सजा भी हो सकती है. सरकार ने 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500, 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था. ऐसे नोटों को नये नोटों से बदलने अथवा बैंक, डाकघर खातों में जमा कराने को कहा गया.

सरकार ने हालांकि, नोट बदलने की सुविधा को तो कुछ समय बाद वापस ले लिया लेकिन पुराने नोट बैंक और डाकघर खातों में जमा कराने के लिये शुक्रवार 30 दिसंबर तक का समय है.

लालू के महाधरने को साथी दलों ने नकारा

राजद सुप्रीमो लालू यादव नोटबंदी के खिलाफ शुरू की गई मुहिम में अकेले पड़ गए हैं. बिहार में महागठबंधन के उनके साथी जदयू और कांग्रेस ने उनसे दूरी बना ली है. नोटंबदी के 50 दिन पूरे होने पर राजद ने आज महाधरना का आयोजन किया, लेकिन उसमें महागठबंधन के साथी दल नहीं पहुंचे. गौरतलब है कि नीतीश पहले ही नोटबंदी को सही करार दे कर इससे पल्ला झाड़ चुके हैं. महाधरना से एक दिन पहले कांग्रेस ने भी लालू से कन्नी काट ली.

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रकाश उत्सव और दलाईलामा के कार्यक्रमों में व्यस्त रहे और महाधरना को तव्वजो नहीं दी. वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने यह बहाना बना कर लालू के महाधरना से किनारा कर लिया कि 28 दिसंबर को ही कांग्रेस का स्थापना दिवस है. इसके लिए कई जलसों को आयोजन किया गया था. वैसे चौधरी ने कहा कि राजद के महाधरना को उन्होंने नैतिक समर्थन दिया है.

राजद सुप्रीमो लालू यादव ने आज पटना समेत बिहार के सभी 38 जिलों के मुख्यालय पर महाधरना का आयोजन किया. इस बहाने लालू ने पूरे राज्य में अपनी ताकत का भी प्रदर्शन कर डाला. लालू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि अगले 50 दिनों में वह हालात को नार्मल कर देंगे. उन्होंने जनता से 50 दिन मांगे थे और साथ में यह भी कहा था कि अगर 50 दिनों में हालात ठीक नहीं हुए, तो वह किसी भी तरह की सजा के लिए तैयार हैं. आज याने 28 दिसंबर को नोटबंदी के 50 दिन हो गए हैं और जनता को परेशानियों से निजात नहीं मिल सकी है. आज भी एटीएम में लंबी-लंबी कतारें लगी हुई है.

महाधरना की कामयाबी से खुश लालू  ने लगे हाथ ऐलान कर डाला कि नए साल में नोटबंदी के खिलाफ बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रैली में शामिल होने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात की गई है और बाकी विपक्षी दलों से बातचीत चल रही है.

महागठबंधन के साथियों के महाधरना में शामिल नहीं होने से नाराज लालू ने कह डाला के इगो प्राब्लम की वजह से सभी विरोधी दल एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, जबकि सभी गैरभाजपाई दलों की एक ही मंजिल है. सभी दिल्ली से भाजपा को उखाड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं. लालू के इस आरोप के जबाब में  जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं कि नोटबंदी का विरोध ही विपक्षी दलों की एकजुटता का पैमाना नहीं है. हर पार्टी का अपना-अपना स्टैंड होता है. नीतीश शुरू से ही नोटबंदी के साथ हैं.

गौरतलब है कि नोटबंदी के ऐलान के शुरुआती दिनों से ही नीतीश उसके समर्थन में खड़े रहे हैं. उन्होंने नोटबंदी को देश की माली हालत में सुधार लाने वाला कदम करार दिया है. उन्होंने साफ कहा था कि इससे शुरू में कुछ दिन लोगों को परेशानी होगी पर आगे चल कर इससे देश को फायदा होगा. 1000 और 500 के नोट पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था. इसके साथ ही वह यह भी कहते रहे हैं कि नोटबंदी को कारगर तरीके से लागू करना चाहिए, ताकि गरीबों, किसानों और महिलाओं को परेशानी नहीं हो.

नोटबंदी के बाद अब नरेंद्र मोदी बेनामी संपत्ति पर हमला करने की तैयारियों में लग गए हैं तो नीतीश ने अपनी पार्टी लाइन से आगे बढ़ कर इस मामले में भी मोदी के सुर में सुर मिला दिया है. भाजपा नेता सुशील मोदी कहते हैं कि बेनामी संपति का पता लगाने के प्रधनमंत्री के ऐलान ने लालू यादव को बौखला दिया है और इसके लिए वह राजनीतिक ड्रामेबाजी कर रहे हैं. कुछ भी हो नोटबंदी के खिलाफ राजद के महाधरना में शामिल नहीं होकर नीतीश और कांग्रेस ने सियासी हलको में अटकलों के बाजार को गरम तो कर ही दिया है.

2017 में ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’ में होगी सबसे बड़ी शादी

2017 में कई चैनल अपने चैनल के कार्यक्रमों में काफी फेरबदल करने में लगे हुए हैं. लोगों के बीच चर्चाएं गर्म हैं कि अब वह समय आ गया है जब टीवी पर सीमित अवधि वाले सीरियलों का प्रसारण किया जाए. वहीं पूरे एशिया में पहला सबसे लंबा चलने वाला सीरियल बन चुका ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’ के निर्माता राजन साही का मानना है कि एक अच्छा सीरियल जब तक दर्शकों द्वारा पसंद किया जाए, उसे प्रसारित किया जाना चाहिए.

तो दूसरी तरफ वह अपने ‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’ को और आगे ले जाने के लिए प्रयत्नशील हैं. खुद राजन साही कहते हैं-‘‘मेरा सारा ध्यान मेरे सीरियल ‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’ के उपर ही है. हमारे सीरियल में नायरा और कार्तिक की शादी की नई शुरुआत हो रही है. टीवी पर यह सबसे बड़ी शादी होगी. इसकी शूटिंग पूरे दो माह चलेगी. हम इसे जनवरी व फरवरी पूरे दो माह फिल्माएंगे. इसे हम आउटडोर लोकेशन में भी फिल्माएंगे. इस शादी में करीबन 16 बडे़ फंक्शन होंगे. तो हम नए साल में त्यौहारी व जश्न के मौसम में एक नए जश्न के साथ एक नयी कहानी को शुरू करेंगे. कहानी व सीन ऐसे होंगे, जिसे लोग जरूर देखना चाहेंगे. अभी तो इस सीरियल में दर्शकों को रिश्तों के कई नए आयाम देखने को मिलेंगे. ’’

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