किशोरों की सुबह मोबाइल अलार्म से शुरू हो कर आईपैड व वीडियोगेम्स, कंप्यूटर और वीडियोचैट, मूवी लैपटौप आदि के इर्दगिर्द गुजरती है. दिनभर वे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर व्यस्त रहते हैं. इन्हें नएनए गैजेट्स अपनी जीवनशैली में सब से अहम लगते हैं. शायद इसलिए मार्केट में टीनएजर्स के लिए नए साल की शुरुआत यानी न्यू ईयर पर नएनए गैजेट्स लौंच होते हैं. किशोर भी नए साल की शुरुआत एक नए गैजेट को खरीद कर रखना चाहते हैं. कई बार तो टीनएजर्स साल भर अपनी पौकेटमनी से पैसे बचा कर जमा करते हैं ताकि नए साल पर अपना पसंदीदा गैजेट खरीद सकें. ये गैजेट्स किशोरों को न सिर्फ लुभाते हैं बल्कि इन को खरीद कर वे खुद को मौडर्न भी समझने लगते हैं. यही कारण है कि वे हमेशा गैजेट्स को ले कर क्रेजी रहते हैं और हर साल नएनए गैजेट्स बहुत शौक से खरीदते हैं.

आजकल टीनएजर्स के पसंदीदा गैजेट्स हैं, स्टाइल और कूल लुक वाले स्मार्टफोन, टैबलेट, आईपैड, वायरलैस हैडफोन, किंडले ईबुक रीडर्स, ब्लूटूथ स्पीकर, ऐक्सबौक्स और पीएसपी गेम डिवाइस, फिटनैस वाच आदि. आइए, इन गैजेट्स की खासीयत, जरूरत, कीमत, और मौजूदा ट्रैंड्स को समझने की कोशिश करते हैं :   

ईबुक रीडर्स डिवाइस
किसी जमाने में किशोरों में पढ़ने की आदत को काफी अच्छा समझा जाता था. साहित्य से लगाव रखने वाले ये किशोर मेधावी और रचनात्मकशीलता से लैस होते थे, लेकिन बदले वक्त और तकनीकी क्रांति ने इस आदत को छुड़वा कर इन्हें टीवीकंप्यूटर की दुनिया में बिजी कर दिया. हालांकि तकनीक के आने से पढ़ने की कला को भी टैक्नोफ्रैंडली होने का मौका मिला और अब बाकायदा पढ़ने के लिए ईबुक्स रीडर्स डिवाइस बाजार में मौजूद हैं.

इस फील्ड में किंडले बड़ा नाम है. दुनिया भर के किशोर इसी में बैस्टसैलर नावेल से ले कर अपने सिलेबस की किताबें तक पढ़ते हैं. किंडले की तरह ही कोबो ब्रैंड ने पढ़ने की आदत को आसान और रोचक बनाते हुए अपना नया ईरीडर गैजेट लौंच किया है. 6.8 इंच स्क्रीन वाले इस गैजेट की एचडी और 1,440× 1,080 रिजोल्यूशन क्वालिटी इस को बेहतर क्लियरिटी देती है. इस की बेहतर तकनीक स्क्रीन को स्क्रैच फ्री बनाती है.

कोबो के इस ईरीडर की इंटरनल मैमोरी 4 जीबी की है जिसे माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए 32 जीबी तक ऐक्सपैंड किया जा सकता है. इस में सब से अच्छी सुविधा यह है कि इस की मदद से यूजर ईबुक के फौंट्स को अपनी सुविधानुसार बदल भी सकते हैं और पढ़ते समय टैक्स्ट को हाइलाइट भी कर सकते हैं. यही नहीं इसे आप फेसबुक के जरिए शेयर भी कर सकते हैं. कंपनी के मुताबिक़ प्रतिदिन औसतन 30 मिनट चलाने पर इस की बैटरी 2 महीने तक चलती है. किंडले और कोबो की तरह और भी कई कंपनियां इस दिशा में प्रयासरत हैं.

आईपैड और टैबलेट का किलर कौंबो 
ईबुक्स पर किताब पढ़तेपढ़ते किशोर जब बोरियत महसूस करने लगते हैं तो मनोरंजन के लिए  आईपैड और टैबलेट का रुख करते हैं, जहां उन को फिल्म संगीत और गपशप की नई दुनिया मिलती है. महानगरों में बस और मैट्रो में सफर करते हुए किशोरों के हाथों में आईपैड और टैबलेट नजर आते हैं. हर तिमाही किशोरों को केंद्र में रख कर कंपनियां नए डिजाइंस, कलर्स और फीचर्स से लैस टैबलेट मार्केट में उतारती हैं.

आजकल वही वर्जन डिमांड में हैं, जो  पूरी तरह से डिटैचेबल और फुल एचडी हैं. ज्यादातर टैबलेट और आईपैड 5 फिंगर टच फीचर्स के साथ मिलते हैं. अगर फिल्म और वीडियो देखने के बाद इस में स्कूल का प्रोजैक्ट बनाना चाहें तो टैबलेट के साथ कीबोर्ड जोड़ कर यह काम कर सकते हैं. बाजार में मौजूद विकल्पों की तर्ज पर इस में इंटेल कोर आई 5 और आई 7 प्रोसैसर वी-प्रो टैक्नोलौजी के साथ है जो इसे फास्ट डिवाइस बनाता है.   

ब्लूटूथ स्पीकर और वायरलैस हैडसैट
चाहे पढ़ाई का वक्त हो या फिर जोगिंग और जिम का, किशोर हर काम गाने सुन कर ही करना चाहते हैं. किशोरों की इसी पसंद को ध्यान में रख कर जेबीएल, सोनी, फिलिप्स, एलजी से ले कर बीटेल जैसे ब्रैंड्स ने बेहद आकर्षक तकनीक से लैस ब्लूटूथ स्पीकर और वायरलैस हैडसैट बाजार में उतारे हैं. इन की खासीयत है कि ये मोबाइल से ले कर आईपैड  और लैपटौप यहां तक कि टीवी में भी आसानी से फिट हो कर संगीत का मजा दोगुना कर देते हैं. ब्लूटूथ स्पीकर वह डिवाइस होती है जो बिना किसी बूफर या ऐक्सटर्नल डिवाइस के असैंबल होती है जो बिना किसी वायर के कनैक्शन के सिर्फ ब्लूटूथ के एपेयरिंग के साथ चल पड़ती है. अच्छी बात यह है कि इस के लिए किसी इलैक्ट्रौनिक इनपुट की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इस के अंदर रिचार्जेबल बैटरी लगी होती है.  

आज वायरलैस हैडसैट भी उसी तरह बदल चुके हैं जैसे वौकमैन से ले कर किसी भी एमपी थ्री प्लयेर से गाने सुनने के लिए कानों में हैंडफ्री डाली जाती थीं, लेकिन कई बार तार के उलझ जाने या खराब हो जाने के कारण गाने सुनने का मजा बेकार हो जाता था, लेकिन अब वायरलैस हैडसैट से यह समस्या लगभग खत्म हो गई है. बिना तार के सिर्फ ब्लूटूथ की कनैक्टिविटी से इसे मोबाइल या म्यूजिकल डिवाइस से कनैक्ट कर बिना किसी वायर के संगीत का मजा लेना आसान हो गया है.

पीएसपी, ऐक्स बौक्स और 3डी गेमर्स
अमेरिकन टैक्नोफ्रीक संस्था से जुड़ी रिसर्च की मानें तो दुनिया के टीनएजर्स अपना सब से ज्यादा समय जिस चीज में बिताते हैं वह है गेमिंग. जी हां, न टीवी और न ही कार्टून. इसलिए गारा गेमिंग डिवाइस की मार्केट में कीमत लाखों में और एक डीवीडी गेम की कीमत हजारों में है तो ताजुब नहीं होना चाहिए. गेमिंग से जुड़ा एक अध्ययन यह भी बताता है कि आजकल किशोरों में हिंसक प्रवृत्ति के बढ़ने के पीछे भी गेमिंग का हाथ है.

स्मार्ट वाच, नोटबुक और स्टाइल गैजेट्स
इन के अलावा आजकल मार्केट में स्मार्ट वाच भी आ गई हैं जिन में स्मार्टफोन सरीखे सारे फीचर्स हैं. कलाई पर बांध कर इस स्मार्ट वाच से आप न सिर्फ मेल चैक कर सकते हैं बल्कि कौल भी कर सकते हैं. इस के अलावा म्यूजिक से ले कर फिल्में भी इसी पर देख सकते हैं. कुछ ही ब्रैंड्स हैं, जो स्मार्ट वाच बनाते हैं मसलन एपल, एडिडास और नाइकी, लेकिन इन की कीमत भी ज्यादा है, इसलिए देश में इन की बिक्री उतनी नहीं है. लैपटौप का मिनी रूप ही नोट बुक है, जो टीनएजर्स के हिसाब से लैपटौप का काम करता है. इस में असल काम रैम, हार्डडिस्क और प्रोसैसर का है.

होशियारी से खरीदें गैजेट्स
नए साल की शुरुआत नए गैजेट से करने में कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन शुरुआत ही ठगी या पैसों के नुकसान से हो, तो मजा खराब हो जाता है. जी हां, साल की शुरुआत में गैजेट मार्केट नएनए इलैक्ट्रौनिक आइटम्स से भरा होता है. इसी भीड़ में कई बार लोकल और डुप्लीकेट प्रोडक्ट भी बेचे जाते हैं. जिन को इस बारे में अधिक जानकारी नहीं होती वे सस्ते के लालच में ऐसे गैजेट ले कर न सिर्फ ठगी के शिकार होते हैं बल्कि प्रोडक्ट में बाद में आने वाली खराबी को सर्विस सैंटर के अभाव में रिपेयर भी नहीं करा पाते. इसलिए किसी जानकार व्यक्ति के साथ जा कर जिसे क्वालिटी और फीचर्स की अच्छी परख हो, गैजेट खरीदें वरना अगर आप सस्ते के चक्कर में ग्रे मार्केट से उत्पाद खरीदते हैं और उस का कोई बिल भी नहीं मिलता, तो आप उस प्रोडक्ट के बारे में कोई कानूनी कार्यवाही भी नहीं कर सकते. आप को सर्विस और अन्य सुविधाएं भी नहीं मिलतीं. इसलिए उत्पाद सही स्थान से खरीद कर बिल जरूर लें. लोकल ब्रैंड के बजाय ब्रैंडेड कंपनी का सामान लेना बेहतर होता है, क्योंकि फोन और लैपटौप में विंडो का पायरेटेड वर्जन इस्तेमाल करते समय आप उस के औटोमैटिक अपडेट को चालू नहीं रख सकते. चाहे आप का फोन हो या कंप्यूटर इस के सौफ्टवेयर लगातार अपडेट होते रहते हैं. यह भी ध्यान रखें कि जो गैजेट्स आप ले रहे हैं उन के सर्विस सैंटर आप के आसपास हैं भी या नहीं. इन की खरीदारी में थोड़ी समझदारी दिखाएं वरना हैप्पी न्यू ईयर को हैप्पी लौस ईयर बनते देर नहीं लगेगी.     

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