बाजार में कम कीमत के स्मार्टफोन की बाढ़ आई हुई है. लेकिन आईटी मंत्रालय का कहना है कि ये सस्ते फोन साइबर सुरक्षा के लिए लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं. ऐसे फोन से बैंक के लेनदेन, क्रेडिट कार्ड के लेनदेन या किसी अन्य योजना का सत्यापन करना खतरनाक हो सकता है. साइबर चोर इनमें आसानी से सेंध लगा सकते हैं. मंत्रालय इस बारे में जल्द एक परामर्श जारी करने की तैयारी में हैं.
इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्यौगिकी विभाग की एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल फोन के जरिये ऑनलाइन लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है. मोबाइल फोन तमाम योजनाओं में ओटीपी सत्यापन का जरिया बन रहे हैं. लेकिन यह साइबर सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक है. इसकी दो वजहें हैं. एक, मोबाइल में साइबर सुरक्षा के इंतजामों को लेकर कोई ठोस मानक या नीति नहीं बनी है. दूसरे, लोगों के हाथ में तेजी से सस्ते स्मार्टफोन आ गए हैं, जिनमें साइबर सुरक्षा को लेकर न तो पहले से प्रावधान है, न ही कर पाना संभव है.
आईटी मंत्रालय के विशेषज्ञों के अनुसार, साढ़े पांच हजार रुपये से कम कीमत वाले स्मार्टफोन साइबर हमले के हिसाब से सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं. इन फोन के एंड्रायड प्लेटफार्म में साइबर सुरक्षा उपायों की कमी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर चोरी के हमले के अलावा ऐसे फोन में मौजूद अन्य किस्म के डाटा चोरी की संभावना भी ज्यादा है. विशेषज्ञों के अनुसार, महंगे फोन में सुरक्षा इंतजाम होते हैं, इसलिए उन्हें यह खतरा कम है. लेकिन यह कहना सही नहीं है कि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं.
क्यों असुरक्षित हैं कम कीमत के मोबाइल
– एंड्राइड में कई किस्म के हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर होते हैं. सस्ते फोन में इन्हें ओपन सोर्स से तैयार किया जाता है, जिसमें सॉफ्टवेयर कोड सीक्रेट नहीं होता.
– फोन में इनबिल्ड साइबर सुरक्षा एप होने चाहिए. लेकिन सस्ते फोन में इन बिल्ड साइबर सुरक्षा एप या तकनीक नहीं होती.
– सस्ते स्मार्टफोन में मेमोरी कम होती है. ऐसे में उसमें सुरक्षा से जुड़े सॉफ्टवेयर डालना मुश्किल है, क्योंकि उन्हें लोड करने के लिए फोन में खाली मेमोरी होनी चाहिए.
– इसलिए जिन लोगों को स्मार्टफोन से बैंक और क्रेडिट कार्ड संबंधी कार्य करने हों वे फोन खरीदते समय उपरोक्त फीचर्स की जानकारी अवश्य ले लें.