तमिलनाडु के कक्षा दसवीं के एक छात्र ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है, जो कि 'चुपके से आने वाले दिल के दौरे' के खतरे का पता लगा सकती है, यह अग्रिम और नवीनतम तकनीक है, जो कि ग्रामीण इलाकों में बहुत से जीवन बचा पाने में खासी मदद कर सकती है. दसवीं कक्षा में पढ़ रहे आकाश अपनी इस तकनीकी के दम पर ही राष्ट्रपति भवन के 'इनोवेशन स्कॉलर्स इन-रेजीडेंस प्रोग्राम' के तहत राष्ट्रपति के खास मेहमान के रूप में रह रहे हैं. इस कार्यक्रम के तहत नवोन्मेषकों, लेखकों और कलाकारों को एक सप्ताह से अधिक के लिए राष्ट्रपति भवन में रहने का मौका मिलता है.

अच्छी खासी सेहत वाले किसी परिचित का अचानक दिल के दौरे के कारण गुजर जाना वाकई एक बड़ा सदमा होता है, लेकिन अपने दादाजी के ही अचानक हुए निधन से आहत तमिलनाडु के आकाश ने एक ऐसी तकनीक बना डाली, जो लोगों पर मंडराने वाले हृदयाघात के खतरे की पहचान कर सकती है, जिसके आम तौर पर इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते.

राष्ट्रपति भवन में रहते हुए इस 'नवाचार उत्सव' में आकाश कहते हैं कि ''आजकल ऐसे 'साइलेंट हार्ट-अटैक' काफी आम हो गये हैं. लोग दिखते तो इतने स्वस्थ हैं कि उनमें हृदयाघात से जुड़ा कोई लक्षण दिखता ही नहीं है. मेरे दादाजी एकदम स्वस्थ लगते थे लेकिन अचानक ही दिल के दौरे से उनका निधन हो गया. हमारे शरीर में एक एफएबीपी3 प्रोटीन जो कि सबसे छोटे प्रोटीनों में से एक है, पाया जा सकता है. यह रिणावेशित (निगेटिव चार्ज वाला) होता है, इसलिए धनावेश: पॉजिटिव चार्ज: की ओर तेजी से आकर्षित होता है और उसके इसी गुण का इस्तेमाल करते हुए मैंने यह तकनीक तैयार की है. ये मौन रहने वाला दिल का दौरा इन दिनों बेहद घातक और चिंताजनक होता जा रही है और इन जैसे मामलों में, लगभग सारे लक्षण स्पष्ट नहीं रहते. और लोग सामान्य तौर पर स्वस्थ दिखाई देते हैं, मेरे दादाजी भी स्वस्थ दिखते थे लेकिन एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद वो गिर गए.” इस पूरी घटना ने मनोज को इस प्रोटोटाइप या टेक्नोलॉजी को विकसित करने के लिए प्रेरित किया और अब इस तकनीक को राष्ट्रपति भवन में भी प्रदर्शित किया गया है.

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