भारतीय इतिहास में कभी ‘काला पानी’ के नाम से कुख्यात अंडमान निकोबार के द्वीप आज अपने प्राकृतिक सौंदर्य, विशाल व मनमोहक समुद्रतटों और एकांत की सुहानी छटा के जरिए सैलानियों को बारबार आने का आमंत्रण देते प्रतीत होते हैं. मनोहारी बीच, ऐडवैंचर आइलैंड व वाटर स्पोर्ट्स की अनूठी दुनिया में आप का स्वागत है. अंडमान की सौम्यता और उस के प्राकृतिक सौंदर्य को आधुनिक युग जरा भी कम नहीं कर पाया है. यहां आ कर आप को एक असीम शांति की अनुभूति होगी. साफस्वच्छ सागर तट, अतीत की स्मृतियों को अपने में समेटे खंडहर और अनेक प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की वनस्पतियों को अंडमान आज भी अपने आगोश में संजोए हुए है.

भारतीय इतिहास में ‘काला पानी’ के नाम से प्रसिद्ध अंडमान द्वीप, अब एक बेहतरीन पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात हो चुका है. यहां मौजूद सैलुलर जेल में स्वाधीनता संघर्ष के लिए अपने प्राण गंवाने वाले देशप्रेमियों की दास्तां दर्ज है. इस के साथ ही, यहां का लुभावना प्राकृतिक सौंदर्य और तटों से टकराती सागर की लहरों की मोहक सुंदरता अपनेआप में बेमिसाल है.

अंडमान निकोबार की भाषा हिंदी क्यों : 19वीं सदी के मध्य में ब्रिटिश तथा भारतीय लोग अंडमान निकोबार में बस गए थे. उन के सांस्कृतिक विकास के तहत हिंदी व अंगरेजी भाषा का विकास हुआ. अभी वहां पर हिंदू, सिख, ईसाई तथा मुसलमानों की मिलीजुली आबादी है. लगभग 15 प्रतिशत हिंदी लिखते व बोलते हैं बाकी लोग बंगाली, तमिल, मलयालम, पंजाबी, तेलुगू व निकोबारी बोली का इस्तेमाल करते हैं.

सामाजिक स्थिति : अंडमान निकोबार द्वीप समूह जिसे हम मिनी इंडिया भी कह सकते हैं क्योंकि यहां की 50 प्रतिशत आबादी 1947 व उस के बाद यहां आ कर बस गई थी. खास बात यह रही कि यहां पर लंबे समय तक जेल में रह रहे कैदी भी जेल से छूटने के बाद यहीं बसते चले गए. बंगाली शरणार्थी, जो पूर्व पाकिस्तान से आए थे, ने भी यहीं शरण ले ली थी. सो, मुसलमानों की जनसंख्या दूसरी जातियों से अधिक है. यहां सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते हैं. ये समाज की हर गतिविधि से जुड़े रहते हैं.

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