देश भर की छोटी बड़ी तमाम अदालतें इन दिनी झल्लाई हुईं हैं तो इसकी बड़ी वजह फालतू के वे मुकदमे ज्यादा हैं जो शौक और शौहरत  के लिए ज्यादा और इंसाफ नाम की चिड़िया के लिए कम लड़े जाते हैं. बेशुमार मुकदमों और उनकी फाइलों के बोझ तले दबी अदालतें अभी गर्मियों की छुट्टियों में अतरिक्त घंटे काम करने मन बना ही रहीं थीं कि नया बखेड़ा फिर दिल्ली से उठ खड़ा हुआ, जिस पर अगली पेशी पर जज साहिबान और झल्लाते यह भी कह सकते हैं कि आप लोग यानि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और महा मशहूर हो चले वकील साहब राम जेठमलानी पहले तय कर लें कि वकील की फीस कौन देगा. आम आदमी पार्टी, दिल्ली की जनता, सरकार या खुद प्रतिवादी अरविंद केजरीवाल, इस के बाद ही अदालत में पांव रखें.

मुकदमे में कोई तकनीकी पेंच नहीं है, अरविंद केजरीवाल ने भाजपा नेता, और दिल्ली क्रिकेट के तत्कालीन  सर्वे सर्वा  वित्त मंत्री अरुण जेटली जो खुद भी वकील हैं पर क्रिकेट में भ्रष्टाचार की आरोप लगाए थे और उन्हे साबित करने एक कमेटी भी गठित कर दी थी. यह बात अरुण जेटली को अच्छी नहीं लगी तो उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा ठोक दिया. यह चर्चित हो चला मुकदमा जल्द ही अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाएगा. केजरीवाल ने अपने बचाव के लिए जेठमलानी को वकील नियुक्त किया, जिन्होंने पिछली पेशी पर मौखिक जिरह में जेटली के पसीने छुड़ा दिये थे. तब तक यह किसी को नहीं मालूम था कि जेठमलानी पिछले साल दिसंबर में ही अपनी फीस का बिल केजरीवाल को भेज चुके हैं और उन्होंने इसके भुगतान के लिए सरकारी खजाने को मुफीद समझा है.

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