सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग अमेरिकी संसदीय समिति के समक्ष दो दिवसीय गवाही में हाजिर हुए. यहां पर उनसे कई तीखें सवाल पूछे गए. जैसा कि आप जानते हैं कि जुकरबर्ग कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक के मामले पर सवालों से घिरे हुए हैं. वो जिस तरह से पहले भी अपनी गलतियां मान रहे थे और माफी मांग रहे थे. ठीक वैसा ही नजारा अमेरिकी संसदीय समिति में भी देखने को मिला उन्होंने वहां कई सवालों का जवाब तो दिया, लेकिन कुछ सवालों के जवाब में वो उलझते हुए दिखे. कई सवालों का उन्होंने गोलमोल जवाब दिया और माफी मांगी.
फेसबुक के लिए यह सेशन काफी अहम था, क्योंकि ऐसे समय में जब दुनिया भर में फेसबुक की कड़ी आलोचना हो रही है मार्क जुकरबर्ग तीखे सवालों के जवाब देने के लिए अमेरिकी सांसदों के समक्ष पेश हुए. आपको बता दें कि जुकरबर्ग पहले और दूसरे दिन 44 अमेरिकी सांसदों द्वारा पूछे जाने वाले कई सवालों का जवाब दे चुके हैं. दूसरे दिन लगभग 5 घंटे तक सवाल और जवाब का सिलसिला चला जिसमें उन्होंने डेटा शेयर को लेकर माफी मांगी. साथ ही उन्होंने भारत में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के बारे में कहा कि वे इसमें पूरी सावधानी बरतने की कोशिश करेंगे.
रिपोर्ट्स के मुताबिक मार्क जुकरबर्ग कई हफ्तों से इन सांसदों के सामने सवालों के जवाब देने की तैयारी कर रहे थे. दूसरे दिन सेनेटर्स को दिए गए जवाब मे जुकरबर्ग अपने टौप एडवाइजर्स और लौयर्स के साथ सदन में मौजूद थे और सवालों के जवाब दे रहे थे. उनके पास कुछ दस्तावेज भी रखे थे, रिपोर्ट्स के मुताबिक उनमें मुख्य बिंदु लिखे थे जिनके इर्द-गिर्द के सवालों का ही जवाब उन्होंने दिया है.
ऐसा पहली बार भी नहीं हो रहा है जब फेसबुक पर डाटा की निजता के हनन का आरोप लगा हो और इस आरोप के लिए माफी मांगी गई हो. आठ साल पहले इलेक्ट्रानिक फ्रंटियर फाउंडेशन नाम की संस्था ने दावा किया था कि फेसबुक ने अपनी स्थापना के कुछ समय बाद ही डाटा गोपनीयता की सेटिंग में ऐसे बदलाव किए थे जिनके तहत यूजर अपना कुछ डाटा सार्वजनिक करने पर मजबूर थे.
फेसबुक पर क्या है आरोप?
– फेसबुक पर आरोप है कि उसने बिना इजाजत यूजर्स के निजी डेटा कैंब्रिज एनालिटिका के साथ शेयर किए थे.
– राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमेरिका के फेसबुक यूजर्स के निजी डेटा का इस्तेमाल किया गया था.
जुकरबर्ग की महज माफी ही काफी नहीं
फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की माफी एक अच्छा कदम जरूर है लेकिन यह काफी नहीं है. वक्त आ गया है कि लोग फेसबुक, गूगल जैसी चीजों के सच को समझें. सोमवार को जुकरबर्ग अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश होने से पहले वाशिंगटन में सांसदों से मुलाकात कर सांसदों के सामने माफी मांगी. उन्होंने माना कि फेसबुक से गलती हुई है और भविष्य में बेहतर तरीके से काम करने का वादा भी किया.
यह माफी बहुत जरूरी थी क्योंकि जुकरबर्ग केवल फेसबुक के संस्थापक, सीईओ और अध्यक्ष ही नहीं हैं, बल्कि कंपनी के 60 प्रतिशत मताधिकार भी उन्हीं के पास है. ऐसे में वे कंपनी के एक ऐसे नेता हैं, जो उसकी हर हरकत के लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन जुकरबर्ग के झांसे में मत आइए. वह अब इन नियमों को मान रहे हैं क्योंकि यह उनकी मजबूरी है. अमेरिका में 2016 के चुनावों में रूस का हाथ होने और ब्रेक्जिट में कैम्ब्रिज एनेलिटिका की भूमिका की खबर के बाद, दुनिया भर में ना ही जनता और ना सरकारें अब फेसबुक को नजरअंदाज कर सकती हैं. इसलिए जुकरबर्ग को सिर्फ इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली है और कुछ अस्पष्ट से वादे कर दिए हैं कि वह अपने हर ऐप की जांच कराएंगे. यह कतई काफी नहीं है.
वीडियो : एमरेल्ड ग्रीन नेल आर्ट
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