घूमने फिरने और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठाने के लिहाज से नैनीताल हमेशा से ही पर्यटकों की पहली पसंद रहा है. ऊंचे पहाड़ों के साथ ही नैनीताल में कई झीलें भी हैं और इसलिए उसे झीलों का शहर भी कहा जाता है. उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून से नजदीक होने के कारण इस जगह का काफी शहरीकरण हो चुका है. सैलानियों का जमघट नैनीताल को कभी शोरगुल से आजाद नहीं होने देता.

झीलों के इस शहर को पूरा घूमने के लिए मात्र 3 घंटे का समय ही काफी है. इस के लिए 300-500 रुपए में एक किराए की गाड़ी बुक कर के नैनीताल के प्रमुख पर्यटक स्थलों पर जाया जा सकता है, जिन में टिफिन टौप, केव गार्डन, स्नो व्यू, तिब्बती मार्केट, माल रोड और चाइना पीक मुख्य हैं. यदि शौपिंग का मूड है तो नैनीताल का माल रोड, तिब्बत बाजार और बड़ा बाजार, उचित स्थान हैं. यहां से लकड़ी के बने सजावटी सामान सस्ते दामों में खरीदे जा सकते हैं, साथ ही खूबसूरत मोमबत्तियां भी यहां वाजिब दामों में मिल जाएंगी. खानेपीने के लिए भी ये तीनों स्थान काफी अच्छे हैं. उत्तराखंड की प्रमुख बाल मिठाई भी नैनीताल के बड़ा बाजार से आसानी से खरीदी जा सकती है.

भव्य राज भवन

शौपिंग और खानपान के बाद यदि कुछ अलग देखने की ललक है और इतिहास में रुचि रखते हैं तो नैनीताल के राज भवन की ट्रिप मजेदार हो सकती है. वैसे तो इस शहर में अंगरेजी शैली की कई इमारतें हैं मगर विक्टोरियल गौथिक शैली में बने यहां के राज भवन की खूबसूरती की कोई मिसाल नहीं. वर्ष 1897 में गवर्नर एंथोनी पैट्रिक मैक्डोनल द्वारा बनवाई गई इस इमारत का ढांचा मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का निर्माण करने वाले ब्रिटिश आर्किटैक्ट फैड्रिक विलियम स्टीवैंस ने तैयार किया था.

19वीं सदी की बेमिसाल इमारतों में सब से प्रचलित इस इमारत को लंदन के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाया गया था. बाहरी बनावट के साथ ही इस भवन के अंदर की सजावट भी बहुत खूबसूरत है. इस की खूबसूरती का सब से रोचक हिस्सा 10वीं सदी के सब से प्रसिद्ध सुलताना डाकू, जिसे भारत का रौबिनहुड भी कहा गया है, द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार हैं, जिन्हें भवन की दीवारों पर सुसज्जित किया गया है. बाकी लकड़ी की खूबसूरत नक्काशी से सजी भवन की छतें और ब्रिटिशकाल के एंटीक फर्नीचर भी इस भवन की शोभा में चारचांद लगाते हैं. इमारत से बाहर निकलने पर 160 एकड़ भूमि में फैले घने जंगल और उस के बीचोंबीच 50 एकड़ जमीन पर बने 18 होल्स वाली गोल्फ फील्ड भी काफी आकर्षित करती है. इस गोल्फ फील्ड को भारत की सब से ऊंची गोल्फ फील्ड होने का खिताब भी प्राप्त है. बस, इस इमारत को देखने के साथ ही नैनीताल की सैर यादगार बन जाएगी.

भुवाली जाना मत भूलें

आप को असली प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेना है तो नैनीताल से लगभग 11 किलोमीटर दूर पहाड़ों की तलहटी में 1,680 मीटर की ऊंचाई में बसी कुमायूं मंडल की शानदार नगरी भुवाली जाना मत भूलें. सेब, आलूबुखारा, खुबानी और काफल जैसे फलों के खूबसूरत बागों के लिए प्रसिद्ध भुवाली बेहद शांत और सुंदर नगर है. यह जगह फलों की मंडी के लिए जानी जाती है. यहां दूरदूर से लोग फलों की खरीदारी के लिए आते हैं. सब से अच्छी बात है कि यहां आने वाले सैलानियों के लिए रहने की अच्छी व्यवस्था है. अच्छे रिजौर्ट्स और होटलों के साथ नगर के स्थानीय निवासियों ने घर पर ही पेइंगगैस्ट की भी सुविधा दे रखी है. भुवाली की सब से खास बात है कि यहां नैनीताल या अन्य हिलस्टेशनों की तरह सैलानियों की भीड़ नहीं होती. ज्यादातर यहां वही सैलानी आते हैं जिन्हें इस जगह के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी होती है या फिर नैनीताल में जब रहने के लिए होटल नहीं मिलता तो लोग भुवाली की ओर रुख करते हैं. यहां रहने के साथ ही खानेपीने का इंतजाम भी काफी अच्छा है. यहां सड़कों के किनारे छोटेछोटे ढाबों में काफी स्वादिष्ठ भोजन मिलता है और यह हैल्थफ्रैंडली होने के साथ ही पौकेटफ्रैंडली भी है.

चाय के बागान

नैनीताल ओर भुवाली के बीच मात्र 1,000 लोगों की जनसंख्या वाला गांव श्यामखेत भी बेहद आकर्षक दिखता है. इस के आकर्षण की बड़ी वजह यहां के हरेभरे चाय के बागान हैं. सीढ़ीनुमा आकार के इन खेतों पर औद्योगिक चाय की पैदावार होती है, जो सभी प्रकार के कृत्रिम रासायनिक अवशेषों से मुक्त होती है. दिलचस्प बात तो यह है कि यहां की चाय विदेशों तक जाती है. चाय के शौकीन लोग सस्ते दामों में यहां से चाय खरीद सकते हैं.

बस, इसी के साथ कुमायूं मंडल के इन 3 खूबसूरत नगरों की सैर 3 दिनों में ही पूरी हो जाती है. यदि आप कम समय और कम बजट में प्राकृतिक खूबसूरती और शांत वातावरण का आनंद उठाना चाहते हैं, तो इन 3 स्थलों की यात्रा आप के लिए एक अच्छी ट्रिप साबित हो सकती है.

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