‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है,’ यह कहावत एक भारतीय युवा वैज्ञानिक ने अपाहिजों के लिए दिमाग के इशारे पर चलने वाली कुरसी का आविष्कार कर के चरितार्थ की है. इस वैज्ञानिक ने देखा कि देशविदेश में लाखों लोग मस्तिष्क से तो पूर्णतया स्वस्थ हैं पर शारीरिक अपंगता की वजह से चलनेफिरने में अक्षम हैं. क्यों न इन के लिए एक ऐसी व्हीलचेयर बनाई जाए जो मस्तिष्क के इशारे पर चले और उस जगह पर ले जाए जिस के बारे में उन्होंने सोचा है या जहां उन्हें पहुंचना है. इन दिव्यांगों के लिए एक ऐसे साधन की आवश्यकता थी जिस से ये बिना किसी सहारे के अपनी मरजी से आजा सकें, घूमफिर सकें.

लगभग साल भर की कड़ी मशक्कत के बाद दिवाकर वैश्य को अपने लक्ष्य में सफलता मिल गई. इस से आविष्कार की दुनिया में अब एक ऐसी कुरसी शामिल हो गई है जिसे व्यक्ति दिमाग के इशारे पर चला सकता है और सोचे गए स्थान पर आसानी से पहुंच सकता है. इस से शारीरिक रूप से असमर्थ असंख्य लोगों को सहूलत होगी.

यह व्हीलचेयर उन लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी है जो बिलकुल भी हिलडुल नहीं सकते. यहां तक कि वे अपना सिर तक नहीं हिला सकते, पर इस चेयर का इस्तेमाल कर अब वे जहां जाना चाहें, आराम से जा सकते हैं. 2 लाख रुपए कीमत वाली यह चेयर जल्दी ही बाजार में उपलब्ध हो जाएगी. दुनिया में पहली बार ऐसी चेयर बनाने का श्रेय दिल्ली के युवा कंप्यूटर वैज्ञानिक दिवाकर वैश्य को जाता है. ए सेट टे्रनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टिट्यूट के रिसर्च हैड दिवाकर इस से पहले भारत का पहला डायमैंशनल थ्रीडी प्रिंटेड ह्यूमनोरायड रोबोट बना कर प्रसिद्घ पा चुके हैं.

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