बायोमेट्रिक तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जो मौजूद वक्त में फिंगरप्रिंट स्कैनर और चेहरे की पहचान के तौर पर हमारी जिंगदी में शामिल हो चुकी है. अब वैज्ञानिकों का यह विशेष ग्रुप खोपड़ी की अंदरूनी हरकतों का इस्तेमाल लॉग-इन-पासवर्ड के लिए करना चाहता है.

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सेटअप बनाया है, जो मूल रूप से एक मोडिफाई गूगल ग्लास हेडसेट है जिसका इस्तेमाल ध्वनि उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, ऐसी आवाज जिस स्पेक्ट्रम पर इंसान को यह सुनाई नहीं देती, लेकिन डिवाइस का माइक्रोफोन इसको ‌डिटेक्ट कर सकता है.

गौरतलब है कि इस रीसर्च को स्टुटगार्ट यूनिवर्सिटी, सारलैंड यूनिवर्सिटी और इंफॉरमैटिक मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के रीसर्चर द्वारा की गई टेस्टिंग में यह उपकरण 97% यूजर्स को सही तरह से पहचानने में समर्थ रहा.

यह अनोखी डिवाइस ऐसे करेगी काम 

1.यह ध्वनि हड्डी के आयोजन स्पीकर के माध्यम से उत्पन्न होती है, यह एक ऑडियो हस्ताक्षर के रूप में जेनरेट होकर मानव खोपड़ी के माध्यम से गुजरती है.

2.यह आवाज हड्डी को आयोजित करके स्पीकर के द्वारा पैदा होती है और फिर एक ऑडियो सिग्नेचर के रूप में उत्पन्न होकर मनुष्य की खोपड़ी से गुजरती है.

3.प्रत्येक इंसान का सिर एकदम अलग होता है, इसलिए रिजल्ट के रूप में फाइनल आवाज निकलती है.

वैसे रिसर्चर शुरूआत में एक ऐसा सिस्टम बनाना चाहते थे अगर कोई दूसरा डिवाइस को हाथ लगाएं तो वह लॉक हो जाए लेकिन बाद में सुझाव दिया गया कि ऑडियो सिग्नेचर की वैल्यू फिंगरप्रिंट स्कैनर की तरह यूनिक हो सकती है और डिजिटल वर्ल्ड में सिक्योरिटी के लिए यह एक बेहतर आप्शन होगा.

इस डिवाइस पर अभी और रिसर्च होनी बाकी है और सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार पहचान की दर अभी भी काफी कम है और इस पर अभी और विचार होना बाकी है.

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