आप अपने नए स्मार्टफोन की बैक-क्लिप निकालेंगे तो मुमकिन है आपको वहां 'मेड इन इंडिया' का स्टिकर दिखाई पड़े. फिर चाहे आपको फोन सैमसंग का हो या किसी डोमेस्टिक ब्रैंड जैसे कार्बन, लावा या इनटेक्स का. 'मेड इन इंडिया' के साथ ही इस बात की भी काफी संभावनाएं हैं कि यह डिवाइस नोएडा या ग्रेटर नोएडा में बनाई गई हो.

जब से केंद्र सरकार ने पिछले बजट में इंपोर्टेड डिवाइस और स्थानीय बनी डिवाइसों की ड्यूटी पर 10.5% का अंतर किया, तब से यह इलाका (नोएडा, ग्रेटर नोएडा) भारत का सबसे बड़ा स्मार्टफोन हब बन गया है. इसकी क्षमता साल भर में 14 करोड़ स्मार्टफोन बनाने की है जोकि साल भर की डिमांड से 40% ज्यादा है. हालांकि ऐसा नहीं है कि क्वैलकम और मीडियाटेक प्रोसेसर भी यहां बना रहे हैं. स्मार्टफोन के सभी अहम पार्ट्स अभी भी चीन और ताइवान से ही आते हैं लेकिन इतने बड़े पैमाने पर स्मार्टफोन का प्रॉडक्शन इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण शुरुआत है. मौजूदा वक्त में स्थानीय इंडस्ट्रीज में डिवाइस के जरूरी पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 5-8% है जोकि अगले पांच साल में 35% तक हो सकता है.

नोएडा और ग्रेटर नोएडा इलाके में इन्वेस्टमेंट के पीछे बड़ा हाथ सैमसंग और एलजी जैसी कोरियन कंपनियों का है. सैमसंग ने तकरीबन एक दशक पहले स्थानीय तौर पर मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी. वर्तमान में सैमसंग की कैपिसिटी साल में 40 लाख स्मार्टफोन बनाने है कि जो सबसे ज्यादा है. हालांकि कंपनी ने इस संख्या की पुष्टि नहीं की है. सैमसंग ने इलाके में स्मार्टफोन कंपोनेंट्स के बहुत से सप्लायर्स भी जेनरेट किए हैं. 

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