स्त्री बाहर काम करे तब भी घर के काम के लिए उसे ही खटना पड़ता है. पति अकसर अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटक देते हैं. हां, उनकी सब जरूरतें पत्नी द्वारा समय पर पूरी हो जानी चाहिए. जया के साथ भी कुछ ऐसा ही था. पूर्व कथा जया की नौकरानी गंगा कई दिनों से काम पर नहीं आ रही थी जिस की वजह से जया पर घर का सारा काम आ पड़ा था और वह परेशान रहने लगी थी. एक दिन रानी ने बताया कि गंगा 3-4 दिन और नहीं आएगी क्योंकि वह बीमार है तो जया की परेशानी और बढ़ गई. गंगा का पति अकसर उसे बुरी तरह पीटता था जिस की वजह से वह बीमार रहने लगी थी.

जया ने रानी से कहा कि गंगा पति को छोड़ क्यों नहीं देती तो उस ने कहा कि पति चाहे कैसा हो वह पत्नी का सुरक्षा कवच होता है इसलिए वह उसे छोड़ नहीं सकती. दूसरी ओर जया की सहेली पद्मा जो एक पत्रकार थी और महिला क्लब की सदस्य भी, उस ने सुझाव रखा कि गंगा को उस के पति से तलाक दिलवाना ही ठीक रहेगा.

जया ने बातोंबातों में रानी से गंगा के घर का पता पूछ लिया. जब रानी को गंगा को ले कर महिला मंडल की बैठक होने का पता चला तो वह बोली, ‘‘आप पढ़ीलिखी मैडमों का दिमाग चल गया है. क्या एक औरत अपना बसाबसाया घर और पति को छोड़ सकती है. आप क्यों उसे बेसहारा करना चाहती हैं.’’ रानी को हाई सोसाइटी की इन औरतों पर बहुत क्रोध आ रहा था.

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