अगर अचानक डाक्टर किसी से गेहूं की रोटी खाना बंद करने के लिए कहे और बताए कि यह आप के लिए जहर है तो एकबारगी सुनने वाला चौंक जाएगा. सदियों से तो लोग गेहूं की ही रोटी खाते आ रहे हैं. भला रोजरोज मक्का, रागी, ज्वार, बाजरा या चने की रोटी खाई जाती है क्या?
गेहूं की रोटी खाने से मना करने की वजह है गेहूं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन जो गेहूं के अलावा जौ, राई व टिट्रिकेल (गेहूं और राई के संयोग से तैयार एक प्रजाति) में भी पाया जाता है. इस प्रोटीन को ग्लूटेन कहते हैं. यही वह प्रोटीन है, जो गेहूं के आटे को गूंधने पर उसे बांध देता है
और उसे बेल कर रोटी या पूरी वगैरह बनाई जाती हैं.
जिन अनाजों में यह ग्लूटेन प्रोटीन नहीं पाया जाता है, उन का आटा गूंधना और रोटी बनाना कठिन होता है. लेकिन भारत के गांवों में ऐसे अनाजों की रोटियां भी खूब खाई जाती हैं. अब सेहत का खयाल रखने वाले शहरी लोगों ने भी ऐसे अनाजों को अपने भोजन में शामिल कर लिया है.
ग्लूटेन प्रोटीन सीलिएक रोग से पीडि़त लोगों के लिए काफी खतरनाक होता है. सीलिएक रोग से पीडि़त लोगों को गेहूं की रोटी खाने से पेट में अफरा, गैस, डायरिया, उल्टी, माइग्रेन (सिर दर्द) और जोड़ों के दर्द की तकलीफ हो सकती है.
सीलिएक रोग सीधे छोटी आंत की पाचनक्रिया को प्रभावित करता है. डाक्टरों के मुताबिक सीलिएक रोग एक लाइलाज बीमारी है, जिस से बचने के लिए परहेज ही इकलौता रास्ता है. यही वजह है कि आज बाजार में ग्लूटेनफ्री आटा भी मिलता है, जिसे सफेद चावल के आटे, आलू के स्टार्च, टैपियोका के स्टार्च, ग्वार गम और नमक मिला कर बनाया जाता?है.
गेहूं खाने का खास अनाज है, जो 20 फीसदी से ज्यादा ऊर्जा व पोषक तत्त्वों की आपूर्ति करता है. इनसान कम से कम पिछले 10 हजार सालों से गेहूं के साथ ग्लूटेन को भी इस्तेमाल करता चला जा रहा है.
अमेरिकी वैज्ञानिक डा. डेविड पर्लमुटर ग्लूटेन के सख्त विरोधी हैं. उन का कहना है कि आज 40 फीसदी अमेरिकी लोग ग्लूटेन को नहीं पचा सकते. बाकी 60 फीसदी भी इस की चपेट में आ रहे हैं. डा. डेविड ने गेहूं, चीनी व दूसरी कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों को इनसानों लिए घातक बताया है.
डा. विलियम डेविस ने अपनी किताब ‘व्हीट बेली’ में गेहूं के ग्लूटेन को भोजन का जहर मानते हुए इसे दमा, अस्थिरोगों, रक्त वाहिनियों के रोगों व दिमाग के रोगों की वजह बताया है.
गेहूं से होने वाले रोगों से बचने के लिए चौलाई, कुटू, मक्का, काला चना, तिल, रामदाना, चावल, बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, अखरोट, बादाम, पिस्ता आदि से बनी चीजें खाने की सलाह दी जाती है.
डबलरोटी बनाने में वाइटल व्हीट ग्लूटेन का इस्तेमाल किया जाता है, जो पेट के लिए खतरनाक होता?है. लिहाजा डबलरोटी खाने से बचना ही बेहतर है.
क्या होती है सीलिएक बीमारी
यह एक वंशानुगत बीमारी है. इस से पीडि़त लोगों को गेहूं, जौ और ओट्स में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन से एलर्जी होती है. इन चीजों से बने पदार्थ पीडि़त लोगों को हजम नहीं होते हैं. ग्लूटेन से होने वाली एलर्जी खासतौर से आंत को प्रभावित करती है. यह रोग मुख्य रूप से बच्चों में होता है. समय पर जांच न कराए जाने पर यह रोग बड़े होने पर भी बना रहता है और दिक्कतें पैदा करता है. इस के मुख्य लक्षणों में दस्त का पुराना रोग होना, पेट का फूल जाना और बच्चे का विकास रुक जाना शामिल हैं. एनीमिया, रिकेट्स, कद का छोटा होना व शरीर का कमजोर होना भी इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. रोग के लंबे समय तक जारी रहने पर आंतों के कैंसर और लिम्फोमा (प्रतिरोधी प्रणाली का कैंसर) का खतरा पैदा हो जाता है. इस का समय पर इलाज करा लेना जरूरी है.