2016 में तकनीक के क्षेत्र में क्याक्या परितर्वन हो सकते हैं, इसे ले कर कई महारथी कंपनियां भी अपनेअपने दावं खेल रही हैं. जैसे, इस बारे में कुछ अंदाजा, कंप्यूटर कंपनी आईबीएम ने भी लगाया है. आईबीएम के अनुसार, 2016 में 5 ऐसे क्रांतिकारी आविष्कार सामने आएंगे जो हमारी जिंदगी बदल सकते हैं, ये हैं :
खुद बनाएंगे बिजली
दुनिया के हर मुल्क में बिजली की खपत सिर्फ आबादी की वजह से नहीं बढ़ रही है, बल्कि बिजली से चलने वाले उपकरणों पर बढ़ती हमारी निर्भरता के कारण भी बिजली के इस्तेमाल में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है. उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से बिजली महंगी भी होती जा रही है. यही वजह है कि अब वैज्ञानिक और उद्योगपति उन तकनीकों के बारे में विचार करने लगे हैं, जिन से लोग अपने घर में ही बिजली बना सकें. सौर ऊर्जा इन में से एक है, पर बादल छाए रहने या फिर बारिश वाले दिनों में बिजली के लिए सूरज पर निर्भर नहीं रहा जा सकता.
इस का एक उपाय भारत में एक अरबपति उद्योगपति मनोज भार्गव ने सुझाया है. उन की कंपनी ने 15-20 हजार रुपए की कीमत वाली ऐसी साइकिल तैयार करवाई है, जिसे हर दिन एक घंटे चला कर एक छोटा परिवार अपनी कुछ जरूरतों के लिए खुद बिजली बना सकता है. हालांकि वैज्ञानिक इस से भी बड़ा करिश्मा करने की सोच रहे हैं. जैसे साइकिल के अलावा रोज पहने जाने वाले जूतों और घर में पाइप से हो कर आने वाले पानी में ऐसी तकनीक लगा दी जाए कि उन से बिजली बनने लगे. आईबीएम के अनुसार इस साल ऐसी तकनीकें लोगों के सामने आएंगी.
पासवर्ड से छुटकारा
कंप्यूटर, मोबाइल, क्रैडिट कार्ड, औनलाइन शौपिंग की वैबसाइट और न जाने कितनी जगहों पर हमें रोजाना तरहतरह के पासवर्ड का इस्तेमाल करना पड़ता है. कई बार पासवर्ड भूल जाने या हैक कर लिए जाने की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. अब साइंटिस्ट पासवर्ड से हमेशा के लिए छुटकारा दिलाने वाली तकनीक लोगों को मुहैया कराने की सोच रहे हैं. इस तकनीक के तहत हमारा चेहरा, आंखें (पुतलियां), उंगलियों की छाप को पढ़ने वाले इंतजाम हर जगह लग जाएंगे जिस से पासवर्ड के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी, यह तकनीक काफी सुरक्षित भी होगी, क्योंकि इस में पासवर्ड भूल जाने, चोरी हो जाने या गलत हाथों में इस्तेमाल होने के खतरे भी नहीं रहेंगे.
पढ़ेंगे दिमाग
इंसान के दिमाग को हूबहू पढ़ लेना विज्ञान के लिए एक सपना रहा है. अभी की तकनीकें हमारे दिमाग को पढ़ कर खुद काम नहीं कर सकतीं. उन्हें बोल कर या छू कर कोई आदेश देना पड़ता है. पर आईबीएम के अनुसार इस साल साइंटिस्ट ऐसीतकनीक का खुलासा कर सकते हैं, जिन की सहायता से स्मार्टफोन या कंप्यूटर आदि गैजेट्स हमारा दिमाग पढ़ कर कोई काम करने लगेंगे. यानी हमें किसी व्यक्ति को फोन करने के बारे में सिर्फ दिमाग में सोचना होगा और स्मार्टफोन खुद ही उस व्यक्ति का नंबर लगा देगा. है न कमाल?
डिजिटल डिवाइड
अमीरगरीब और स्त्रीपुरुष के बीच डिजिटल डिवाइड की समस्या पूरी दुनिया में है. महिलाएं तकनीक के क्षेत्र में पीछे हैं और गरीबों को अमीरों की तरह इंटरनैट या स्मार्टफोन हासिल नहीं हैं. आईबीएम के अनुसार, अब यह नजारा बदलने वाला है. इन दोनों ही मोरचों पर तकनीक महिलाओं और गरीबों की मदद करने वाली है ताकि उन्हें दुनिया में बराबरी का एहसास हो सके.
जंक ईमेल से निजात
इंटरनैट इस्तेमाल करने वाले अकसर अपने इनबौक्स में आने वाली अवांछित ईमेल (जंक मेल) से परेशान रहते हैं. कुछ लोगों के इनबौक्स में तो रोजाना सैकड़ों जंक मेल आ जाती हैं. पर अब जल्द ही ईमेल सेवा देने वाली कंपनियां ऐसे प्रबंध करने वाली हैं जिन से लोगों को जंक मेल से ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. उन्हें सिर्फ वे ईमेल दिखाई देंगी, जो वे देखना