मुंबई हो या दिल्ली, चंडीगढ़ हो या पटना, रांची हो या रायपुर, सभी जगहों के किशोरों और युवकों का नशा सोशल साइट्स के प्रति बढ़ता ही जा रहा है. वाट्सऐप, फेसबुक, माई स्पेस, माई लाइफ, माई ओपेरा, औरकुट, स्पेसेज, बैचमेट्स, यारी, मिंगलबौक्स, निंग, मीटअप, बीबो, बिगअड्डा, रीकीन्यूयूनिवर्स, क्लासमेट्स डौट कौम, फ्रेंडस्टर, माउथशट डौट कौम जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर 100 मिलियन युवा सदस्य उपस्थित हैं और इन साइट्स पर 327 करोड़ रुपयों का विज्ञापन आता है. पूरे देश में औरकुट के 6 मिलियन सदस्य हैं. माई स्पेस के सदस्यों की संख्या 2 हजार लाख है जबकि फेसबुक के 280 लाख सदस्य हैं.
वर्ष 1995 में प्रथम सोशल नैटवर्किंग साइट क्लासमेट्स डौट कौम की शुरुआत की गई थी. माई स्पेस की शुरुआत अगस्त 2003 तथा औरकुट की जनवरी 2004 में की गई थी. पटना में औरकुट की लोकप्रियता का आलम यह था कि केवल पटना के विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाले 15 हजार से ज्यादा छात्र इस के सदस्य थे. इस लिस्ट में सेंट जेवियर्स, सेंट जोसेफ, डीएवी और मगध महिला कालेज जैसे नामीगिरामी स्कूलकालेज शामिल थे. लेकिन अब ‘फेसबुक’ का क्रेज बढ़ जाने से औरकुट यूजर्स की संख्या बहुत कम रह गई है.
फेसबुक की शुरुआत फरवरी 2004 तथा निंग की शुरुआत अक्तूबर 2005 में की गई थी. मीटअप 2002 में बना तो बेबो जुलाई 2005 में. आखिर क्या है इन साइट्स में? क्यों ये लगातार लोकप्रिय होती जा रही हैं? इस बाबत आयुष मुकुल का कहना है कि सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर फन है, फ्रैंडशिप है और है जीवन जीने का नया अंदाज.
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