केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने क्या सेना के वैलफेयर का ठेका महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे जैसों को दे दिया है? करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में पाकिस्तानी कलाकारों को लेने की कीमत राज ठाकरे ने सैनिक कल्याण कोष के लिए जबरन धन वसूलने की सफल कोशिश की है. राज्य में शांति बनी रहे और फिल्म चल जाए, इस के लिए भाजपाई मुख्यमंत्री ने इसे अपना आशीर्वाद भी दे दिया है.

लोकतंत्र का इस से ज्यादा बड़ा मखौल नहीं हो सकता. पाकिस्तान अभी शत्रु देश घोषित नहीं हुआ है और हमारी सेनाएं उस से लड़ नहीं रही हैं. ऐसे में कुछ गुट उड़ी में हुए आतंकवादी हमले की आड़ में आम लोगों के फैसलों पर अपनी राय थोपने लगें, यह गलत होगा. अगर उस को भारतीय जनता पार्टी सरकार परोक्ष रूप में समर्थन दे रही है तो यह निरर्थक है. देश महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसे तत्त्वों को कैसे स्वीकार कर सकता है जो खुलेआम एक फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए हिंसा व तोड़फोड़ की धमकी दें और देश की सरकार व कानून मुंह देखते रह जाएं.

पाकिस्तानी कलाकार यदि आतंकवादियों के साथ मिले होते तो यहां की सरकार भारत में कदम रखते ही उन्हें गिरफ्तार कर लेती. जब उन्हें फिल्म में काम करने की पूरी इजाजत मिली हुई है और उस से मिले पैसों को अपने साथ ले जाने की इजाजत मिली हुई है तो किसी भी तरह उन का विरोध नाजायज ही नहीं, लोकतंत्र की मृत्यु की उलटी गिनती गिनना भी माना जाएगा.

पाकिस्तान के गायक, विचारक, लेखक, फिल्मी कलाकार आदि भारत न आएं तो देश पर उड़ी जैसे हमले नहीं होंगे, ऐसा मानने की गलती तो मूर्ख ही करेंगे. आतंकवादी तो पाकिस्तान के विचारकों और कलाकारों के उतने ही खिलाफ हैं जितने वे भारत के खिलाफ हैं. वे तो देशों की सीमाएं ही नहीं मानते. उन्हें तो इसलाम धर्म का प्रचार करना है मानो वे 8वीं सदी में जी रहे हों जब धर्म को फैलाना हर धर्मभक्त का पहला काम हुआ करता था.

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