दामोदर के ऊपर कामिनी समेत 20 औरतों ने छेड़छाड़ करने का केस दायर किया था. प्रधानमंत्री ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें मंत्री पद से हटा दिया. चूंकि वे वरिष्ठ मंत्री रहे हैं इसलिए उन से इस्तीफा लिया गया और अदालत के फैसले के आधार पर उन के ऊपर कार्यवाही होगी.

इस सब में प्रधानमंत्री का बयान आग में घी का काम कर रहा था, ‘मैं ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियों का पालन करते हुए दामोदर से इस्तीफा ले कर मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया है. अदालत बिना किसी दबाव के इस मसले पर फैसला लेगी.’

‘‘बड़ा ईमानदार बनता है. सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली,’’ दामोदर गुस्से में बड़बड़ा रहे थे. वे राजनीति में 50 साल यों ही नहीं गुजार चुके थे. उस में भी वे 30 साल से ज्यादा पत्रकारिता जगत में गुजार चुके थे. कामिनी को वे ही पत्रकारिता में लाए थे.

शाम को अपनी सफाई में दी गई प्रैस कौंफ्रैंस में दामोदर वहां आए पत्रकारों पर फट पड़े, ‘‘मैं खुद पत्रकार के रूप में सालों से आप के साथ रहा हूं और काम कर रहा हूं. इन आरोपों में कोई दम नहीं है, पर पत्रकार के रूप में आप सब जांच में सहयोग दें और सच को छापें.

‘‘मैं ने भी मंत्री पद से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि न्यायपालिका में मेरा पूरा विश्वास है कि वह सही जांच करेगी. दूसरी बात यह है कि जिस दिन की बात कामिनी बता रही हैं, उस दौरान मैं प्रधानमंत्री के श्रीलंका दौरे को कवर करने वहां गया था और एक वक्त में मैं 2 जगह नहीं रह सकता.’’

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