यह दुनिया की इकलौती ऐसी तकनीक है, जिस में दूध को ठंडा रखने के लिए गोबर के उपले के साथसाथ सूखा गोबर, लकड़ी, बांस, भूसी व घास का इस्तेमाल होता है.

इस तकनीक को नाम दिया गया है ग्रीन चिल. इस में 500 से 1000 लीटर दूध, फलसब्जी, मछली या दूसरी बागबानी की चीजों को महफूज रखा जा सकता है. 

यह एक गैरकंप्रेशर फ्रिज है. ग्रीन चिल को चलाने के लिए न तो बिजली की जरूरत होती है और न ही डीजलपैट्रोल की. यह फ्रिज किसी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण या वायु प्रदूषण नहीं करता और इस का रखरखाव  भी बेहद आसान है. इस में किसी प्रकार की गैस नहीं निकलती और यह बहुत कम जगह घेरता है.

इस तकनीक से स्टोर किए हुए दूध को वी2सी बाजार, जेएमडी गलेरिया मार्केट में लगे आजीविका एक्सपीरियंस स्टोर पर मुहैया कराया जाएगा. इस से दूध में चल रही मिलावट से भी लोगों को राहत मिल सकेगी.

यह तकनीक न्यू लीफ  डायनामिक टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है. इस तकनीक को शुरुआती तौर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा है. इस तकनीक की शुरुआत गुड़गांव के मांकड़ौला गांव से की जाएगी. बाद में इसे जिले के सौ दूसरे गांवों में लागू किए जाने की योजना है.

दूध आमतौर पर बहुत जल्दी खराब होने वाली चीज है. जरा ज्यादा गरमी पड़ने पर यह फट जाता हे. जरा सी भी लापरवाही दूध के लिए खतरनाक साबित होती है. ऐसे आलम में बिना बिजली वाली यह तकनीक काफी कारगर रहने की उम्मीद है.                     

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