अपनी किशोरावस्था में पसंद किए जाने वाले एसएमएस के बारे में दुनिया भर के अलग अलग भाषा बोलने वाले करोड़ों लोग कहानियां कह सकते थे. दो पड़ोसी से लेकर अलग-अलग देश के लोगों के लिए बीच फोन कॉल के सस्ते विकल्प के रूप में यह संदेश भेजने के बहुत काम आया. अब एसएमएस 25 साल का हो चुका है. गूगल इसमें नयी जान फूंकने की कोशिश कर रहा है.

एसएमएस की लोकप्रियता बहुत कम हो गई है

एसएमएस की लोकप्रियता बहुत कम हो गई है. गूगल मैसेंजर, फेसबुक मैसेंजर और गूगल हैंगआउट ने भी एसएमएस को बहुत फीका कर दिया है. जो रही-सही कसर थी उसे फ्री मैसेजिंग ऐप ने पूरा कर दिया. इसके बाद करोड़ों लोगों ने एसएमएस का इस्तेमाल बंद ही कर दिया है. पिछले हफ्ते गूगल ने एलान किया था कि एसएमएस को बदलने के लिए वो अब नए कदम उठाएगा. वह रिच क्लाइंट मैसेजिंग शुरू कर रहा है.

ये फॉर्मेट एंड्राइड स्मार्टफोन पर काम करेगा. रिच क्लाइंट मेसेजिंग का फॉर्मेट सभी स्मार्टफोन के साथ और सभी ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ काम करेगा. इसलिए गूगल ये उम्मीद लगा बैठा है कि नए फीचर सबके काम आ सकेंगे और एसएमएस एक बार फिर से लोग पसंद करने लगेंगे. गूगल चाहता है कि एसएमएस पर अब ग्रुप चैट और टाइपिंग इंडिकेटर जैसे फीचर शामिल किए जाएं, कुछ वैसे ही जैसे मेसेजिंग ऐप में भी होता है.

गूगल के मैसेजिंग ऐप को डाउनलोड करना होगा

इस फॉर्मेट में अब तस्वीर और मल्टीमीडिया मैसेज भी भेजे जा सकेंगे. अगर ऐसा कुछ तैयार किया जा सकेगा तो एसएमएस पर ग्रुप बनाया जा सकेगा, कुछ व्हाट्सऐप ग्रुप की तरह. इन ग्रुप के आप नाम भी दे सकेंगे. इस फीचर को स्मार्टफोन पर लॉन्च करने के लिए गूगल के मैसेजिंग ऐप को डाउनलोड करना होगा. लेकिन इसे सबसे पहले एलजी और नेक्सस स्मार्टफोन पर शुरू किया जाएगा. अगर ये सफल रहा तो दूसरे स्मार्टफोन पर भी इसको लॉन्च किया जाएगा.

जैसे व्हाट्सऐप ब्लू टिक कर ये दिखाता है कि किसी ने मैसेज पढ़ लिया वैसे ही एक फीचर इसमें शामिल किया जा सकता है. इन सभी फीचर के लिए मैसेजिंग सर्विस को डेटा कनेक्टिविटी की जरूरत होती है लेकिन एसएमएस की नयी सर्विस उसके बिना काम कर सकेगी. इन सभी फीचर और एसएमएस में आने वाले बदलाव के बारे में गूगल ने पहले बताया था लेकिन अगले कुछ हफ़्तों में ये बदलाव दिखाई देने लगेंगे.

मैसेजिंग प्लेटफार्म एल्लो और हैंगआउट पर भी लोग मैसेज कर सकते हैं

लेकिन एसएमएस में फिर से जान फूंकना आसान नहीं होगा. रिच क्लाइंट मैसेजिंग का ये फॉर्मेट 2007 में शुरू किया गया था. लेकिन अब तक सिर्फ 49 मोबाइल फोन कंपनियों ने इसे अपनाया है. मतलब साफ है कि अगर आपकी मोबाइल सर्विस देने वाली कंपनी ने इसे नहीं अपनाया है तो गूगल की कोशिश सफल नहीं होगी.

गूगल के लिए एक और परेशानी खड़ी हो सकती है. उसके अपने मैसेजिंग प्लेटफार्म एल्लो और हैंगआउट पर भी लोग मैसेज कर सकते हैं. एसएमएस को बचाने के लिए वो उसे उन दोनों से ज़्यादा अहमियत नहीं दे सकता है. उसकी एक और परेशानी है. ये परेशानी तकनीक की दुनिया के स्वरुप से जुड़ी हुई परेशानी है. कई बार ऐसा हुआ है कि एक तकनीक का प्रोडक्ट लोगों की पसंद से हट गया है. उसके बाद उसका लोगों की पहली पसंद बनना बहुत मुश्किल है.

एसएमएस जैसे जैसे अपने 25वें साल में प्रवेश कर रहा है, लोगों के बीच उसका इस्तेमाल कम हो गया है. अब त्योहार और नए साल पर लोग एसएमएस नहीं व्हाट्सऐप करते हैं, दूसरे मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं. जब मांग चरम पर थी तो एक एसएमएस के लिए डेढ़ रुपये तक देने पड़ते थे.

20-30 रुपये देकर 500-1000 मैसेज का पैक खरीद जा सकता है

एसएमएस जैसे जैसे अपने 25वें साल में प्रवेश कर रहा है, लोगों के बीच उसका इस्तेमाल कम हो गया है. अब त्योहार और नए साल पर लोग एसएमएस नहीं व्हाट्सऐप करते हैं, दूसरे मैसेजिंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं.

अब हर महीने 20-30 रुपये देकर 500-1000 मैसेज का पैक खरीद जा सकता है. पोस्टपेड कनेक्शन के लिए तो प्लान के साथ एसएमएस फ्री भी दिया जाता है. लेकिन फिर भी उसे अपनाने वाले आजकल कम ही हैं. एसएमएस को भूला दिया जाएगा, ऐसा तो नहीं होगा लेकिन जिस रूप में आपने अब तक एसएमएस को देखा है वो उसे बदले हुए रूप में देखने को तैयार रहिए. लेकिन फिर भी सवाल है कि क्या ये लोगों का दिल फिर से जीत पाएगा?

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