मेरे पति बहुत मजाकिया स्वभाव के हैं. वे अपने कपड़ों पर खुद ही प्रैस करते हैं. एक दिन वे प्रैस कर रहे थे. कपड़ों पर साबुन के दाग लगे देख कर एक भीगे रूमाल से साफ करते जा रहे थे और मुझ से बोल रहे थे, ‘‘कपड़े तो मेरी मां धोया करती थीं, क्या मजाल कहीं दाग लगा हो.’’

मैं ने कहा, ‘‘अब भी धुलवा लो.’’ चूंकि मेरी सास अब जीवित नहीं थीं, इसलिए ये बात मैं ने मजाक में कही थी तो मेरे पति बोले, ‘‘मां अब कैसे धोएंगी.’’ मैं ने कहा, ‘‘मां से गुहार लगाएं कि वे आ कर आप के कपड़े धो दें और चली जाएं.’’ अब मेरे पति ने हाथों को नचा कर कहा, ‘‘वाहवाह, मेरी मां कपड़े धोने आएंगी और मेरी बीवी यानी उन की बहूरानी हाथों पर हाथ रख कर मेवामिस्री खाएगी.’’ यह सुन कर मैं खिलखिला कर हंस पड़ी. 

अंजु सिंगड़ोदिया, हावड़ा (प.बं.)

*

शादी से पहले मेरा होटल में खाना खाने जाना बिलकुल भी नहीं होता था. इसलिए मैं वहां के तौरतरीकों से परिचित नहीं थी. ससुराल पहुंचने के कुछ दिनों बाद ही चचेरे देवरों और पति के दोस्तों के साथ हम लोग होटल में खाना खाने गए. सभी मिल कर नई भाभी यानी मेरी खिंचाई कर रहे थे. खाना खा कर निकलते समय पति के एक दोस्त ने कहा, ‘‘भाभीजी, निकलते समय सौंफ और मिस्री नैपकिन में भर कर ले जाना होता है.’’ मैं ने पति की तरफ देखा, ये सिर्फ मुसकरा रहे थे. मैं ने मुट्ठी भर कर सौंफ व मिस्री उठा ली. रास्तेभर किसी ने कुछ नहीं कहा. घर आ कर मेरी सासूमां से बोलने लगे, ‘‘आप की बहू तो बड़ी चोर है, सौंफमिस्री भर कर लाई है.’’ मैं हक्कीबक्की रह गई. खूब ठहाके लगने लगे. मैं ने अपना सिर पीट लिया. मेरी सासूमां ने मुझे गले से लगा लिया और समझाया कि इन लड़कों की बातों में मत आया करो.   

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