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ठीक 11 बजे बीएम साहब और ब्रिगेड कमांडर साहब आए. सभी ने उठ कर उन का अभिवादन किया. सभी के बैठ जाने के बाद कमांडर साहब ने कहना शुरू किया, ‘‘जैंटलमेन, आप सब जानते हैं, हम यहां क्यों इकट्ठे हुए हैं? मैं आप का अधिक समय न लेते हुए सीधी बात पर आ जाता हूं. कैप्टन सरिता अब हमारे बीच नहीं है. शी हैज कमीटेड सुसाइड.’’

कुछ समय रुक कर कमांडर साहब ने अपनी बात की प्रतिक्रिया जानने के लिए सभी के चेहरों को गौर से देखा, ‘‘मैं मानता हूं, आत्महत्या को भारतीय सेना में अपराध माना गया है और ऐसा अपराध करने वालों के परिवार वालों को सेना और सरकार किसी प्रकार की सुविधा नहीं देती. वे सड़क पर आ जाते हैं जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया होता. इसलिए मैं चाहता हूं, कैप्टन सरिता की डैथ को औन ड्यूटी शो किया जाए जिस से उस के परिवार वालों को सभी सुविधाएं मिलें. आप लोगों के क्या विचार हैं, इसे जानने के लिए हम यहां एकत्रित हुए हैं.’’

काफी समय तक खामोशी छाई रही फिर प्रोवोस्ट यूनिट के ओसी कर्नल राजन बोले, ‘‘सर, ऐसा हो जाए तो इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है. इसलिए नहीं कि कैप्टन सरिता एक अफसर थी बल्कि पिछले दिनों हवलदार जिले सिंह के केस में भी ऐसा किया गया.’’

‘‘और कर्नल सुरेश?’’ कमांडर साहब ने ओसी एमएच से पूछा.

‘‘सर, मुझे कोई एतराज नहीं है, केवल मिलिटरी पुलिस की इनीशियल रिपोर्ट को समझदारी से बदलना होगा.’’

कर्नल सुरेश के सवाल का जवाब कर्नल राजन ने दिया, ‘‘वह सब मैं बदल दूंगा.’’

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