समाजवादी पार्टी 3 हिस्सों में बंट चुकी है. हर हिस्सा अलग अलग राह पर चलने की योजना में है. पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव पूरी तरह से बेबस हो चुके हैं. ऐसे में पूरी समाजवादी विचारधारा खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी है. कुर्सी से उतरने के बाद अखिलेश यादव पार्टी के सर्वमान्य नेता नहीं रहे हैं. ऐसे में सपा के लिये अपने वजूद को बचाये रखना बड़ी चुनौती है. सामान्य तौर पर देखें तो समाजवादी पार्टी पर अखिलेश यादव का कब्जा है. अब उनको घर से खुलकर चुनौती मिलने लगी है. मुलायम की दूसरी बहू अपर्णा यादव और पु़त्र प्रतीक यादव अब भाजपा के करीब जा रहे हैं. अपर्णा यादव ने अपनी हार के लिये पार्टी में हुये भीतरघात को जिम्मेदार माना है.

सपा के दो बड़े नेता पार्टी प्रमुख मुलायम सिह यादव और शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव पर खुलकर बोलना शुरू कर दिया है. शिवपाल यादव ने कहा कि कुछ माह में मेरा और नेता जी का जितना अपमान हुआ उतना कभी नहीं हुआ होगा. खुद मुलायम ने इस बात को स्वीकार करते कहा कि जो बेटा बाप की बात नहीं सुनता वो किसी और की क्या सुनेगा. ऐसे में यह साफ हो गया है कि शिवपाल यादव अब सपा से हट कर नई पार्टी बनायेंगे. सपा प्रमुख शिवपाल के साथ होंगे. शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच चला संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर आ चुका है. अब तक अखिलेश से सामने झुक चुके शिवपाल यादव झुकने को तैयार नहीं है.

अखिलेश यादव अब अपने लोगों के साथ सपा को मजबूत कर आगे बढ़ने को तैयार हैं. वह किसी तरह के दबाव में खुद को नहीं रखना चाहते. चाचा शिवपाल, पिता मुलायम और परिवार के दूसरे सदस्यों के बीच तालमेल करने के लिये समझौते करने वाले अखिलेश अब खुद को दबाव से मुक्त रखना चाहते हैं. वह खुद से पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. अखिलेश के पास पार्टी को बनाने के लिये पूरा समय है. तकनीकि रूप में सपा पूरी अखिलेश के साथ है. अब उसे एकजुट रखना अखिलेश की जिम्मेदारी है.

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