राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जब देश के प्रथम नागरिक के तौर पर शपथ ले रहे थे, संसद का सैंट्रल हौल उन की ताजपोशी को ले कर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जा रही थी, ठीक उसी समय 50 शेयरों वाला नैशनल स्टौक एक्सचेंज का निफ्टी नया रिकौर्ड बना कर पहली बार 10 हजार अंक के पार पहुंचा था. दिग्गज कंपनियों में जबरदस्त लिवाली के कारण निफ्टी नए शीर्ष पर था.

बाजार का यह रुख मानसून के बेहतर रहने व विदेशी निवेशकों के अच्छे निवेश के कारण रहा. निफ्टी 13 मई, 2017 को 9 हजार अंक तक पहुंचा और 10 हजार तक पहुंचने में बाजार को करीब सवा साल लग गए जबकि 8 हजार अंक तक पहुंचने में महज 5 माह और 7 हजार अंक का स्तर छूने में 7 साल लगे थे. 1 नवंबर, 2007 को निफ्टी 6 हजार अंक पर आया था जबकि उसी साल सितंबर में महज 5 हजार अंक पर था.

वर्ष 1995 में 3 नवंबर को निफ्टी पहली बार एक हजार अंक के स्तर पर पहुंचा था. बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई ने जुलाई के आखिर में नई छलांग लगाते हुए पहली बार 32 हजार अंक के स्तर को पार किया है और उस का यह रुख लगातार बना हुआ है. अमेरिका का डी जोंस भी ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है.

रिलायंस समूह के मालिक मुकेश अंबानी द्वारा जियो मोबाइल को 1,500 रुपए में देने व 3 वर्षों बाद उपभोक्ता की इस राशि को लौटाने और प्रतिस्पर्धी भारती एयरटेल की 4जी पर नई सुविधा देने की घोषणाओं से बाजार में उत्साह का माहौल है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये उछालें किसी बबूले की तरह हैं जो कभी भी फट सकता है.

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